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नशामुक्ति संकल्प और शपथ दिवस कब मनाया जाता है

किसी भी राष्ट्र की जनता ही वहां की सबसे बड़ा धन और ताकत होती है और यदि जनता का भविष्य ही अंधकार में चला जाए तो वह देश की उन्नति नहीं कर सकता। आज के युवा नशा और धुम्रपान करने को शान समझते है और खुद को नशे का आदी बना चुके है जिससे की उनका भविष्य ख़राब हो रहा है। नशे के लिए बाजार में बहुत सी नशीली वस्तुएं बेची जाती हैं जैसे कि शराब, बीड़ी, सिगरेट आदि। अफीम, हीरोइन जैसे नशीले पदार्थ अवैध तरीके से बेचे जाते हैं जो की बहुत ही हानिकारक है और इनकी लत लग जाती है। चुनाव के समय नेता भी नशे का लाभ उठाते है, वह लोगों को शराब देकर उनसे उनके हिस्से में मतदान लेते है। 

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नशामुक्ति संकल्प और शपथ दिवस कब मनाया जाता है
नशामुक्ति संकल्प और शपथ दिवस

30 जनवरी को नशामुक्ति संकल्प और सपथ दिवस मनाया जाता है,  31 मई को अंतर्राष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस, 26 जून को नशा निषेध दिवस मनाया जाता है और 2 से 8 अक्टूबर तक भारत में मद्य निषेध दिवस मनाया जाता है। मगर हकीकत ये दिवस सिर्फ कागजी साबित हो रहे है इसके लिए सिर्फ सरकार के ही द्वारा उठाये गए कदम काफी नहीं हैं। नशे के प्रति स्वयं भी जागरूक होना पड़ेगा।

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नशामुक्ति संकल्प और शपथ दिवस कब मनाया जाता है?

क्या कभी सोचा है समाज में अपराध और गैर-क़ानूनी हरकतों को बढ़ाने के पीछे नशा जिम्मेदार है। आज के दौर में नशा फैसन बन गया है। हर साल लोगों को नशे से छुटकारा दिलवाने के लिए 30 जनवरी को नशामुक्ति संकल्प और सपथ दिवस मनाया जाता है, 

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नशे से हानियाँ

नशा करने वाला व्यक्ति अपना मन-सम्मान खो देता है। वह निरंतर अपने परिवार से झगड़ता रहता है और वह नशा करके अपना होश खो बैठता है और मार पिटाई भी करता है जिससे पारिवारिक शांति भंग होता है। नशा करने वाले व्यक्ति का जीवन कभी भी खुशहाल नहीं होता है और न ही उसके पास धन होता है। नशे की लत बहुत ही बुरी है और नशीले पदार्थ प्राप्त करने के लिए चोरी, डकैती या अवैध कार्य भी करता है। आजकल शराब में मिलावट भी होती है जिससे व्यक्ति अपना जान भी गवां बैठता है। नशा करने से केवल हनियाँ ही हैं शराब हमारी फसलों के वातावरण के लिए भी अनुकूल नहीं है।

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नशामुक्ति के उपाय

नशे को देश से मुक्त बनाने के लिए हर व्यक्ति को अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए और इससे होने वाली हानियों के विषय में जानकर खुद को दूर रखना चाहिए। सरकार ने भी नशे पर प्रतिबंध लगया है और यदि कोई भी व्यक्ति नशा करता या नशीले पदार्थ बेचता हुआ पाया जाता है तो उसे सजा दिया जाता है। लोगों की नशे की लत छुड़वाने के लिए बहुत से नशा मुक्ति केंद्र भी खोले गए हैं।

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युवा और नशा

वर्तमान समय में परिवर्तन इस कदर आ गया है कि वह सभ्यता रूपी जंजीरों को तोड़ चुका है। भारत एक ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा युवा निवास करते है और जैसे की हम जानते है कि युवा वर्ग किसी भी देश की तरक्की का एक माध्यम होता है। किन्तु आज यह  युवा वर्ग एक गम्भीर समस्या नाशखोरी में डूबा हुआ है। आज हालात कुछ इस प्रकार है.....

माप प्रतिष्ठा का बना, जर्दा-गुटखा-पैन,

युवा वर्ग गुमराह है, तनिक न उसको लाज।

नशाखोरी एक ऐसा सामाजिक अभिशाप है जोकि गांवों से लेकर शहरों व महानगरों तक अपने पैर पसार रहा है ।यह एक ऐसी बुराई है जिसने राजा को भी रंग बनाकर रख दिया। आज युवा वर्ग अनेकों तरह की समस्यायों से छुटकारा पाने या उन्हें भूलने के लिए मादक पदार्थों का सेवन करता है वह बिलकुल उसी तरह है जिस प्रकार जब बिल्ली कबूतर को शिकार बनाने चलती है और कबूतर आंखे बंद करके सोचता है कि खतरा टल गया और अपनी जान गवा देता है।

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ठीक उसी प्रकार युवा वर्ग नियमित मादक पदार्थो का सेवन कर उसका आदी बन गया है और धीरे-धीरे अपना शारीरिक, मानसिक संतुलन भी खो रहा है। नशाखोरी की चपेट में आने वाला युवा वर्ग इस तरह जाल में फसता है कि उसके पास सोचने-समझने की क्षमता नष्ट हो जाती है। वह मादक पदार्थों जैसे शराब, गाजा, चरस, हीरोइन, अफीम इत्यादि को खरीदने के लिए अन्य बुराइयों जैसे चोरी, डकैती, बैंक लूटने को जन्म देता है।

ये मेरे देश के युवा, तुम क्यों बैठे नशा कमाए 

मुश्किल से मिलता है ये जीवन, लो इसको बचाए 

वर्तमान समय में सर्वप्राथय ये सोचना जरुरी है की आखिर क्या कारण है जिस कारण युवा वर्ग इसकी चपेट में आ रहे हैं?  आखिर क्यों? हमे तम्बाकू मुक्त दिवस इत्यादि मानाने की आवश्यकता पड़ रही है। इसका प्रमुख कारण जो मेरे विचार से लगता हैं वह आधुनिकता बनने की इच्छा है जिस प्रकार विदेशों में लोग खुले आम शराब पीते हैं वह खुद को भी उसी सभ्यता से मिलाना चाहते है।

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दूसरा इसका प्रमुख कारण सिनेमा, विदेशी चैनल व अश्लील चैनलों का प्रभाव। क्योकि जैसा मानव देखता है वैसा ही बन जाता है। तीसरा कारण बेरोजगारी, असुरक्षा इत्यादि हो सकते हैं भविष्य की चिंता के कारण वह इस जहर को निगल रहा है। चौथा कारण देखा जाय तो पारिवारिक माहौल जो हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अंतिम कारण यह सबसे महत्वपूर्ण संगति है जोकि एक व्यक्ति को बिगाड़ भी सकता है और सुधार भी सकता है।

आधुनिकता केओढ़ ने कर दिया सर्वनाश,

बेरोजगारी क्या कहे यह बानी अति विशाल,

क्या संगति वहओढ़ है जिसने किया मुझे बर्बाद।

अतः वर्तमान में यह अति सोचनीय विषय है की कैसे इस बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंका जाय जिसके लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने पड़ेंगे। सरकार को नशाबंदी कानून कड़ाई से लागू करना चाहिए, मादक पदार्थ में लिप्त व्यवसाय को कड़ा दंड देने का प्रावधान करना चाहिए।

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निष्कर्ष

नशा मुक्ति देश हर नागरिक की आवश्यकता है और इसी से राष्ट्र उन्नति कर सकेगा और यह तभी संभव है जब हर व्यक्ति नशीले पदार्थों का सेवन बंद कर दे। युवाओं में नशे का प्रचलन अधिक है और युवा ही देश का भविष्य है इसलिए युवाओं को समझना चाहिए कि नशा जहर है। सिगरेट के धुएं में जिंदगी को नहीं उड़ाना चाहिए।

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देश को नशामुक्त बनाओ , जन-जन को खुशहाल बनाओ।

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