विश्व बाल श्रम निषेध दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? - World Day Against Child Labour
माना जाता है बच्चे भगवान के रूप होते है ऐसे में भारत ही नहीं पुरे विश्व भर में बच्चे बाल मजदूरी करते है मतलब को बाल श्रम इसके चक्कर में World Day Against Child Labour मनाया जाता है पुरे विश्व भर में जो को 12 जून को हर साल मनाया जात है। बाल श्रम एक ऐसी समस्या है जो किसी भी देश के लिए शर्मनाक साबित हो सकता है। बचपन जिंदगी का सबसे खूबसूरत सफर होता है, बचपन में न कोई चिंता होता है ना ही कोई फ़िक्र। एक निश्चिन्त जीवन का आनंद लेना ही बचपन होता है। लेकिन कुछ बच्चों की बचपन में लाचारी और गरीबी की नजर लग जाता है जिस कारण उन्हें बाल श्रम जैसे समस्या का सामना करना पड़ता है।विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का उद्देश्य
इस सामाजिक समस्या के विरोध और जागरूकता फ़ैलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (International Labour Organization) ने वर्ष 2002 के अंदर विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) मनाना शुरू कर दिया था।बाल श्रम वर्तमान समय में बच्चों की मासूमियत के बिच अभिश्राप बनकर सामने आता है, आज भी बाल श्रम भारत के लिए भी समस्या बना हुआ है। UNICEF की एक रिपोर्ट के अनुसार बच्चो की ख़राब स्थिति के मद्देनजर विश्व में भारत छठे स्थान पर है। दुनिया में 71 देश ऐसे है जहां बच्चों से मजदूरी करवाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन यानि International Labour Organization की एक रिपोर्ट में बताया गया है ईटे तैयार करने से लेकर मोबाइल फोन के पुर्जे बनाने तक कई काम बच्चों से लिए जाते है। कई देशों में काम करने की कोई न्यूनतम उम्र तय नहीं की गई है और उन देशों में जहां बाल श्रम के खिलाफ कानून भी है वह इनका ठीक तरह से पालन नहीं किया जाता।
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बाल मजदूरी के क्या कारण होते है
- बाल मजदूरी या बाल श्रम जो गरीब परिवार होते है ज्यादातर उनके बच्चों पर असर डालता है, गरीब परिवारों पर इसका प्रभाव पड़ता है। कई गरीब परिवार ऐसे होते है की उनकी जो इनकम होती है वह कम होती है इनकम का सोर्स छोटा होता है कम होता है और खर्चा ज्यादा होता है जिसके वजह से बच्चे बाल मजदूरी की तरफ बढ़ावा देते है और वह ऐसे में घर खर्च चलाने के लिए पैसे कमाने जाते है।
- कई बार बच्चे ये समझ लेते है की हमारे घर में पैसे नहीं है यदि हम पैसे नहीं कमायेंगे तो हमारा घर चल नहीं पायेगा। जिससे-जिसके माँ-बाप प्रोत्साहित करते है मजदूरी करने के लिए जिसके वजह से वह कही दूर जाके काम करते है।
- कई बार एजुकेटेड से लेकर भी प्रॉब्लम्स को फेस करना पड़ता है जी भी बच्चा बाल मजदूरी करता है उनमें से 99% बच्चे एजुकेटेड नहीं होते है।
भारत में बाल श्रम से संबंधित रिपोर्ट
- बाल श्रम के खिलाफ कार्यरत संगठन बचपन बचाओ आंदोलन की रिपोर्ट कहती है की भारत में लगभग सात से आठ करोड़ बच्चे अनिवार्य शिक्षा से वंचित है।
- वर्ष 2011 की जनगड़ना के अनुसार, भारत में 5 से 14 साल के 25.96 करोड़ बच्चों में से 1.01 करोड़ बाल श्रम के शिकार है।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के रिपोर्ट के अनुसार आज भी दुनिया में करीब 15.2 करोड़ बच्चे मजदूरी करने को मजबूर है इनमे से अधिकतर मज़बूरी हालात में काम कर हैं।
- दुनिया भर में बाल श्रम में शामिल 152 मिलियन बच्चे में से 73 मिलियन बच्चे खतरनाक काम करते है।
- खतरनाक श्रम में मैनुअल सफाई, निर्माण, कृषि, खदानों, कारखानों तथा फेरी वाला एवं घरेलू सहायक इत्यादि के रूप में काम करना शामिल है।
- ILO के अनुसार इस तरह के श्रम बच्चों के स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं नैतिक विकास को खतरे में डालते है। इतना ही नहीं इनके कारण बच्चे सामान्य बचपन और उचित शिक्षा से भी वंचित रह जाते है।
- खतरनाक बाल श्रम के कारण दुनिया भर में 45 मिलियन लड़के और 28 मिलियन लड़किया प्रभावित हैं।
- हाल के वर्षों में खतरनाक सरम में शामिल 5 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या बढ़कर 19 मिलियन हो गई है।
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संयुक्त राष्ट्र के अनुसार रिपोर्ट
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्राप्त आकड़ों के अनुसार 541 मिलियन युवा श्रमिकों (15 से 24 वर्ष) में 37 मिलियन बच्चे है जो खतरनाक बाल श्रम का काम करते है।
- यह विश्व के कुल श्रमिक क्षमता का 15 प्रतिशत है इन श्रमिकों को काम करने के दौरान अन्य श्रमिकों के तुलना में 40 प्रतिशत अधिक घटक चोटें लगती है।
क्या है बाल श्रम
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बाल श्रम के कारण
- यूनीसेफ के अनुसार बच्चों का नियुक्ति इसलिए किया जाता है, क्योंकि उनका आसानी से शोषण किया जा सकता है।
- गरीबी आमतौर पर पहला कारण है कि बच्चे अपनी उम्र के अनुरूप कड़ी मेहनत करते हैं।
- इसके आलावा जनसख्या विस्फोट, सस्ता श्रम, उपलब्ध कानूनों का लागू न होना, बच्चों को स्कूल भेजने के प्रति अनिच्छुक माता-पिता (वे अपने बच्चे को स्कुल की बजाय काम पर भेजने के इच्छुक होते है, ताकि परिवार की आय बढ़ सके) जैसे अन्य कारण है
भारत और बाल श्रम
- भारत में आदिकाल से ही बच्चों को ईश्वर का रूप माना जा रहा है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य इस सोच से काफी भिन्न है। बच्चो का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। गरीब बच्चे स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने की उम्र में मजदूरी कर रहे है।
- पिछले कुछ वर्षो से भारत सरकार एवं राज्य सरकारों की पहल इस दिशा में सराहनीय है। उनके द्वारा बच्चों के उत्थान के लिए अनके योजनाओं को प्रारंभ किया गया है, जिसमें बच्चों के जीवन व उनकी शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव दिखे।
- शिक्षा का अधिकार भी इस दिशा में एक सराहनीय कार्य है। इसके बावजूद भी बाल श्रम की समस्या अभी भी एक विकत समस्या के रूप में विराजमान है।
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बाल श्रम और भारतीय संविधान
- 14 साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्ट्री या खदान में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जायेगा और न ही किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जायेगा।
- राज्य अपनी नीतियों को इस तरह से निर्धारित करेंगे कि श्रमिकों, पुरुषों और महिलाओं के स्वास्थ्य और क्षमता की रक्षा हो, और बच्चों की कम उम्र का शोषण न हो और वे आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी उम्र और ताकत के प्रतिकूल काम करें।
- बच्चों को स्वस्थ तरीके से स्वतंत्र एवं सम्मानजनक स्थिति में विकास के अवसर तथा सुविधाएं दी जाएंगी और बचपन और जवानी को नैतिक व भौतिक दुरुपयोग से बचाया जायेगा।
- संविधान लागू होने के 10 साल के भीतर राज्य 14 वर्ष तक की उम्र की सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रयास करेंगे। (धारा 45)
- बाल श्रम एक ऐसा विषय होता है, जिस पर संघीय व राज्य सरकारें दोनों अलग-अलग कानून बना सकती है।
- फैक्ट्री कानून 1948 - या कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चो के नियोजन को निषिद्ध करता है। 15 से 18 वर्ष तक के किशोर किसी फैक्ट्री तभी नियुक्त किये जा सके है, जब उनके पास अधिकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर से फिटनेस सर्टिफिकेट हो। कानून ने 14 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए प्रतिदिन साढ़े चार घंटे काम करने का समय निर्धारित किया है और उन्हें रात में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- भारत में बाल श्रम के खिलाफ कार्यवाई में महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप 1996 में उच्च न्यायालय के उस फैसले से आया जिसमें संघीय और राज्य सरकारों को खतरनाक प्रतिक्रियाओं और पेशों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हातमे और गुणवक्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।
- न्यायलय ने यह आदेश भी दिया था कि एक बाल श्रम पुर्नवास सह कल्याण कोष की स्थापना किये जाय, जिसमें बाल श्रम कानून का उलंघन करने वाले नियोक्ताओं के अंशदान का उपयोग हो।
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बाल श्रम से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु
- विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा वर्ष 2002 में किया गया था।
- इसका मुख्य उद्देश्य बाल श्रम की वैश्विक सीमा पर ध्यान केंद्रित करने और बाल श्रम को पूरी तरह से खत्म करने के लिए आवश्यक प्रयास करना है।
- अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चलता है कि बाल श्रम को दूर करने में हम अभी बहुत पीछे है।
- वर्ष 2016 के लिए ILO डेटा से पता चलता है की हम विश्व को बाल श्रम से मुक्त करने में मीलों दूर है। ILO रिपोर्ट बाल श्रम के वैश्विक अनुमान - परिणाम और रुझान, 2012-2016 में कहा गया है की 5 और 17 वर्ष की उम्र के बीच 152 मिलियन बच्चो को अवांछनीय परिस्थितियों में बाल श्रम करने को मजबूर किया जाता है।
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भारत के संविधान में बाल श्रम के विरुद्ध प्रावधान
- बाल श्रम (निषेध व् नियम) कानून 1986 - यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी अवैध पेशों और 57 प्रतिक्रियाओं में, जिन्हे बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर माना गया है, नियोजन को निषिद्ध बनाता है।
- 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नियोजन को फैक्टरी कानून 1948 निषिद्ध करता है।
- भारत में बाल श्रम के खिलाफ कार्यवाही में महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप 1996 में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से आया, जिसमे संघीय और राज्य सरकारों को खतरनाक प्रतिक्रियाओं और पेशों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने और उन्हें गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।
History of 12 Jun - 12 जून का इतिहास
- मात्र 15 साल ही जीवित रहने वाली जर्मन लेखिका ऐनी फ्रैंक का जन्म आज के दिन ही हुआ था। उनकी डायरी दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में से एक है। इस डायरी में 12 जुन 1942 से लेकर 1 अगस्त 1944 के बीच उनकी जिंदगी में जो कुछ भी घटा उसका व्योरा लिखा हुआ है। यह डायरी उन्हें तेरहवें जन्मदिन पर तोहफे के रूप में मिली थी। उनके युद्धकालीन डायरी का नाम The Diary of a Young Girl है। बाद में उन्हें पकड़कर बर्गेन-बेल्सन प्रताड़ना केंद्र भेज दिया गया, जहां उनकी टाइफन की वजह से मृत्यु हो गई।
- 1975 में आज के ही दिन ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी पाया। अदालत ने इंदिरा गांधी पर छः साल के लिए चुनाव लड़ने की रोक लगाई थी, न्यायालय ने इंदिरा गांधी के लोकसभा चुनाव में जित को अवैध करा दिया और उन्हें कुर्सी छोड़ने का आदेश भी दे दिया। लेकिन इंदिरा गांधी अदालत की आदेश को अनदेखा कर गई दरसल सन 1971 के चुनाव में मिली हार के बाद विपक्ष के नेता राजनारायण ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और अदालत ने याचिका दाखिल होने के चार साल बाद अपना फैसला सुनाया। आदेशो के अनदेखी के कारण देश भर में विरोध प्रदर्शन होने लगा और इंदिरा गांधी ने इस विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए 25 जून सन 1975 को आपातकाल की घोषणा कर दी।
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- बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन ने जागरूकता पैदा करने के लिए 2002 में विश्व बाल श्रम विरोधो दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। बाल श्रम आम तौर पर मजदूरी के भुगतान के बिना या भुगतान के साथ बच्चों से शारीरिक कार्य करना है। बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है यह एक वैश्विक घटना है। सांविधानिक व्यवस्था के अनुरूप भारत का संविधान मौलिक अधिकार और राज्यों के निति निर्देशक तक सिद्धांतो के विभिन्न धाराओं के माध्यम से कहता है 14 साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्ट्री या खदान में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जायेगा न ही किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जायेगा हालाँकि फैक्ट्री कानून 1948 के अनुसार 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए हर दिन साढ़े चार घंटे की कार्यावधि की अनुमति देता है। सन 1992 से प्रतिवर्ष रूस में यह दिवस मनाया जाता है। आज के दिन ही रूस से सोवियत संघ से आजाद होने की घोषणा की थी।
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निष्कर्ष
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