Dharm ki Raksha Karo धर्म की रक्षा करो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा

धर्मो रक्षति रक्षितः अर्थात तुम धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा dharm ki raksha तुम धर्म की रक्षा करो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा (tum dharm ki raksha karo) tum dharm ki raksha karo dharm tumhari raksha karega - धर्म रक्षा किये बिना मानवता की बात सोच भी नहीं सकते..क्योंकि एक व्यक्ति में धर्म ही है जो मानवता का निर्माण करता है... ओर अधर्म जो हैवानियत का निर्माण करता है । शृष्टि का मात्र एक ही धर्म है सत्य सनातन जिसका न आदि है न अंत...इसके अलावा अनेकों मत पंथ ओर सम्प्रदाय किसी न किसी व्यक्तिगत समझ से बनाये गए । यदि हम धर्म को समझकर उसका अनुशरण नहीं करते हैं तो आज नहीं तो कल अधर्म हम पर भारी हो जाएगा और चारों तरफ हाहाकार , हो गा , लूट बलात्कार , हत्या , आतन्कवाद ये सब फैलता रहेगा । अधर्म करने वाला तो अपनी प्रवर्ति के अनुशार कार्य कर रहा है लेकिन धर्म मार्गियों को चाहिये कि वो अधर्म को बढ़ने से रोकें उनका दमन करें अन्यथा जो अन्याय आज बढ़ते जा रहा है उंसके भोगी आप भी बनेंगे । धर्म क्या है , क्या सिखाता है , इसका ज्ञान शास्त्रों में भरा पड़ा...