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चंद्रशेखर आजाद जयंती और पुण्यतिथि कब है | chandrashekhar azad in hindi

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"मैं आजाद हूँ, आजाद रहूँगा और आजाद ही मरूंगा" देश के महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चं द्रशेखर आजाद का नारा था, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया। 24 साल की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए चंद्रशेखर आजाद शहीद हो गए जो युवाओं के लिए जीवन का सपना देख रहे हैं। चंद्रशेखर आजाद पुण्यतिथि यह भी पढ़ें:  रविदास जयंती (Sant Ravidas Jayanti) कब मनाया जाता है चंद्रशेखर आजाद जयंती 2025 (chandrashekhar azad jayanti 2025) चंद्रशेखर आज़ाद जयंती हर साल 23 जुलाई को मनाई जाती है। यह दिन महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती के रूप में उनके साहस, बलिदान और देशभक्ति को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। कैसे मनाई जाती है चंद्रशेखर आज़ाद जयंती? श्रद्धांजलि कार्यक्रम: विद्यालयों, कॉलेजों और संगठनों में देशभक्ति से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। प्रेरणादायक भाषण: स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर चर्चा की जाती है। रैलियाँ और संगोष्ठियाँ: उनकी विचारधारा और बलिदान को युवाओं तक पहुँचाने के लिए कार्यक्रम होते हैं। प्रतिमाओं पर माल्यार्पण: उनके सम्म...

छत्रपति शिवाजी महाराज: इतिहास, जयंती और पुण्यतिथि का समग्र परिचय | Chhatrapati Shivaji Maharaj History, Jayanti, Punytithi in Hindi

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भारत के वीर छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सभी लोग जानते है बहुत से लोग इन्हें हिन्दू ह्रदय सम्राट कहते है तो कुछ लोग इन्हें मराठा गौरव कहते है शिवजी का पूरा नाम शिवाजी राजे भोसले था।  छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि 1674 में उन्होंने पश्चिमी भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी सन 1674 में रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वे छत्रपति बने। उन्होंने अपनी सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की मदद से एक योग्य और प्रगतिशील शासक प्रदान किया, उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये थे छापामार युद्ध की नै शैली यानी शिवसूत्र को भी विकसित किया था। इतना ही नहीं उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनैतिक कथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित कियाऔर फ़ारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बना दी। chhatrapati shivaji maharaj jayanti history छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती हर साल 19 फरवरी को मनाई जाती है। यह दिन छत्रपति शिवाजी महाराज, मराठा साम्राज्य के संस्थापक और भारतीय इतिहास के महान योद्धा और शासक की जयंती के रूप में मनाया जाता है। शिवाजी महाराज जयंती का इतिह...

रविन्द्र नाथ टैगोर जयंती और पुण्यतिथि कब है 2025 | rabindranath tagore in hindi

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मेरा घर सब जगह है, मैं इसे उत्सुकता से खोज रहा हूँ।  मेरा देश भी सब जगह है, इसे मैं जीतने के लिए लड़ूंगा।  प्रत्येक घर में मेरा निकटतम सम्बन्धी रहता है, मैं उसे रह स्थान पर तलाश करता हूँ।                          गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर रविंद्र नाथ टैगोर की पुण्यतिथि  यह भी पढ़ें: परशुराम जयंती और पौराणिक कथा शायद यह एक खोज थी कि वह अक्सर टक के लिए अपनी खिड़की के माध्यम से प्रकृति को घूरता रहेगा। वह स्वयं प्रकृति से बात करने लगता था। ऐसा प्रतीत होता है जैसे एक खुला नीला आकाश, चहकते हुए पक्षी, हरियाली, ठंडी हवा और प्रकृति की हर चीज उन्हें अपने पास बुला रही है। रविंद्र नाथ टैगोर की  जयंती   वह कल्पना की मोहक दुनिया में खो जाता यह दुनिया उसे बहुत ही सुन्दर और मनोहारी लगता। यह उसका प्रकृति के प्रति आकर्षक और कल्पनाशीलता ही थी की मात्र आठ वर्ष की आयु में ही वह कविता रचने लगा। उस समय किसी ने सोचा भी नहीं था की वह बड़ा होकर यह बालक महान साहित्यकार, चित्रकार और विचारक रविन्द्र ना...

सुभाष चंद्र बोस जयंती 2025: नेताजी के सपनों का भारत | Subhash Chandra Bose Jayanti Kab Hai

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देश की स्वतंत्रता के लिए भारतीयों ने जिस यज्ञ को शुरू किया था उसमे जिन-जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था उसमें सुभाष चंद्र बोस भी थे। सुभाष चंद्र बोस का नाम बहुत ही स्नेह और श्रद्धा के साथ लिया जाता है।  यह भी पढ़ें:  स्वामी महावीर जयंती और जीवन इतिहास  सुभाष चंद्र बोस जयंती  वीर पुरुष हमेशा एक ही बार मृत्यु का वरण करते है लेकिन वे अमर हो जाते है उनके यश और नाम को मृत्यु मिटा नहीं पाती है। सुभाष चंद्र बोस जी ने स्वतंत्रता के लिए जिस रास्ते को अपनाया था वह सबसे अलग था। स्वतंत्रता की बलिवेदी पर मर मिटने वाले वीर पुरुषों में से सुभाष चंद्र बोस ( Subhash Chandra Bose)  का नाम अग्रणीय है। यह भी पढ़ें: 👉   हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, आरती और चालीसा वे अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध करके देश को आजाद कराना चाहते थे। बोस जी ने भारतवासियों से आह्वान किया "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" । सुभाष चंद्र बोस जी की इस दहाड़ से अंग्रेजों की सत्ता हिलने लगी थी। उनके इस आवाज के पीछे लाखों हिंदुस्तानी लोग कुर्बान ...