मंदिरों में आरती के समय घंटे-घड़ियाल-टाली-शंख आदि बजाना होता है लाभदायक

मंदिरों Temple में आरती के समय घंटे-घड़ियाल-टाली-शंख आदि बजाना पूर्णतः एक वैज्ञानिक विधि है जो भक्ति Bhakti को जागृत करती है | मैं जो लिख रहा हूँ वह अपने प्रत्यक्ष अनुभवों से लिख रहा हूँ , किसी की नकल नहीं कर रहा | जो नियमित ध्यान साधना करते हैं , और जिन्होने प्राचीन भक्ति साहित्य का अध्ययन किया है , वे मेरी बात को बहुत अच्छी तरह से समझ सकते हैं | यही बात अनेक संत-महात्मा-योगियों द्वारा लिखी गई है जिस का भक्ति Bhakti साहित्य में बहुत अच्छा और स्पष्ट वर्णन है | लगभग चालीस वर्ष पूर्व मैंने भक्ति Bhakti साहित्य में से ढूंढ ढूंढ कर इन्हीं बातों का एक संकलन भी किया था जो अब पता नहीं कहाँ खो गया | पर वे बातें मेरे स्मृति में हैं , जिनको मैंने अनुभूत भी किया है | भक्ति Bhakti का स्थान हमारी सूक्ष्म देह में अनाहत चक्र है | अनाहत चक्र का स्थान मेरुदंड में पीछे की ओर Shoulder Blades यानि कंधों के नीचे जो पल्लू हैं , उनके मध्य में है | ध्यान साधना में गहराई आने पर विभिन्न चक्रों में विभिन्न ध्वनियाँ सुनाई देती हैं , जैसे मूलाधार में भ्रमर गुंज...