छत्रपति शिवाजी महाराज: इतिहास, जयंती और पुण्यतिथि का समग्र परिचय | Chhatrapati Shivaji Maharaj History, Jayanti, Punytithi in Hindi

भारत के वीर छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सभी लोग जानते है बहुत से लोग इन्हें हिन्दू ह्रदय सम्राट कहते है तो कुछ लोग इन्हें मराठा गौरव कहते है शिवजी का पूरा नाम शिवाजी राजे भोसले था।

Chhatrapati Shivaji Maharaj History | छत्रपति शिवाजी महाराज इतिहास, जयंती और पुण्यतिथि
 छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि

1674 में उन्होंने पश्चिमी भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी सन 1674 में रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वे छत्रपति बने। उन्होंने अपनी सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की मदद से एक योग्य और प्रगतिशील शासक प्रदान किया, उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये थे छापामार युद्ध की नै शैली यानी शिवसूत्र को भी विकसित किया था। इतना ही नहीं उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनैतिक कथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित कियाऔर फ़ारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बना दी।

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छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती हर साल 19 फरवरी को मनाई जाती है। यह दिन छत्रपति शिवाजी महाराज, मराठा साम्राज्य के संस्थापक और भारतीय इतिहास के महान योद्धा और शासक की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

शिवाजी महाराज जयंती का इतिहास

1. शिवाजी महाराज का जन्म:

  • छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले (जिला पुणे, महाराष्ट्र) में हुआ था।
  • उनके पिता का नाम शहाजी भोसले और माता का नाम जिजाबाई था।
  • उनकी माता जिजाबाई ने उन्हें धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों की शिक्षा दी, जिसने उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व क्षमता को आकार दिया।

2. शिवाजी जयंती की शुरुआत:

  • शिवाजी जयंती का आरंभ 1870 में प्रसिद्ध समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले ने किया।
  • उन्होंने रायगढ़ किले पर शिवाजी महाराज के समाधि स्थल की खोज की और उनके जीवन व योगदान को जनता के सामने लाया।
  • बाद में, बाल गंगाधर तिलक ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया। उन्होंने इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ राष्ट्रीयता और स्वराज्य का प्रतीक बनाया।

3. जयंती का महत्व:

  • यह दिन शिवाजी महाराज के अद्वितीय नेतृत्व, हिंदवी स्वराज्य की स्थापना और उनके प्रशासनिक सुधारों को याद करने का अवसर है।
  • शिवाजी महाराज धार्मिक सहिष्णुता, न्यायप्रियता और जनता के कल्याण के प्रतीक हैं।

शिवाजी जयंती का उत्सव

1. महाराष्ट्र और अन्य स्थानों पर उत्सव:

  • यह दिन विशेष रूप से महाराष्ट्र में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
  • शिवाजी महाराज की प्रतिमाओं और स्मारकों पर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
  • देश के अन्य हिस्सों में भी इसे गौरव और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

2. सांस्कृतिक कार्यक्रम:

  • झांकियां, रैलियां, और परेड का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग पारंपरिक मराठा वेशभूषा पहनते हैं।
  • शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़े नाटकों और नृत्यों का मंचन किया जाता है।
  • उनके पराक्रम और आदर्शों पर आधारित भाषण, निबंध प्रतियोगिता और पेंटिंग प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।

3. शिवाजी महाराज के संदेश:

  • उनकी रणनीति, साहस, और न्यायप्रियता को लोगों तक पहुंचाने के लिए विशेष व्याख्यान और चर्चाएं आयोजित की जाती हैं।

शिवाजी महाराज की विरासत

  • शिवाजी महाराज ने गनिमी कावा (गुरिल्ला युद्धनीति) विकसित की, जिससे उन्होंने मुगलों और अन्य शत्रुओं को हराया।
  • उन्होंने एक मजबूत नौसेना का निर्माण किया और भारत की समुद्री सीमा की रक्षा की।
  • उनकी शासन प्रणाली में जनता का कल्याण और धार्मिक सहिष्णुता सर्वोपरि थे।

शिवाजी जयंती का संदेश

शिवाजी महाराज जयंती केवल उनके जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि उनके आदर्शों और मूल्यों को अपनाने का संकल्प लेने का दिन है। उनका जीवन हमें साहस, स्वाभिमान, और स्वराज्य के प्रति निष्ठा की प्रेरणा देता है।

छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती कब है (Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti Kab Hai)

छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती हर साल 19 फरवरी को मनाई जाती है। यह दिन छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मतिथि है। उनका जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग, महाराष्ट्र में हुआ था। यह दिन पूरे महाराष्ट्र और भारत के अन्य हिस्सों में बड़े हर्षोल्लास और सम्मान के साथ मनाया जाता है।

शिवाजी महाराज का जन्मदिन कब हुआ था (Shivaji Maharaj Ka Janm Kab Hua Tha)

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 शिवनेरी दुर्ग, पुणे जुन्नर नगर के शहाजी भोसले की पत्नी जीजाबाई राजमाता जीजाओं की कोख से हुआ था। उनके पिता शहाजी भोसले बीजापुर के दरबार में उच्चाधिकारी थे। शिवाजी का लालन-पालन उनकी माता जी जीजाबाई जी के देख रेख में हुआ तथा उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण और प्रसासक का समझ दादूजी कोंणदेव जी से मिला। भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे औरहम सब जानते है की उनके नाम से मुग़ल कापते थे।

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छत्रपति शिवाजी महाराज का परिचय

छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के महान योद्धा, कुशल प्रशासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। उनका जन्म 19 फरवरी 1630 को महाराष्ट्र के शिवनेरी किले में हुआ। उन्होंने अपने अद्वितीय नेतृत्व और साहस से हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। शिवाजी महाराज को उनकी रणनीतिक सोच, सैन्य कौशल, और धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाना जाता है।

शिवाजी महाराज का जीवन परिचय

जन्म और परिवार

  • जन्म तिथि: 19 फरवरी 1630
  • जन्म स्थान: शिवनेरी किला, पुणे (महाराष्ट्र)
  • पिता: शहाजी भोसले (मराठा सामंत)
  • माता: जिजाबाई (धार्मिक और प्रेरणादायक महिला)
  • गुरु: दादाजी कोंडदेव (शिवाजी को युद्ध कला और प्रशासन सिखाने वाले गुरु)

बाल्यकाल

शिवाजी महाराज को बचपन में जिजाबाई ने रामायण, महाभारत और अन्य धार्मिक ग्रंथों की शिक्षा दी। उन्होंने बचपन से ही अन्याय के खिलाफ लड़ने और एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करने का संकल्प लिया।

शिवाजी महाराज के प्रमुख कार्य

1. हिंदवी स्वराज्य की स्थापना:

शिवाजी महाराज ने 1645 में किशोरावस्था में तोरणा किले पर कब्जा कर अपने स्वराज्य की नींव रखी।

2. अफजल खान का वध:

1659 में प्रतापगढ़ के युद्ध में शिवाजी ने आदिलशाही सेनापति अफजल खान को पराजित किया। यह उनकी सबसे महत्वपूर्ण जीतों में से एक थी।

3. गनिमी कावा (गुरिल्ला युद्धनीति):

शिवाजी ने गनिमी कावा नामक रणनीति का प्रयोग किया। यह युद्ध की एक ऐसी शैली थी जिसमें छोटे दलों द्वारा दुश्मन पर अचानक हमला किया जाता था।

4. सैन्य संगठन:

शिवाजी महाराज ने मराठा सेना का कुशल संगठन किया और एक मजबूत नौसेना का निर्माण किया। उन्होंने समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए किलों का निर्माण किया, जैसे:

  • सिंधुदुर्ग
  • विजयदुर्ग

5. राज्याभिषेक:

6 जून 1674 को शिवाजी महाराज का रायगढ़ किले पर राज्याभिषेक हुआ। उन्हें "छत्रपति" की उपाधि दी गई।

शिवाजी महाराज की विशेषताएं


1. धार्मिक सहिष्णुता:

शिवाजी महाराज सभी धर्मों का सम्मान करते थे। उन्होंने मंदिरों और मस्जिदों की रक्षा की और कभी भी धार्मिक स्थलों को नुकसान नहीं पहुंचाया।

2. प्रजा का कल्याण:

शिवाजी महाराज एक न्यायप्रिय शासक थे। उनके शासन में प्रजा सुरक्षित और खुशहाल रहती थी।

3. किलेबंदी और प्रशासन:

शिवाजी महाराज ने 300 से अधिक किलों का निर्माण और पुनर्निर्माण किया। उनके प्रशासन में कर संग्रह, न्याय प्रणाली और सैन्य संगठन प्रमुख थे।

शिवाजी महाराज की मृत्यु

शिवाजी महाराज का निधन 3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ किले में हुआ। उनकी मृत्यु के बाद भी मराठा साम्राज्य उनकी विरासत को आगे बढ़ाता रहा।

शिवाजी महाराज की विरासत

  • शिवाजी महाराज भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
  • उनके आदर्श आज भी नेतृत्व, साहस और स्वराज्य के प्रतीक हैं।
  • महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज को भगवान के रूप में पूजा जाता है।

शिवाजी महाराज की कुल कितनी पत्नियां थी

छत्रपति शिवाजी महाराज की कुल 8 पत्नियां थीं। उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक कारणों से कई विवाह किए, जिनका उद्देश्य मराठा साम्राज्य को मजबूत करना और विभिन्न समुदायों के बीच एकता स्थापित करना था। उनकी पत्नियों के नाम इस प्रकार हैं:

1. साईबाई निंबालकर

  • शिवाजी महाराज की पहली पत्नी थीं।
  • उनके पुत्र संभाजी महाराज थे।
  • साईबाई को शिवाजी महाराज से विशेष प्रेम और सम्मान प्राप्त था।

2. सोयराबाई मोहिते

  • उनके पुत्र का नाम राजाराम महाराज था।
  • उन्होंने राजाराम को शिवाजी महाराज का उत्तराधिकारी बनाने की कोशिश की।

3. पुतळाबाई

  • शिवाजी महाराज की सबसे वरिष्ठ पत्नी थीं।
  • शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद उन्होंने सती होने का निर्णय लिया।

4. सगुणाबाई शिर्के

  • उनके विवाह का उद्देश्य शिर्के परिवार को मराठा साम्राज्य से जोड़ना था।

5. कशिबाई जाधव

  • जाधव परिवार से संबंध मजबूत करने के लिए उनका विवाह हुआ।

6. लक्ष्मीबाई वाघ

  • उनका विवाह राजनीतिक गठजोड़ के लिए हुआ।

7. गुणावतीबाई इंगले

  • वह भी राजनीतिक कारणों से शिवाजी महाराज की पत्नी बनीं।

8. सखुबाई निंबालकर

  • साईबाई की रिश्तेदार थीं।

शिवाजी महाराज के विवाह का उद्देश्य

शिवाजी महाराज के अधिकतर विवाह राजनीतिक थे। उन्होंने मराठा साम्राज्य को मजबूत करने और विभिन्न समुदायों के बीच एकता स्थापित करने के लिए इन संबंधों का उपयोग किया। हालांकि, उनकी पहली पत्नी साईबाई के प्रति उनका प्रेम विशेष और स्थायी था।

शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि कब है (Shivaji Maharaj Punytithi Kab hai)

छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि 3 अप्रैल को पड़ता है। इस दिन यानि 3 अप्रैल 1680 को उनका निधन रायगढ़ किले में हुआ था। उनकी पुण्यतिथि पर देशभर में, विशेषकर महाराष्ट्र में, उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है और उनके जीवन और योगदान को याद किया जाता है। शिवाजी महाराज ने अपने साहस, कुशल रणनीति और प्रजा के प्रति अपने न्यायपूर्ण दृष्टिकोण से इतिहास में अमिट छाप छोड़ी है।

शिवाजी की मृत्यु कब हुई एवं शिवाजी महाराज की मृत्यु कैसे हुई

03 अपैल 1680 को शिवाजी महाराज की मौत हो गई आखिरी समय में वे काफी बीमार रहते थे। इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज की मौत को लेकर कई लोगो का कहना है कि महाराज को उनके सरदारों ने ही जहर देकर मार डाला और कइयों ने महाराज की दूसरी पत्नी सोयराबाई पर शिवाजी महाराज को जहर देने का शक जताया है। 

इस मान्यता को तब और बल मिला जब शिवा जी की मौत के बाद उत्तराधिकारी की लड़ाई में सोयराबाई के भाई हमीर राव मोहिते ने संभा जी का साथ दिया। हलाकि इस बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि शिवाजी महाराज की मौत की वजह सोयराबाई ही है। छत्रपति शिवाजी महाराज  और उनके पुत्र संभा जी के बिच अन-बन की बाते भी कई इतिहासकारों ने लिखी है यह भी सच है  जीवन के अंतिम दिनों में शिवाजी महाराज ने संभा जी को किले में कैद रखने का हुक्म दिया था।

दरअसल संभा जी और शिवजी महाराज के विश्वस्त सरदारों के बीच नहीं जमती  इसलिए ये सरदार संभा जी के खिलाफ शिवाजी महारज के कान भरते रहते थे इस अन-बन की दूसरी कड़ी थी महाराज जी की दूसरी पत्नी और सांभा जी की सौतेली माँ सोयराबाई मोहिते जी संभा जी के जगह अपने बेटे राजाराम को राज्य का वारिस बनना चाहती थी। 

1680 को शिवाजी महाराज ने इस दुनिया को अलबिदा कह दिया। जिसके बाद सोयराबाई ने मोरोपंत पिंगळे और बाला जी जैसे सरदारो की मदद से  10 सल के राजाराम को गद्दी पर बैठा दिया हालांकि ज्यादातर सरदार राजाराम को महाराज का वारिस मानने को तैयार नहीं थे जैसे ही किले में कैथ संभा जी को पता चला उन्होंने अपने विश्वस्त सरदारों के साथ राजाराम पर हमला बोल दिया।

इस लड़ाई में सोयराबाई के भाई ने भी उनका साथ दिया था युद्ध में संभा जी की विजय हुई और उन्होंने राजाराम और सोयराबाई को कैद कर लिया राजाराम को नौ सालों तक कैद में रखा गया और सोयराबाई का क़त्ल कर दिया गया सोयराबाई के क़त्ल से ऐसा लगता है कि सांभा जी को भी शक था शिवाजी महारज की मौत एक साजिश की तहत हुई थी।

शिवाजी के बारे में कुछ जानकारी

  • पूरा नाम - शिवाजी राजे भोसले
  • जन्म स्थान - 19 फरवरी 1630 शिवनेरी दुर्ग
  • पिता का नाम - शहाजी भोसले
  • माता का नाम - जीजाबाई
  • शासनावधि - 1674 - 1680
  • राज्याभिषेक - 6 जुन 1674 
  • निधन - 3 अप्रैल 1680 रायगढ़
  • समाधी - रायगढ़

शिवाजी का विवाह

शिवजी का विवाह सं 1641 में साईबाई निम्बालकर के साथ बंगलौर अब मंगलौर में हुआ था। कोणदेव उनके गुरु और संरक्षक थे जिनकी मृत्यु 1647 में हुई थी। इसके बाद शिवाजी ने स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया था।

शिवाजी के बारे में कुछ रोचक तथ्य (Sathrapathi Sivaji)

  • शिवाजी बहुत ही बुद्धिमान थे  और उन्हें ये मंजूर नहीं था की लोग जाट-पात के झगड़ों में उलझे रहे।
  • वे किसी भी धर्म के खिलाफ़ नहीं थे।
  • शिवाजीका नाम भगवान शिव के नाम नहीं परन्तु एक क्षेत्री देवता शिवाई से लिया गया था।
  • शिवाजी ने एक शक्तिशाली नौसेना का निर्माण किया था इसलिए उन्हें भारतीय नौसेना के पिता के रूप में भी जाना जाता है।
  • अपने प्रारंभिक चरणों में ही उनको नौसैनिक बल के महत्व का एहसास हो गया था क्यूंकि उन्हें यकीन था कि यह दक्ष, पुर्तगाली, अंग्रजो सहित विदेशी आक्रमण कारियों से स्वतंत्र रखेगा और समुद्री डाकुओं से रक्षा भी करेगा।
  • शिवाजी ने जयगढ़, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और अन्य कई स्थानों पर नौसेना किलो का निर्माण किया।
  • शिवाजी के पास चार अलग-अलग प्रकार के युद्धतोप भी थे।
  • शिवाजी युद्ध  रणनीति बनाने में माहिर थे।
  • 15 साल की उम्र में तोरना किले पर कब्ज़ा कर युद्ध कौशल का परिचय दिया।
  • 1655 में कोंडन, जवली और राजगढ़ किलो पर कब्ज़ा किया।
  • शिवाजी ने मराठों की एक पेशेवर सेना का गठन किया।
  • मराठा सेना कई इकाइयों में विभाजित थी और प्रत्येक इकाई में 25 सैनिक थे।
  • शिवाजी महाराज महिलाओं के सम्मान के कट्टर समर्थक थे।
  • शिवाजी महाराज गुरिल्ला युद्ध के प्रस्तावक थे।
  • शिवाजी महाराज पहले भारत के लिए लड़ते थे फिर अपने राज्य के लिए।
  • शिवाजी का लक्ष्य था निरूशुल्क राज्य की स्थापना करना।

शिवाजी महाराज के महत्वपूर्ण युद्ध (Chhatrapati Shivaji Maharaj)

प्रतापगढ़ का युद्ध

1659 को छत्रपति शिवाजी और आदिलशाह जनरल अफजल खान की सेनाओं के बीच सतारा, महाराष्ट्र के निकट प्रतापगढ़ के किले के पास यह युद्ध हुआ था इस युद्ध में शिवाजी महाराज विजयी हुए थे।

कोल्हापुर का युद्ध

दिसंबर 1659 को कोल्हापुर शहर के मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सैनिको के बीच यह युद्ध हुआ। इस युद्ध में शिवाजी विजई हुये। इस विशाल हर ने औरंगजेब को बहुत ही चिंतित किया औरंगजेब में माउन्टेन रेट नाम दिया।

पवन खंड का युद्ध

जुलाई 1660 को किला विशालगढ़ के पास मराठा सरदार बाजी प्रभु देशपांडे और आदिलशाह के सिद्दी मसूद के बीच युद्ध हुआ था इस युद्ध में मुग़ल का साथ ब्रिटिस ने किया था  और इसी कारणवश शिवाजी को वहां से भागना पड़ा था

अम्बरखिंद का युद्ध

फरवरी 1661 को छत्रपति शिवाजी महाराज के आधीन मराठा और मुगलो के कार्तलब खान के बीच युद्ध हुआ था शिवाजी ने मुग़ल सेनाओं को पराजित किया

सूरत का युद्ध

जनवरी 1664 को छत्रपति शिवाजी महाराज और मुग़ल कप्तान इनायत खान के बिव्ह सूरत के पास युद्ध हुआ था युद्ध में शिवाजी ने मुगल फौजदार को चुनौती दी और सूरत पर हमला किया इस शहर की लगभग तीन सप्ताह तक लूटा गया यानि मराठा सेना ने मुग़ल और पुर्तगालियो से हर संभव धन को लूट लिया धन का उपयोग मराठा राज्य को विकसित करने और मजबूत करने के लिए किया गया। 

सिंहगढ़ का युद्ध 

फरवरी 1670 को पुणे शहर, महाराष्ट्र के निकट सिंहगढ़ के किले के पास, मराठा शासक शिवाजी महाराज और उदयभान राठौर के बीच युद्ध हुआ था। तानाजी को सेना के साथ कोंडाना किले पर कब्ज़ा करने के लिए भेजा गया। किला मुगलों के नियंत्रण में था, रात के समय किले पर हमला किया गया और जित मराठों की हुई लेकिन तानाजी की युद्ध के दौरान मृत्यु हो गई तानाजी को श्रंद्धाजलि के रूप में, शिवाजी ने किले का नाम सिंहगढ़ रख दिया। 

संगमनेर का युद्ध

1679 में मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य बिच हुआ था और शिवाजी महाराज का यह आखिरी युद्ध था। 


Shivaji Maharaj History

सन 1627 इस्वी पुरे भारत पर मुगर सम्राज्य का अधिपाद्य था। उत्तर में शाहजहां तो बीजापुर में सुल्तान मोहम्मद आदिल शाह और गोलकोंडा में सुल्तान अब्दुल्ला क़ुतुब शाह। बंदरगाहों पर पुर्तगालियों का कब्ज़ा था और थल मार्ग पर मुगलों का अधिकार इसलिए उत्तरीय अफ्रीका और मध्य एशिया से मुसलमान अधिकारियो को  ला पाना मुमकिन नहीं था। इसलिए हिन्दू अधिकारी नियिक्त करने पड़ते थे, आदिल शाह की सेना में एक मराठा सेना अध्यक्ष था शहाजी भोसले, शहाजी सेना में उच्च पद पर आसीन था।


Shivaji Information in Hindi

सन 1630 में महाराष्ट्र के जुन्नर के समीप शिवनेरी के किले में उनके और जिजाबाई के यहाँ एक पुत्र का जन्म हुआ। स्थानीय देवी शिवाई के नाम पर पुत्र का नामकरण हुआ। जो आगे चलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से विश्वविख्यात हुए। शिवा जी के पिता काफी समय घर से दूर रहे थे इसलिए बचपन में उनकी देख-रेख एक माता जीजाबाई एवं गुरु दादूजी कोंणदेव ने की। दादूजी ने उन्हें युद्ध कौशल एवं नीति शास्त्र सिखाए, तो जीजा माता ने हिन्दू धार्मिक कथाएं जब दादू जी का सान 1647 में निधन हुआ तब उनका ये मानना था की शिवाजी अपने पिता के ही तरह आदिल शाह की सेना में उच्च पद पर आसीन होंगे लेकिन विधि को कुछ और ही मंजूर था।

सन 1646 के समय भारत में किसी हिन्दू शासक का अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित कर पाने के लिए इन तिन परिस्थितियों का पूरा होना जरुरी था। एक की वह शक्तिशाली साम्राज्यों के केंद्र से दूर हो, जमीन खेती के लिए अनुपयोगी हो और जंगलों से घिरा हुआ हो ताकि छापामार युद्ध या गुरिल्ला वार फेयर करा जा सके।

यह परिस्थितिया 1646 में शिवजी के लिए अनुकूल बनी जब उन्होंने स्थानीय किसानो मावली के समर्थन से अपनी सेना का निर्माण किया शिवा जी को भली-भाटी याद था किसी भी साम्राज्य को स्थापित करने किये लिए किलो की क्या महत्त्व है इसलिए सिर्फ 15 साल की उम्र में ही उन्होंने आदिल शाही अधिकारियों को रिश्वत देकर तोरना, चकन एवं कोंढाणा किलो को अपने अधिकार में कर लिया।

इसके बाद उन्होंने Abaji अबाजी सोनदेव की मदद से थाना, कल्याण और भिवंडी के किलो को मुल्ला अहमद से छीनकर अपने अधिकार  में कर लिया इन घटनाओं से आदिल शाही सम्राज्य में हलचल मच गया शिवा जी को रोकने किये उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया गया।

इसलिए शिवजी ने अगले सात बरस तक आदिल शाह पर सीधा आक्रमण नहीं किया शिवजी ने ये समय अपनी सेवा को बढ़ाने में और प्रभावशाली देशमुखों को अपनी ओर करने में लगाया धीरे-धीरे उन्होंने एक विशाल सेना खड़ी कर ली सिसके घुड़सवार नेताजी पालकर ने संभाल रखी थी और पैदल सेना येशाजी कन्क ने अबतक शिवजी के पास 40 किले भी आ चुके थे। 

शिवाजी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सन 1659 में बीजापुर की बड़ी साहिबा ने अफजल खान को दस हजार सिपाहियों के साथ शिवाजी पर आक्रमण करने का हुक्म दिया अफजल खान अपनी क्रूढता  और ताकत के लिए जाना जाता था उसने शिवा जी को खुले युद्ध करने के लिए उकसाने के लक्ष्य से बहुत सारे मंदिरों को तोड़ डाला और कई बेगुनाह नागरिकों का क़त्ल कर डाला लेकिन शिवाजी ने चतुराई और रण कौशल का परिचय देते हुए छापामार पद्धति से युद्ध चालू रखा। इस समय वे प्रतापगढ़ किले में रहे जो चारो तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ था

शिवाजी महाराज इतिहास (chhatrapati shivaji maharaj history)

छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के एक महान योद्धा, कुशल प्रशासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। उनका जन्म 19 फरवरी 1630 को महाराष्ट्र के शिवनेरी किले में हुआ था। शिवाजी महाराज ने अपनी रणनीति, साहस और नेतृत्व के बल पर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक प्रेरणास्रोत बने।

शिवाजी महाराज का जीवन परिचय

जन्म और बचपन:

  • जन्म: 19 फरवरी 1630, शिवनेरी किला, पुणे (महाराष्ट्र)।
  • माता-पिता: शहाजी भोसले (एक मराठा सरदार) और जिजाबाई।
उनकी माता जिजाबाई ने उन्हें धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की शिक्षा दी। बचपन में रामायण और महाभारत की कहानियों ने उनमें स्वराज्य स्थापित करने की प्रेरणा उत्पन्न की।

हिंदवी स्वराज्य की स्थापना

प्रारंभिक विजय:

शिवाजी महाराज ने 1645 में किशोरावस्था में ही तोरणा किले पर कब्जा कर अपने स्वराज्य की नींव रखी। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई किले जीते, जैसे:
  • तोरणा
  • रायगढ़
  • सिंहगढ़
  • प्रतापगढ़

अफजल खान का वध:

1659 में, आदिलशाही सेना के सरदार अफजल खान को प्रतापगढ़ किले पर एक रणनीतिक युद्ध में पराजित किया। इस विजय ने शिवाजी महाराज को एक महान योद्धा के रूप में स्थापित किया।

गुरिल्ला युद्धनीति (गनिमी कावा):

शिवाजी महाराज ने "गनिमी कावा" नामक युद्धनीति विकसित की, जिसमें दुश्मन पर अचानक हमला करके उसे मात दी जाती थी। यह रणनीति उनके समय की सबसे प्रभावी और अनोखी युद्ध प्रणाली मानी जाती है।

औरंगज़ेब के साथ संघर्ष

शिवाजी महाराज ने मुगल सम्राट औरंगज़ेब से कड़ा संघर्ष किया।
1666 में, औरंगज़ेब ने उन्हें आगरा में बंदी बना लिया, लेकिन अपनी चतुराई से वे वहां से बच निकले।
उन्होंने कई बार मुगलों से लड़ाई कर अपने साम्राज्य को बढ़ाया और स्वतंत्रता की रक्षा की।

राज्याभिषेक:

6 जून 1674 को शिवाजी महाराज का रायगढ़ किले पर भव्य राज्याभिषेक हुआ। उन्हें "छत्रपति" और "हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक" की उपाधि दी गई।

मृत्यु:

शिवाजी महाराज का 3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ किले पर निधन हुआ। उनके निधन के बाद भी उनका स्वराज्य संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक बना रहा।

शिवाजी महाराज की विशेषताएं

  1. धार्मिक सहिष्णुता: उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान किया और उनके शासन में सभी जाति-धर्म के लोग सुरक्षित थे।
  2. प्रजा का कल्याण: शिवाजी महाराज एक न्यायप्रिय और प्रजाहितैषी शासक थे।
  3. सैन्य संगठन: उन्होंने एक सशक्त सेना और नौसेना का गठन किया।
  4. किलेबंदी: उन्होंने 300 से अधिक किलों का निर्माण और पुनर्निर्माण किया।

शिवाजी महाराज की विरासत

छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास में स्वतंत्रता, साहस और न्याय के प्रतीक हैं। उनके आदर्श आज भी प्रेरणा देते हैं।

शिवाजी महाराज कविता हिंदी

शिवाजी महाराज पर कविता

धरती का वीर सपूत था,
शिवनेरी जिसका जन्मस्थल था।
हिंदवी स्वराज्य का सपना जिसने,
अपनी तलवार से पूरा किया था।

मां जिजाबाई की ममता ने,
शूरवीर को संस्कार दिए।
धर्म, संस्कृति, स्वाभिमान के,
हर पाठ उसे याद किए।

तोरणा से शुरू हुआ सफर,
रायगढ़ तक विजय का कहर।
हर किले पर तिरंगा फहराया,
दुश्मनों का हौसला गिराया।

गनिमी कावा था उसकी पहचान,
रणनीति में दिखी अद्भुत जान।
अफजलखान को धरती पर सुलाया,
औरंगज़ेब को भी खूब हराया।

हर धर्म का सम्मान किया,
हर प्रजा का ध्यान किया।
न्याय, साहस और स्वराज,
शिवाजी का यही था राज।

शिवाजी का जज्बा अमर है,
उनकी गाथा सदा अमर है।
भारत की माटी गाए ये गान,
शिवाजी थे भारत की शान।

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