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विश्व ब्रेल दिवस कब मनाया जाता है | world braille day 2025 braille lipi in hindi

प्रति वर्ष विश्व ब्रेल दिवस 4 जनवरी को लुई ब्रेल (Louis Braille) के जन्मदिन के स्मरणोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम , नेत्र रोगों को पहचान, रोकथाम और पुनर्वास विषय पर बात होता है। 

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक विश्व भर में करीब 39 मिलियन लोग देख नहीं सकते जबकि 253 मिलियन लोगों में कोई न कोई दृष्टि विकार है। विश्व ब्रेल दिवस (World Braille Day) का मुख्य उद्देश्य दृष्टि-बाधित लोगों अधिकार उन्हें प्रदान करना और ब्रेल लिपि को बढ़ावा देना है। 

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विश्व ब्रेल दिवस (World Braille Day) कब मनाया जाता है
World Braille Day

लुइस ब्रेल दिवस कब मनाया जाता है (louis braille divas kab manaya jata hai)

लुई ब्रेल (Louis Braille) के जन्मदिन के स्मरणोत्सव के रूप में प्रति वर्ष विश्व ब्रेल दिवस 4 जनवरी को मनाया जाता है

ब्रेल लिपि क्या है?

ब्रेल एक लेखन पद्धति है। यह नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए सृजित किया गया था। ब्रेल एक स्पर्शनीय लेखन प्रणाली है। इसे एक विशेष प्रकार के उभरे कागज पर लिखा जाता है। 

इसकी संरचना फ्रांसीसी नेत्रहीन शिक्षक और अविष्कारक लुइस ब्रेल ने किया था। इन्ही के नाम पर इस पद्धति का नाम ब्रेल लिपि रखा गया है। 

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ब्रेल में उभरे हुए बिंदु होते है, इन्हे सेल के नाम से जाना जाता है। कुछ बिंदुओं पर छोटे उभार होते है इन्ही दोनों को व्यवस्था और संख्या से भिन्न चरित्रों की विशिष्टता तय किया जाता है। 

ब्रेल की मैपिंग प्रत्येक भाषा में अलग हो सकती है, इस लिपि में स्कूली के लिए पाठ्यपुस्तकों के अतिरिक्त रामायण. महाभारत जैसे ग्रन्थ छपते है। ब्रेल लिपि में कई पुस्तकें भी निकाली गई है।

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ब्रेल लिपि से फायदे 

ब्रेल लिपि के अविष्कार के बाद विश्वभर में नेत्रहीन, दृष्टिहीन या आंशिक रूप से नेत्रहीन लोगो की जिंदगी बहुत हद तक आसान हो गई है। 

इसकी सहायता से ऐसे कई लोग अपने पैरों पर खड़े हो सके। बहादुर वे नहीं होते जो अपनी कमियों को कमजोरी समझकर जीतें है, बहादुर वे होते है जो कमियों को चुनौती समझकर जीने की नई राह हासिल करते है।

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दुनिया में लाखो लोग ऐसे है जिनमें कुछ न कुछ कमियां है पर, बहुत कम लोग है जो कमियों को जीवन की बांधा न बनने देकर कुछ ऐसा कर गुजरते है की उनकी कमियां ख़ामोशी के साथ उनके आगे नतमस्तक हो उठती है। 

लुइस ब्रेल एक ऐसा ही नाम है जो एक हादसे में अपनी आँखों की रौशनी गवाने के बावजूद लाखों दृष्टिबाधितों को दुनिया दिखाने का सहारा बने।

लुई ब्रेल दिवस क्यों मनाया जाता है (louis braille divas kyo manaya jata hai )

Louis Braille Divas हर साल 4 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन लुई ब्रेल के जन्मदिन की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने दृष्टिहीन लोगों के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था।

ब्रेल लिपि की वजह से दुनिया भर में दृष्टिहीन लोग स्वतंत्र रूप से पढ़ने और लिखने में सक्षम हुए हैं। इसीलिए, लुई ब्रेल का योगदान मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

Louis Braille Divas मनाने का उद्देश्य:

1. लुई ब्रेल के योगदान को सम्मान देना: उन्होंने लोगों के लिए शिक्षा और संचार को संभव बनाया।

2. विभिन्न लोगों के अधिकारों के प्रति जागरूकता को देखना: यह दिन विभिन्न लोगों के अधिकारों और उनकी शिक्षा के महत्व को दर्शाता है।

3. ब्रेल लिपि का प्रचार-प्रसार के लिए प्रेरणा देना: ताकि अधिक से अधिक लोग इस प्रणाली का उपयोग कर सकें।

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लुइस ब्रेल Louis Braille का जीवन परिचय 

लुइस ब्रेल Louis Brailleका जन्म 4 जनवरी 1809 को फ़्रांस के एक छोटे से कसबे कुप्रे में हुआ था। इनके पिता साइमन रेल ब्रेल Braille घोड़ों की काठी बनाने का काम करते थे।लुइस के परिवार में चार भाई-बहन थे, जिसमें लुइस सबसे छोटे थे। लुइस जब मात्र 3 वर्ष के थे तब उनकी आँख में नुकीला औजार लग जाने से गंभीर चोट आई थी।

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जिसके इंफेक्शन से उनकी एक और फिर कुछ बाद दूसरी आँख की रोशनी भी पूरी तरह चली गई। दुनिया को जानने की जिज्ञासा और पढाई में लुइस की दिलचस्पी को देखते हुए लुइस के पिता साइमन ने उन्हें शिक्षा के लिए पेरिस के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ में दाखिला दिला दिया।

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यहाँ लुइस ने मैथ्स फिजिक्स आदि विषयों को अच्छी तरह से समझ लिया था। शिक्षा के दौरान लुइस  मुलाकात फ्रांसीसी सैनिक चार्ल्स बार्बियर से हुई। बार्बियर ने लुइस को सैनिकों के लिए बनी नाइट राइटिंग मून टाइप लिपि के बारे में बताया जिसे अँधेरे में पढ़ा  था।

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यह लिपि कागज पर उभरी हुई थी जिसे 12 पॉइंट्स से अलग-अलग ध्वनियों के आधार पर कोडमय किया गया था। बार्बियर की बताई लिपि से लुइस काफी प्रभावित हुए थे और इसी आधार पर उन्होंने मात्र 16 साल की उम्र में एक ऐसी नई लिपि रचना की जो दृष्टिबाधितों के लिए किसी वरदान से कम नहीं था।

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लुइस की बनाई लिपि बार्बियर की उल्लेखित लिपि की कई जटिलताओं को दूर करती थी और उससे काफी सरल और आसानी से समझ में आने वाला था। बार्बियर के लिपि से जहाँ 12 बिंदुओं को 6-6 की पक्तियों में रखा गया था।और जिसमें विराम चिन्ह, संख्या और गणितीय चिन्हो का समावेश नहीं हुआ था।

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लुइस ब्रेल ने अपनी लिपि में सिर्फ 6 बिंदुओं का प्रयोग किया और 64 अक्षर और चिन्ह बनाये, इस लिपि में संगीत के नोटेशन और विराम चिन्हों को भी शामिल किया गया। लुइस ब्रेल की खोज इस नई लिपि को ब्रेल लिपि नाम दिया गया। इस लिपि में लिखी पहली पुस्तक 1829 में प्रकाशित हुई।

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आँख न होने के बावजूद लुइस ब्रेल ने वो आविष्कार कर दिखाया था जिसकी बदौलत हजारों दिव्यांग न सिर्फ स्कूल कालेजों से दूसरे विद्यार्थियों की तरह लिख पढ़ पाए बल्कि आत्मविश्वास के साथ दुनिया के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़े हो सके।

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यह ब्रेल लिपि ही थी जिसकी सहायता से आज नेत्रहीन नौकरी, व्यवसाय इत्यादि वे सभी काम कर पा रहे है जिसके बारे में कभी उसके लिए सोचना भी मुमकिन नहीं था। बात करते है आज के तकनिकी युग की तो उसमे भी दृष्टीबाधियों के लिए ब्रेल लिपि ही काम आ रही है।

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इस लिपि के प्रयोग से कई तकनिकी गैजेट्स बी टाच सेलफोन,स्मार्टवॉच इत्यादि बनाये जा चुके है जिनके स्क्रीन पर ब्रेल लिपि का प्रयोग किया गया है। जिनके जरिये दृष्टिबाधित समाजकी मुख्यधारा से जुड़े हुए है। लुइस ब्रेल की खोज उनकी ब्रेल लिपि किसी देश विशेष के लिए नहीं बल्कि दुनिया भर के दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हुआ है।

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भारत ने लुइस ब्रेल Louis Braille के जन्मदिन पर उनके सम्मान में 4 जनवरी 2009 को एक डाक टिकट भी जारी किया था अलावा  भारतीय रिजर्व बैंक ने हमारी करेंसी में ब्रेल लिपि के विशेष चिन्हों को शामिल किया जिसमें नेत्रहीनों को असली और नगली नोट की पहचान करने में मदद मिलता है।

ब्रेल दिवस कब मनाया जाता है (brel divas kab manaya jata hai)

"Brel Divas" हर साल 4 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन लुइस ब्रेल की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने दृष्टिहीन लोगों के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था। यह लिपि दृष्टिहीन व्यक्तियों को पढ़ने और लिखने में सक्षम बनाती है। लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को हुआ था, और इस कारण उनकी जयंती को "ब्रेल दिवस" के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दृष्टिहीन लोगों के अधिकारों और उनकी शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना है।

विश्व ब्रेल दिवस कब मनाया जाता है (vishva braille divas kab manaya jata hai )

विश्व ब्रेल दिवस (World Braille Day) हर साल 4 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुइस ब्रेल की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। लुइस ब्रेल ने दृष्टिहीन और दृष्टि-बाधित लोगों के लिए पढ़ने-लिखने की एक अनूठी प्रणाली विकसित की थी, जिसे "ब्रेल लिपि" कहा जाता है।

उद्देश्य:

1. दृष्टिहीन लोगों के अधिकारों और उनकी शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

2. ब्रेल लिपि के महत्व को समझाना और इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना।

3. दृष्टिहीन व्यक्तियों को समान अवसर और आत्मनिर्भरता प्रदान करने पर जोर देना।

इतिहास:

ब्रेल दिवस को आधिकारिक रूप से 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने अपनाया। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य दृष्टिहीन लोगों के लिए समावेशी शिक्षा और समान अधिकारों को बढ़ावा देना है।

यह दिन लुइस ब्रेल की उस क्रांतिकारी उपलब्धि की याद दिलाता है, जिसने लाखों लोगों की जिंदगी को रोशन किया।

braille lipi divas kab manaya jata hai

ब्रेल लिपि दिवस या विश्व ब्रेल दिवस (World Braille Day) हर साल 4 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन लुइस ब्रेल की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है, जिन्होंने 1824 में ब्रेल लिपि का आविष्कार किया। यह लिपि विशेष रूप से दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित लोगों को पढ़ने-लिखने में सक्षम बनाती है।

मुख्य उद्देश्य:

  • दृष्टिहीन व्यक्तियों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना।
  • ब्रेल लिपि के महत्व को समझाना और इसे अधिक सुलभ बनाना।
  • दृष्टिहीन लोगों की शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक समावेशन को प्रोत्साहित करना।

brel lipi in hindi

ब्रेल लिपि (Braille Lipi) दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए पढ़ने और लिखने की एक विशेष पद्धति है। इसे 1824 में लुइस ब्रेल ने विकसित किया था। यह एक स्पर्श आधारित लिपि है, जिसमें उभरे हुए बिंदुओं (dots) के संयोजन का उपयोग किया जाता है।

ब्रेल लिपि का ढांचा:

1. ब्रेल लिपि में 6 बिंदुओं का उपयोग होता है, जिन्हें सेल (Cell) कहा जाता है।

2. हर अक्षर, संख्या या चिह्न इन 6 बिंदुओं के विभिन्न संयोजनों से दर्शाया जाता है।

3. उंगलियों की सहायता से उभरे हुए बिंदुओं को स्पर्श करके पढ़ा जाता है।

ब्रेल लिपि का उपयोग:

  • यह भाषा, गणित, विज्ञान और संगीत आदि को पढ़ने-लिखने के लिए उपयोग की जाती है।
  • कागज पर ब्रेल टाइपराइटर, स्लेट और स्टाइलस का उपयोग करके ब्रेल लिखा जाता है।
  • आजकल डिजिटल उपकरण और स्क्रीन रीडर के साथ ब्रेल डिस्प्ले का उपयोग भी बढ़ा है।

ब्रेल लिपि के लाभ:

1. दृष्टिहीन लोगों को आत्मनिर्भर बनाती है।

2. शिक्षा और ज्ञान तक उनकी पहुंच को आसान बनाती है।

3. यह उन्हें सामाजिक और व्यावसायिक रूप से सशक्त बनाती है।

ब्रेल लिपि का महत्व:

ब्रेल लिपि दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए "प्रकाश" का काम करती है, जिससे वे समान रूप से पढ़ाई और रोजगार में हिस्सा ले सकते हैं। यह लिपि समावेशी समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाती है।

विश्व ब्रेल दिवस क्या है

विश्व ब्रेल दिवस हर साल 4 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुइस ब्रेल की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। लुइस ब्रेल ने दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित लोगों के लिए पढ़ने और लिखने की एक विशेष प्रणाली विकसित की, जिसे ब्रेल लिपि कहा जाता है।

विश्व ब्रेल दिवस का महत्व:

  1. दृष्टिहीन व्यक्तियों के अधिकारों के लिए जागरूकता: यह दिन दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित लोगों को उनके शिक्षा, रोजगार और सामाजिक समावेशन के अधिकारों की याद दिलाने का अवसर है।
  2. ब्रेल लिपि का प्रचार-प्रसार: इसका उद्देश्य ब्रेल लिपि के महत्व को रेखांकित करना और इसे अधिक सुलभ बनाना है।
  3. समानता और समावेश: यह दिन दृष्टिहीन व्यक्तियों को समाज के अन्य सदस्यों के समान अवसर और सुविधाएं दिलाने पर जोर देता है।

लुइस ब्रेल का योगदान:

  • लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस में हुआ था।
  • उन्होंने 1824 में 15 साल की उम्र में ब्रेल लिपि का आविष्कार किया।
  • यह लिपि 6 उभरे हुए बिंदुओं के विभिन्न संयोजनों पर आधारित है, जिसे उंगलियों की मदद से पढ़ा जा सकता है।

विश्व ब्रेल दिवस का उद्देश्य:

  • दृष्टिहीन लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ब्रेल लिपि का प्रचार करना।
  • समाज में दृष्टिहीन व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता और समावेशिता बढ़ाना।
  • यह सुनिश्चित करना कि सभी दृष्टिबाधित व्यक्तियों को शिक्षा और जानकारी तक समान पहुंच हो।

संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में इसे एक आधिकारिक दिवस घोषित किया, ताकि ब्रेल लिपि की उपयोगिता और महत्व को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया जा सके।

लुई ब्रेल का जन्म कहां हुआ था

लुई ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को कूप्रे, फ्रांस (Coupvray, France) में हुआ था। यह एक छोटा सा गाँव है जो पेरिस के करीब स्थित है।

लुई ब्रेल का जीवन:

  • लुई ब्रेल के पिता एक कारीगर थे, जो चमड़े का काम करते थे।
  • लुई बचपन में एक दुर्घटना के कारण अपनी दोनों आँखों की रोशनी खो बैठे।
  • अपनी कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने शिक्षा प्राप्त की और दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार किया।

कूप्रे में आज भी उनका घर एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित है, जो उनकी याद और उनके योगदान को संजोए हुए है।

लुई ब्रेल किस देश में रहता था

लुई ब्रेल फ्रांस देश में रहते थे।उनका जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के एक छोटे से गाँव कूप्रे (Coupvray) में हुआ था। उन्होंने फ्रांस में ही अपनी शिक्षा पूरी की और दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार किया। लुई ब्रेल ने अपने जीवन का अधिकांश समय फ्रांस में ही बिताया और यहीं पर 6 जनवरी 1852 को उनका निधन हुआ।

फ्रांस में उनके योगदान को बहुत सम्मान दिया जाता है, और उनका नाम आज भी शिक्षा और समानता के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत है।

Louis Braille Story in Hindi

लुई ब्रेल की प्रेरणादायक कहानी

लुई ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के छोटे से गाँव कूप्रे (Coupvray) में हुआ था। उनके पिता एक साधारण कारीगर थे, जो चमड़े के सामान बनाते थे। लुई बचपन से ही तेज बुद्धि और जिज्ञासु स्वभाव के थे, लेकिन उनकी जिंदगी एक दुर्घटना के बाद पूरी तरह बदल गई।

दृष्टिहीनता की शुरुआत

तीन साल की उम्र में लुई ब्रेल अपने पिता की कार्यशाला में खेल रहे थे। वहां चमड़ा काटने के एक औजार (अव्वल) से उनके दाहिने आँख में गहरी चोट लग गई। समय पर इलाज न होने के कारण संक्रमण उनकी दूसरी आँख तक भी फैल गया। पाँच साल की उम्र तक वे पूरी तरह दृष्टिहीन हो गए।

शिक्षा की ओर संघर्ष

लुई ब्रेल के माता-पिता ने उनकी शिक्षा में कोई कमी नहीं आने दी। उन्होंने गाँव के स्कूल में पढ़ाई शुरू की, लेकिन वहां दृष्टिहीन बच्चों के लिए विशेष सुविधाएं नहीं थीं। बाद में, उन्होंने पेरिस के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ (दृष्टिहीन बच्चों के लिए राष्ट्रीय संस्थान) में दाखिला लिया।

ब्रेल लिपि का आविष्कार

पेरिस के संस्थान में पढ़ाई के दौरान लुई ने महसूस किया कि दृष्टिहीन लोगों के लिए पढ़ाई बेहद कठिन है। उस समय एक खास प्रकार की "नाइट राइटिंग" प्रणाली थी, जिसे सेना में इस्तेमाल किया जाता था। यह प्रणाली जटिल थी और दृष्टिहीन लोगों के लिए अनुकूल नहीं थी।

1824 में, मात्र 15 साल की उम्र में, लुई ब्रेल ने एक नई लिपि विकसित की। यह लिपि 6 उभरे हुए बिंदुओं पर आधारित थी, जिन्हें उंगलियों से स्पर्श करके पढ़ा जा सकता था। इसे बाद में "ब्रेल लिपि" का नाम दिया गया।

लुई ब्रेल का संघर्ष और योगदान

  • शुरुआत में उनकी प्रणाली को लोगों ने अपनाने में झिझक दिखाई।
  • उन्होंने न केवल ब्रेल लिपि का प्रचार किया, बल्कि संगीत और गणित के लिए भी इसे अनुकूल बनाया।
  • दृष्टिहीन लोगों के अधिकारों और शिक्षा के लिए उनका योगदान अमूल्य है।

अंतिम दिन और विरासत

लुई ब्रेल को टीबी (क्षय रोग) हो गया था, जिसके कारण 6 जनवरी 1852 को उनकी मृत्यु हो गई। उस समय वे केवल 43 वर्ष के थे।

आज, उनकी बनाई ब्रेल लिपि पूरी दुनिया में दृष्टिहीन लोगों के लिए शिक्षा और आत्मनिर्भरता का सबसे बड़ा साधन है। उनकी कहानी यह सिखाती है कि असंभव परिस्थितियों में भी दृढ़ संकल्प और मेहनत से दुनिया बदली जा सकती है।

लुई ब्रेल को सम्मान

उनकी याद में हर साल 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है। उनके योगदान ने दृष्टिहीन लोगों के जीवन को रोशन कर दिया।

ब्रेल लिपि का आविष्कार कब हुआ

ब्रेल लिपि का आविष्कार 1824 में हुआ। उस समय लुई ब्रेल मात्र 15 वर्ष के थे। उन्होंने फ्रांस के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ (दृष्टिहीन युवाओं के लिए राष्ट्रीय संस्थान) में पढ़ाई के दौरान यह प्रणाली विकसित की।

ब्रेल लिपि का विकास:

  1. लुई ने सेना में उपयोग होने वाली एक पुरानी पद्धति नाइट राइटिंग (Night Writing) से प्रेरणा ली।
  2. उन्होंने इसे सरल और दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए उपयोगी बनाते हुए 6 बिंदुओं वाली प्रणाली तैयार की।
  3. यह प्रणाली इतनी प्रभावी थी कि इसे दुनिया भर में अपनाया गया।

आधिकारिक स्वीकृति:

लुई ब्रेल की मृत्यु के बाद, उनकी प्रणाली को व्यापक स्वीकृति मिली और यह दृष्टिहीन लोगों के लिए पढ़ने-लिखने की सबसे लोकप्रिय प्रणाली बन गई।


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