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परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti 2022) कब है | परशुराम जयंती पूजा मुहूर्त, पूजा विधि, उपाय और पौराणिक कथा

सनातनी हिन्दू धर्म के अनुसार जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया आती है जिसे अक्षय तृतीय भी कहते है जिस दिन कुछ भी किया हुआ दान पुण्य जो अक्षय हो जाता है जिसका कभी क्षय नहीं होता है उसी दिन परशुराम जयंती भगवान परशुराम जन्मोत्सव है हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान परशुराम जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी के छठे अवतार है यह पर्व पुरे भारत में धूम-धाम के साथ मान्य जाता है नगर-नगर में भगवान परशुराम की झांकियां निकाली जाती है। भगवान परशुराम भोले नाथ के अनन्य भक्त थे
Parshuram Jayanti 2020 कब है | परशुराम जयंती पूजा मुहूर्त, पूजा विधि, उपाय और पौराणिक कथा



परशुराम जयंती 2 मई को है हिन्दू पंचाग के अनुसार प्रत्येक वर्ष अक्षय तृतीया के दिन पड़ता है इस साल 2 मई को अक्षय तृतीया है और इसी दिन भगवान परशुराम जयंती भी है। आज हम आपको परशुराम जयंती 2022 में कब मनाया जायेगा, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन किये जाने वाले उपायों के बारे में बताएंगे। 

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परशुराम जयंती कब मनाया जाता है?

परशुराम जयंती भगवान विष्णु जी के छठे स्वरूप के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन परशुराम जी के पूजा-अर्चना का विधान है। हर वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार परशुराम जयंती बैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को पड़ता है मान्यता है कि भगवान परशुराम का जन्म प्रदोष काल में जब तृतीया तिथि शुरू होती है तब परशुराम जयंती मनाया जाता है। इस दिन अक्षय तृतीया का प्रसिद्द त्यौहार भी मनाया जाता है। 

Parshuram Jayanti | परशुराम जयंती शुभ मुहूर्त 2022

  • साल 2022 में परशुराम जयंती का पर्व 2 मई सोमवार को मनाया जायेगा।
  • तृतीया तिथि प्रारंभ होगा - 2 मई प्रातःकाल 5 बजकर 38 मिनट पर। 
  • तृतीया तिथि समाप्त होगा -  3 मई प्रातःकाल 7 बजकर 59 मिनट पर।

परशुराम जयंती पूजा सामग्री

आज के दिन पूजा के लिए परशुराम जी की मूर्ति, चौकी, धुप, दिप, घी, नैवेद्य, चन्दन, वस्त्र, कपूर, अक्षत आदि चीजे आपको चाहिए।

परशुराम जयंती पूजा विधि

परशुराम जयंती के दिन सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद एक चौली पर परशुराम जी की प्रतिमा स्थापित करें और हाथ में जल लेकर उनके मंत्रों का जाप करे, परशुराम जयंती के दिन शाम के समय पुनः पूजा करें पूजा में भगवान परशुराम जी को नैवेद्य अर्पित करे इसके बाद  भगवान परशुराम की कथा पढ़े कथा के बाद भगवान परशुराम जी को मिठाई का भोग लगाये और अंत में धुप, दिप व आरती कर भगवान परशुराम जी से प्रार्थना करें की वह आपको साहस प्रदान करे और आपको सभी प्रकार के भय से मुक्ति दें।

परशुराम जयंती पूजा मन्त्र


जमदग्निसुतो वीर क्षत्रियान्तकर प्रभो। 
गृहाणार्घ्य मया दत्तं कृपया परमेश्वर ॥

परशुराम का अर्थ

परशुराम दो शबो को जोड़कर बना है। परषुराम अर्थात कुल्हाडी तथा राम इन दोनों शब्दों को मिलाने पर कुल्हाड़ी के साथ  राम का अर्थ निकलता है।  

परशुराम जी के नाम 

परशुराम जी के अनेक नाम है जैसे कि 

  • रामभद्र
  • भार्गव
  • भृगुपति (ऋषभृगु के वंशज)
  • जामदग्न्य (जमदग्नि के पुत्र)

जैसे नामों से भी इन्हें जाना जाता है। 

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परशुराम जयंती के उपाय

भगवान विष्णु जी का छठे अवतार भगवान परशुराम जी को साहस का देवता माना जाता है इसीलिए यदि आज के दिन उनकी पूजा में भगवान विष्णु जी और परशुराम जी को चन्दन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, फूल और मिठाई चढ़ाकर विशेष पूजन किया जाय और साथ ही व्रत रखा जाय तो कहा जाता है की इस उपाय से व्यक्ति को जीवन में सफलता, साहस और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Bhagwan Parshuram | भगवान परशुराम के जीवन से जुड़ी पौराणिक कथा


भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था, वे ऋषि जमदग्रि और माता रेणुका के पुत्र थे ऋषि जमदग्रि सप्त ऋषियों में से एक थे कहा जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म 6 उच्च ग्रहों के योग में हुआ था। जिस कारण वे अतितेजश्वी, ओजश्वी और पराक्रमी थे एक बार अपने पिता की आज्ञा पर उन्होंने अपनी माता का सिर काट दिया था और बाद में माँ को पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने पिता से वरदान भी मांग लिया था।

जब परशुराम जी ने तोडा गणेश जी का एक दांत


भगवान परशुराम जी को क्रोध भी अधिक आता था, उनके क्रोध से स्वयं गणपति महाराज भी नहीं बच पाए थे। एक बार जब परशुराम भगवान शिव के दर्शन करने  के लिए कैलाश पहुंचे तो गणेश जी ने उन्हें उनसे मिलने नहीं दिया इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ डाला इस कारन से भगवान गणेश एक दन्त कहलाने लगे।


जब क्षत्रिय वंश के विनाश के लिए परशुराम ने ली प्रतिज्ञा


हैहयवंशी के राजा सहस्त्रार्जुन ने अपने बल और घमंड के कारण लगातार ब्राह्मणों और ऋषियों पर अत्याचार कर रहा था। प्राचीन कथा और कहानियों के अनुसार एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी सेना सहित भगवान परशुराम के पिता जमदग्रि मुनि के आश्रम में पंहुचा जमदग्रि मुनि ने सेना का स्वागत और खान-पान की व्यवस्था अपने आश्रम में की। मुनि ने आश्रम की चमत्कारी कामधेनु गाय के दूध से समस्त सैनिकों की भूख शांत की  कामधेनु गाय के चमत्कार से प्रभावित होकर उसके मन में लालच पैदा हो गई। 

इसके बाद जमदग्रि मुनि से कामधेनु गाय को उसने बलपूर्वक छीन लिया। जब यह बात परशुराम को पता चली तो उन्होंने सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया ।सहस्त्रार्जुन के पुत्रो ने बदला लेने के लिए परशुराम के पिता का वध दिया और पिता के वियोग में भगवान परशुराम की माता चिता पर सती हो गई। पिता के शरीर पर 21 घाव को देखकर परसुराम ने प्रतिज्ञा ली कि वह इस धरती से समस्त क्षत्रिय वंशो का  संहार कर देंगे, इसके बात पुरे 21 बार उन्होंने पृथ्वी से क्षत्रियों का विनाश कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की।

Parshuram Jayanti ka Mahatv | परशुराम जयंती का महत्व


भगवान परशुराम का जन्म वैशाख की शुल्क पक्ष की अक्षय तृतीया  को पुनर्वसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम पहर में हुआ था। इनकी माता रेणुका और पिता जमदग्रि थे जिस समय भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था उस समय पर दुष्ट राजाओं से लोग अत्यधिक परेशान थे। उन्हीं में से एक दुष्ट राजा ने भगवान परशुराम के पिता जमदग्रि का वध कर दिया जिससे क्रोधित होकर भगवान परशुराम ने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था। भगवान परशुराम को परशु भगवान शिव ने दिया था जिसकी वजह से इन्हें परशुराम के नाम से जाना जाता है। भगवान परशुराम जी की पूजा करने से साहस में वृद्धि और भय से मुक्ति मिलती है, भगवान परशुराम को  श्री हरी विष्णु का छठा अवतार माना जाता है।

हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान परशुराम ने ब्राह्मणों और ऋषियों पर होने वाले अत्याचारों का अंत करने के लिए ही धरती पर जन्म लिया था। माना जाता है की परशुराम जयंती के दिन पूजा-पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होते है और इस दिन दान-पुण्य करने का भी अपना एक विशेष महत्त्व है। जिन लोगों की संतान नहीं होती उन लोगो को इस व्रत को अवश्य करना चाहिए इस दिन भगवान परशुराम जी, विष्णु जी के साक्षात् हमे दोनों ही लोगों का एक ही साथ आशीर्वाद मिलता है। 

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भगवान परशुराम जी के मंदिर


जो भगवान परशुराम जी के मंदिर है उसके बारे में जैसे की अन्य जो अवतार है जैसे कि श्री कृष्ण हो गए, श्री राम जी हो गए उनके जैसा नहीं है परशुराम जी को हम मानते है की वे आज के युग में भी पृथ्वी पर निवास करते है।भारत में कई स्थान ऐसे है की जहा पर परशुराम जी के मंदिर है।
  1. प्रथम मंदिर जो है वह सलेमपुर उत्तर प्रदेश में है।
  2. दूसरा मंदिर जो कुम्भलगढ़ राजस्थान में है।
  3. तीसरा मंदिर जो अखनूर जम्मू कश्मीर में है।
  4. चौथा परशुराम जी का मंदिर अतिराला में जो कुंढापा और आंध्र प्रदेश में आता है।

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5 टिप्पणियाँ

  1. भगवान् परशुराम जयंती की पूरी जानकारी दी गयी है , हर बिंदु को विस्तार से बताया गया है , बहुत अच्छा अध्ययन किया है इस पोस्ट में।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद जो आपने प्रत्येक बिंदु को विस्तार से पढा है

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  2. भगवान परशुराम जयंती की जानकारी बहुत अच्छी है , हर बिंदु को विस्तार से बताया गया है ,बहुत ही सुन्दर अध्ययन है आपका। https://hindistoriesforkids.in/motivational-shayari/

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  3. अपना विचार प्रकट करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद

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  4. आपका आर्टिकल बहुत अच्छा है और कॉफी की जानकारी देता ह परशुराम स्तुति पढ़ने के लिए https://jaibhole.co.in/home/parshuram-stuti

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जय श्री राम
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