सावन माह 2022 कब से शुरू है और सावन सोमवार व्रत तिथि कब-कब पड़ रहा है | Sawan Somvar 2022 Date, Shubh Muhurt, Vrat Vidhi in Hindi
सावन भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना है इस बार सावन का महीना 14
जुलाई बृहस्पतिवार से शुरू होगा और इसका समापन
12 अगस्त को होगा। हर कोई
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस माह विशेष पूजा-आराधना और व्रत करेंगे। मान्यता है की इस माह
भगवान शिव और
माता पार्वती धरती पर आते है, माना जाता है कि यदि श्रावण माह में आपको कुछ विशेष संकेत मिलते है या कोई विशेष चीज के आपको दर्शन हो जाये तो समझना चाहिए की आप पर
भगवान शिव की कृपा बरसने वाली है।
सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है इसलिए महादेव के सभी भक्त इस माह उनकी विशेष पूजा-अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करते है। मान्यता है कि सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार के दिन भोले शंकर की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होता है। इस माह से शिव भक्तों द्वारा कांवड़ यात्रा भी शुरू किया जाता है।
हिन्दू पंचांग का पांचवा महीना सावन होता है। इसे
श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है। यह
माह भगवान शिव को अतिप्रिय है। इसलिए शिवभक्तों को सावन महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है। वहीं ज्योतिष अनुसार
हरा रंग सौभाग्य और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।
सावन महीने में हरे रंग का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ जाता है इस समय चरों और
प्रकृति हरे रंग में समायी रहती है। सावन के महीने में सभी सुहागन महिलाएं
हरे रंग की चूड़ियां पहनी है। लेकिन क्या आप जानते है की
सावन में हरे रंग की चूड़ियाँ पहनने के पीछे कारण क्या है?
इसी महीने शिव भक्त कांवड़ लेकर आते हैं और उस कांवड़ जल से शिवजी का अभिषक करते है। श्रावण महीने में सोमवार की सभी तिथिया विशेष होती है। सावन सोमवार व्रत से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। आज हम आपको साल 2022 सावन कब शुरू होगा, सावन के महीने की शुभ तिथियों, सावन में शिव पूजा का महत्त्व और शिव को प्रसन्न करने के लिए इस महीने में की जाने वाली पूजा की विशेष विधि, सावन के महीने में हरे रंग की चूड़ियाँ पहनने को महत्त्व क्यों किया जाता है, महदेव के दर्शन के लाभ, पूजा के समय भूलकर भी न करें ये कार्य के बारे में हम बताएंगे।
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सावन सोमवार |
सावन का महीना कब से प्रारम्भ हो रहा है?
पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास का आरंभ 12 जून से हो चूका है और आषाढ़ मास का समापन 13 जुलाई 2022 को होगा। इसके बाद 14 जुलाई 2022 से सावन का महीना शुरू हो जायेगा। साल 2022 में सावन की शुरुआत 14 जुलाई से होगा और सावन का महीना 12 अगस्त 2022 को समाप्त होगा। सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को और सावन का आखिरी सोमवार 8 अगस्त को होगा। पश्चिम और दक्षिण भारत के लिए सावन माह की शुरुआत 29 जुलाई शुक्रवार से होगा और समापन 27 अगस्त शनिवार को होगा।
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सावन सोमवार व्रत तिथियाँ 2022 (Sawan Somvar 2022 Start Date)
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ बिहार और झारखण्ड के लिए सावन सोमवार व्रत तिथियां___
साल 2022 में इन सभी के लिए सावन महीने के शुरुआत 14 जुलाई रविवार से होगा और इसकी समाप्ति भी 12 अगस्त शुक्रवार के दिन होगा। इस बार सावन में कुल चार सोमवार पड़ेंगे।
- 18 जुलाई 2022 सोमवार, पहला सावन सोमवार व्रत।
- 25 जुलाई 2022 सोमवार, दूसरा सावन सोमवार व्रत।
- 1 अगस्त 2022 सोमवार, तीसरा सावन सोमवार व्रत।
- 8 अगस्त 2022 सोमवार, चौथा सावन सोमवार व्रत।
पश्चिम और दक्षिण भारत के लिए सावन सोमवार व्रत की तिथियां
सावन माह की शुरुआत 29 जुलाई और जिसकी समाप्ति 27 अगस्त को होगा।
- 1 अगस्त 2022 - पहला सावन सोमवार व्रत।
- 8 अगस्त 2022 - दूसरा सावन सोमवार व्रत।
- 15 अगस्त 2022 - तीसरा सावन सोमवार व्रत।
- 22 अगस्त 2022 - चौथा सावन सोमवार व्रत।
सावन सोमवार पूजा विधि (sawan somvar vrat vidhi)
सावन माह में देवो के देव महादेव का विशेष रूप से पूजन किया जाता है। मान्यता है की
सावन का महीना सौभाग्य प्राप्ति के लिए विशेष महीना होता है। शिव पूजा की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ करना चाहिए। सावन सोमवार के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लेकर शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव जी का जल, दूध, दही, घी, शक्कर शहद, गंगाजल और गन्ने के रस से जलाभिषेक करें और फिर स्वच्छ जल से उन्हें स्नान कराये।
शिव जी के रुद्राभिषेक के दौरान
ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। महादेव के साथ ही माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध अर्पित करें। इसके बाद पंचामृत से महादेव का रूद्राभिषेक कर उन्हें बेल पत्र अर्पित करें और शिवलिंग पर धतूरा, बेलपत्र, आलू, चन्दन, चावल, बेलपत्र, सभी पात्र, दूब, कुशा, कमल, कनेर के फूल, आदि चढ़ाये। इसके साथ भोग क रूप में
भगवान शिव को धतूरा, भांग, श्रीफल, घी व शक्कर का भोग महादेव को चढ़ाये।
आप चाहे तो बिल्वपत्र पर चन्दन से ॐ नमः शिवाय लिखकर भी महादेव को अर्पित कर सकते है यह बहुत ही शुभ होता है। अब धूप-दीप आरती करें मंदिर में पूजा करने के बाद घर आकर शिव पूजा करे। घर के पूजा स्थल पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित कर शिव पार्वतीजी का शोडशोपचार पूजन करें। पूजन के पश्चात् व्रत कथा सुनें और अंत में धुप दीप प्रज्वलित कर आरती कर प्रसाद वितरण करें। मानयता है की सावन मास में किया गया विधिवत पूजा से मनोकामना पूर्ण होता है।
सावन में शिव की पूजा का महत्त्व
सावन मास में किये गए शिव पूजा का विशेष महत्त्व होता है। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करने के लिए निकलते है और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते है। सावन माह में सोमवार का व्रत रखने से आने वाली सभी परेशानियां दूर होकर सुख-समृद्धि और शुभफल प्राप्त होते हैं। दाम्पत्य जीवन सुखद होता है और विवाह में आ रही परेशानियां शिव कृपा से दूर हो जाती हैं।
सावन सोमवार व्रत का महत्त्व
शास्त्रों में सावन सोमवार व्रत का विशेष महत्त्व बताया गया है मान्यता है कि सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार के दिन किये गए पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होकर भक्तों के सभी मनोकामनाओं को अवश्य ही पूरा करते हैं। इसी माह भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण के लिए निकलते है और अपने भक्तो को आशीर्वाद प्रदान करते है। सावन सोमवार के व्रत रखने से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर होकर सुख-समृद्धि की प्राप्ति, खुशहाल दाम्पत्य जीवन और विवाह में आ रही परेशानियां शिव जी की कृपा से दूर होते है।
धार्मिक कथाओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन मास में कठोर तप व उपवास किया था जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने उनका इच्छा पूरा किया था। तभी से सावन माह शिव पूजा के लिए सबसे खास माना जाता है इसलिए कहा जाता है कि सावन के सोमवार या सोलह सोमवार का व्रत करने से अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है।
सौभाग्य का प्रतिक होता है हरा रंग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरा रंग सौभाग्य, प्रेम, सुहाग और खुशहाली का रंग माना जाता है। इसलिए सावन यानि हरियाली के इस महीने में सुहागन महिलाएं हरी चूड़ियां और हरे वस्त्र पहनकर प्रकृति और भगवान को धन्यवाद देती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने में रहा रंग उपयोग करने से भाग्य मजबूत होता है। यह माह विशेषकर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना कर अखंड सौभाग्य पाने का महीना भी होता है। इसलिए इस महीने सुहागन महिलाएं हरे रंग की चूड़ियाँ पहनकर भगवान शिव व माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करती है।
हरे रंग से बुध ग्रह मजबूत होता है
ज्योतिष अनुसार हरे रंग को बुध ग्रह का प्रतीक माना जाता है और ज्योषित में बुध ग्रह को कैरियर और व्यापर से जोड़कर देखा जाता है। कहते है की सावन में हरा रंग धारण करने से बुध प्रसन्न होते है और महिलाओं को सुख, वैभव और धन धान्य प्रदान करते है। इसलिए महिलाएं सावन मास में हरे वस्त्र और हरी चूड़ियाँ पहनती है। ज्योतिष अनुसार हरा रंग व्यक्ति की खुशहाली व कामयाबी के लिए बहुत ही शुभ होता है।
हरे रंग से शिव जी होते है प्रसन्न
मान्यता है कि शिव के प्रिय मास सावन में हरे रंग पहनने से शिव जल्दी प्रसन्न होते है। भगवान शिव को हरियाली विशेष प्रिय है वाही सावन में हरे रंग की चूड़ियां पहनने से भगवान शिव जी के साथ-साथ भगवान विष्णु जी भी प्रसन्न होते है। हरा रंग जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरता है दरअसल सावन माह खुद को प्रकृति से जोड़ने का महीना माना जात है। जिसका सकारात्मक असर हमारे जीवन पर भी पड़ता है, यही कारण है कि सावन में हरे रंग को ज्यादा महत्त्व दिया जाता है।
सावन सोमवार व्रत के नियम
- किसी भी व्रत का पूर्ण फल व्रती को तभी प्राप्त होता है जब वह व्रत से जुड़े नियमों का सही ढंग से पालन करे सावन सोमवार के व्रत में किसी भी अनैतिक कार्य करने से बचे और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सावन सांवर के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान का ध्यान करें और किसी भी बड़े और असहाय लोगों का अपमान ना करें।
- सावन माह के सोमवार व्रत में भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र और धतूरा शामिल करें।
- सावन हरियाली का माह होता है। जो शिव जी को अत्यंत प्रिय है इसलिए इस दौरान पेड़-पौधों को काटने से बचाना चाहिए।
सावन मास शुरू होने से पहले करें ये काम मिलेगा पूर्ण फल
शास्त्रों में ऐसा माना जाता है की सावन मास शुरू होने से पहले कुछ विशेष कार्य या चीजें लेकर आते है तो भगवान शिव के आशीर्वाद से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।
घर की साफ-सफाई करें
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि साफ-सुथरे घर में हमेश देवी-देवताओं का वास होता है। धार्मिक दृष्टि से सावन का महीना बहुत ही पवित्र होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर आप सावन का महीना शुरू होने से पहले अपने घर को अच्छी तरह से साफ कर लेते हैं, घर से और खासकर पूजा स्थल के कूड़ा-करकट को अच्छी तरह से साफ कर लेते हैं, तो यह आप पर है। महादेव की कृपा बरसती है।
घर में स्वच्छ गंगाजल लाकर रखें
भगवान शिव अपनी जटाओं में
गंगा जी को समाये हुए है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि आप सावन माह शुरू होने से पहले अपने घर में गंगाजल लाकर रख देते है तो कहा जाता है कि इससे
भगवान शिव जी ही प्रसन्न होकर आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है।
ईशान कोण में जल की स्थापना करें
वस्तु शास्त्र के अनुसार ईशान कोण में देवी-देवताओं का वास रहता है औरयह दिशा भगवान की दिशा मानी गई है। इसलिये सावन मास शुरू होने से पहले घर के ईशान कोण को अच्छी तरह से साफ कर लें। अब घर के ईशान कोण में जल से भरा कलश रखें इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि बना रहता है। शास्त्रों के अनुसार यदि श्रावण मास शुरू होने से पहले घर का ईशान कोण खाली कर वहां मंगल कलश की स्थापना की जाय तो इसके अद्भुत परिणाम जीवन में प्राप्त होने लगते है।
चांदी का चंद्रमा या मोती लाये
भगवान शिव अपने मस्तक पर चंद्रमा धारण किये हुए हैं इसलिए ऐसा माना जाता है की सावन मास के प्रथम दिन चांदी के चन्द्र्मा या मोती लाकर पूजास्थल में रखें या फिर धारण किये जाय तो इससे भगवान शिव के साथ ही आपको चन्द्र की विशेष कृपा भी प्राप्त होने लगता है। इससे चन्द्र ग्रह की शांति और मन मजबूत होता है।
रुद्राक्ष की माला घर पर लाये
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव के आंसुओं की बूंदों से ही रुद्राक्ष का जन्म हुआ ऐसा माना जाता है। कहते है की यदि भगवान शिव के प्रिय मास सावन मास शुरू होने से पहले ही आप अपने घर में रुद्राक्ष के दाने या इसकी माला लाकर रख देते है तो इससे आपको जीवन में शुभ फ़ल प्राप्त होते है।
सावन मास सोमवार की व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha in Hindi)
सावन महीना भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय है। शास्त्रों के अनुसार जो कोई सावन माह में व्रत रखकर विधिवत पूजा और सावन सोमवार की व्रत कथा का पाठ या व्रत कथा सुनता है तो भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है। तो आइये जानते है सावन सोमवार व्रत कथा क्या है?
एक समय की बात है एक नगर में एक बहुत ही अमीर साहूकार रहता था। उसके पास पैसों की कोई भी कमी नहीं थी, लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी। इस वजह से वह हमेशा बहुत दुखी रहता था। पुत्र की प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार को वह व्रत रखता और श्राद्ध के साथ शिव मंदिर जाता और भगवान शिव और माता पार्वती की नियमानुसार पूजा करता था।
उनकी भक्ति देखकर एक दिन माता पार्वती उसकी भक्ति से बहुत ही प्रसन्न हुई और उन्होंने भगवान शिव से उस साहूकार की इच्छा को पूरा करने को कहा। पार्वती की इच्छा सुनकर भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि हे! पार्वती इस संसार के प्रत्येक प्राणी को उसके कर्मों का फल अवश्य ही मिलता है और उसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है। लेकिन पार्वती जी ने साहूकार की भक्ति का मन रखने के लिए उसकी मनोकामना पूर्ण करने को कहा।
माता पार्वती के बार-बार आग्रह करने पर शिवजी ने साहूकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान तो दिया, लेकिन साथ में यह भी कहा कि उसके बच्चे की उम्र सिर्फ 12 साल होगी। साहूकार माता पार्वती और भगवान शिव की यह बातचीत सुन रहा था, इसलिए वह इस बात से न तो खुश था और न ही दुखी। वह पहले की तरह अपने नियमानुसार शिव की पूजा करता रहा।
कुछ समय बाद साहूकार के घर एक बालक का जन्म हुआ, जब वह बालक ग्यारह वर्ष का था, साहूकार ने उसे पढ़ने के लिए काशी भेजने का निर्णय लिया। साहूकार ने अपने बेटे के मामा को बुलाकर ढेर सारा रुपया-पैसा दिया और कहा कि तुम इस बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने के लिए काशी ले जाओ और रास्ते में यज्ञ करते हुए ब्राह्मणों को दक्षिणा अर्पित करते जाओ।
दोनों मामा-भांजे यज्ञ करते और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देते काशी की ओर चल पड़े। रस्ते में एक नगर पड़ा जहां नगर की राजा की कन्या विवाह था वह जिस राजकुमार से शादी करने वाली थी, वह एक-आंखों वाला था। राजकुमार के पिता ने इस तथ्य को छिपाने के लिए एक बात सोची कि उनका पुत्र काना था। उसके दिमाग में एक विचार आया कि क्यों न किसी साहूकार के लड़के को दूल्हा बना कर राजकुमारी से उसकी शादी करा दी जाए।
शादी के बाद, मैं इसे पैसे के साथ भेज दूंगा और राजकुमार को अपने शहर ले जाऊंगा और फिर राजकुमारी की शादी साहूकार के बेटे से करवा दूंगा। लेकिन साहूकार का लड़का बहुत ईमानदार था। उसने अवसर का लाभ उठाया और राजकुमारी की चुन्नी के किनारे पर लिखा कि 'तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है, लेकिन जिस राजकुमार के साथ तुम्हे भेजा जायेगा वह एक आंख से काना है।
मैं तो इस मार्ग से काशी पढ़ने के लिए जा रहा हूँ। जब राजकुमारी ने चुन्नी पर लिखी हुई सारी बातें पढ़ी तो उसने अपने माता-पिता को यह बात जाकर बताई। राजा ने सारी बात को जानने के बाद अपनी बेटी को विदा नहीं किया, जिसके कारण बारात वापस अपने नगर को चली गईऔर वहीं दूसरी ओर साहूकार का पुत्र और उसका मामा काशी पहुंचे और वहां पहुँचते ही उन्होंने यज्ञ किया। जिस दिन बालक बारह वर्ष का हुआ उस दिन यज्ञ हुआ।
लड़के ने अपने मामा से कहा कि मेरी तबीयत आज कुछ ठीक नहीं है। यह सुनकर मामा ने कहा तुम अन्दर जाकर सो जाओ। शिव के वरदान के अनुसार कुछ ही देर में बालक की मृत्यु हो गई। भांजे की मौत देख उसके मामा विलाप करने लगे। संयोग से, उसी समय शिव और माता पार्वती वहाँ से उसी मार्ग से जा रहे थे। माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि स्वामी मैं उनके रोने की आवाज को सहन नहीं हो पा रहे है। आप उस व्यक्ति की पीड़ा दूर करें।
जब शिव उस बालक के पास पहुंचे तो उन्होंने माता पार्वती से कहा कि यह उसी साहूकार का पुत्र है, जिसे मैंने 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया था। अब इसकी उम्र समाप्त हो गई है, लेकिन माता पार्वती ने एक माँ की भावना के साथ कहा कि हे महादेव, कृपया इस बच्चे को और उम्र दें। नहीं तो उसके माता-पिता उसके अलगाव के कारण तड़प-तड़प कर मर जाएंगे।
माता पार्वती के अनुरोध पर, भगवान शिव ने लड़के को फिर से जीवित होने का वरदान दिया और शिवजी की कृपा से वह लड़का पुनः जीवित हो गया। लड़का अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने मामा के साथ अपने नगर चल दिया। दोनों उसी नगर में पहुंचे जहां उनकी शादी हुई थी। उस नगर में भी उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया। तब लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया और उसे महल में ले गए, उसकी देखभाल की और अपनी बेटी को उसके साथ विदा किया।
सावन मास में करे ये उपाय
25 जुलाई से सावन मास का शुभारम्भ होने वाला है यह महीना शिव भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह भगवान शिव का सबसे प्रिय माह है। कहते है की अगर कोई इस मास में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनका पूजा और उपाय करता है तो भगवान शिव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है। आज हम आपको शास्त्रों के अनुसार बताए गए कुछ ऐसे महाउपाय बताने जा रहे है जो सावन मास में शिव को प्रसन्न करने के लिए बहुत खास है।
सावन मास में शिव परिवार को घर लाये
शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जिस घर में सुख-शांति नहीं होता है या घर के सदस्यों में मन मुटाव रहता है तो उन्हें सावन के महीने में सम्पूर्ण शिव परिवार की प्रतिमाएं घर लाकर इनकी पूजा करना चाहिए। सुबह की पूजा के समय आपका मुंह पूर्व दिशा में और शाम की पूजा में आपका मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। पूजा में शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। इस उपाय से घर में सुख-समृद्धि आती है।
पंचामृत से अभिषेक करें
सावन महीने में रोजाना भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। अगर आप रोजाना न भी कर पाए तो सावन सोमवार इस उपाय को जरूर करें। पंचामृत बनाने के लिए गंगाजल, दूध, शहद, दही और घी को शामिल करें, अब इस पंचामृत से सावन में शिव जी का अभिषेक करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
शिवलिंग पर दूध चढ़ाये
अगर किसी जातक की शादी में कोई अड़चन आ रही है या आप मनचाहा वर पाना चाहते है तो सावन में सोमवार के दिन शिवलिंग पर केसर युक्त चढ़ाये। ऐसा करने से विवाह की दिक्क़ते दूर होने के साथ ही आपको मनचाहा वर प्राप्त होता है और विवाह के योग बनते हैं।
शिव जी को बिल्वपत्र अर्पित करें
मान्यता है की यदि आपका कोई काम बार-बार असफल हो रहा है तो आपको सावन के किसी भी सोमवार के दिन 21 बिल्व पत्रों पर चन्दन से ॐ नमः शिवाय लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। इससे आपके कार्य अपर आ रही सारी बाधाएं दूर होने लगती है और सफलता प्राप्त होती है।
जौ, तिल मिले जल से अभिषेक करें
शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में शिवलिंग पर तिल और जौ मिले जल से शिवजी को अभिषेक करना बहुत ही फायदेमंद होता है। कहते है की तिल पापों का नाश करता है और जौ जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। सावन मास में किया गया यह उपाय व्यक्ति को सफलता दिलाता है।
मीठा जल चढ़ाये
मान्यता है कि सावन के महीने में रोजाना शिवलिंग पर शक़्कर मिलकर मीठा जल चढाने से ज्ञान प्राप्त होता है। इस उपाय से महादेव बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते है और भक्तों की बुद्धि का विकास करते है। सावन के महीने में इस उपाय से भगवान शंकर ज्ञान-बुद्धि और सफलता का वरदान देते है।
बैल को चारा खिलाये
यदि आप किसी परेशानी में है या कोई मनोकामना पूरी करना चाहते है तो आपको सावन माह में बैल को हरा चारा खिलाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार बैल को नदी का रूप माना जाता है इसलिए यदि आप सावन के महीने में बैल को हरा चारा खिलाते है तो शिव जी इससे बेहद प्रसन्न होते है।
सावन के महीने में शादीशुदा महिलाएं जरूर करें ये काम
सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है इस माह में भगवान शिव के भक्त उनकी विशेष पूजा आराधना कर उन्हें प्रसन्न करते है। भगवान शिव को सभी देवी-देवताओं में सबसे तेज देवता माना जाता है, इसलिए शास्त्रों में उनकी और उनके प्रिय सावन माह की पूजा के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, विशेषकर विवाहित महिलाओं के लिए और कुछ महत्वपूर्ण कार्य जो अवश्य करने चाहिए।
लाल वस्त्र धारण करें
शुभ कार्यों में लाल रंग का विशेष महत्त्व होता है। किसी भी पूजा में लाल रंग के वस्त्र धारण करने से खुशियाँ और सौभाग्य की प्राप्ति होती है क्योंकि लाल रंग सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। जिस प्रकार सावन में हरे रंग का विशेष महत्व होता है, उसी प्रकार भगवान शिव के इस प्रिय माह में विवाहित महिलाएं लाल वस्त्र धारण कर पूजा में बहुत ही शुभ होती हैं। इससे भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के आशीर्वाद से महिलाओं के सौभाग्य में कई गुना अधिक वृद्धि होती है।
सुबह जल्दी से उठे
शस्त्रों में सावन का महीना शिव पार्वती की पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस माह में महिलाओं को रोजाना स्नान कर पूजा करनी चाहिए और जो भी महिलाएं सावन सोमवार का व्रत रखती है उन्हें प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर विशेषकर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करना चाहिए। इस माह में विशेषकर व्रत वाले दिन बल अवश्य धोने चाहिए कि इससे महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हरी चूड़ियां पहने
ज्योतिष में हरे रंग का संबंध बुध ग्रह से जोड़ा जाता है बुध ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति को शुभ-अशुभ फ़ल प्राप्त होते है। व्यक्ति के कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होने से बुद्धि और मसृद्ढी की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार यदि शादीशुदा महिलाएं सावन के महीने में हरे रंग के कपडे और चूड़ियां धारण करती हैं तो इससे उन्हें अखंड सौभाग्य और जीवन में खुशहाली की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि हरा रंग महादेव और माता पार्वती को जल्द प्रसन्न करता है इसलिए उनके प्रिय सावन माह में प्रत्येक सुहागन महिलाओं को हरे रंग की चूड़ियाँ अवश्य पहननी चाहिए।
मांग में सिंदूर जरूर लगाएं
शास्त्रों में सुहागन महिलाओं के लिए सिंदूर का खास महत्वबताया गया है। सभी सुहागन महिलाओं के लिए सिंदूर लगाना बहुत ही जरुरी होता है। सिंदूर 16 श्रृंगार की सामग्री में शामिल है, ऐसा माना जाता है कि हालांकि एक विवाहित महिला को हमेशा अपनी मांग में सिंदूर भरना चाहिए, लेकिन विशेष रूप से सावन के महीने में सभी विवाहित महिलाओं को मांग में इसे अच्छी तरह से भरना चाहिए और मंगलसूत्र पहनना चाहिए। क्योंकि मान्यता है की सिन्दूर लगाने से देवी पार्वती और महादेव महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देते हैं।
सुहाग की सामग्री दान करें
सावन का महीना शिव गौरी की विशेष कृपा पाने का महीना है। सावन सोमवार के व्रत महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य की कामना से रखा जाता है। प्राचीन मान्यता के अनुसार सावन माह में न सिर्फ सुहागन महिलाओं को 16 श्रृंगार करने चाहिए, बल्कि इस माह में किसी अन्य सुहागन महिलाओं को सुहाग का सेवन दान भी करना चाहिए। कहते है की सावन मास में सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा सौभाग्यवती महिलाओं को सुहाग का सामान दान करने से न सिर्फ शिव पार्वती बल्कि माता लक्ष्मी जी का आशिर्वाद भी प्राप्त होता है।
सावन मास भगवान भोलेनाथ के ये शुभसंकेत और इनके लाभ
सपने में भगवान शिव के दर्शन होना
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भगवान शिव |
ऐसा मान्यता है कि यदि श्रावण मास के दौरान आपको सपने में भगवान शिव के दर्शन हो जाय तो यह बहुत ही शुभ होता है। वही अगर सपने में भगवान शिव को माता पार्वती के साथ देखा जाता है तो समझ लें कि भगवान शिव की विशेष कृपा आप पर बरसने वाली है और आपकी विशेष मनोकामना पूर्ण होने के संकेत हैं.
गाय या नंदी गण का दिखना
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नंदी महाराज |
शास्त्रों के अनुसार सावन के इस पवित्र महीने में गाय या नंदी गण अर्थात बैल का दिखना भी बहुत ही शुभ होता है। अगर आपको सुबह-सुबह गाय या नंदी दिखाई दे, खासकर श्रावण सोमवार के दिन, या उनमें से कोई आपके दरवाजे पर आ जाए, तो यह भगवान शिव की कृपा पाने का एक बहुत बड़ा संकेत है। इसका मतलब है कि जल्द ही आपके मन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने वाली हैं और आपके घर में सुख-समृद्धि आने वाली है।
काले नाग के दर्शन होना
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काला नाग |
सावन के पावन माह में काले नाग के दर्शन होना भी बहित ही शुभ माना जाता है। यदि इस महीने आपको काले नाग का दर्शन हो जाता है तो समझिये की आप बहुत ही खुशकिस्मत इंसान है। क्योंकि सावन में काला नाग दिखने का अर्थ है कि जल्दी ही उन्नति के द्वार आपके लिए खुलने वाले है और आप पर महादेव की कृपा बरसने वाली है।
घर पर ब्राह्मण का आना
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ब्राह्मण |
ऐसा मान्यता है की यदि सावन के महीने में आपके घर द्वार पर कोई ब्राह्मण या भिक्षु आ जाये तो इसका मतलब है की आपकी किस्मत चमकाने वाली है। वही घर से निकलते समय यदि ब्राह्मणो के दर्शन आपके एक साथ हो जाये तो यह बहुत ही शुभ होता है इसलिए इस सावन घर में कोई ब्राह्मण आये तो उसे बिना दान दक्षिणा के वापस ना लौटाए।
भगवान शिव की प्रिय चीजें दिखना
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भगवान शिव की प्रिय चीजें |
कहा जाता है की यदि सावन माह में किसी व्यक्ति को सपने में भगवान शिव की प्रिय चीजे जैसे रुद्राक्ष, त्रिशूल, भस्म, बेलपत्र या डमरू आदि देखा जाए तो ऐसा सपना उस व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा बरसने का संकेत देता है।
भूलकर भी सावन मास में ना करें ये कार्य
तुलसी का इस्तेमाल न करें
शास्त्रों के अनुसार
सावन के महीने और आम दिनों में
भगवान शिव जी की पूजा करते समय कभी भी
महादेव को
तुलसी के पत्ते, केवड़े औए केतकी के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार
शिव को केतकी और केवड़े के फूल चढ़ाना निषेध माना गया है।
हल्दी का प्रयोग
हल्दी खानपान का स्वाद बढ़ाने के साथ ही धार्मिक कार्यों में भी बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है कहा जाता है की शिवजी को उनकी पूजा में
हल्दी नहीं चढ़ाया जाता है। हल्दी का उपयोग मुख्य रूप से
सौंदर्य प्रसाधन के लिए किया जाता है, शास्त्रों के अनुसार
शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है इसी वजह से
महादेव की पूजा में हल्दी निषेध बताया गया है।
कुमकुम या रोली
ऐसा माना जाता है की
भगवान शिव के पूजा में
शिवलिंग पर ना ही हल्दी और ना ही
कुमकुम रोली का इस्तेमाल किया जाता है बल्कि
भगवान शिव और
शिवलिंग की पूजा के समय चन्दन से तिलक करना शुभ माना गया है। इसलिए ध्यान रखे के शिव पूजा में चन्दन का ही तिलक करें।
शिव का जलाभिषेक
सावन का महीना भगवान शिव के
जलाभिषेक और रुद्राभिषेक के लिए बहुत ही खास माना जाता है इसीलिए
शिव पूजा में इस बात का भी विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए शिवजी या शिवलिंग का जलाभिषेक करते समय अन्य बर्तनों का इस्तेमाल करने की बजाय
कांस्य, तांबा और पीतल के बर्तनों का ही प्रयोग करना चाहिए।
नारियल पानी
ऐसी मान्यता है की
महदेव की पूजा में
नारियल पानी से
भगवान शिव का अभिषेक नहीं करना चाहिए क्यूंकि नारियल को
लक्ष्मी जी का स्वरुप माना जाता है। इसीलिए सभी शुभ कार्यों में
नारियल प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है, लेकिन
शिव पूजा में नारियल पानी भगवान भोले नाथ को नहीं चढ़ाया जाता।
सावन माह में इनमे से कोई एक लाना होता है शुभ
मान्यता है कि सावन माह में भगवान शिव की पूजा व् शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से घर में सुख-शांति बना रहता है। वैसे ही शास्त्रों के अनुसार इस माह में कुछ विशेष चीजें घर लाने से भगवान शिव का आशीर्वाद अपने भक्तों पर हमेशा बना रहता है। आइये जानते है वो कौन सी चीजें है जिन्हें सावन माह में घर लाना शुभ होता है।
सावन माह में घर लाए डमरु
भगवान शिव के साथ उनका डमरू हमेशा रहता है। माना जाता है की डमरु में नकारात्मक शक्तियों को दूर करने की क्षमता होती है। इसलिए सावन के महीने में शिव के डमरू को घर लाना शुभ होता है। यह अपनी तेज आवाज से नकारात्मकता को दूर करता है और किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है।
सावन माह में घर लाये भगवन शिव का त्रिशूल
सावन माह में त्रिशूल घर लाना शुभ होता है। यदि आप अपने घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर रखना चाहते हैं तो भगवान शिव के ताँबे के त्रिशूल को अपने घर में रखे। इससे जीवन में शुभ फ़ल प्राप्त होते है।
सावन माह में गंगा जल को घर लाए
भगवान शिव जी अपनी जटाओं में गंगा जी को समाये हुए है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि आप सावन माह में अपने घर में गंगाजल लाकर रखते हैं और रोजाना इससे महादेव का अभिषेक करते हैं तो भगवान शिव जल्द ही प्रसन्न होकर आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है।
सावन माह में पारद या स्फटिक के शिवलिंग घर लाए
शास्त्रों के अनुसार यदि सावन के महीनो में आप स्फटिक या पारद के शिवलिंग घर लाते है और इसकी पूजा सच्चे मन से करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस शिवलिंग का नाम नर्मदा नदी से लिया गया है, इस शिवलिंग को बहुत पवित्र माना जाता है, इसे घर लाकर स्थापित करना शुभ होता है।
सावन माह में रुद्राक्ष की माला घर लाए
सवाब में रुद्राक्ष घर लाए, कहा जाता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसू से बना है जो भगवन शिव को बेहद प्रिय है। रुद्राक्ष को शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यदि भगवान शिव के प्रिय मास सावन में रुद्राक्ष के दाने या इसकी माला घर लाकर रखते है तो इससे आपको जीवन में शुभ फ़ल प्राप्त होते है।
सावन माह में चांदी के नंदी लाये
सावन में चांदी के नंदी भी लाना शुभ होता है, नंदी भगवान शिव की सवारी है। नंदी को शक्ति, सम्पन्नता और कर्मठता का प्रतीक माना जाता है। यदि आप सावन के महीने में चांदी के नंदी घर लाते है और इसे तिजोरी या धन रखने के स्थान पर रख देते हैं तो इससे आपके धन धान्य में वृद्धि होती है और आय दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की करते है।
सावन मास में ताम्बे का जलपात्र घर लाए
सावन मास में ताम्बे का जलपात्र घर लाना शुभ माना जाता है। सावन के किसी भी दिन ताम्बे के इस पात्र, लोटे में जल भरकर घर में रखे और समय-समय पर इस जल को बदलते रहे। इससे घर के लोगों में आपसी रिश्ता, प्यार से भरा मजबूत और गहरा होता है।
सावन माह में भस्म घर लायें
यदि आप भगवान शिव की विशेष कृपा पाना चाहते है तो सावन माह में भस्म घर लेकर आये और इस भस्म से उनकी मूर्ति के साथ अवश्य रखें। माना जाता है कि यह बारह नकारात्मक शक्तियों से आपकी रक्षा करता है।
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1 टिप्पणियाँ
बहुत अच्छा, अच्छा काम और इतने अच्छे ब्लॉग को साझा करने के लिए धन्यवाद।) इस लेख को पढ़ने के बाद, मुझे एक विचार मिला कि मैं अपने अगले कदम के लिए उपयोग कर सकता हूं। कुछ वाक्यों को यहाँ स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया है। यह आलेख लिखने के लिए आपका धन्यवाद। मुझे यहां से काफी अनुभव मिला।
जवाब देंहटाएंजय श्री राम
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