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वट पूर्णिमा व्रत कब है? जाने व्रत तिथि शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, व्रत नियम इत्यादि के बारे में | Vat Purnima Vrat 2021, Jyeshth Purnima 2021

शास्त्रों के अनुसार जिस तरह सुहागन महिलाओं द्वारा पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत रखा जाता है ठीक वैसे ही ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा Vat Purnima का व्रत करने की परम्परा है। इस दिन सभी सुहागन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर बरगद के वृक्ष और सावित्री सत्यवान का पूजन करती हैं। 

शास्त्रों में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि का बड़ा महत्व बताया गया है। इस दिन स्नान, दान-धर्म के कार्यों का विधान है। कहा जाता है की आज के दिन गंगा जी में स्नान, दें और कुछ विशेष उपाय करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन भगवान शंकर व विष्णु जी की पूजा से शुभ फल प्राप्त होते है। ज्येष्ठ मास की पूर्णम तिथि को बहुत सी जगहों पर  वट पूर्णिमा (Vat Purrnima) का पर्व और कबीरदास जयंती भी मनाया जाता है। जिस कारण इस तिथि का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। 

आज हम आपको साल 2021 में ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा के दिन रखे रखे जाने वाले वट पूर्णिमा व्रत Vat Purnima Vrat 2021 की शुभ तिथि, ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की सही तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और साथ ही जानेंगे इस व्रत के कुछ जरुरी नियमों के बारे में और इस दिन मनोकामना पूरी करने के लिए किये जाने वाले चमत्कारिक उपाय के बारे में बताएंगे।  

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वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat 2021) कब है? जाने व्रत तिथि शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, व्रत नियम इत्यादि के बारे में
वट पूर्णिमा व्रत 

वट पूर्णिमा व्रत तिथि शुभ मुहूर्त 2021 

  • साल 2021 में वट पूर्णिमा का व्रत 24 जून गुरूवार के दिन रखा और मनाया जायेगा। 
  • साल 2021 में ज्येष्ठ पूर्णिमा 24 जून गुरुवार के दिन है। 
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगा - 24 जून प्रातःकाल 3 बजकर 32 मिनट पर। 
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त होगा - 25 जून प्रातःकाल 12 बजकर 9 मिनट पर होगा। 

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ज्येष्ठ पूर्णिमा शुभ योग 2021

ज्योतिष की माने तो इस बार 24 जुन गुरुवार के दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा पर खास संयोग बन रहा है। ज्येष्ठ पूर्णिमा इस साल गुरुवार के शुभ योग में पड़ रही है। गुरुवार और पूर्णिमा तिथि दोनों ही भगवान विष्णु जी को समर्पित हैं। ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व और अधिक रहेगा। इसके साथ पूर्णिमा के दिन ग्रहों की स्थिति की अगर बात करें तो सूर्य, मिथुन और चंद्रमा वृश्चिक राशि पर संचार करेंगे। ज्योतिष अनुसार पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से चन्द्र दोष से मुक्ति मिलती है और कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत बनी होती है। 

वट पूर्णिमा पूजन विधि - How to do Vat Purnima Puja at Home

वट पूर्णिमा व्रत की सुबह सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद सच्चे मन से व्रत का संकल्प करें। मान्यता है की आज के दिन पीपल के पेड़ पर भगवान विष्णु जी और माँ लक्ष्मी जी के साथ वास करते है, इसलिए आज प्रातः एक लोटा कच्चा दूध मिले चल मेंबताशा डालकर पीपल के के पेड़ को अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु जी की प्रतिमा पूजास्थल पर स्थापित कर उन्हें चाण्डाल का तिलक करें और उन्हें पीले फल, फूल, सुपारी केले के पत्ते चढ़ाये और सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें। साथ ही रात्रि में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देकर किसी जरूरमंद को दान दक्षिणा देकर पूजा संपन्न करें। 

वट पूर्णिमा व्रत की पूजा भी वट सावित्री व्रत की तरह ही किया जाता है। इस दिन विशेषकर बरगद वृक्ष के निचे ही पूजा का विधान है, सबसे पहले पूजाकी तयारी करें और एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रख लें। अब एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा रखें। अब बरगद वृक्ष की पूजा करें सबसे पहले वृक्ष पर जल चढ़ा कर कुंकुम, अक्षत चढ़ाये और सूत के धागे को वट वृक्ष के पांच, सात या बारह चक्कर लगाते हुए लपेटकर बांध लें। हर परिक्रमा पर एक चना वट वृक्ष में चढ़ाती जाय इसके बाद घर आकर शाम के समय व्रत कथा पढ़ें अथवा सुनें अब सुहाग की कामना करते हुए व्रत कथा सुनने के बाद सभी में चने व गुड़ का प्रसाद बांट लें। 

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वट पूर्णिमा व्रत नियम

  • वट पूर्णिमा व्रत सभी सुहागन महिलाओं के लिए बेहद खास और महत्वपूर्ण होता है। शास्त्रों के अनुसार वट पूर्णिमा व्रत के कुछ जरुरी और महत्वपूर्ण नियम बताए गए है जिनका पालन सभी सुहागन महिलाओं को व्रत के दौरान अवश्य करना चाहिए। आइये जानते है इस व्रत से जुड़े जरूरी नियम कौन से है______
  • वट पूर्णिमा के व्रत में घर का माहौल और वातावरण शुद्ध और शांत रखना चाहिए। किसी भी तरह अशुद्धि और घर में क्लेश आदि नहीं करना चाहिए। 
  • बरगद के पेड़ का कोपल खाकर हीइस व्रत को समाप्त करना चाहिए।
  • वट पूर्णिमा का व्रत करने से स्त्रियों को पति की लंबी आयु का वरदान मिलता है. यह व्रत सच्चे मन से करना चाहिए। मन में कोई भी गलत विचार नहीं आने देना चाहिए।
  • जो लोग यह व्रत रखते हैं, खासकर इस दिन उन्हें तामसिक भोजन से बचना चाहिए और सात्त्विकता का ध्यान रखना चाहिए।

ज्येष्ठ पूर्णिमा उपाय

शास्त्रों में ज्येष्ठ पूर्णिमा का बहुत महत्व है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धालु गंगा से जल लेकर अमरनाथ यात्रा के लिए निकलते है। यह हिन्दू वर्ष का तीसरा माह होता है। इस समय पर गर्मी अपने चरम पर होती है इसलिए इस महीने में जल का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है। आज के दिन कुछ उपाय किये जाय तो कहते है की व्यक्ति को जीवन के सभी सुख और धन धन्य की प्राप्ति होती है। आइये जानते है इस दिन किये जाने वाले विशेष कार्य और उपाय क्या है? 

  • पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की व्रत कथा का श्रवण करने से व्यक्ति के सभी दुःख दूर होते है। 
  • ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पूजा के समय माँ लक्ष्मी जी को 11 कौड़ियाँ, हल्दी का तिलक अर्पित करें और अगले दिन इन्हें लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें इससे जीवन में सुख-समृद्धि और आर्थिक सम्पन्नता होती है। 
  • कहते है की आज के दिन पीपल के वृक्ष पर भगवान विष्णु जी देवी लक्ष्मी संग विराजते है इसलिये आज सुबह स्नान कर यदि एक लोटा कच्चा दूध मिला जल बताशे या चीनी डालकर पीपल के पेड़ को अर्पित किया जाय तो धन लाभ के योग बनते है। 
  • घर के मंदिर में भगवान विष्णु जी का फूलों से श्रृंगार कर उनके सामने दीपक जलाकर पूजा करना शुभ होता है। 

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