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हरतालिका तीज व्रत क्यों रखा जाता है | Hartalika Teej 2022 Date, Puja Vidhi, Mahatv, Vrat Katha in Hindi

हरतालिका तीज साल में आने वाले सभी व्रत त्यौहारों में से एक है। तीज का यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन विशेष महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाएं 24 घंटे का निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव व माता पार्वती का पूजा कर अखंड सौभाग्य की कामना करती है। 

इस दिन हस्त नक्षत्र में शिव-गौरी पूजा का विशेष महत्त्व है मान्यता है कि माता पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में प्राप्त करने के लिए हरितालिका तीज का व्रत रखा था। यह व्रत कुवारी और सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य के लिए रखा रखा जाता है, यह व्रत निर्जल रहकर किया जाता है। आज हम आपको इस लेख में साल 2022 हरितालिका तीज व्रत कब रखा जायेगा, hartalika teej 2022 date, पूजा का शुभ मुहूर्त, hartalika teej 2022 in hindi, पूजा विधि, teej kyu manaya jata hai, नियम, तीज पर निबंध हिंदी में, hartalika teej 2022 mein kab hai, तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, सरगी कब खायें, पानी कब पीना चाहिए, महत्त्व और इस दिन कौन से ऐसे काम है जिनका पालन आपको जरूर करना चाहिए इस बारे में बताएंगे 👇👇👇👇👇

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हरतालिका तीज व्रत 

हरतालिका तीज व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त 2022 (Hartalika Teej Date)

  • 👉 साल 2022 में हरतालिका तीज का व्रत - 30 अगस्त मंगलवार के दिन मनाया जायेगा।
  • 👉 तृतीया तिथि शुभ होगा - 29 अगस्त सांयकाल 3 बजकर 20 मिनट पर। 
  • 👉 तृतीया तिथि समाप्त होगा - 30 अगस्त सांयकाल 3 बजकर 33 मिनट पर। 
  • 👉 हरतालिका तीज प्रातःकाल पूजा का मुहूर्त होगा - प्रातःकाल 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 37 मिनट तक। 
  • 👉 पूजा की कुल अवधि - 02 घन्टे 36 मिनट का होगा।
  • 👉 हरतालिका तीज प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त होगा - सांयकाल 06 बजकर 33 मिनट से 08 बजकर 51 मिनट तक।
  • 👉 पूजा की कुल अवधि - 02 घन्टे 12 मिनट का होगा।

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हरतालिका तीज व्रत कब है 2022 (Hartalika Teej Kab Hai 2022)

यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। साल 2022 में 30 अगस्त मंगलवार के दिन हरतालिका तीज का व्रत है। 

हरतालिका तीज पूजन सामग्री

इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की मिटटी की मूर्ति बनाया जाता है इसलिए सबसे आवश्यक सामग्री काली मिट्टी और बालू (रेत), केले का पत्ता, फुलेरा, बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल, भस्म, पानी वाला नारियल, पान का पत्ता, गेंदे व गुलाब के फूल और माला, ऋतु फल, मेवा, मिष्टान, बेसन से बने माता पार्वती के जेवर, श्रृंगार का सामान, वस्त्र, धोती ये गमछा, घी, कपूर, रोली, सिंदूर, अक्षत, कलस, पंचामृत, आम का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलाइची अदि सामग्री को लेकर विधिवत पूजा कारन चाहिए। 

हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि (hartalika teej puja vidhi in hindi)

hartalika teej vrat puja vidhiहरतालिका तीज के दिन निर्जल व्रत कर माता पार्वती और भगवान शंकर की प्रातःकाल और प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त का समय प्रदोषकाल होता है। पूजा के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश जी की रेत व काली मिटटी से प्रतिमा बना लें। अब पूजा स्थल को साफ करें और एक साफ चौकी पर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें

अब कलश स्थापना करें एक मुठ्ठी चावल पर कलश रखें उसमे स्वस्तिक बनाये कलश के अंदर थोड़ा पानी, हल्दी, सुपारी और सिक्का डालें फिर आम का पत्ता रख एक चावल भरी कटोरी से ढक दे और उसके ऊपर दीपक जलाएं। कलश पूजन के बाद भगवान शिव माता पार्वती और गणेश जी की विधिवत पूजा व श्रृंगार करें। इसके बाद सभी देवी देवताओं का आह्वाहन कर विधिवत सभी का पूजन करें अब सुहाग की सारी वस्तुरे माता पार्वती को अर्पित कर व्रत कथा सुनें और रात्रि जागरण करें।अंत में आरती कर व्रत के अगले दिन व्रत का पारण कर ब्राह्मण को दान दक्षिणा देकर व्रत संपन्न करें।

hartalika teej ki hardik shubhkamnaye
हरतालिका तीज की हार्दिक शुभकामनाएं 

हरतालिका तीज व्रत के दिन सरगी कब खायें

सरगी की जहाँ तक बात है इस व्रत में भी बहुत सी जगहों पर करवाचौथ की तरह ही सूर्योदय से पूर्व उठकर सरगी खाई जाती है। हरतालिका तीज व्रत के दिन अगर आप भी सरगी खाते हैं तो इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर 5 बजे से पहले आपको सरगी ग्रहण कर लेनी चाहिए। सरगी खाने की समयावधि सूर्योदय से पहले ही ब्रह्म मुहूर्त में मानी गयी है। 
 

हरतालिका तीज व्रत के दिन पानी कब पिए

हरतालिका तीज का व्रत निर्जल रहकर पूर्ण किया जाता है लेकिन अगर आप किसी भी कारणवश हरतालिका तीज के व्रत में निरजल यानि कि बिना पानी के नहीं रह सकते हैं तो जिस दिन व्रत होता है यानि की 30 अगस्त की रात में 12 बजे के बाद आप जल ग्रहण कर सकते है। इसमें कोई संशय नहीं है। 

हरतालिका तीज व्रत का पारण कब करें

किसी भी व्रत का पारण करना बहुत ही जरुरी होता है, इससे व्रत का पूर्ण फल आपको मिलता है। इस वार हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जायेगा और अगले दिन यानि की 31 अगस्त को हरतालिका तीज व्रत का पारण किया जायेगा। 31 अगस्त को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि के बाद विधिवत भगवान गणेश और शिव गौरी का पूजन करें और फिर ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देने के बाद व्रत का पारण करें। 

हरतालिका तीज व्रत के नियम

यह व्रत महिलाएं और अविवाहित लड़कियां या कुंवारी कन्याओं अखंड सौभाग्य और योग्य वर पाने की इच्छा से रखती हैं, इसलिए इस व्रत के दिन कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं यदि यह व्रत उपवास करने वाले व्यक्ति द्वारा इन नियमों के पालन के साथ किया जाता है तो मान्यता है कि व्रती को इस व्रत का फल अवश्य हो प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं क्या हैं इस व्रत से जुड़े नियम?
  • 👉 शास्त्रों के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत जल का सेवन न करते हुए निर्जल रखकर करना चाहिए और व्रत के अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।
  • 👉 हरतालिका तीज का व्रत एक बार शुरू करने के बाद उसे नहीं छोड़ना चाहिए, हर साल इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करना चाहिए।
  • 👉 शास्त्रों के अनुसार इस दिन महिलाओं को किसी पर गुस्सा नहीं करना चाहिए।
  • 👉 यदि संभव हो तो व्रत की रात जागरण कर भजन-कीर्तन करके रात्रिजागरण करना चाहिए।
  • 👉 हरतालिका तीज के दिन दूसरों या किसी बड़े की बुराई का अपमान नहीं करना चाहिए।
  • 👉 हरतालिका तीज के दिन श्रृंगार को बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है, इसलिए महिलाओं को इस दिन सोलह श्रृंगार अवश्य करने चाहिए।
  • जो भी महिलाएं इस व्रत को करती है उन्हें पूर्ण श्रद्धा के साथ इस व्रत को रखना चाहिए। 
  • इस व्रत को करने के बाद इसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।
  • इस दिन महिलाओं को मेंहदी लगाकर 16 श्रृंगार करना चाहिए। 
  • किसी भी बड़े बूढ़े का अपमान ना करें। 

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हरतालिका तीज व्रत के कुछ नियम बहुत ही सख्त है

  • 👉 ऐसा माना जाता है अगर इस व्रत के दौरान पानी ग्रहण किया है तो अगले जन्म में मछली का जीवन मिलेगा।
  • 👉 यदि अपने इस व्रत में फलों का सेवन किया है तो अगले जन्म में आपको बन्दरिया का जन्म मिलेगा। 
  • 👉 वही अगर कोई इस दिन सो जाये तो उसे अजगर का जन्म मिलेगा।
  • 👉 जो इस दिन महिला इस व्रत में दूध पीती है वह अगले जन्म में सर्पनी बनती है ।
  • 👉 जो इस दिन शक़्कर खाती है वह मख्खी बनती है।
  • 👉 जो इस दिन मांस खाती है वह शेरनी बनती है।
  • 👉 जो इस दिन अन्य का सेवन करती है वह सुअरी बनती है।
नोट - इस लिए हरतालिका तीज का व्रत पूरे नियम और सयम के साथ करना चाहिए।

हरतालिका तीज व्रत क्यों मनाया जाता है? (teej kyu manaya jata hai)

भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। उस वक्त पार्वती के सहेलियो ने उन्हें हरण का लिया था इस कारण इस व्रत को हरतालिका तीज कहा गया है क्युकी हरत का मतलब होता है हरण या अपहरण करना और आलिका का मतलब होता है सखी या सहेली अर्थात सहेलियो के साथ मिलकर अपहरण करना इसीलिए इसे हरतालिका कहा गया है। 

माता पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्याएं और सौभाग्यवती महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखती है। और भगवान शिव व माता पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करती है। शिव जैसा पति पाने के लिए अविवाहित लड़कियां या कुंवारी कन्याएं इस व्रत को बड़े विधि-विधान से करती हैं।

हरतालिका तीज का महत्व

साल में आने वाली सभी चार चीजों में हरितालिका चीज का विशेष महत्त्व है। इस व्रत का सम्बन्ध भगवान शिव और माता पार्वती से है। मुख्य रूप से ये पर्व मनचाहे और योग्य वर की कामना के लिए रखा जाता है। सुहागिन महिलाओं की हरितालिका तीज में गहरी आस्था होती है। क्योंकि इस दिन महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है। इस व्रत के प्रभाव से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वति अखंड सौभग्य का वरदान देते है। वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की भी प्राप्ति होती है। 

हरतालिका तीज व्रत कथा 

रमणीक कैलाश पर्वत के शिखर पर बैठी हु पार्वतीजी कहती हैं - हे महेश्वर! हमे कोई गुप्त व्रत या पूजन बताइये। जो सब धर्मों में सरल हो, जिसमें परिश्रम भी काम करना पड़ें, लेकिन फल अधिक मिले। हे नाथ! यदि आप मुझपर प्रसन्न हो तो यह विधान बताइए। हे प्रभ! किस ताप, व्रत या दान आदि से मध्य और अंत रहिताप जैसे महाप्रभु हमको प्राप्त हुए हैं। 

शिवजी बोले - हे देवी! सुनो, मैं तुमको एक व्रत जो मेरा सर्वस्व और छिपाने योग्य है, लेकिन तुम्हारे प्रेम के वशीभूत होकर मैं तुम्हें बतलाता हूँ। शिवजी ने कहा - भारतवर्ष में जैसे - नक्षत्रों में चन्द्रमा, ग्रहों में सूर्य, वर्णों में ब्राह्मण, देवताओं में विष्णु भगवान, नदियों में गंगा, पुराणों में महाभारत, वेदों में सामवेद और इन्द्रियों में मन श्रेष्ठ है। 

सब पुराणों और वेदों का सर्वस्व जिस तरह कहा गया है, मैं तुम्हें एक प्राचीन व्रत बतलाता हूँ, एकाग्र मन से सुनो। जिस व्रत के प्रभाव से तुमने मेरा आधा आसन प्राप्त किया है, वह मैं तुमको बतलाऊंगा, क्योकिं तुम मेरी प्रेयसी हो। भाद्रपद मास में हस्त नक्षत्र से युक्त शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को उसका अनुष्ठान मात्र करने से स्त्रियाँ सब पापों से मुक्त हो जाती है। 

हे देवी! तुमने आज से बहुत दिनों पहले हिमालय पर्वत पर इस व्रत को किया था, यह वृत्तांत मैं तुमसे कहूंगा। पार्वतीजी ने पूछा - हे नाथ! मैंने क्यों यह व्रत किया था, यह सब आपके मुख से सुनना चाहती हूँ। उत्तर की ओर एक बड़ा रमणीक और पर्वतों में श्रेष्ठ हिमवान नामक पर्वत है। उसके आस-पास, तरह-तरह की भूमियां हैं, तरह-तरह के वृक्ष उसपर लगे हुए हैं। नाना प्रकार के पक्षी और अनेक प्रकार के पशु उसपर निवास करते हैं।

वहीँ पहुंचकर गंधर्वों के साथ बहुत से देवता, सिद्ध, चारण, पक्षगण सर्वदा प्रसन्न मन से विचरण करते हैं। वहां पहुंचकर गन्धर्व गाते हैं, अप्सराएं नाचती है। उस पर्वतराज के कितने ही शिखर ऐसे है की जिसमें स्फटिक, रत्न और वैदूर्यमणि आदि की खाने भरी है। यह पर्वत ऊँचा तो इतना अधिक है कि मित्र के घर की तरह समझकर आकाश का स्पर्श किये रहता है।

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