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पितृ पक्ष श्राद्ध कब से शुरू है 2021 इस दिन क्या करना चाहिए | Pitru Paksha 2021, Vrat Katha in HIndi

पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण पक्ष माना गया है। शास्त्रों के अनुसार पितृ देव स्वरुप होते है ,इस पक्ष में पित्तरों के नाम से दान, दर्पण तथा श्राद्ध जैसे कार्य किये जाते है। माना जाता है कि जो भी इन कार्यो को श्रद्धापूर्वक करता है तो उनपर पित्तरों का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। मान्यता है कि पितृपक्ष में किया गया श्राद्ध कर्म संसारिक जीवन को सुखमय बनाता है। हर साल Pitru Paksha - पितृपक्ष के बाद नवरात्री शुरू होती है। 

पितृ पक्ष के इन 16 दिनों को 16 श्राद्ध भी कहते है। धार्मिक मान्यता जो है पितृ पक्ष को लेकर इसमें ये कहा जाता है कि पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके तर्पण के लिए श्राद्ध किया जाता है। आज इस लेख में हम आपको श्राद्ध का अर्थ, पितृपक्ष 2021 कब से शुरू हो रहे है और कब से कब तक है, पित्रपक्ष 2021, सभी महत्वपूर्ण तिथियां, 2021 में श्राद्ध कब से शुरू है, पित्तर किसे कहते है, पितृपक्ष में क्या करना चाहिए और किन बातों को आपको विशेष ख्याल रखना चाहिए इस बारे में बताएँगे।

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पितृ पक्ष श्राद्ध कब से शुरू है 2021 इस दिन क्या करना चाहिए | Pitru Paksha 2021, Vrat Katha in HIndi
पितृ पक्ष

श्राद्ध का क्या अर्थ होता है - श्राद्ध किसे कहते है

श्राद्ध का अर्थ होता है श्रद्धा पूर्वक अपने पित्तरों के प्रति सम्मान प्रकट करना तो पितृ पक्ष में हम श्रद्धा पूर्वक अपने पित्तरों के लिए सम्मान प्रकट करते है। बहुत ही ज्यादा विशेष महत्त्व होता है श्रद्धा का हिन्दू धर्म में। सनातन मान्यता के अनुसार जो परिजन अपना शरीर त्याग कर चले जाते है उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए हम श्रद्धा भाव से तर्पण करते है और उसे ही श्राद्ध कहा जाता है। ऐसी मान्यता है की मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते है। ताकि वह स्वजनो के यहाँ जाकर तर्पण ग्रहण कर सके।

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श्राद्ध पक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां या श्राद्ध कब से शुरू है 2021 (pitru paksha 2021)

भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा तिथि में हर साल पितृ पक्ष का आरंभ हो 

जाता है साल 2021 में पितृ पक्ष का आरंभ 20 सितंबर से होगा और पितृ पक्ष का समापन 6 अक्टूबर 2021 बुधवार को अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन होगा। इसी दिन पितृ विसर्जन किया जायेगा।

  • 👉 पूर्णिमा का श्राद्ध होगा - 20 सितंबर 2021 सोमवार। 
  • 👉 प्रतिपदा का श्राद्ध होगा - 21 सितंबर 2021 मंगलवार। 
  • 👉 द्वितीया का श्राद्ध होगा - 22 सितंबर 2021 बुधवार। 
  • 👉 तृतीया का श्राद्ध होगा - 23 सितंबर 2021 गुरुवार। 
  • 👉 चतुर्थी का श्राद्ध होगा - 24 सितंबर 2021 शुक्रवार। 
  • 👉 पंचमी का श्राद्ध होगा - 25 सितंबर 2021 शनिवार। 
  • 👉 षष्ठी का श्राद्ध होगा - 27 सितंबर 2021 सोमवार। 
  • 👉 सप्तमी का श्राद्ध होगा - 28 सितंबर 2021 मंगलवार। 
  • 👉 अष्टमी का श्राद्ध होगा - 29 सितंबर 2021 बुधवार। 
  • 👉 नवमी का श्राद्ध होगा - 30 सितंबर 2021 बुधवार। 
  • 👉 दशमी का श्राद्ध होगा - 1 अक्टूबर 2021 शुक्रवार। 
  • 👉 एकादशी का श्राद्ध होगा - 2 अक्टूबर 2021 शनिवार। 
  • 👉 द्वादशी मघा श्राद्ध होगा - 3 अक्टूबर 2021 रविवार। 
  • 👉 त्रयोदशी का श्राद्ध होगा - 4 अक्टूबर 2021सोमवार। 
  • 👉 चतुर्दशी का श्राद्ध होगा - 5 अक्टूबर 2021 मंगलवार
  • 👉 सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध होगा - 6 अक्टूबर 2021 बुधवार। 

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पित्तर किसे कहा जाता है

पित्तर हम उन्हें कहते है जरुरी नहीं है जो सिर्फ माता-पिता हो या फिर सास-ससुर हो, बुजुर्ग जो घर के गुजर गए हो उसे ही हम पित्तर कहते है। पित्तर किसी भी परिजन चाहे वो विवाहित हो, अविवाहित हो, घर का कोई बच्चा हो, बुजुर्ग हो, महिला हो, पुरुष हो जिनकी भी मृत्यु हो चुकी है परिवार में उन्हें पित्तर कहा जाता है। पितृ पक्ष में मृत्युलोक में ये पितृ पृथ्वी पर आकर अपने परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं।

पितृ पक्ष में पित्तरों की आत्मा की शांति के लिए ही उनको तर्पण किया जाता है पित्तर अगर प्रसन्न होते है तो घर में, आपके जीवन में हर तरह की सुख शांति बनी रहती है। दोस्तों बहुत बड़ा दोष होता है पितृ दोष तो हमे अपने पित्तर को इन श्राद्ध के दिनों में, पितृपक्ष में जरूर देना चाहिए वो तर्पण अगर ग्रहण करते है। जीवन की जो भी समस्याएं है समस्त समस्याएं ख़त्म हो जाती है।

पितृ पक्ष कब बनता है


पितृ पक्ष 15 दिन जो पितरों को समर्पित होते है वो शुरू होता है भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि को और पूर्णिमा तिथि से आश्विन माह की अमावस्या तिथि तक ये जो 15 दिन होते है यही पितृ पक्ष होते है। भाद्रपद पूर्णिमा को श्राद्ध उन लोगों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु वर्ष की किसी भी पूर्णिमा तिथि को हुई थी। दोस्तों शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि साल के किसी भी पक्ष में जिस तिथि को परिजन का देहान्त हुआ है उनका श्राद्ध कर उसी तिथि को करना चाहिए। 

तो 15 दिन में वो एक तिथि आती है तो यह ध्यान रखना है जिस भी तिथि में देहांत हुआ है प्रिजन का उस तिथि को  उनका श्राद्ध कर्म करें। जब तिथि याद ना हो तो ऐसे में क्या करना चाहिए पिर्र पक्ष में पूर्वजों को याद करते हुए उनकी पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। बहुत सारे लोग होते है जिनकी मृत्यु की तिथि याद नहीं रहती तो ऐसे स्थिति में शास्त्रों में इसका भी उपाय बताया गया है शास्त्रों में वर्णित है  यदि किसी को अपने पित्तरों के देहावसान की तिथि मालुम ना हो तो ऐसे तिथि में अश्विन मास की अमावस्या तिथि को उनका तर्पण किया जा सकता है।

इसीलिए इस अमावस्या सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है। इसके बाद अगर परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए। आप अपने पिता का श्राद्ध कर्म कब करेंगे पिता का श्राद्ध कर्म शास्त्रों में वर्णित है की अष्टमी  तिथि को होना चाहिए और माता का श्राद्ध नवमी तिथि को करने की मान्यता है।

पितृपक्ष का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि पित्तरों के प्रसन्न होने पर देवी-देवता प्रसन्न रहते है क्योंकि पित्तरों को भी देवतुल्य समझा जाता है पित्तरो को समर्पित यह श्राद्धपक्ष भादो पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलता है। यह पक्ष विशेष रूप से पित्तरो के लिए ही बनाया गया है इसलिए पितृपक्ष में पित्तरों का तर्पण और श्राद्ध करने का विशेष महत्त्व है। इस पक्ष में पित्तरों के निमित्त दान और श्राद्ध कर्म करने से व्यक्ति को पित्तरों का आशीर्वाद मिलता है और उनके आशीर्वाद से जीवन से दुःख परेशानिया दूर होती है।

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पितृ पक्ष में क्या करें क्या ना करें

शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में कई बातों और नियमों का पालन प्रत्येक व्यक्ति के लिए जरूरी बताया गया है जैसे 👇👇👇👇👇

  • 👉 श्राद्ध पक्ष के दौरान मसूर की दाल, अलसी, कुलथी इन दालों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • 👉 इस दौरान तामसिक भोजन भी नहीं ग्रहण करना चाहिए।
  • 👉 पितृ पक्ष में पित्तरों का अपमान ना करें।
  • 👉 पितृ पक्ष में घर पर आये व्यक्ति या किसी जरूरतमंद का अपमान ना करें।
  • 👉 पितृ पक्ष में घर में कलश आदि नहीं करना चाहिए।
  • 👉 पितृ पक्ष में पित्तरों का तर्पण और श्राद्ध अवश्य करें क्योंकि इस समय पर पित्तर धरती पर उपस्थित होते है।
  • 👉 पितृ पक्ष में गाय, कुत्ते और कौए को भोजन कराना चाहिए।
  • 👉 इस दौरान पित्तरों के नाम से दान जरूर करना चाहिए।
  • 👉 पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराकर अपने सामर्थ के अनुसार दान-दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। 

पितृ पक्ष में देवताओं की पूजा करें या ना करें

शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि देवी-देवताओं की पूजा सुबह के समय किया जाता है। वाही पितृगणों की पूजा के लिए दोपहर का समय शुभ होता है। इसलिए पितृपक्ष के दौरान नियमित रुप से रोजाना की तरह ही देवी-देवताओं की पूजा करना चाहिए। 

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पितृ पक्ष की कथा

ऐसा कहा जाता है की जब महाभारत के युद्ध में दानवीर कर्ण का निधन हो गया और उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंच गई  तो उन्हें नियमित भोजन के बजाय खाने के लिए सोने के आभूषण दिए जाने लगे, गहने दिए जाने लगे इस पर बहुत निराश हुए और कर्ण की आत्मा ने इंद्र देव से देवराज इंद्र से इसका कारण पूछा तब देवराज इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने पुरे जीवन में सोने के आभूषणों को दुसरे को दान दिया लेकिन कभी भी अपने पूर्वजों का तर्पण नहीं किया

तब कर्ण ने उत्तर दिया कि वह अपने पूर्वजों के बारे में नही जानते है और उसे सुनने का बद भगवान इंद्र ने उन्हें 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर वापस जाने की अनुमति दी ताकि वह इस बीच अपने पूर्वजों को भोजन दान कर सके 15 दिनों की इस अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाने लगा। तो  पितृ पक्ष शुरुआत महाभारत काल से हुई है।

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