धार्मिक व ज्योतिष अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते है तो खरमास प्रारम्भ हो जाता है। खरमास लगते ही सभी प्रकार के मांगलिक कार्यो में रोक लग जाता है। साल 2020 में खरमास 16 दिसंबर से लगने जा रहा है जो की 15 जनवरी 2021 को समाप्त होगा। शास्त्रों में पौष माह को खरमास का महीना माना गया है। इस माह में भले ही मांगलिक कार्य न किये जाते हो लेकिन यह माह भगवान की पूजा-अर्चना की दृष्टि से बेहतर माना गया है। आज इस लेख में मैं आपको साल 2020 खरमास कब से कब तक रहेगा, खरमास में की जाने वाली पूजा और इस माह में क्या करें, क्या ना करें इन सभी बातों के बारे में बताएंगे।
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खरमास |
खरमास 2020 कब से कब तक - Kharmas 2020
- खरमास प्रारम्भ होगा - 16 दिसंबर शाम 6 बजकर ३० मिनट पर।
- खरमास समाप्त होगा - 15 जनवरी सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर।
साल 2020 में खरमास 16 दिसंबर मंगलवार से लगने जा रहा है। 16 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में गोचर करेंगे जिसके साथ ही खरमास प्रारम्भ होगा।इसे धनु संक्रांति भी कहते है। खरमास का समापन साल 2021 में 15 जनवरी गुरुवार के दिन होगा। इस दिन मकर संक्रांति होगा, मकर संक्रांति शुरु होने के साथ ही खरमास का समापन हो जायेगा।
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खरमास क्यों लगता है?
हमारे पृथ्वी पर जो ग्रह है उनके चाल होते है। खगोलीय घटनाये नित्य-प्रतिदिन चलते रहते है ऐसे में खरमास लगने का जो समय होता है वह दिसंबर से जनवरी में लगता है। माना जाता है की जो सूर्य है वह धनु राशि में गोचर करते है तो ऐसे में खरमास का माह प्रारम्भ होता है और जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाते है तब खरमास महीना ख़त्म हो जाता है तो सूर्य के धनु में गोचर होने से लेकर सूर्य को में जाने तक के समय को हम खरमास कहते है। इस समय माना जाता है की सूरीजो प्रबलतम ग्रहो में है उनकी शक्ति क्षीण हो जाती है इसलिए माना जाता है की सूर्य इस वक्त अस्त है और ऐसे में तमाम मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते है तो खरमास के महीने में मांगलिक कार्यो को को करना निषेध माना गया है।
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खरमास पूजा विधि
खरमास में भगवान विष्णु जी की पूजा किया जाता है।इस माह सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान के बाद भगवान विष्णु जी की प्रतिमा को साफ चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित कर लें। इसके बाद केसर मिले दूध से भगवान विष्णु जी का अभिषेक करें। अब उन्हें पीले फल-फूल ,नैवेद्य, पंचमेवा अर्पित करें और उनके समक्ष धुप-दीप जलाये। इसके बाद की कथा अवश्य सुने और भोग के रूप में तुलसी पत्र डाली खीर का भोग लगाए। अंत में भगवान विष्णु जी की आरती करें। खरमास में गीता पाठ अवश्य करना चाहिए पूजा में ॐ नमः भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए किसी ब्राह्मण या जरूरतमंत व्यक्ति को कुछ दान अवश्य करें।
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खरमास मास में क्या करें
- शास्त्रों के अनुसार खरमास का महीना भगवान के आराधना की दृष्टि से शुभ होता है। इसलिए इस माह में सुबह सूर्योदय से पहले उठक्र स्नान बाद भगवान का स्मरण करना चाहिए।
- खरमास में सूर्यदेव उपासना और भगवान विष्णु जी की उपासना करना बहुत ही लाभकारी होता है।
- खरमास में सूर्यदेव की पूजा के समय उनसे सम्बंधित मन्त्रों का जाप करते रहना।
- यदि कोई व्यक्ति इस माह में ब्राह्मण, गुरु, गाय की सेवा करता है तो उसे पुण्य फल प्राप्त होता है।
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खरमास मास में क्या ना करें
- खरमास के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य जैसे - विवाह, गृह प्रवेश, अमूल्य वस्तुओं की खरीदारी आदि नहीं करना चाहिए।
- इस माह के नियमों के अनुसार व्यक्ति को तामसिक भोजन का सेवन, शहद, चौलाई, उड़द, तिल के तेल से बचाना चाहिए।
- खरमास भगवान भक्ति का महीना है ऐसे में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और किसी की निंदा या झूठ से बचाना चाहिए।
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खरमास माह की कथा
पौराणिक कथा अनुसार सूर्यदेव अपने सात घोड़ो के रथ पर सवार होकर पुरे ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाते है।वे कही पर भी नहीं रुकते माना जाता है की उनके रुकते ही पृथ्वी पर सब कुछ अस्त-व्यस्त हो जायेगा। लेकिन उनके घोड़े लगातार चलने की वजह से भूख और प्यास से थक जाते है। जिसे देखकर सूर्यदेव को उनके ऊपर दया आ गया। जिसके बाद सूर्यदेव उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए उसी समय सूर्यदेव को ध्यान आया की अगर वे रुके तो पृथ्वी पर सब कुछ -व्यस्त जायेगा।
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लेकिन उस तालाब पर दो गधे थे जिसके कारण सूर्यदेव ने गधो को रथ से बांध लिया और घोड़ो विश्राम करने और पानी पिने के लिए तालाब पर छोड़ दिया। गधो अपने रथ से बांधने के कारण सूर्यदेव की गति धीमी हो गई लेकिन फिर भी सूर्यदेव उन्ही गधो से एक माह का चक्कर पूर्ण कर लेते है यह क्रम आगे भी इसी तरह चलता रहा और हर सौ वर्ष में एक सौरमास को खरमास कहा जाता है। जिसकी वजह से पृथ्वी पर इस मास में सभी शुभकार्य वर्जित होते है।
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