सुन्दर कर्म और शुभ पर्व हर पल सुख हर दिन शांति आप सब के लिए लाये मकर संक्रांति।
मकर संक्रांति का पर्व साल भर में आने वाले सभी प्रमुख व्रत त्यौहारों में से एक है। मकर शब्द का अर्थ मकर राशि से और संक्रांति का प्रवेश करने से है, मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। जबकि उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है।
ज्योतिष के अनुसार सूर्य इस दिन धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है जिस कारण इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। वैसे तो सूर्यदेव हर एक महीने में एक से दूसरी राशि में विचरण करते रहते हैं लेकिन जब सूर्य मकर राशि में आते है इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। साल 2025 में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जायेगा।
मकर संक्रांति को खिचड़ी, उत्तरायण, पोंगल व् बिहू आदि नामो से जाना जाता है। इस साल मकर संक्रांति पर कई शुभ योग बनने के कारण इसका महत्त्व कहीं अधिक होगा और इस दिन से खरमास भी समाप्त हो जायेगा। आज हम आपको साल 2025 में मकर संक्रांति पर्व किस दिन मनाया जायेगा, मकर संक्रांति कब मनाई जाती है, पूजा का मुहूर्त, पूजा विधि, महापुण्य काल शुभमुहूर्त और इसके महत्त्व के बारे में बताएँगे।
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मकर संक्रांति का त्यौहार |
खिचड़ी का त्यौहार कब है
मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? (makar sankranti kyu manaya jata hai)
मकर संक्रांति का त्यौहार सूर्य के राशि परिवर्तन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में संक्रमण होता है, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है।यह भी पढ़ें:
makar sankranti kab manaya jata hai
- पंजाब में लोहड़ी
- तमिलनाडु में पोंगल
- गुजरात में उत्तरायण
- असम में माघ बिहू
makar sankranti kis liye manaya jata hai
मकर संक्रांति मनाने के कारण:
1. सूर्य की उत्तरायण यात्रा:
- मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है, जो सकारात्मक ऊर्जा, ज्ञान, और समृद्धि का प्रतीक है।
- इसे आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति का समय माना जाता है।
2. कृषि और नई फसल का उत्सव:
- यह समय नई फसलों के कटाई का भी होता है।
- किसान अपनी मेहनत का फल पाकर खुशियां मनाते हैं।
3. तिल-गुड़ का महत्व:
- तिल और गुड़ से बने पकवान इस दिन विशेष रूप से खाए जाते हैं। यह गर्माहट और मिठास का प्रतीक है, जो रिश्तों में प्रेम और अपनापन बढ़ाने का संदेश देता है।
4. स्नान, दान और पूजा का पर्व:
- इस दिन पवित्र नदियों (गंगा, यमुना आदि) में स्नान और दान करना शुभ माना जाता है।
- दान-पुण्य से धर्म और मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास है।
5. विभिन्न राज्यों में त्योहार का स्वरूप:
- पोंगल (तमिलनाडु), लोहड़ी (पंजाब), बीहू (असम) और उत्तरायण (गुजरात) जैसे त्योहार भी मकर संक्रांति के रूप में मनाए जाते हैं।
संदेश:
मकर संक्रांति 2025 तिथि व शुभ मुहूर्त (makar sankranti 2025 date)
- हिंदू पंचांग' के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2025 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे।
- उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है। ऐसे में मकर संक्रांति 15 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी।
- साल 2025 में मकर संक्रांति का पर्व - 14 जनवरी मंगलवार के दिन मनाया जायेगा।
- उत्त्तरायण संक्रांति का क्षण रहेगा - 14 जनवरी शनिवार रात्रि 8 बजकर 57 मिनट पर।
- संक्रांति पुण्यकाल मुहूर्त होगा - 15 जनवरी शनिवार प्रातःकाल 6 बजकर 37 मिनट से शाम 6 बजकर 17 मिनट तक।
- मुहूर्त की कुल अवधि - 11 घंटा 40 मिनट का होगा।
- संक्रांति महापुण्य काल शुभ मुहूर्त होगा - 15 जनवरी शनिवार प्रातःकाल 6 बजकर 37 मिनट से प्रातःकाल 8 बजकर 33 मिनट तक।
- मुहूर्त की कुल अवधि - 1 घंटे 56 मिनट का होगा।
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मकर संक्रांति कब मनाई जाती है (makar sankranti kab manaya jata hai)
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मकर संक्रांति पूजा विधि (Makar Sankranti Puja Vidhi)
पहली पूजा विधि
दूसरी पूजा विधि
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
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makar sankranti 2025 |
मकर संक्रांति का क्या अर्थ है
- "मकर": यह राशि चक्र की दसवीं राशि है, जिसे मकर राशि कहा जाता है।
- "संक्रांति": इसका अर्थ है "सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना।"
मकर संक्रांति का अर्थ और महत्व:
1. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश:
- इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इसे खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि सूर्य इस दिन से उत्तरायण (उत्तर दिशा की ओर) होना शुरू करता है।
- इसे नई शुरुआत और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।
2. ऋतु परिवर्तन:
- यह त्योहार सर्दियों के अंत और वसंत ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है।
3. सुख, समृद्धि और धर्म का पर्व:
- इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान, पूजा और दान-पुण्य करते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
- "तिल-गुड़" खाने और देने का संदेश है: "तिल जैसा कड़वा छोड़ो, गुड़ जैसी मिठास लाओ।"
4. प्रकृति और कृषि का उत्सव:
- फसल कटाई का समय होने के कारण यह किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है। इसे उनकी मेहनत का उत्सव भी कहा जा सकता है।
मकर संक्रांति का महत्त्व
मकर संक्रांति पर खिचड़ी का महत्त्व
मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है
मकर संक्रांति मनाने के तरीके:
1. स्नान और पूजा:
- इस दिन पवित्र नदियों (जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी) में स्नान करना शुभ माना जाता है।
- लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।
2. दान-पुण्य:
- मकर संक्रांति पर गरीबों को तिल, गुड़, कंबल, अनाज और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- इसे धर्म और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग कहा गया है।
3. तिल और गुड़ का महत्व:
- इस दिन तिल-गुड़ के लड्डू, खिचड़ी, गजक, और अन्य मिठाइयों का सेवन किया जाता है।
- तिल और गुड़ को एक-दूसरे को बांटकर लोग प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं।
4. पतंगबाजी:
- गुजरात, राजस्थान, और महाराष्ट्र में इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है।
- इसे "उत्तरायण" भी कहा जाता है।
5. खेतों और फसलों का उत्सव:
- किसान इस दिन नई फसल की पूजा करते हैं और उत्सव मनाते हैं।
- पंजाब में इसे लोहड़ी और तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाया जाता है।
6. लोक नृत्य और गाने:
- अलग-अलग राज्यों में लोग इस दिन नृत्य, संगीत और मेलों का आयोजन करते हैं।
- पंजाब में गिद्दा और भांगड़ा, तमिलनाडु में कोलाट्टम जैसे नृत्य इस दिन खास होते हैं।
7. खिचड़ी का पर्व:
- उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी बनाकर भगवान को अर्पित की जाती है और प्रसाद के रूप में बांटी जाती है।
- इसे "खिचड़ी पर्व" भी कहा जाता है।
8. राज्यों के अनुसार उत्सव:
- उत्तर भारत: खिचड़ी और दान की परंपरा।
- पश्चिम भारत: पतंगबाजी और तिल-गुड़ की मिठाई।
- दक्षिण भारत: पोंगल उत्सव के रूप में, गायों की पूजा।
- पूर्वोत्तर: असम में इसे "बीहू" कहते हैं, जहां नृत्य और उत्सव का आयोजन होता है।
मकर संक्रांति उपाय
मकर संक्रांति पर कविता (makar sankranti kavita in hindi)
मकर संक्रांति पर कविता
makar sankranti essay in hindi
मकर संक्रांति पर निबंध
प्रस्तावना:
मकर संक्रांति का अर्थ:
मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
मकर संक्रांति मनाने के तरीके:
1. उत्तर भारत:
- गंगा, यमुना, गोदावरी आदि नदियों में स्नान और दान-पुण्य।
- तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का सेवन।
- खिचड़ी का प्रसाद बनाना और बांटना।
2. गुजरात और राजस्थान:
- यहां पतंगबाजी का विशेष महत्व है। यह त्योहार "उत्तरायण" नाम से मनाया जाता है।
3. तमिलनाडु:
- इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं। नई फसल की पूजा की जाती है और गायों को सजाया जाता है।
4. पंजाब:
- इसे लोहड़ी के नाम से एक दिन पहले मनाया जाता है। लोग अलाव जलाकर नृत्य और भांगड़ा करते हैं।
5. असम:
- इसे माघ बिहू के नाम से मनाया जाता है, जिसमें खेतों में दावत और नृत्य का आयोजन होता है।
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