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मकर संक्रांति 2025: जानें इस साल का शुभ मुहूर्त और महत्व | makar sankranti kyu manaya jata hai

सुन्दर कर्म और शुभ पर्व हर पल सुख हर दिन शांति आप सब के लिए लाये मकर संक्रांति

मकर संक्रांति का पर्व साल भर में आने वाले सभी प्रमुख व्रत त्यौहारों में से एक है। मकर शब्द का अर्थ मकर राशि से और संक्रांति का प्रवेश करने से है, मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। जबकि उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। 

ज्योतिष के अनुसार सूर्य इस दिन धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है जिस कारण इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। वैसे तो सूर्यदेव हर एक महीने में एक से दूसरी राशि में विचरण करते रहते हैं लेकिन जब सूर्य मकर राशि में आते है इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। साल 2025 में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जायेगा। 

मकर संक्रांति को खिचड़ी, उत्तरायण, पोंगल व् बिहू आदि नामो से जाना जाता है। इस साल मकर संक्रांति पर कई शुभ योग बनने के कारण इसका महत्त्व कहीं अधिक होगा और इस दिन से खरमास भी समाप्त हो जायेगा। आज हम आपको साल 2025 में मकर संक्रांति पर्व किस दिन मनाया जायेगा, मकर संक्रांति कब मनाई जाती है, पूजा का मुहूर्त, पूजा विधि, महापुण्य काल शुभमुहूर्त और इसके महत्त्व के बारे में बताएँगे

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मकर संक्रांति ( Makar Sankranti 2025 ) का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
मकर संक्रांति का त्यौहार 

खिचड़ी का त्यौहार कब है

खिचड़ी का त्यौहार मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल 14 या 15 जनवरी को होता है। 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन खिचड़ी बनाना और खाना शुभ माना जाता है, साथ ही दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है।

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? (makar sankranti kyu manaya jata hai)

मकर संक्रांति का त्यौहार सूर्य के राशि परिवर्तन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में संक्रमण होता है, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है

सूर्य इस जिव जगत की आत्मा है हम सबके जीवन का आधार है इस दिन से ही सूर्य पूर्व से उत्तर दिशा की और उदित होते है इसलिए इस दिन को उत्तरायण के नाम से भी मनाया जाता है, गुजरात, राजस्थान इन शहरों में उत्तरायण की धूम होती है पंजाब, हरियाणा में माघी पर्व के नाम से इस त्यौहार को मनाया जाता है। 

साथ ही साथ मुंबई में इसे तिलकूट के नाम से मनाते है असम में इस त्यौहार को बिहु कहते है और दक्षिण भारत में पोंगल कहते है, पूरा भारत में इस त्यौहार को इन सब अलग-अलग नामों से मनाया जाता है और भगवान सूर्य से प्रार्थना करता है की हम सब के जीवन में प्रकाश दे उजाला दे

जब सूर्य उत्तरायण में होता है तब यह देवताओं का दिन होता है और जब सूर्य दाक्षिरायण में होता है तब यह देवताओं की रात होती है यानि मकर संक्रांति से लेकर कर्क संक्रांति तक देवताओं का दिन है इस बीच ऐसा कहते है आस-पास के वातावरण में रज और सतगुण का वास होता है इसलिए इस दिन से सभी शुभ कार्य भी शुरू हो जाते है विवाह अच्छे-अच्छे, नए-नए कार्य गृह प्रवेश कोई भी सामान लेना हो यह सभी कार्य इस दिन से शुरू हो जाते है

Makar Sankranti | makar sankranti 2020 | मकर संक्रांति
makar sankranti kyu manaya jata hai

makar sankranti kab manaya jata hai

मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है। यह त्योहार सूर्य देवता के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कुछ सालों में यह त्योहार 15 जनवरी को भी हो सकता है, लेकिन अधिकांश समय यह 14 जनवरी को ही पड़ता है।

यह त्योहार पूरे भारत में विभिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है, जैसे:
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  • पंजाब में लोहड़ी
  • तमिलनाडु में पोंगल
  • गुजरात में उत्तरायण
  • असम में माघ बिहू

मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य, तिल-गुड़ खाने और पतंग उड़ाने की परंपरा है। इसे नई ऊर्जा, खुशी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

makar sankranti kis liye manaya jata hai

मकर संक्रांति एक प्रमुख हिंदू पर्व है जो हर वर्ष 14 जनवरी (कभी-कभी 15 जनवरी) को मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से सूर्य देव को समर्पित है और उनकी मकर राशि (मकर) में प्रवेश का उत्सव है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होना शुरू करता है, यानी पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।

मकर संक्रांति मनाने के कारण:

1. सूर्य की उत्तरायण यात्रा:

  • मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है, जो सकारात्मक ऊर्जा, ज्ञान, और समृद्धि का प्रतीक है।
  • इसे आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति का समय माना जाता है।

2. कृषि और नई फसल का उत्सव:

  • यह समय नई फसलों के कटाई का भी होता है।
  • किसान अपनी मेहनत का फल पाकर खुशियां मनाते हैं।

3. तिल-गुड़ का महत्व:

  • तिल और गुड़ से बने पकवान इस दिन विशेष रूप से खाए जाते हैं। यह गर्माहट और मिठास का प्रतीक है, जो रिश्तों में प्रेम और अपनापन बढ़ाने का संदेश देता है।

4. स्नान, दान और पूजा का पर्व:

  • इस दिन पवित्र नदियों (गंगा, यमुना आदि) में स्नान और दान करना शुभ माना जाता है।
  • दान-पुण्य से धर्म और मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास है।

5. विभिन्न राज्यों में त्योहार का स्वरूप:

  • पोंगल (तमिलनाडु), लोहड़ी (पंजाब), बीहू (असम) और उत्तरायण (गुजरात) जैसे त्योहार भी मकर संक्रांति के रूप में मनाए जाते हैं।

संदेश:

मकर संक्रांति न केवल प्राकृतिक बदलाव का पर्व है, बल्कि यह हमें एकता, प्रेम, और समृद्धि की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।

मकर संक्रांति 2025 तिथि व शुभ मुहूर्त (makar sankranti 2025 date)

  • हिंदू पंचांग' के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2025 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे।
  • उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है। ऐसे में मकर संक्रांति 15 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी।
  • साल 2025 में मकर संक्रांति का पर्व - 14 जनवरी मंगलवार के दिन मनाया जायेगा।
  • उत्त्तरायण संक्रांति का क्षण रहेगा - 14 जनवरी शनिवार रात्रि 8 बजकर 57 मिनट पर। 
  • संक्रांति पुण्यकाल मुहूर्त होगा15 जनवरी शनिवार प्रातःकाल 6 बजकर 37 मिनट से शाम 6 बजकर 17 मिनट तक। 
  • मुहूर्त की कुल अवधि - 11 घंटा 40 मिनट का होगा
  • संक्रांति महापुण्य काल शुभ मुहूर्त होगा - 15 जनवरी शनिवार प्रातःकाल 6 बजकर 37 मिनट से प्रातःकाल 8 बजकर 33 मिनट तक। 
  • मुहूर्त की कुल अवधि - 1 घंटे 56 मिनट का होगा

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मकर संक्रांति कब मनाई जाती है (makar sankranti kab manaya jata hai)

सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते है। ज्योतिष अनुसार सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाना ही मकर संक्रांति कहलाता है। इस समय सूर्य दाक्षिरायण से उत्तरायण हो जाता है। मकर संक्रांति का पर्व साल भर में आने वाले सभी प्रमुख व्रत त्यौहारों में से एक है। मकर शब्द का अर्थ मकर राशि से और संक्रांति का अर्थ प्रवेश करने से है। कुछ जगहों पर मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। साल 2025 में मकर संक्रांति का पर्व 14 जावरी दिन मंगलवार को मनाया जायेगा। 

मकर संक्रांति पूजा विधि (Makar Sankranti Puja Vidhi)

पहली पूजा विधि 

शास्त्रों में मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्त्व बताया गया है इसलिए यदि संभव हो तो इस दिन प्रातःकाल उठकर किसी नदी, तालाब या शुद्ध जलाशय में स्नान करें नहीं तो सूर्योदय से पहले उठकर तिल मिले पानी से स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव की आराधना कर उन्हें जल का अर्घ्य देकर ॐ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करें

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस दिन तीर्थो में गंगा स्नान और दान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। स्नान आदि के बाद ब्राह्मणो व गरीबो को दान करना भी बहुत शुभ होता है, विशेष रूप से इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल से बने लड्डू दिए जाते है। अंत से सभी में तिल व गुड़ प्रसाद वितरण करना चाहिए

दूसरी पूजा विधि 

मकर संक्रांति के दिन हो सके तो सुबह सूर्य उदय से पहले जागने की कोशिश करे ऐसा नहीं कर सकते तो जब भी आप जगे जल्दी से जल्दी आप नहाने की कोशिश करे क्युकी मकर संक्रांति के दिन के स्नान का विशेष महत्त्व होता है और इस दिन स्नान से पहले हो सके तो तिल के तेल की मालिस करना चाहिए तिल का तेल ना मिले तो आप यदि तिल मिलते है तो उनसे अपने ऊपर उपटन करिए यह सभी चीजे सौभाग्य वर्धक होती है

यदि आप कर सकते है तो अवश्य करिये और उसके बाद नहाने के पानी में रक्त चन्दन और बेल के पत्ते डालकर स्नान करना चाहिए, सूर्य देवता के पूजन में यह सभी चीजे बहुत ही महत्पूर्ण होती है तो इस तरह से स्नान करिये सभी तीर्थो का नाम लीजिए यदि आप घर में स्नान कर रहे है वैसे तो इस दिन से प्रयागराज में मेला शुरू होता है जहाँ स्नान करने का विशेष महत्त्व होता है साथ ही साथ गंगा सागर में भी मेला लगता है, वहा पर भी स्नान दान-पूण्य का महुत महत्त्व होता है। 

यदि हो सके तो गायत्री मंत्र का जाप करिये गायत्री मन्त्र के जाप से सूर्य भगवान प्रसन्न होते है
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
 इस दिन तिल का दान करे, गुड़ का, गजक का और शुद्ध देसी घी यम आपके जीवन में मोक्ष पद की प्राप्ति कराता है इसका दान जरुर करिए और कच्चे दाल चावल की खिचड़ी इसमें चावलके साथ आप उड़द की दाल या मूंग की दाल दाल ले सकते है सेंधा नमक और साथ ही साथ सफेद कपड़ा यदि आप पूरा ना ले पाएं तो एक सफ़ेद रंग का रुमाल लेलीजिये कम्बल इत्यादि इन सभी चीजों का दान देना चाहिए सफेद वस्त्र का और इन सभी चीजों का दान देने से आपका सूर्य आपको उत्तम परिणाम देता है और जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं का नाश करता है

Makar Sankranti | makar sankranti 2020 | मकर संक्रांति
makar sankranti 2025

हम सभी के घर में एक सूर्य होता है जो हमारे पिता के रूप में उपस्थित होते है तो इस दिन पर उनका भी पूजन, अर्चन, वन्दन भी अवश्य किया जाना चाहिए, आप अपने पिता जी को इस दिन अपने हाथ से टिल, गुड अवस्य खाने को दीजिए और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लीजिए और साथ ही साथ अपने पिजा जी को पानी जरुर दीजियेगा ऐसा करने से आपकी नौकरी में आने वाली बाधाएं विघ्न बाधाएं सभी का नाश होता है, मान सम्मान की प्राप्ति होती है, अच्छे स्वास्थ की प्राप्ति होती है, आपकी बुद्धि जागृत होती है और जीवन में आने वाली हर विघ्न बाधा से आपको मुक्ति मिलती हैअपने घर के सूरज यानि अपने पिता को वंदन, चरण स्पर्श भी जरूर करिएगा

मकर संक्रांति का क्या अर्थ है

मकर संक्रांति का शाब्दिक अर्थ है:

  • "मकर": यह राशि चक्र की दसवीं राशि है, जिसे मकर राशि कहा जाता है।
  • "संक्रांति": इसका अर्थ है "सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना।"

मकर संक्रांति का अर्थ और महत्व:

1. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश:

  • इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इसे खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि सूर्य इस दिन से उत्तरायण (उत्तर दिशा की ओर) होना शुरू करता है।
  • इसे नई शुरुआत और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।

2. ऋतु परिवर्तन:

  • यह त्योहार सर्दियों के अंत और वसंत ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है।

3. सुख, समृद्धि और धर्म का पर्व:

  • इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान, पूजा और दान-पुण्य करते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
  • "तिल-गुड़" खाने और देने का संदेश है: "तिल जैसा कड़वा छोड़ो, गुड़ जैसी मिठास लाओ।"

4. प्रकृति और कृषि का उत्सव:

  • फसल कटाई का समय होने के कारण यह किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है। इसे उनकी मेहनत का उत्सव भी कहा जा सकता है।

इस प्रकार, मकर संक्रांति केवल खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह हमारी परंपराओं, संस्कारों और प्रकृति के साथ सामंजस्य का उत्सव है।

मकर संक्रांति का महत्त्व 

धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टिकोण से अगर देखे तो मकर संक्रांति पर्व का खास महत्त्व है। प्राचीन कथाओं के अनुसार इस दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शनि के घर जाते है। शनि, मकर व कुम्भ राशि के स्वामी है। जिस कारण यह पर्व पिता-पुत्र के इस अनोखे मिलान का प्रतिक है

कुछ जगहों पर तो कोई नई फसल और नई ऋतु आगमन के तौर पर भी मकर संक्रांति धूम-धाम से मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान तिल और गुड़ से बने लड्डू व अन्य मीठे पकवान बनाने की परम्परा है। मान्यता है की इस समय ठण्ड का मौसम होता है इसलिए इस दौरान तिल व गुड़ से बने लड्डू बनाये जाते है जो स्वास्थ के दृष्टि से लाभदायक होते है

मकर संक्रांति पर खिचड़ी का महत्त्व 

मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से खिचड़ी बनाने, खाने और खिचड़ी का दान करना शुभ माना जाता है इसलिए बहुत सी जगहों पर इस पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चावल को चन्द्रमा का प्रतिक और काली उड़द की दाल को शनि का प्रतिक माना जाता है, कहा जाता है की मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होता है। इसी कारण इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने का बहुत अधिक महत्त्व है

मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है

मकर संक्रांति पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। यह पर्व भौगोलिक, धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से विविधता भरा है। हालांकि विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, लेकिन इसके कुछ मुख्य अनुष्ठान और परंपराएं समान हैं।

मकर संक्रांति मनाने के तरीके:

1. स्नान और पूजा:

  • इस दिन पवित्र नदियों (जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी) में स्नान करना शुभ माना जाता है।
  • लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।

2. दान-पुण्य:

  • मकर संक्रांति पर गरीबों को तिल, गुड़, कंबल, अनाज और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • इसे धर्म और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग कहा गया है।

3. तिल और गुड़ का महत्व:

  • इस दिन तिल-गुड़ के लड्डू, खिचड़ी, गजक, और अन्य मिठाइयों का सेवन किया जाता है।

  • तिल और गुड़ को एक-दूसरे को बांटकर लोग प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं।

4. पतंगबाजी:

  • गुजरात, राजस्थान, और महाराष्ट्र में इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है।
  • इसे "उत्तरायण" भी कहा जाता है।

5. खेतों और फसलों का उत्सव:

  • किसान इस दिन नई फसल की पूजा करते हैं और उत्सव मनाते हैं।
  • पंजाब में इसे लोहड़ी और तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाया जाता है।

6. लोक नृत्य और गाने:

  • अलग-अलग राज्यों में लोग इस दिन नृत्य, संगीत और मेलों का आयोजन करते हैं।
  • पंजाब में गिद्दा और भांगड़ा, तमिलनाडु में कोलाट्टम जैसे नृत्य इस दिन खास होते हैं।

7. खिचड़ी का पर्व:

  • उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी बनाकर भगवान को अर्पित की जाती है और प्रसाद के रूप में बांटी जाती है।
  • इसे "खिचड़ी पर्व" भी कहा जाता है।

8. राज्यों के अनुसार उत्सव:

  • उत्तर भारत: खिचड़ी और दान की परंपरा।
  • पश्चिम भारत: पतंगबाजी और तिल-गुड़ की मिठाई।
  • दक्षिण भारत: पोंगल उत्सव के रूप में, गायों की पूजा।
  • पूर्वोत्तर: असम में इसे "बीहू" कहते हैं, जहां नृत्य और उत्सव का आयोजन होता है।

मकर संक्रांति उपाय 

मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन किये गए उपाय जीवन में समृद्धि  लाते है। कौड़ियां माँ लक्ष्मी का प्रतीक और उनकी सबसे प्रिय चीज मानी गयी है मान्यता है की यदि मकर संक्रांति के दिन 11 पीली कौड़ियों की पूजा कर उन्हें पीले रंग के कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें तो इस उपाय को करने से व्यक्ति पर हमेश माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इसके अलावा आज भगवान विष्णु की तिल अर्पित करें, ऐसा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है। 

मकर संक्रांति पर कविता (makar sankranti kavita in hindi)

मकर संक्रांति पर कविता 

मकर संक्रांति का पर्व है आया,
खुशियों का सन्देश संग लाया।
सूरज ने बदला अब अपना रास्ता,
ऋतु ने पहना बसंती वस्त्र गाया।

तिल-गुड़ की मिठास हर दिल में घोलो,
नई उमंग से आकाश में पतंगें खोलो।
धूप की गर्मी से सर्दी को हराओ,
मकर संक्रांति के रंग में रंग जाओ।

खेतों में लहराएगी अब हरियाली,
किसानों के चेहरे पर छाए खुशहाली।
फसल पकने की बजी है वंशी,
हर घर में गूंजेगी मंगल-ध्वनि।

मिलकर मनाएं यह त्योहार प्यारा,
सबसे जुड़ने का संदेश हमारा।
मकर संक्रांति की यही है वाणी,
संग रहो, प्रेम बढ़ाओ, सबका मान करो।

makar sankranti essay in hindi

मकर संक्रांति पर निबंध

प्रस्तावना:

भारत त्योहारों का देश है और यहां हर त्योहार किसी न किसी रूप में प्रकृति, संस्कृति और धर्म से जुड़ा हुआ है। मकर संक्रांति ऐसा ही एक प्रमुख पर्व है, जो सूर्य देवता को समर्पित है। यह हर वर्ष 14 जनवरी (कभी-कभी 15 जनवरी) को मनाया जाता है। मकर संक्रांति का महत्व खगोलीय, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक है।

मकर संक्रांति का अर्थ:

मकर संक्रांति का अर्थ है, सूर्य का मकर राशि में प्रवेश। इस दिन से सूर्य उत्तरायण (उत्तर की ओर गमन) होता है। इसे प्रकाश, ज्ञान और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यह दिन ऋतु परिवर्तन और नई फसल की शुरुआत का संकेत देता है।

मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इसे शुभ अवसर माना जाता है, और इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और सूर्य उपासना का विधान है। उत्तरायण काल को धर्म और मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ समय कहा गया है। यह पर्व तिल-गुड़ खाने और दान करने का संदेश देता है, जो प्रेम और मिठास का प्रतीक है।

मकर संक्रांति मनाने के तरीके:

मकर संक्रांति पूरे भारत में भिन्न-भिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है:

1. उत्तर भारत:

  • गंगा, यमुना, गोदावरी आदि नदियों में स्नान और दान-पुण्य।
  • तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का सेवन।
  • खिचड़ी का प्रसाद बनाना और बांटना।

2. गुजरात और राजस्थान:

  • यहां पतंगबाजी का विशेष महत्व है। यह त्योहार "उत्तरायण" नाम से मनाया जाता है।

3. तमिलनाडु:

  • इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं। नई फसल की पूजा की जाती है और गायों को सजाया जाता है।

4. पंजाब:

  • इसे लोहड़ी के नाम से एक दिन पहले मनाया जाता है। लोग अलाव जलाकर नृत्य और भांगड़ा करते हैं।

5. असम:

  • इसे माघ बिहू के नाम से मनाया जाता है, जिसमें खेतों में दावत और नृत्य का आयोजन होता है।

संदेश और महत्व:

मकर संक्रांति केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि मानवता, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि हमें सकारात्मकता, समर्पण और सद्भाव के साथ जीवन जीना चाहिए। यह पर्व हमारी प्रकृति, संस्कृति और कृषि से जुड़े होने का संदेश देता है।

उपसंहार:

मकर संक्रांति का पर्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमें जीवन में आशा, ऊर्जा और उल्लास का संदेश भी देता है। यह त्योहार हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने और सामाजिक एकता का महत्व समझने का अवसर प्रदान करता है।

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