इस मास में हिंदी नववर्ष की शुरुआत और चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है मान्यता है कि इन नौ दिनों तक भक्त माता रानी की भक्ति में मग्न होकर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते है। नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना की जाती है ज्योतिष की माने तो इस बार चैत्र नवरात्रि में कई दुर्लभ संयोग बनेंगे जिस कारण ये नवरात्रि और भी अधिक लाभ करने वाली होगी।
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चैत्र नवरात्रि हिंदुओं के द्वारा मनाए जाने वाला एक बहुत ही प्रमुख पर्व है। चैत्र मास हिन्दू नववर्ष का प्रथम मास माना जाता है। इस माह में पड़ने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि को कहते है। पुरे साल में यूँ तो चार बार नवरात्र आते है जिनमें से दो गुप्त और दो प्रचलित नवरात्रि होते है।
चैत्र मास में आने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस दौरान नौ दिनों तक देवी माँ के नौ भिन्न-भिन्न स्वरूपों की पूजा कर माँ आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। आज हम आपको साल 2025 में चैत्र नवरात्रि कब से कब तक होंगे, कलश स्थापना, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और नौ दिनों के कुछ नियमो के बारे में बताएँगे।
चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त 2025 (Chaitra Navratri Kab Hai)
- साल 2025 में चैत्र नवरात्रि का पर्व - 30 मार्च रविवार से शुरू होकर 7 अप्रैल सोमवार तक चलेगा।
- प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगा - 29 मार्च सायं 4 बजकर 27 मिनट पर।
- प्रतिपदा तिथि समाप्त होगा - 30 मार्च दोपहर 1 बजकर 23 मिनट।
- कलश स्थापना शुभ मुहूर्त होगा - 30 मार्च प्रातःकाल 6 बजकर 10 मिनट से लेकर 8 बजकर 31 मिनट तक।
- घटस्थापना अभिजित मुहूर्त होगा - 30 मार्च प्रातःकाल 6 बजकर 22 मिनट से 7 बजकर 25 मिनट तक।
- अष्टमी तिथि होगा - 6 अप्रैल रविवार।
- नवमी तिथि - 7 अप्रैल सोमवार के दिन पड़ रहा है।
- नवरात्रि पारण और दशमी तिथि होगा - 8 अप्रैल मंगलवार के दिन पड़ेगा।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त:
- तारीख: 30 मार्च 2025 (रविवार)
- समय: प्रातः 6:13 बजे से 10:22 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक
नवरात्रि 2025 की तिथियां और पूजा:
- 30 मार्च 2025: माँ शैलपुत्री पूजा (घटस्थापना)
- 31 मार्च 2025: माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
- 1 अप्रैल 2025: माँ चंद्रघंटा पूजा
- 2 अप्रैल 2025: माँ कूष्मांडा पूजा
- 3 अप्रैल 2025: माँ स्कंदमाता पूजा
- 4 अप्रैल 2025: माँ कात्यायनी पूजा
- 5 अप्रैल 2025: माँ कालरात्रि पूजा
- 6 अप्रैल 2025: माँ महागौरी पूजा (महाअष्टमी)
- 7 अप्रैल 2025: माँ सिद्धिदात्री पूजा (महानवमी)
- 8 अप्रैल 2025: विजयदशमी (दुर्गा प्रतिमा विसर्जन)
चैत्र नवरात्रि का महत्व:
चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु के समय मनाई जाती है और इसे हिंदू नववर्ष के प्रारंभ के रूप में भी मनाते हैं। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से शक्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, राम नवमी भी इसी समय मनाई जाती है, जो भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में जानी जाती है।
घटस्थापना (कलश स्थापना) पूजा विधि:
- स्नान और संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थान को स्वच्छ करें और वहां मिट्टी से भरे बर्तन में सात प्रकार के अनाज (सप्तधान्य) बोएं।
- कलश स्थापना: मिट्टी के कलश में जल भरकर उसे स्थापित करें। कलश पर स्वस्तिक बनाएं और उसमें हल्दी, सुपारी, सिक्का, और दूर्वा घास डालें।
- नारियल स्थापना: नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखें।
- देवी का आह्वान: सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, फिर देवी दुर्गा के नौ रूपों का आह्वान करें, और पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा करें।
इन विधियों से पूजा करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथियां एवं उनका कार्य (Chaitra Navratri 2025)
- 30 मार्च 2025 - नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्थापना, चंद्र दर्शन एवं माँ शैलपुत्री का पूजन।
- 31 मार्च 2025 - नवरात्रि का दूसरा दिन, द्वितीया, माँ बह्मचारिणी का पूजन।
- 1 अप्रैल 2025 - नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, माँ चंद्रघंटा का पूजन।
- 2 अप्रैल 2025 - नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, माँ कुष्मांडा का पूजन।
- 3 अप्रैल 2025 - नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, माँ स्कंदमाता का पूजन।
- 4 अप्रैल 2025 - नवरात्रि का छठा दिन, षष्ठी, माँ कात्यायनी का पूजन।
- 5 अप्रैल 2025 - नवरात्रि का सातवां दिन, सप्तमी, माँ कालरात्रि का पूजन।
- 6 अप्रैल 2025 - ननवरात्रि का आठवां दिन, अष्टमी, कन्या पूजन,माँ भगवती महागौरी का पूजन।
- 7 अप्रैल 2025 - नवरात्रि का नौवां दिन, राम नवमी, नवरात्रि पारण, कन्या पूजन, नवमी हवन, माँ सिद्धिदात्री का पूजन।
कलश घाट स्थापना सामग्री
कलश या घट स्थापना के लिए माता की एक मूर्ति चौकी के लिए लाल या पीला कपड़ा, लाल चुनरी, कलश, आम के पत्ते, फूल-माला, एक जटा वाला नारियल, पान के पत्ते, सुपारी, इलाइची, लौंग, सिक्का, मौली, चावल, फल-फूल,ज्वारे बोने के लिए एक मिटटी का वर्तन, माता के श्रृंगार की सामग्री आदि चीजे अपनी श्रद्धा अनुसार रख ले।
चैत्र नवरात्रि कलश व घट स्थापना विधि (Chaitra Navratri Puja Vidhi in Hindi)
नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि व शुभ मुहूर्त में घट या कलश स्थापना की जाती है घर के उत्तर-पूर्व दिशा में कलश स्थापना करना शुभ होता है। नवरात्रि प्रतिपदा तिथि के दिन प्रातः काल स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर नौ दिनों की पूजा व व्रत का संकल्प लेकर उत्तर दिशा को स्वच्छ कर मिटटी की वेदी बना ले। अब इस वेदी में जौ बो लें और इसी वेदी पर जल से भरे हुये घट या कलश की स्थापना करे।इस कलश में सुपारी व् सिक्का डाल दे अब एक नारियल में चुनरी लपेटकर इसे कलश के ऊपर स्थापित कर समस्त देवी-देवताओं का पूजन और आह्वान करे और माता रानी को सभी पूजन सामग्री अर्पित करे घट स्थापना के बाद दुर्गा सप्तशती का पथ और अखंड जोत जलाकर नौ दिनों तक माँ की आराधना करे।
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अखंड जोत/ज्योति नियम
- जो भी लोग नवरात्रि के दौरान अखंड जोत जलाते है उन्हें दीपक जलाने के लिए बड़े आकार का मिट्टी या पीतल का दिपक लेना चाहिए।
- अखंड जोत का दीपक कभी भी खाली जमीन पर ना रखें बल्कि इसे लकड़ी के पटरे या किसी चौकी पर रखे।
- दीपक को रंगे हुए चावल के ऊपर रखे।
- अखंड जोत की बाती रक्षा सूत्र से बनाई जाय तो शुभ होता है यह बाती कम से कम सवा हाथ की होनी चाहिए।
- दीपक में घी, सरसों या फिर तिल के तेल का इतेमाल करे।
- मान्यता है की यदि आप घी का दीपक जलाते रहे है तो उसे देवी माई के दाईं ओर रखना चाहिए।
- दीपक जलाने से पहले श्री गणेश जी का ध्यान करें।
नवरात्रि नियम
- नवरात्रि के नौ दिनों तक घर व् पूजास्थल में शुद्धता और सात्विकता का पूर्ण रूप से ख्याल रखें।
- नवरात्रि के नौ दिनों में बाल कटाना, नाख़ून काटना या फिर दाढ़ी मूंछ बनवाने जैसे कार्य नहीं करना चाहिए।
- नवरात्रि के दौरान जो भी घर में अखंड दीप, माता की चौकी का आयोजन करते है उन्हें घर को छोड़कर बाहर नहीं जाना चाहिए।
- देवी दुर्गा के भक्ति के इन नौ दिनों तक प्याज, लहसुन या अन्य तरह की तामसिक चीजों का परहेज करना चाहिए।
- नवरात्रि के इन नौ दिनों में यदि आपके द्वारा कोई भिक्षु या जरुरतमंद आ जाये तो उसे खाली हाथ बिलकुल ना जाने दें।
- इस बात का विशेष ख्याल रखें कि द्वार पर आये भिक्षु या गरीब को अपनी जरुरत और श्रद्धा अनुसार भोजन या कुछ न कुछ दान अवश्य करें।
- मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर्व के दौरान जहाँ तक सम्भव हो तो चमड़े और चमड़े से बनी चींजो का प्रयोग करने से बचना चाहिए।
- इस तरह नवरात्रि के नौ दिनों में विधिवत की गई माता रानी की आराधना से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में सुख समृद्धि भी प्राप्त होते हैं।
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नवरात्रि के दिन घर लाये ये चीज
नवरात्रि में हर कोई माँ को प्रसन्न करने के लिए पूजा-पाठ, व्रत, उपवास व् उपाय करता है वास्तु अनुसार कुछ ऐसी चीजों को बताया गया है जिन्हे यदि आप नवरात्रि से पहले घर लाते है तो माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं तो आइये जानते है वे कौन सी चीजे है जिन्हे नवरात्रि के दौरान घर लाना अतिशुभ माना जाता है।
- माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान घर में सोने या चांदी का सिक्का लाना शुभ होता है।
- नवरात्रि में घर में केले का पौधा लकर लगाना और नित्य इसकी पूजा करना शुभ फल देता है।
- इसके अलावा यदि आप नवरात्रों में कमल का पुष्प, कमल पर विराजमान माँ की प्रतिमा या मोरपंख घर लेकर आते है तो आप पर सदा माता रानी की कृपा बरसती है।
- मान्यता है की नवरात्रि को इन नौ दिनों में सोलह श्रृंगार का सामान घर लाना चाहिए और उसे माँ दुर्गा को अर्पण करना चाहिए इससे माँ दुर्गा की कृपा सदैव आपके घर बना रहता है।
नवरात्रि पर्व के दौरान भूलकर भी न करें ये कार्य
पंचांग के अनुसार साल 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च रविवार से शुरू हो रहे है। इस साल नवरात्रि में किसी भी का क्षय नहीं होगा जिस कारण नवरात्रि इस बार पूरे नौ दिनों तक रहेगा। चैत्र नवरात्रि से ही हिन्दू नव सवत्सर भी प्रारंभ होगा। दुर्गा पूजा के इस पर्व में पूरे नौ दिनों तक दुर्गा मां के विभिन्न नौ स्वरुपों की पूजा अर्चना और व्रत, उपवास किये जायेंगे और इस दिन कई शुभ योगों का निर्माण भी हो रहा है जिस कारण यह नवरात्रि बेहद शुभ रहेंगे।
लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी पूजा का विशेष फल पाने के लिए कुछ नियम बताए जाते है जिनका पालन हमें जरूर करना चाहिए तो आइये है शक्ति की उपासना के नौ दिनों के इस पर्व के दौरान किन कार्यों को हमें नहीं करना चाहिए।
घर को अकेला ना छोड़े
बहुत से लोग नवरात्रि के नौ दिनों में न सिर्फ व्रत रखते है बल्कि अपने घर में कलश स्थापना, अखंड जोत और माता की चौकी का आयोजन भी करते है। जो लोग नवरात्रि में व्रत रखकर घर में अखंड जोत जलाते है या इनमे से कोई भी कार्य करते है तो विषेकर उन्हें अपने घर को खाली छोड़कर बाहर नहीं जाना चाहिए। ध्यान रखे की अखंड जोत की देखरेख के लिए किसी को घर में रहना चाहिए।
नाख़ून या बाल ना काटे
'नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा की उपासना का पर्व है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के इन नौ दिनों में बाल या नाखून काटने जैसे कार्यों को नहीं करना चाहिए। बाल और नाखून कटवाने भले ही ये एक अच्छी आदत हो लेकिन शास्त्रों के अनुसार माँ की भक्ति के इन नौ दिनों में नाख़ून और बाल कटाना जैसे कार्य वर्जित माने गए है।
तामसिक भोजन से दूर रहे
मान्यता है कि जो लोग नवरात्रि के दौरान व्रत रखते है उन्हें इन नौ दिनों तक प्याज, लहसुन या अन्य किसी भी तरह की तामसिक चीजों का परहेज करना चहिए और जहाँ तक सम्भव हो व्रत करने वाले व्यक्ति को इस दौरान सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए इससे भक्त को उसके द्वारा की गयी भक्ति का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
घर में अशांति का माहौल ना बनाये
शास्त्रों के अनुसार माँ दुर्गा की भक्ति का यह पर्व शांति, भक्ति और सद्भावना की प्रेरणा देता है। इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों तक ये कोशिश करें की आपके घर का वातावरण शांत और भक्तिमय बना रहे। इस दौरान घर में किसी भी तरह की अशांति या कलह आदि ना होने दें।
द्वार आये व्यक्ति को खाली ना जाने दे
मान्यता है कि नवरात्रि के इन नौ दिनों में यदि आपके द्वार पर कोई भी भिक्षु या जरुरत मंद व्यक्ति आ जाये तो उसे खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए। आपको अपनी सामर्थ्य और श्रद्धा अनुसार उसे कुछ न कुछ भोजन या दान दक्षिणा अवश्य देना चाहिए।
दाढ़ी मूंछ ना बनवाये
शास्त्रो को माने तो मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में विशेषकर व्रत रखने वाले व्यक्ति को दाढ़ी व मूंछ नहीं बनवाना चाहिए। इस दौरान ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता है इससे आपको पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पता है। हालांकि इस दौरान 12 संस्कारों में से एक बच्चो का मुंडन संस्कार सरवाना शुभ होता है।
शुद्धता और सात्विकता का ख्याल रखे
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि देवी माँ को समर्पित ऐसा पर्व है जिसमें नौ दिनों तक शुद्धता और पवीत्रता का खास ख्याल रखना चहिए सभी को ये कोशिश करना चाहिए कि इस दौरान घर व् घर के मंदिर में पवित्रता और सात्विकता बनाये रखते हुए नौ दिनों तक माँ की भक्ति व पूजा करें।
चमड़े की चीजों के प्रयोग से बचें
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि पूजा पाठ के कार्यों में चमड़े व चमड़े से बनी चीजों का प्रयोग नहीं करना चहिए। इसलिए कोशिश करें कि नवरात्रि के नौ दिनों में माँ की पूजा-आराधना के समय जहां तक संभव हो सके चमड़े और चमड़े से बनी चीजों का प्रयोग न करें।
किसी का अपमान ना करें
यूँ तो हमेशा ही हर किसी को आदर सत्कार देना एक अच्छी बात है नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है कन्याओं को माँ दुर्गा का रूप माना जाता है। इसलिए इस दौरान विशेषकर कन्याओं का अपमान नहीं करना चाहिए। इसके अलका किसी भी बड़े-बूढ़े, बच्चे या फिर घर पर आये किसी अन्य व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि नवरात्रि के दौरान इन नियमों का पालन और सच्ची श्रद्धा के साथ माँ की आराधना की जाए तो माँ भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है।
चैत्र नवरात्रि महासंयोग 2025 नवरात्रि के दिन घर लाये ये चीजें
पंचांग के अनुसार चैत्र महीने से हिन्दू नववर्ष का शुरुआत होता है`इसी माह शुक्ल प्रतिपदा तोती से चैत्र नवरात्रि भी शुरू होते है। इस साल नवरात्रि में अमृत सिद्धि योग और सर्वार्ध सिद्धि योग बनेगे कहते है की इन योगों में किये गए कार्य सफलता प्रदान करते है साथ ही इस बार नवरात्रि में किसी भी तिथि का क्षय नहीं होगा।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है की यदि इन शुभ योगों में माँ की उपासना कुछ कुछ विशेष चीजों के साथ की जाय तो आपको कार्यों में सफलता और धन लाभ होता है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही खास जीजों के बारे में बताने जा रहे है जिन्हे नवरात्री से पहले घर ले आते है तो आपको माता रानी की कृपा प्राप्त होती है।
कमल का फूल
देवी माँ को कमल का पुष्प अतिप्रिय है मान्यता है की यदि आप चैत्र नवरात्री के दौरान कमल का पुश्य या कमल पर विराजमान माँ लक्ष्मी की तस्वीर घर लेकर आते है तो यह बहुत ही शुभ होता है। माँ की भक्ति के इन नौ दिनों में कमल का फूल घर लाकर पूजास्थल पर माँ को अर्पित करने से माँ जल्दी प्रसन्न होती है और घर में स्थाई रूप से धन लक्ष्मी का निवास होता है।
सोलह श्रृंगार का सामान
ज्योतिष अनुसार नवरात्री के दौरान सोलह श्रृंगार का सामान घर में जरुर लेना चाहिए और इसे घर के मंदिर में माता रानी को अर्पण करने से देवी माँ की कृपा हमेशा घर और घर के सदस्यों पर बना रहता है और घर में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होता इसे में शुभता बढ़ता है।
मोर पंख
माँ अपने देवी सरस्वती रूप में मोर पर विराजमान रहती है मोर उनका वाहन है कहा जाता है की यदि नवरात्रि के दौरान गहे में मोरपंख जाया जाय तो अतिशुभ होता है। वास्तु अनुसार नवरात्री में मोर पंख घर लाकर इसे घर के ईशान कोण रखने से पॉजिटिव एनर्जी और घर के पूजा स्थल पर रखने से विद्या और हाँ लाभ होता है।
शंखपुष्पी
मान्यता है की सर्वार्ध सिद्धि और अमृत सिद्धि योग में किये गए कार्यों में सफलता और धनलाभ होता है इसलिये ऐसे में यदि आप नवरात्रि के शुभ अवसर पर इन योगों में शंखपुष्पी का जड़ खरीदकर लाते है और शुभ मुहूर्त में इसके जड़ को अपने धन रखने के स्थान पर रखते है तो इससे आर्थिक तंगी दूर होते है और घर में माँ लाक्षी का सदा वास रहता है।
कलावा
नवरात्रि में कलावा यानी मौली खरीदकर घर लाना बेहद शुभ माना जात है। शास्त्रों में कहा गया है कि कलावा बांधने से व्यक्ति को भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ-साथ देवी लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है नवरात्रि में कलावे को देवी माँ को समर्पित करने से हर मनोकामना पूरा होता है।
नवरात्रि में माँ भगवती के नौ अलग-अलग रूप
- शैलपुत्री ( पर्वत की बेटी )
- ब्रह्मचारिणी (माँ दुर्गा का शांति पूर्ण रूप)
- चंद्रघंटा ( माँ का गुस्से का रूप )
- कुष्मांडा ( माँ का ख़ुशी भरा रूप )
- स्कंदमाता ( माँ के आशीर्वाद का रूप )
- कात्यायनी ( माँ दुर्गा की बेटी जैसी )
- कालरात्रि ( माँ का भयंकर रूप )
- महागौरी ( माँ पार्वती का रूप और पवित्रता का स्वरुप )
- सिद्धिदात्री (माँ का ज्ञानी रूप )
प्रथम माता शैलपुत्री ( पर्वत की बेटी )
माँ शैलपुत्री की पूजा आपको पहले दिन करनी है और भगवती दुर्गा देवी को गाय के शुद्ध घी का भोग आपको लगाना है या गाय के शुद्ध घी से बनी वस्तुओं का भोग भगवती शैलपुत्री को आपको लगाना है। प्रसन्न होकर भगवती शैलपुत्री हमें आरोग्य देती है, सभी रोगों को नष्ट कर देती है भगवती शैलपुत्री, सभी व्याधियों का हमारी नाश हो जाता है मानसिक रूप से जो चिंताएं मन में चल रही हो भगवती शैलपुत्री के आराधना से सभी समाप्त हो जाती है प्रतिदिन हमें सप्तशती का भी पाठ करना चाहिए भगवती दुर्गा देवी के नवारण मात्र का हमे पाठ करना चाहिए ।।ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।। इस मन्त्र का हमे यथाशक्ति सामर्थनुसार जप करना चाहिए कम से कम 108 बार जाप करना ही चाहिए।
द्रितीय माता ब्रह्मचारिणी (माँ दुर्गा का शांति पूर्ण रूप)
दूसरे नवरात्रि के दिन माँ भगवती ब्रह्मचारिणी की पूजा इस दिन होती है भगवती का दूसरा स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी है। माँ ब्रह्मचारिणी आयु को देने वाली है, अगर किसी प्रकार का मन में भय रहता है, किसी व्यक्ति के प्रति भय रहता है उसकी आयु को लेकर के चिंता रहती है की मेरी तो आयु कम है ऐसा मन में अगर संका आ रहा हो तो भगवती ब्रह्मचारिणी की पूजा से कम आयु का जो भय है जो नष्ट हो जाता है आयु आरोग्य की प्राप्ति माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से होती है। भगवती ब्रह्मचारिणी को दूसरे दिन शक्कर का भोग हमे लगाना चाहिए।
तृतीय माता चंद्रघंटा ( माँ का गुस्से का रूप )
तीसरे नवरात्रि को भगवती चंद्रघंटा की पूजा होती है भगवती चंद्रघंटा को तीसरे दिन दूध का भोग लगाना चाहिए गाय का दूध भगवती को अर्पण करना चाहिए या दूध से बनी हुई मिठाइयों का भोग माँ चंद्रघंटा को हमें लगाना चाहिए और इस दूध व मिठाई को ब्राह्मण के घर दे देना चाहिए या ब्राह्मण को खिला देना चाहिए सभी दुखो का नाश करने वाली माँ चंद्रघंटा की कृपा किसी व्यक्ति पर हो जाये तो फिर जीवन में कोई दुःख अनहि आता।
चतुर्थ माता कुष्मांडा ( माँ का ख़ुशी भरा रूप )
चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है। बुद्धि को देने वाली, बुद्धि को विकसित करने वाली, विद्या को देने वाली माँ कूष्माण्डा को मालपुए का भोग हम चौथे दिन लगाते है मालपुआ बनाकर भगवती का पूरी श्रद्धा से भोग लगाइये और ये सामग्री भी आप ब्राह्मण के यहाँ दे दीजिये या ब्राह्मण को खिला दीजिए बुद्धि के अन्दर विकास नहीं हो रहा हो कोई बच्चा अगर पढ़ाई में कमजोर हो तो इस दिन माँ कुष्मांडा की पूजा हमें करनी चाहिए उस बच्चे को भी वहाँ बिठाकर उससे भी थोड़ा बहुत जाप हमें करवाना चाहिए।
पंचम माता स्कंदमाता ( माँ के आशीर्वाद का रूप )
पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा होती है। माँ स्कंदमाता निरोगी काया देने वाली और स्वास्थ को बढ़ाने वाली है अगर कोई अस्वस्थ व्यक्ति है बार-बार रोगों से परेशान होता है तो पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए और केले के फल का भोग हमे माँ स्कन्दमाता को लगाना चाहिए साथ ही साथ संतान सम्बंधित समस्या परेशान कर रही है संतान नहीं है आपको तो माँ स्कंदमाता की पूजा जरूर कीजियेगा।
षष्टम माता कात्यायनी ( माँ दुर्गा की बेटी जैसी )
छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। माँ कात्यायनी की पूजा हम इस दिन करते है और भगवती कात्यायनी आकर्षण की शक्ति बढ़ा देती है कही भी आप जायेंगे दस व्यक्तियों के बीच में आपकी बात का वजन होगा आपकी बात को सुना जायेगा अगर आपकी बात को अनसुना कर दिया जाता है तो भगवती कात्यायनी की कृपा आपके लिए बहुत जरुरी है माँ कात्यायनी की पूजा कीजिये और छठे दिन माँ कात्यायनी को शाहद अर्पण करना चाहिए शहद का भोग हमें माँ कात्यायनी को लगना चाहिए।
सप्तम माता कालरात्रि ( माँ का भयंकर रूप )
सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की होती है। माँ काली का सप्तम नवरात्रि, माँ कालरात्रि सिद्धियों को देने वाली शक्ति हमारे शरीर के अंदर एक अलग ही शक्ति का व्यक्ति अनुभव करता है सकारात्मक ऊर्जा को देने वाली माँ कालरात्रि की सातवे दिन पूजा की जाती है और माँ कालरात्रि की रात्रि के समय पूजा बहुत विशेष पूजा होती है, सातवे दिन माँ कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाइएगा या गुड से बनी हुई मिठाई का भोग लगाइएगा।
अष्टम माता महागौरी ( माँ पार्वती का रूप और पवित्रता का स्वरुप )
आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा होती है। माँ भगवती महागौरी को पानी वाले नारियल का भोग लगाना चाहिए और संतान सम्बंधित कोई भी बाधा जीवन में चल रही हो संतान सुख आपको नहीं मिल रहा हो विवाह उपरांत या आपकी संतान आपके कहे अनुसार नहीं चलती संतान की चिंता सताती रहती है तो आठवें दिन नवरात्रि महागौरी को पानी वाले नारियल का भोग हमें लगाना चाहिए अर्पण करना चाहिए।
नवम माता सिद्धिदात्री (माँ का ज्ञानी रूप )
नैवे दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है नैवा दिन माँ सिद्धिदात्री का होता है सभी सिद्धियों को देने वाली और किसी भी अनहोनी व्यक्ति के जीवन में नहीं होती पुरे परिवार के अंदर कोई किसी प्रकार की अकाल मृत्यु कभी नहीं होती अगर सिद्धदात्री की कृपा आपके ऊपर हो जाये किसी भी प्रकार की सिद्धि आप करना चाहते है तो माँ सिद्धिदात्री को तिल से बनी हुई मिठाई का आप भोग लगाइएगा या तिलो का भोग आप लगा सकते है।
चैत्र नवरात्रि कब है (chaitra navratri kab hai)
यह नवरात्रि वसंत ऋतु में आती है और रामनवमी के दिन समाप्त होती है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्रि 2025:
- आरंभ: 30 मार्च 2025 (रविवार)
- समापन: 7 अप्रैल 2025 (सोमवार)
इन नौ दिनों के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो इस प्रकार हैं:
- माँ शैलपुत्री (30 मार्च 2025)
- माँ ब्रह्मचारिणी (31 मार्च 2025)
- माँ चंद्रघंटा (1 अप्रैल 2025)
- माँ कूष्मांडा (2 अप्रैल 2025)
- माँ स्कंदमाता (3 अप्रैल 2025)
- माँ कात्यायनी (4 अप्रैल 2025)
- माँ कालरात्रि (5 अप्रैल 2025)
- माँ महागौरी (6 अप्रैल 2025)
- माँ सिद्धिदात्री (7 अप्रैल 2025)
चैत्र नवरात्रि कब से है (chaitra navratri kab se hai)
चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से शुरू होकर 7 अप्रैल 2025 तक चलेगी। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
नवरात्रि कब से कब तक है (navratri kab se kab tak hai)
चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथियां:
- शुरुआत: 30 मार्च 2025 (शनिवार)
- समाप्ति: 7 अप्रैल 2025 (सोमवार)
- अष्टमी: 6 अप्रैल 2025 (रविवार)
- राम नवमी: 7 अप्रैल 2025 (सोमवार)
इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है, व्रत रखा जाता है, और कलश स्थापना की जाती है।
chaitra navratri kab se shuru hai
चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत 30 मार्च 2025 से होगी। यह नवरात्रि 7 अप्रैल 2025 को समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च की सुबह होगा। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
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जय श्री राम
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