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गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है | Ganesh Chaturthi 2021 Shubh Muhurt, Pooja Vidhi, Mahatv in Hindi

गणेश उत्सव का पर्व हर साल भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि से लेकर अनंत चतुर्थी तक चलता है। गणेश जी सभी देवों में प्रथम पूज्य है इसलिये हर शुभ कार्य से फले गणेश जी की आराधना की जाती है। हर साल भाद्रपद चतुर्थी पर लोग गणेश जी को अपने घर लाकर 10 दिनों तक उनकी आराधना के बाद ग्यारहवें दिन अनंत चतुर्थी पर धूमधाम के साथ उन्हे विसर्जन करते हैं। मान्यता है की इन 10 दिनों के दौरान की गयी पूजा बहुत फलदायी होती है। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार सभी देवताओं में सर्वप्रथम भगवान गणेश जी का पूजा करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणपति जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन हुआ था। इस दिन को हर साल Ganesh Chaturthi गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है इसे विनायक चतुर्थी भी कहते है। इसी दिन से पुरे देश में गणपति उत्सव का शुरुआत होगा। आज इस लेख में हम आपको भाद्रपद गणेश चतुर्थी पर्व की शुभ तिथि, ganesh chaturthi kab hai, गणेश स्थापना मुहूर्त, पूजा विधि, ganesh vrat vidhi, ganesh chaturthi puja vidhi in hindi, ganesh chaturthi in hindi, गणेश जी महाराज की आरती, गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है, ganesh ji ki kahani, ganesh ji ki kahani in hindi, ganesh sthapna 2021 kab hai, गणेश जी की कहानी, महत्त्व और इस दिन किये जाने वाले उपाय के बारे में बताएँगे।  👇👇👇👇👇

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गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है | गणेश चतुर्थी कब है 2021 | Ganesh Chaturthi 2021 Shubh Muhurt, Pooja Vidhi, Mahatv in Hindi
गणेश चतुर्थी 

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Ganesh Chaturthi Shubh Muhurt  2021)

  • 👉 साल 2021 में गणेश चतुर्थी का पर्व - 10 सितंबर शुक्रवार से शुरू होगा।
  • 👉 मध्याह्न गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त होगा - प्रातःकाल 11 बजकर 3 मिनट से सांयकाल 1 बजकर 33 मिनट तक।
  • 👉 पूजा की कुल अवधि - 02 घन्टे 30 मिनट का होगा।
  • 👉 चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगा- 10 सितंबर प्रातःकाल 12 बजकर 18 मिनट पर।
  • 👉 चतुर्थी तिथि समाप्त होगा - 10 सितंबर रात्रि 9 बजकर 57 मिनट पर।
  • 👉 गणेश विसर्जन - 19 सितंबर रविवार के दिन किया जायेगा।

गणेश स्थापना 2021 कब है (ganesh sthapna 2021 kab hai)

सभी देवताओं में पहले आराध्य भगवान गणेश की पूजा करने का यह त्यौहार और उन्हें प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार, इस वर्ष 10 सितंबर 2021 को मनाया जा रहा है। इस दिन गणपति बप्पा स्थापना होगा और 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विदाई या विसर्जन किया जायेगा। गणेशोत्सव के लगभग 10 दिनों के बारे में कई चीजों का ख्याल रखना महत्वपूर्ण है।

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गणेश चतुर्थी कब है 2021 और कहाँ मनाया जाता है? (ganesh chaturthi kab hai 2021)

इस बार गणेश जी का आगमन 10 सितंबर को होगा। यानी बप्पा 10 सितंबर को हमारे घर आएंगे। 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव का समापन 19 सितंबर को होगा। यह त्यौहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र (मुंबई), उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी स्थापना पूजा विधि (ganpati sthapana vidhi in hindi)

शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि गणपति बप्पा का जन्म दोपहर के समय हुआ था, इसीलिए इस दिन गणेश जी का पूजन दोपहर में करना चाहिए। अगर आप भी इस बार गणेश चतुर्थी के दिन बाप्पा को को घर लाना चाहते है तो सुबह ब्रह्म मुहूर्त में चतुर्थी तिथि के दिन प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद दोपहर के समय गणपति जी की मूर्ति या चित्र एक चौकी पर लाल कपडे के ऊपर रखें पूजास्थल पर गंगाजल या शुद्ध जल छिड़कने के बाद भगवान गणेश जी का आहवान और मंत्रोच्चारण करें। 

अब विधि विधान से उनका पूजन करें और फिर उन्हें सिंदूर और उनके सबसे प्रिय मोदक यानी लड्डू, पुष्प और 21 दूर्वा अर्पित करें। गणपति बप्पा को दूर्वा अर्पित करते समय ॐ गणाधिपताय नमः मंत्र का जाप करें।  पूजा के बाद लड्डुओं का प्रसाद सभी में वितरित करें। इस तरह गणेश चतुर्थी के दिन इस विधि से गणपति जी की पूजा से भक्तों पर उनकी कृपा बरसती है। इस प्रकारसाथ ही 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व के बाद 19 सितम्बर रविवार के दिन गणपति बप्पा का विसर्जन किया किया जायेगा।

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गणेश चतुर्थी का महत्त्व क्या है? (Ganesh Chaturthi Ka Mahatva)

वैसे तो हर माह गणेश चतुर्थी आती है लेकिन भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ माना गया है। गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturth के दिन भगवान गणेश जी के बाल रूप का पूजन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। वैसे तो हर माह चतुर्थी तिथि आती है लेकिन भाद्रपद माह की Ganesh Chaturth के दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ माना गया है यह दिन उनके जन्मोत्सव के रूप में पुरे 10 दिनों तक मनाया जाता है। 

भगवान गणेश जी सभी देवों में प्रथम पूज्य है और भक्तों के सभी विघ्नों को हरने वाले है मान्यता है कि भाद्रपद गणेश चतुर्थी के दिन जो भी गणपति बप्प को अपने घर लाकर विराजमान कर नियमित रूप से पूजा करने के बाद ग्यारहवें दिन उनका विसर्जन करता है तो भगवान गणेश जी उसके सभी संकटों को हर कर उसके जीवन की सभी परेशानियों को दूर कर देते है। कहते है की यदि व्यक्ति गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश जी की सच्चे मन से आराधना करे और इस 10 दिनों तक नियमित रूप से पूजा पाठ करे तो गणेश जी व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं को दूर कर उसे बल, बुद्धि, विद्या और रिद्धि-सिद्धि का वरदान देते है।

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गणेश चतुर्थी वाले दिन कुछ चींजो का ध्यान अवश्य रखना चाहिए

मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए। वर्ना आप कलंक के भागी हो सकते है इसके अलावा आप याद रखे की गणेश पूजा में तुलसी का स्तेमाल नहीं करना चाहिए। तुलसी को छोड़कर बाकि सब पत्रो व् पुष्प गणेश जी को प्रिय है। गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा का विधान है कही-कही तीन परिक्रमा भी किया जाता है।

गणपति को घर लाने का सभी विधि और नियम

गजानंद, गणपति जयसे नमो से जने वले जैसे नामो से जाने जाने वाले जैसे नामो से जाने जाने वाले गणपति ज्ञान, बुद्धि, सौभाग्य के साथ आपके घर पधारने वाले है जिनके आगमन से मुंबई ही नहीं पूरा हिंदुस्तान गणेशमय हो चूका है।

गणराज को घर लाने के लिए आप सबसे पहले गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की मूर्ति को घर लेकर आये लेकिन बाप्पा को घाल लाने से पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ-सफाई कर ले और पूरे घर में गांजा जल से छिड़काव करें फिर एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसी पर अक्षत यानि चावल रखें और ॐ गणेशाय नमः का जप के साथ गणपति को स्थापित कर दे इसके बाद बाप्पा को दूर्वा घास या पान के पत्ते की सयहता से गंगा चल से स्नान कराये और भगवान को पीले वस्त्र चढ़ाये। इसके बाद आप गणपति को तिलक लगाकर अक्षत और फूल चढ़ाये और मोदक का भोग लगाये इसके बाद आरती और कीर्तन करें और सबसे जरूरी बात की प्रसाद में प्रतिदिन पंचमेवा जरूर रखें। 

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गणपति पूजा से जुड़े कुछ नियम

इसमें सबसे जरूरी कलश और दीपक दरअसल गणपति के चौकी के पास तांबे या चांदी के कलश में जल भरकर जरूर रखें और ध्यान रहे की कलश गणपति के दाए यानि कि सीधे हाथ की तरह ही होना चाहिए इस कलश के नीचे चावल रखे इसपर मौलि अवश्य बाँधे और गणपति के बाये घी का दीपक जलाये। दीपक को भी सीधे जमीन पर ना रख कर इसके नीचे भी अक्षत रखें। ये सब करने के बाद अब बाप्पा के लिए संकल्प करना और उन लोगो के लिए उतना ही जरुरी होता है जितना उन्हें घर लाना होता है।

दरअसल गणपति के स्थापना के बाद आप सीधे हाथ में अक्षत और गंगा जल लेकर संकल्प करें कहे हम गणपति को इतने दिनों तक अपने घर में स्थापित करके प्रतिदिन विधि विधान से पूजा-अर्चना करेंगे संकल्प में उतने दिनों का जिक्र करें जितने दिन आप गणपति को अपने घर में विराजमान चाहते हो। जैसे 3, 5, 7, 9 या फिर 11 दिन गणपति पर प्रतिदिन 5 दूर्वा अर्पित करें साथ ही 5 हरी इलाइची और 5 कमलगट्टे एक कटोरी में रखकर भगवान के चरणो में रख दें। लेकिन इसमें आपको दूर्वा को हर रोज बदलना होगा वाही इलाइची और कमलगट्टों को पूजा के अंतिम दिन तक वहीं रखा रहने दे और पूजन संपन्न होने के आखिरी दिन कमलगट्टों को लाल कपड़े में बांधकर घर के मंदिर में रख दें और इलाइची को प्रसन के तौर पर ग्रहण कल ले ऐसे नियम अनुसार बप्पा की पूजा घर में हमेश सुख शांति और समृद्धि बना रहेगा।

गणेश चतुर्थी के दिन करें ये उपाय

गणेश जी सभी देवताओं में प्रथम पूण्य और रिद्धि-सिद्धि के दाता माने गए है। धार्मिक मान्यता के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन अगर श्री गणेश जी की पूजा में कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखा जाये तो वो शीघ्र ही प्रसन्न होकर आपकी सभी मनोकामनाओं को पूरी करते हैं। इस दिन गणपति बप्पा का आशीर्वाद पाने के लिए भाद्रपद चतुर्थी के दिन घर में उनकी स्थापना करें और उन्हें पूजा में अक्षत, दूर्वा, सिंदूर, गेंदे के फूल, मोदक या लड्डू और केले का भोग अर्पित करें। इस छोटे से कार्य या उपाय से भगवान गणेश जल्द प्रसन्न होते है और आपके सभी संकट को हर लेते है। 

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