अधिक मास / मल मास क्यों पड़ता है

हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त माह या अधिक मास आता है, जिसे मल मास या पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस माह का बड़ा विशेष महत्व बताया गया है कहा जात है कि इस पूरे माह में किये गए पूजा-पाठ, भगवत-भक्ति, व्रत-उपवास, जप-तप जैसे धार्मिक कार्य बेहद लाभकारी होते है। मान्यता है कि अतिरिक्त माह होने के कारण यह मास मलिन होता है। 

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मलिन होने के कारण ही इसका नाम मलमास पड़ा। इस महीने में शुभ कार्य करने पर रोक होता है। आज हम इस लेख में आपको साल 2020 में लगने वाला अधिक मास कब से कब तक रहेगा इस मास में क्या करें क्या ना करें और किन चीजों का दान करना शुभ होता है इन सभी बातों के बारे में बताएँगे।

अधिक मास / मल मास क्यों पड़ता है
अधिक मास / मल मास 

अधिक मास कब से कब तक

👉 पंचांग के अनुसार इस साल का आश्विन माह अधिक मास होगा।

👉 17 सितम्बर को पितृपक्ष की सर्वपितृ अमावस्या के बाद ही मलमास आरम्भ हो जायेगा।

👉 साल 2020 में अधिक मास या मलमास का प्रारम्भ 18 सितम्बर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक रहेगा।

👉 इस माह में भगवान विष्णु जी की पूजा करना शुभ होता है।

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कब होता है अधिक मास

अधिक मास हर तीसरे साल में प्रकट होता है। अधिक मास जो एक्स्ट्रा जो एक महीना पड़ता है तीसरे साल में वो बनता है सूर्य और चन्द्रमा के बीच का जो अंतर आता है उनकी गति के वजह से दिनों का सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा 365 दिन 6 घंटे में करती है उसी तरह से चन्द्रमा एक परिक्रमा 354 दिनों में करती है 11 दिनों का ये जो अंतर आ जाता है और हर तीसरे साल में ये एक-एक महीने के रूप में प्रकट होता है जिसे हम अधिक मास कहते है।

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दूसरे शब्दो में यदि हम कहें तो सूर्य की संक्रांति हम सभी जानते है 12 महिने 12 सूर्य की संक्रांति होती है हर महीने की लेकिन जिस महीने में सूर्य की संक्रांति ना हो अधिक मास या मल मास होता है तो इस तरीके से अधिक मास का जो एक्स्ट्रा जो दिन बनते है अधिक मास के लिए ऐसे बनते है।

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क्यों कहते है पुरुषोत्तम मास

अधिक मास को पुरुषोत्तम मास कहा जाता है ऐसी मान्यता है कि पुराणों में जिक्र है की जो सूर्य और चन्द्रमा के बीच के अंतर की वजह से जो एक अलग से अतिरिक्त मास का निर्माण हुआ अन्य देवी-देवताओं ने इसका अधिपत्य लेने से इनके किया और तब जाकर ऋषि मुनि पहुंचे भगवान विष्णु के पास और उन्होंने उनसे आग्रह किया की जो एक अतिरिक्त महीना बन रहा है अधिक मास उसका अधिपत्य उसके अधिपति अप होने और विष्णु भगवान ने आग्रह स्वीकार किया तो ऐसे में भगवान विष्णु जिन्हें हम पुरुषोत्तम के नाम से भी जानते है वो बने अधिपति अधिक मास के और अधिक मास कहलाया पुरुषोत्तम मास।

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कौन से शुभ कार्य इस मास में वर्जित है

अधिक मास में मांगलिक कार्य को वर्जित माना गया है इसलिए क्यूंकि ये एक अतिरिक्त महीना है सूर्य की संक्रांति इस महीने नहीं पड़ती लेकिन इस महीने में धार्मिक कार्य बहुत ज्यादा फलदायी होते है जितने पुण्य फलदायी कार्य होते है अगर हम अधिक मास में पुरुषोत्तम मास में करते है उसका महत्व कई ज्यादा गुना, 10 गुना ज्यादा कहते है पूण्य फलदायी हो जाता है।

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अधिक मास में पुरुषोत्तम मास जिसे हम कहते है इसे खरमास भी कहते है इसमें आपको जितने भी मांगलिक कार्य है वो वर्जित है मांगलिक कार्य जैसे विवाह नहीं कर सकते इस महीने में, आप उपनयन संस्कार नहीं कर सकते, मुंडन संस्कार नही कर सकते, आपको कोई घर खरीदना है वो नहीं कर सकते कोई भी कार्य जो आप पहली बार शुरू करने वाले है अधिक मास में वो नहीं करना चाहिए।

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अधिक मास और व्रत

अब व्रतो को लेकर भी बात आती है क्या व्रत अधिक मास में  करने चाहिए या नहीं तो व्रतों के बारे में ऐसा है कोई भी नया व्रत इस मलिन मास में शुरू नहीं किया जाता लेकिन जो व्रत आप पहले से करते आ रहे है साल भर से या पिछले सालों में अपने किया है वो व्रत आप रखेंगे।

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अधिक मास में क्या करे

अधिक मास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु है इसीलिए इस माह में विशेष रूप से इनका पूजा और विष्णु मंत्रों का जाप विशेष लाभकारी होता है। लोग इस माह में व्रत-उपवास, पूजा-पाठ, ध्यान, भजन-कीर्तन को अपनी दिनचर्या में शामिल करते है पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद देवीभागवत, श्री भगवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण सुनना और पढ़ना विशेष रीप स फलदायी होता है। मान्यता है कि अधिक  मास में विष्णु मंत्र का जाप करने से भक्तों को भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होकर उनकी समस्त इच्छाएं पूरी होती है। भगवान विष्णु माना जाता है बहुत जल्दी खुश होते है अधिक मास में किये गये पूजा-पाठ, यज्ञ-तप से क्यकि ऐसा माना गया है कि उसके अधिपति वही है। पुरुषोत्तम मास उन्हीं के नाम पर इस मास का नाम पड़ा है।

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अधिक मास में क्या ना करे

मल मास या अधिक मास को मालिन माना गया है जिस कारण इस माह कुछ कार्यों को करना मना होता है। शास्त्रों के अनुसार अधिक मास के दौरान विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण,यज्ञोपवीत, विवाह और सामान्य धार्मिक संस्कार जैसे गृहप्रवेश, नई वस्तुओं की खरीदारी आम तौर पर नहीं करना चाहिए।

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किन चींजो का करें दान

शास्त्रों में दान का बहुत अधिक महत्त्व है। प्रकृति के अनुसार प्रत्येक महीनों के अपने विशेष दान होते है इस साल आश्विन माह में अधिक मास पड़ रहा है, अधिक मास में किये गए दान पुण्य का अन्य मास में किये गए दान के अपेक्षा 10 गुणा अधिक फल व्यक्ति को प्राप्त होता है तो आइये जानते है अधिक मास में किन चींजो का दान करना शुभ होता है। 👇👇👇👇👇

👉 अधिक मास के कृष्णपक्ष में घी, कांसे का पात्र, कच्चे चने, गुड़, तुवर दाल, लाल चन्दन, कपूर, केवड़े की अगरबत्ती, केसर, खाद्य पदार्थ, भोजन एवं वस्त्र का दान करना फलदायी माना जाता है।

👉 वाही अधिक मास के शुक्ल पक्ष में माल पुआ, खीर, दही, वस्त्र, घी, टिल, गुड़, चावल, गेहूं, दूध, शक्कर व शहद आदि वस्तुओं का दान करना शुभ माना गया है।

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