पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे राखी पूर्णिमा या राखी का त्यौहार के नाम से भी जानते है। यह पर्व भाई-बहन के बीच प्रेम का पर्व है। इस दिन सभी बहने अपने भाइयों के सुख-समृद्धि के लिए उनकी कलाई पर रंग-बिरंगी राखियां बांधती हैं तो वहीँ बहनों की रक्षा और उनका साथ देने का वचन देते हैं।
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रक्षा बंधन कितनी तारीख को है 2025
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार सावन मास की पूर्णिमा तिथि 9 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से प्रारम्भ होगी और 10अगस्त सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। पंचांग के अनुसार इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार 9 अगस्त को ही मनाया जायेगा।
रक्षाबंधन कब मनाया जाता है? (raksha bandhan kab manaya jata hai)
रक्षाबंधन का त्यौहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। बहुत सी जगहों पर इसे राखी पूर्णिमा भी कहते है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतिक है इसलिए पुरे भारतवर्ष में यह खासा लोकप्रिय है।
इस दिन सभी बहने अपने भाइयो की कलाई पर रंग-बिरंगी राखियां बांधती और और उनके सुख-समृद्धि की कामना की। साथ ही भाई भी उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। साल 2025 में रक्षाबंधन 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा।
Celebration of Raksha Bandhan
भाई बहन के प्रेम का त्यौहार इस बार 9 अगस्त को मनाया जायेगा। Rakhsa Bandhan के दिन बहने भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र या राखी बांधती हैं साथ ही वे अपने भाइयो की दीर्घायु समृद्धि व खुशी की कामना करती है वही भाई अपने बहनों की रक्षा का वचन देते है।
2025 Raksha Bandhan इस साल 9 अगस्त को मनाया जा रहा है सावन मास की पूर्णिमा को ही यह पर्व मनाया जाता है हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का समय बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इसलिये रक्षाबन्धन हमेशा शुभ मुहूर्त देखकर ही करना चाहिए रक्षाबंधन भाई-बहन का त्यौहार है। इस दिन बहन भाई को राखी बांधती है जिसके बाद भाई उसे कुछ उपहार, आशीर्वाद देते है।
रक्षाबंधन कब है (rakshabandhan kab hai)
रक्षाबंधन 2025 में 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
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रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 2025 रक्षाबंधन कब है?
- साल 2025 में रक्षाबंधन का पर्व - 9 अगस्त शनिवार के दिन मनाया जायेगा।
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ होगा - 9 अगस्त 2022 दिन गुरुवार को प्रातःकाल 10 बजकर 38 मिनट से।
- पूर्णिमा तिथि समाप्त होगा - 10 अगस्त 2022 दिन शुक्रवार को प्रातःकाल 7 बजकर 5 मिनट पर।
- भद्रा काल का समय हो गोगा - 9 अगस्त सुबह 10 बजकर 38 मिनट से रात्रि 8 बजकर 51 मिनट तक।
- अभिजीत मुहूर्त होगा - दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक।
- अमृत काल मुहूर्त होगा - शाम 6 बजकर 55 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक।
- ब्रह्म मुहूर्त होगा - सुबह 4 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 17 मिनट तक।
- राखी बांधने का शुभ मुहूर्त होगा - सुबह 5 बजकर 48 मिनट से सुबह 6 बजकर 53 मिनट तक।
- प्रदोष काल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त होगा - रात्रि 8 बजकर 51 मिनट से रात्रि 9 बजकर 13 मिनट तक।
- भद्रा काल का शुभ मुहूर्त होगा - 11 अगस्त सुबह 10 बजकर 38 मिनट से रात्रि 8 बजकर 11 मिनट तक।
rakhi kab hai
साल 2025 में रक्षाबंधन का त्योहार शनिवार, 9 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
रक्षाबंधन 2025 शुभ योग
ज्योतिष अनुसार इस बार रक्षा बंधन पर कई शुभ योग बन रहे है। इस साल 9 अगस्त रक्षाबंधन के दिन जहाँ एक और आयुष्मान योग तो वही रवि और सौभाग्य योग बनेगा। इसके आलावा 9 अगस्त को घनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग का भी संयोग प्राप्त हो रहा है। ज्योतिषशास्त्र अनुसार इस दिन भद्रा होने के साथ ही राखी बांधने के कुछ अबूझ मुहूर्त भी होंगे।
किस समय ना बांधे राखी
शास्त्रों की अगर माने तो ऐसी मान्यता है कि कुछ समय या काल ऐसे भी होते है जब भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधी जाती क्योंकि इस काल या समय को शुभ नहीं माना जाता है। राखी बांधने के लिए जो काल या समय शुभ नहीं होता है वो भद्राकाल है। शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते है। इसके आलावा इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि राखी बांधते वक्त कक्ष में अंधेरा नहीं होना चाहिए। राखी बांधते समय भाई या बहन में से किसी का मुख दक्षिण दिशा में न हो क्योंकि दक्षिण दिशा में नकारात्मक शक्तियां प्रबल रहती है।
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रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? (rakshabandhan kyon manaya jata hai)
रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास, और सुरक्षा के बंधन को समर्पित है। इसे मनाने के पीछे कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. भाई-बहन के रिश्ते का सम्मान
यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और उनकी आपसी जिम्मेदारियों का प्रतीक है। बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, जबकि भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
2. पौराणिक कथा - द्रौपदी और कृष्ण
महाभारत में उल्लेख है कि जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का वध करते समय अपनी उंगली काट ली थी, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांधा। इसे देख कृष्ण ने उनकी रक्षा का वचन दिया था।
3. इंद्र और इंद्राणी की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवताओं और दानवों के युद्ध में जब देवताओं की हार हो रही थी, तब इंद्राणी ने इंद्र के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधा। इससे इंद्र को बल मिला और उन्होंने युद्ध में विजय प्राप्त की।
4. ऐतिहासिक संदर्भ - रानी कर्णावती और हुमायूं
मेवाड़ की रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को रक्षा के लिए राखी भेजी थी। हुमायूं ने इसे स्वीकार किया और रानी की सहायता के लिए अपनी सेना भेजी।
5. सांस्कृतिक महत्व
रक्षाबंधन भारतीय समाज में पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाने का प्रतीक है। यह त्योहार प्रेम, सुरक्षा और समर्पण की भावना को बढ़ावा देता है।
यह पर्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते को, बल्कि हर प्रकार के स्नेहपूर्ण संबंध को मजबूत करने का अवसर देता है।
rakhi ka tyohar kab aur kaise manaya jata hai
रक्षाबंधन (राखी) का त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को सशक्त बनाने और उनके बीच के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।
रक्षाबंधन कब मनाया जाता है?
- हिंदू पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
- यह आमतौर पर जुलाई-अगस्त के महीनों में पड़ता है।
- 2025 में रक्षाबंधन 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा।
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?
1. पूजा और राखी बांधने की परंपरा:
- सुबह बहनें पूजा की थाली सजाती हैं। इसमें राखी, रोली, चावल, दीपक और मिठाई रखी जाती है।
- भाई-बहन एकसाथ पूजा करते हैं।
- बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, तिलक लगाती हैं और मिठाई खिलाती हैं।
- भाई बहन की रक्षा का वचन देते हैं और उपहार या आशीर्वाद स्वरूप कुछ भेंट देते हैं।
2. रक्षा सूत्र का महत्व:
- राखी सिर्फ एक धागा नहीं है; यह भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है।
- यह सुरक्षा और प्रेम के अटूट बंधन को दर्शाता है।
3. परिवार का मिलन:
- इस दिन परिवार के लोग एकत्रित होते हैं और साथ में खुशियां मनाते हैं।
- जो भाई-बहन दूर रहते हैं, वे डाक या ऑनलाइन माध्यम से राखी भेजते हैं।
4. सांस्कृतिक विविधता:
- भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
- नेपाल और भारतीय प्रवासी भी इस त्योहार को उत्साहपूर्वक मनाते हैं।
रक्षाबंधन का संदेश
रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते को सुदृढ़ करने के साथ-साथ पारिवारिक एकता, प्रेम और सुरक्षा का संदेश देता है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है।
रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने की पूजा विधि
रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के आपसी प्रेम और स्नेह को दर्शाता है। इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। रक्षाबंधन वाले दिन सबसे पहले राखी की थाली सजाना चाहिए इस थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, पिली सरसों बीज, दीपक और राखी रखें इसके बाद भाई को तिलक करें और उसके दाहिने हाथ में राखी बांधे, राखी बांधने के बाद भाई की आरती जरूर उतारें फिर भाई का मुंह मीठा कराये अगर बहन बड़ी है तो भाई को उसके चरण स्पर्श जरूर करना चाहिए राखी बांधने के बाद भाइयो को इच्छा और अपने समर्थ के अनुसार बहनों को कुछ न कुछ उपहार जरूर देना चाहिए। अगर भाई शादी सुदा है तो कुछ जगह अपनी भाभी को भी राखी बांधने का रिवाज है। कई बहने तो इस रक्षाबंधन वाले दिन अपने भाई के लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।
rakshabandhan kab ka hai
साल 2025 में रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा।
raksha bandhan kab hai 2025
साल 2025 में रक्षाबंधन का त्योहार शनिवार, 9 अगस्त को मनाया जाएगा।
rakshabandhan kitne tarikh ko hai
2025 में रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा।
रक्षाबंधन मुहूर्त से जुड़े नियम
- शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि रक्षाबंधन के डीन अशुभ प्रहरों में राखी नहीं बांधनी चाहिए।
- रक्षाबंधन के दिन भाइयों को राखी बांधते समय रक्षा सूत्र का पाठ करना बिलकुल ना भूलें।
- सावन के महीने में जिस दिन अपराह्न काल में पूर्णिमा पड़ती है, उस दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है।
- यदि पूर्णिमा तिथि के समय अपराह्न काल में भद्रा हो तो भद्राकाल में रक्षाबंधन नहीं मनाना चाहिए और यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में हो तो इस पर्व से जुड़े सभी विधि-विधान अगले दिन के अपराह्न काल में ही किये जाने चाहिए।
- यदि पूर्णिमा तिथि अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में न हो तो रक्षाबन्धन पहले ही दिन भद्रा काल के बाद प्रदोष काल में मनाया जा सकता है। भद्राकाल के समय रक्षाबंधन का पर्व मनाना निषेध माना जाता है।
raksha bandhan kab se manaya jata hai
रक्षाबंधन का पर्व प्राचीन काल से मनाया जा रहा है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएँ और इतिहासिक घटनाएँ जुड़ी हुई हैं। इस पर्व का आयोजन भाई-बहन के रिश्ते को सशक्त बनाने और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में किया जाता है।
ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भ:
1. महाभारत की कथा: महाभारत के दौरान, जब द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण को राखी बांधी थी, तब उन्होंने द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया था। यह घटना रक्षाबंधन के महत्व को दर्शाती है।
2. इंद्र और इंद्राणी की कथा: एक और पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और दानवों के बीच युद्ध हो रहा था, तब इंद्राणी ने अपने पति इंद्र को राखी बांधी थी, जिससे उन्हें शक्ति प्राप्त हुई और उन्होंने दानवों पर विजय प्राप्त की।
3. इतिहास में रानी कर्णावती और हुमायूं: एक ऐतिहासिक घटना के अनुसार, रानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी, जब उन्हें अपने राज्य को बचाने के लिए मदद की आवश्यकता थी। हुमायूं ने इसे स्वीकार किया और उनकी रक्षा के लिए सेना भेजी।
इस प्रकार रक्षाबंधन का पर्व सदियों से मनाया जा रहा है, और यह भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ करने के साथ-साथ सुरक्षा और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है।
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राखी बांधने का सही तरीका व नियम
शास्त्रो और कथाओं के अनुसार राखी बधवाने के कुछ नियम बताए गए है जैसे-- राखी बधवाते समय भाइयो का मुंह पश्चिम दिशा में होना शुभ माना जाता है।
- राखी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- सर्व प्रथम भगवान और अपने ईस्ट देव की पूजा कर उन्हें भी राखी अर्पित करें।
- राखी बांधने के बाद भाई का मुह अवश्य मिठा कराये।
- रक्षाबंधन के दिन हो सकते तो भाई-बहन दोनों को उपवास करना चाहिए।
रक्षाबंधन की पौराणिक कथा (raksha bandhan story in hindi)
रक्षा बंधन कब से मनाया जाता है (raksha bandhan kab se manaya jata hai)
दरअसल राखी और वचनों का बहुत पुराना सम्बन्ध है यह उस समय की बात है जब राखी के इस त्यौहार को कोई भी नहीं जानता था लेकिन जब दैत्यो और देवताओं के बिच में युद्ध शुरू हुआ तो देवराज इंद्र काफी घबरा गए जिसे उन्हें ये लगा की विजय राक्षसो को होगी यह सोचकर इन्द्र घबरा गये जिसके बाद वह तेजी से गुरुदेव बृहस्पति के पास बहुचे यहाँ बृहस्पति और इन्द्रदेव की बाते सुनते देख इन्द्र की पत्नी शची चिंतित हो गई जिसके बाद उन्होंने बृहस्पति से मदद मांगी।यहाँ बृहस्पति ने इंद्र की पत्नी शची को एक रक्षासूत्र दिया जिसको उन्होंने इंद्र की कलाई पर बांधने को कहा शची ने इंद्र की कलाई पर धागे को बांध दिया। इसके बाद इंद्र की विजय हुई और तभी से ही यह पर्व रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाने लगा इसके अलावा जब युद्ध के दौरान जब श्री कृष्ण की उंगली में चोट लगा था तब द्रोपती ने अपने कपड़े का टुकड़ा लेकर श्री किशन जी की उंगली में बांधा था। जिसके बाद श्री कृष्ण ने उन्हें सभी संकट और सदैव सहायता का वरदान दिया था तभी से ही रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।
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रक्षाबंधन के दिन क्या करें क्या ना करें
- शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन के दिन भाइयो को राखी बांधते समय बहनो को रक्षा सूत्र का पाठ करना चाहिए।
- रक्षाबंधन का त्यौहार सावन मास में उस दिन मनाया जाता है जिस दिन दिन पूर्णिमा अपराह्न काल में पड़े।
- यदि पूर्णिमा तिथि के समय अपराह्न काल में भद्रा हो तो भद्राकाल में रक्षाबंधन नहीं मनाना चाहिए यदि पूर्णिमा अगले दिन की शुरुआती तीन मुहूर्तो में हो तो इस पर्व से जुड़े सभी विधि विधान अगले दिन के अपराह्न काल में ही किये जाने चाहिए।
- यदि पूर्णिमा तिथि अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तो में ना हो तो रक्षाबंधन पहले ही दिन भद्रा के बाद प्रदोष काल में मनाया जा सकता है।भद्राकाल के समय रक्षाबंधन का पर्व मानना निषेध माना गया है
रक्षा बंधन कब से और क्यों मनाया जाता है
रक्षा बंधन का पर्व प्राचीन काल से मनाया जाता है और यह भाई-बहन के बीच के पवित्र रिश्ते और उनकी आपसी जिम्मेदारी को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। इसके पीछे कई पौराणिक, ऐतिहासिक, और सामाजिक कारण जुड़े हुए हैं।
कब से मनाया जाता है?
रक्षा बंधन का आरंभ वैदिक काल से माना जाता है। यह पर्व हिंदू ग्रंथों और पुराणों में वर्णित कथाओं से जुड़ा है। इसे मुख्य रूप से श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाने की परंपरा चली आ रही है, जो आज भी जारी है।
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है?
1. भाई-बहन के रिश्ते का सम्मान
बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो उनकी सुरक्षा का प्रतीक होती है। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं।
2. पौराणिक कथाएँ
भगवान कृष्ण और द्रौपदी: महाभारत के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध करते हुए अपनी उंगली घायल कर ली, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांधा। इस पर कृष्ण ने उनकी रक्षा का वचन दिया।
इंद्र और इंद्राणी: पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और दानवों के युद्ध में इंद्राणी ने इंद्र की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था, जिससे इंद्र को शक्ति मिली और वे युद्ध में विजयी हुए।
3. ऐतिहासिक संदर्भ
रानी कर्णावती और हुमायूं: मेवाड़ की रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को रक्षा के लिए राखी भेजी थी। हुमायूं ने इसे स्वीकार किया और उनकी सहायता के लिए सेना भेजी।
4. सांस्कृतिक महत्व
यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने और पारिवारिक एकता को बनाए रखने के लिए मनाया जाता है। यह समाज में प्रेम, सुरक्षा और समर्पण का प्रतीक बन गया है।
संक्षेप में:
रक्षाबंधन सुरक्षा, प्रेम, और विश्वास का प्रतीक है। इसे भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती और समाज में एकता और स्नेह को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
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जय श्री राम
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