डॉ भीमराव अम्बेडकर को बाबा साहेब नाम से भी जाना जाता है। अम्बेडकर जी उनमें से एक है जिन्होंने भारत के संविधान को बनाने में अपना अहम योगदान दिया था। अम्बेडकर जी एक जाने माने राजनेता व प्रख्यात विधिनेता थे इन्होने देश में से छुआ-छूत, जातिवाद को मिटाने के लिए बहुत से आन्दोलन किये।
इन्होने अपना पूरा जीवन गरीबों को दे दिया। दलित व पिछड़ी जाति के हक़ के लिए इन्होने कड़ी मेहनत की आजादी के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू के कैबिनेट में पहली बार अम्बेडकर जी को लॉ मिनिस्टर बनाया गया था। अपने अच्छे काम व देश के लिए बहुत कुछ करने के लिए अम्बेडकर को 1990 में देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।
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ambedkar jayanti kab hai |
डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती 2025 (dr bhimrao ambedkar jayanti 2025 in hindi)
डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती 2025
डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह दिन सोमवार, 14 अप्रैल को पड़ेगा। इस दिन को विशेष रूप से डॉ. अंबेडकर के योगदान और उनके आदर्शों को याद करने के लिए मनाया जाता है।
डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता, समाज सुधारक, और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले महान नेता थे। उनकी जयंती के अवसर पर देशभर में कई कार्यक्रम, रैलियां और विशेष सभाएं आयोजित की जाती हैं, जहाँ उनके विचारों और कार्यों को याद किया जाता है।
Dr Babasaheb Ambedkar Information & Date of Birthday
14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में जन्मे डॉ भीम राव अम्बेडकर जी मालोजी सकपाल और भीमाबाई के सन्तान थे वह एक ऐसे हिन्दू जाति से सम्बन्ध रखते थे, जिसे अछूत समझा जाता था। इस कारण उनके साथ समाज में भेद-भाव किया जाता था। उनके पिता भारतीय सेना में सेवारत थे।पहले भीमराव का उपनाम सकपाल था, पर उनके पिता ने अपने मूल गांव अंबाडवे के नाम पर उनका उपनाम अंबावडेकर लिखवाया था जो बाद में अम्बेडकर हो गया। अपनी जाति के कारण उन्हें सामाजिक प्रतिरोध का सामना पड़ा, स्कूली दिनों में वह बहुत मेनहति और सक्षम होने के बाद भी उनको जाति के आधार पर बहुत सी परेशानियां उठानी पड़ी उसके बाउजूद डॉ बाबा साहेब ने हिम्मत नहीं हारी और अपने पढाई को पूरा किया।
सामाजिक समता और सामाजिक न्याय जैसे सामाजिक परिवर्तन के मुद्दों को प्रमुखता से स्वर देने और परिणाम तक लाने वाले प्रमुख लोगो में डॉ भीमराव अम्बेडकर का नाम अग्रणी है उन्हें बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है। एकात्म समाज निर्माण, समाजिक समस्याओं, अस्पृश्यता जैसे सामाजिक मामलों पर उनका मन संवेदनशील एवं व्यापक था।
सामाजिक समता और सामाजिक न्याय जैसे सामाजिक परिवर्तन के मुद्दों को प्रमुखता से स्वर देने और परिणाम तक लाने वाले प्रमुख लोगो में डॉ भीमराव अम्बेडकर का नाम अग्रणी है उन्हें बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है। एकात्म समाज निर्माण, समाजिक समस्याओं, अस्पृश्यता जैसे सामाजिक मामलों पर उनका मन संवेदनशील एवं व्यापक था।
उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन उंच-नीच, भेद-भाव, छुआ-छूत के उन्मूलन जैसे कार्यों के लिए समर्पित कर दिया। वे कहा करते थे - एक महान आदमी एक आम आदमी से इस तरह से अलग है कि वह समाज का सेवक बनने को तैयार रहता है।
Dr Babasaheb Ambedkar
पिता की सेवानिवृत्ति के बाद उनका परिवार महाराष्ट्र के सतारा चला गया, उनकी मां की मृत्यु के बाद उनके पिता ने दूसरा विवाह कर लिया और बाम्बे जाकर बस गए। यहीं उन्होंने शिक्षा ग्रहण की।वर्ष 1906 में मात्र 15 वर्ष की आयु में उनका विवाह नौ वर्षीय रमाबाई से कर दिया गया। वर्ष 1908 में उन्होंने बारहवीं पास की, स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने बॉम्बे के एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया। उन्हें गायकवाङ राजा सयाजी ने 24 रूपये मासिक की स्कॉलरशिप मिलने लगी।
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वर्ष 1912 में उन्होंने राजनीति विज्ञान व अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली, इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वह अमेरिका चले गए, वर्ष 1916 में उन्हें उनके एक शोध के लिए पीएचडी से सम्मानित किया गया।
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23 March 1931 Shahid Diwas
स्वामी विवेकानंद जयंती | राष्ट्रीय युवा दिवस
23 March 1931 Shahid Diwas
स्वामी विवेकानंद जयंती | राष्ट्रीय युवा दिवस
वर्ष 1912 में उन्होंने राजनीति विज्ञान व अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली, इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वह अमेरिका चले गए, वर्ष 1916 में उन्हें उनके एक शोध के लिए पीएचडी से सम्मानित किया गया।
इसके बाद वह लन्दन गये, किन्तु बीच में ही लौटना पड़ा। आजीविका के लिए इस बीच उन्होंने कई कार्य किये, वह मुंबई के सिडनेम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्राध्यापक भी रहे इसके पश्चात एक बार फिर वह इंग्लैण्ड चले गये।
Columbia University BR Ambedkar
वर्ष 1923 में इन्होने अपना शोध "रूपये की समस्या" को पूरा किया। उन्हें लन्दन विश्विद्यालय द्वारा "डॉक्टर ऑफ साइंस" की उपाधि प्रदान की गई। उन्हें ब्रिटिश बार मे बैरिस्टर के रूप में प्रवेश मिल गया, स्वदेश लौटते हुए भीमराव अम्बेडकर तीन महीने जर्मनी में रुके और बॉन विश्विद्यालय में उन्होंने अर्थशास्त्र का अध्ययन जारी रखा। सन 1927 में कोलंबिया विश्वविद्यालय (Columbia University) ने उन्हें पीएचडी (Phd) की उपाधि प्रदान की।अम्बेडकर को बचपन से ही अस्पृश्यता ले जूझना पड़ा विद्यालय से लेकर नौकरी करने तक उनके साथ भेद-भाव होता रहा। इस भेद-भाव ने उनके मन को बहुत ठेस पहुंचाई, उन्होंने छुआ-छूत का समूल नाश करने की ठान ली। उन्होंने कहा कि जनजाति एवं दलित के लिए देश में एक भिन्न चुनाव प्रणाली होनी चाहिए।
देश भर में घूम-घूम कर उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और लोगो को जागरूक किया। उन्होंने एक समाचार-पत्र "मूकनायक" (लीडर ऑफ साइलेन्ट) शुरू किया।
एक बार उनके भषण से प्रभावित होकर कोल्हापुर के शासक ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया जिसकी देश भर में चर्चा हुई। इस घटना भारतीय राजनीति को एक नया आयाम दिया।
स्वतंत्र मजदूर पार्टी की स्थापना
वर्ष सन 1936 में भीमराव अम्बेडकर ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी की स्थापना की, अगले वर्ष सं 1937 के केन्द्रीय विधान सभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 15 सीटों पर विजय प्राप्त की। उन्होंने इस दाल को आल इंडिया शिड्यूल कास्ट पार्टी में परिवर्तित कर दिया।सन 1946 में संविधान सभा के चुनाव में वह खड़े तो हुए, किन्तु सफलता नहीं मिली, वह रक्षा सलाहकार समिति और वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् के लिए श्रम मंत्री के रूप में सेवारत रहे।
वह देश के पहले कानून मंत्री बने और उन्हें संविधान गठन समिति का अध्यक्ष बनाया गया। अम्बेडकर समानता पर विशेष बल देते थे, वह कहते थे अगर देश की अलग-अलग जाति एक दूसरे से अपनी लड़ाई समाप्त नहीं करेगी तो देश एकजुट कभी नहीं हो सकता।
यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते है तो सभी धर्मशास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए। हमारे पास यह आजादी इसलिए है ताकि हम उन चीजों को सुदाहर कर सके जो सामाजिक व्यवस्था, असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी है जो हमारे मौलिक अधिकारों के विरोधी है।
छुआ-छूत का आजीवन विरोध
बाबा साहेब ने छुआ-छूत का जीवन भर विरोध किया, उन्होंने दलित समाज के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए सराहनीय कार्य किये। वह कहते है - आप स्वयं को अस्पृश्य न मने अपना घर साफ रखे। घिनौनी रीती-रिवाजों को छोड़ देना चाहिए।हमारे पास यह आजादी इसलिए है ताकि हम उन चीजों को सुधार सके जो सामाजिक व्यवस्था, असमानता, भेद-भाव और अन्य चीजों से भरी है जो हमारे मौलिक अधिकारों के विरोधी है। राष्ट्रवाद तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है जब लोगो के बीच जाति, नस्ल या रंग का अंतर भुलाकर उसमें सामाजिक भ्रातृत्व को सर्वोच्च स्थान दिया जाय
जिंदगी के कठिन अनुभवों को सह कर लोहे के सामान कठोर बने, गरीबों के उत्थान के लिए जीवन भर संघर्ष किये डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर लोकप्रिय भारतीय विधिवक्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे।
जिंदगी के कठिन अनुभवों को सह कर लोहे के सामान कठोर बने, गरीबों के उत्थान के लिए जीवन भर संघर्ष किये डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर लोकप्रिय भारतीय विधिवक्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे।
उन्होंने दलित और पिछड़ी जाति के लोगो को प्रेरित किया और दलितों के खिलाफ सामाजिक भेद-भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करने वाले वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री एवं भरतीय सविधान के प्रमुख वास्तुकार बने।
उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकनोमिक दोनों ही विश्विद्यालयों से अर्थशास्त में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की, डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
इसलिए अपनाया था बौद्ध धर्म
अम्बेडकर का बचपन अत्यंत संस्कारि एवं धार्मिक माहौल में बीता था। इस वजह से उन्हें श्रेष्ठ संस्कार मिले, वह कहते थे मैं एक ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए।1950 के दशक में भीम राव अंबेडकर बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हुये 1955 में उन्होंने भारतीय बैद्ध महासभा की स्थापना की, 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में डॉ अम्बेडकर ने अपने समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म को स्वीकार किया। डॉ भीम राव अम्बेडकर द्वारा 10 लाख लोगो का बौद्ध धर्म में रूपांतरण ऐतिहासिक था क्यूंकि यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक रूपान्तरण था।
इसके बाद वे नेपाल के चौथे विश्व बौद्ध सम्मेलन में भाग लेने के लिए काठमांडू गए, उन्होंने अपने अंतिम महाग्रन्थ The BUDDHA & HIS DHAMMA को 1956 में पूरा किया। यह उनकी मृत्यु के पश्चात 1957 में प्रकाशित हुआ। डॉ बाबा साहेब के दिए हुए अभूद पूर्व योगदान के लिए प्रति वर्ष उनका जन्म दिन अम्बेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है।
डॉ बाबा साहेब को श्रेष्ठ चिंतक, ओजश्वी लेखक, यशस्वी वक्ता तथ भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माणकर्ता के रूप में सदैव याद किया जायेगा।
Bhimrao Ambedkar Jayanti Shayari | भीमराव आंबेडकर जयंती शायरी
उच-नीच को छोड़कर आओ एक शुद्ध समाज बनाते है,
ये भारत वासियो आओ भारत के संविधान लिखने वाले का जन्मदिन मनाते है।
कोई कहता है तुम धनवान बनो, कोई कहता है तुम सर्व शक्तिमान बनो,पर अम्बेडकर जी कहते थे, पहले तुम एक अच्छे इंसान बनो।
यह इंसान था बड़ा महान, बाबा साहेब अम्बेडकर था जिनका नाम,
पुरे देश के लिए किया एक अच्छा काम, बना दिया हिंदुस्तान का संविधान।
रोशनी की कहानी सूर्य ने लिखी, चाँदनी की कहानी चाँद ने लिखी,
आज हमें जीने का पूर्ण अधिकार मिला, क्युकी हमारा संविधान अम्बेडकर जी ने लिखी।
Dr Bhimrao Ambedkar Motivational Quotes in Hindi
- हम आदि से अंत तक भारतीय है।
- सागर में मिलकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की एक बूंद के बिपरीत इंसान जिस समाज में रहता है वहां वह अपनी पहचान नहीं खोता है।
- इंसान का जीवन तो स्वतंत्र होता है।
- इंसान सिर्फ समाज के विकास के लिए पैदा नहीं होता, बल्कि खुद के विकास के लिए पैदा होता है।
- जीवन लम्बा होने से कही अच्छा है, जीवन महान होना चाहिए।
- बुद्धि का विकास मानव अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
- मनुष्य और उसके धर्म को समाज के द्वारा नैतिकता के आधार पर चयन करना चाहिए अगर धर्म को मनुष्य के लिए सबकुछ मान लिया जायेगा तो किसी और मानकों का कोई और मूल्य नहीं रह जायेगा।
- एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना काफी नहीं है बल्कि इसके लिए न्याय, राजनीति और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था का होना भी बहुत आवश्यक है।
- इतिहास गवाह है जहाँ नैतिकता और अर्थशास्त्रो के बीच संघर्ष होता है वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है।
- किसी भी कौम का विकास उस कौम की महिलाओं के विकास से ही मापा जाता है।
डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी हिंदी (dr bhimrao ambedkar ka jivan parichay)
डॉ. भीमराव आंबेडकर की जीवनी
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसंबर 1956) भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता, समाज सुधारक, न्यायविद, अर्थशास्त्री और राजनेता थे। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय समाज में व्याप्त जातिवाद, अस्पृश्यता, और असमानता के खिलाफ संघर्ष में बिताया। वे दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के प्रबल समर्थक थे।
प्रारंभिक जीवन
डॉ. आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू (अब डॉ. आंबेडकर नगर) में महार जाति के एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। उनका परिवार सामाजिक भेदभाव और गरीबी से जूझ रहा था।
भीमराव आंबेडकर का बचपन कठिनाइयों से भरा था। महार जाति से होने के कारण उन्हें और उनके परिवार को सामाजिक भेदभाव सहना पड़ा। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाई।
शिक्षा
डॉ. आंबेडकर ने प्रारंभिक शिक्षा सतारा और मुंबई से प्राप्त की। वे एक मेधावी छात्र थे।
- उन्होंने 1912 में मुंबई विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- 1913 में उन्होंने अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वहां से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री (M.A.) और पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
- 1921 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में एक और मास्टर डिग्री और 1923 में डी.एससी. की उपाधि प्राप्त की।
- वे एक कुशल विधिवेत्ता भी थे और ग्रेज़ इन लॉ, लंदन से बैरिस्टर बने।
सामाजिक कार्य
डॉ. आंबेडकर ने भारतीय समाज में फैले जातिगत भेदभाव और अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने दलितों को संगठित कर उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ी।
- 1927 में महाड़ सत्याग्रह: उन्होंने दलितों को सार्वजनिक जल स्रोतों से पानी पीने और मंदिरों में प्रवेश के अधिकार के लिए आंदोलन किया।
- बहिष्कृत हितकारिणी सभा: 1924 में उन्होंने इस संस्था की स्थापना की, जो दलितों के अधिकारों के लिए काम करती थी।
- 1930 का कालाराम मंदिर आंदोलन: उन्होंने दलितों को मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए आंदोलन चलाया।
भारतीय संविधान के निर्माता
भारत की स्वतंत्रता के बाद 1947 में डॉ. आंबेडकर को स्वतंत्र भारत का पहला कानून मंत्री बनाया गया। उन्हें भारतीय संविधान निर्माण समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- उन्होंने एक ऐसा संविधान तैयार किया जो सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक समानता पर आधारित था।
- उन्होंने अस्पृश्यता उन्मूलन, महिलाओं के अधिकार, और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए।
बौद्ध धर्म में परिवर्तन
डॉ. आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में अपने लाखों समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया। उन्होंने हिंदू धर्म में व्याप्त जातिवाद और भेदभाव से असंतुष्ट होकर यह कदम उठाया।
निधन
डॉ. आंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुआ। उन्हें मरणोपरांत 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
डॉ. आंबेडकर की विरासत
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भारतीय समाज को जातिवाद और भेदभाव से मुक्ति दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। वे समानता, न्याय, और स्वतंत्रता के प्रतीक थे। उनका जीवन आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
"मैं उस धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे की शिक्षा देता है।" – डॉ. बी.आर. आंबेडकर
भीमराव अंबेडकर की मृत्यु कब हुई
डॉ. भीमराव आंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था। उनका निधन दिल्ली स्थित उनके घर पर हुआ। उनकी मृत्यु के कुछ समय पहले ही उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था और अपने जीवन के अंतिम वर्षों में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके निधन के बाद, उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
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डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू छावनी (अब जिसे डॉ. अंबेडकर नगर कहा जाता है) में हुआ था। यह स्थान उस समय ब्रिटिश भारतीय सेना की छावनी थी। उनके पिता रामजी सकपाल वहां ब्रिटिश सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे। महू अब भारतीय इतिहास में डॉ. अंबेडकर के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है।
बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती (bhimrao ambedkar jayanti)
बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है। यह दिन डॉ. अंबेडकर के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के प्रति उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने का अवसर है।
इस दिन का महत्व:
- समाज सुधारक: डॉ. अंबेडकर ने दलितों, महिलाओं और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए जीवनभर संघर्ष किया।
- भारतीय संविधान निर्माता: उन्होंने भारतीय संविधान का निर्माण किया, जो समानता, स्वतंत्रता, और सामाजिक न्याय की भावना पर आधारित है।
- शिक्षा और प्रेरणा: उनकी शिक्षाओं और विचारों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया।
जयंती का उत्सव:
- इस दिन भारत में विशेष रूप से दलित समाज और उनके अनुयायी कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
- उनकी मूर्तियों पर माल्यार्पण किया जाता है और सभाएं आयोजित की जाती हैं।
- कई जगहों पर रैलियां, संगोष्ठियां, और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
- डॉ. अंबेडकर नगर (महू) और नागपुर के दीक्षा भूमि जैसे स्थानों पर बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने आते हैं।
डॉ. अंबेडकर की जयंती उनके विचारों और योगदानों को याद करने का एक अवसर है, जो आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं।
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डॉ. भीमराव अंबेडकर (बाबासाहेब)
डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसंबर 1956) भारतीय संविधान के निर्माता, समाज सुधारक, न्यायविद, अर्थशास्त्री, और राजनेता थे। उन्हें "बाबासाहेब" के नाम से भी जाना जाता है। वे भारतीय समाज में व्याप्त जातिवाद और अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष करने वाले महान नेता थे।
प्रारंभिक जीवन
- जन्म: 14 अप्रैल 1891, महू (अब डॉ. अंबेडकर नगर), मध्य प्रदेश।
- परिवार: वे महार जाति (जिसे अछूत माना जाता था) से थे। उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था।
- शिक्षा में बाधाएं: बचपन में उन्हें जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। लेकिन शिक्षा के प्रति उनकी लगन ने उन्हें महान विद्वान बनाया।
शिक्षा
- मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक (1912)।
- कोलंबिया विश्वविद्यालय, अमेरिका से एम.ए. और पीएच.डी. (1927)।
- लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डी.एससी. की उपाधि।
- वे एक कुशल वकील भी थे और ग्रेज़ इन लॉ से बैरिस्टर बने।
महत्वपूर्ण योगदान
1. भारतीय संविधान के निर्माता
- वे संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष थे।
- उन्होंने ऐसा संविधान बनाया जो समानता, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय पर आधारित था।
- संविधान में दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष प्रावधान शामिल किए।
2. सामाजिक सुधारक
- अस्पृश्यता और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष।
- दलितों को शिक्षा और रोजगार के अवसर दिलाने के लिए आंदोलन।
- महाड़ सत्याग्रह (1927): दलितों को पानी के अधिकार दिलाने के लिए आंदोलन।
3. राजनीतिक योगदान
- वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने।
- 1936 में उन्होंने "इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी" की स्थापना की।
4. धर्म परिवर्तन
- 14 अक्टूबर 1956 को उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया।
- उन्होंने लाखों अनुयायियों के साथ हिंदू धर्म में जातिवाद और असमानता के खिलाफ विरोध स्वरूप बौद्ध धर्म ग्रहण किया।
निधन
- मृत्यु: 6 दिसंबर 1956, दिल्ली।
- उन्हें मरणोपरांत 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
विरासत
डॉ. अंबेडकर ने भारतीय समाज को जातिवाद और भेदभाव से मुक्त करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उनकी शिक्षाएं और योगदान आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरित करते हैं।
"जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए।" – डॉ. बी.आर. अंबेडकर
ambedkar jayanti kab hai
अंबेडकर जयंती हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है। यह दिन डॉ. भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू (अब डॉ. अंबेडकर नगर) में हुआ था। यह दिन भारतीय समाज में समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे के उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।
इस दिन के मुख्य आयोजन:
- उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण।
- विभिन्न कार्यक्रमों, सभाओं और रैलियों का आयोजन।
- सामाजिक न्याय और समानता पर चर्चा।
- विशेष रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर उत्सव मनाया जाता है।
यह दिन डॉ. अंबेडकर के आदर्शों और शिक्षाओं को याद करने और उनके संदेशों को अपनाने का एक अवसर है।
डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी हिंदी
डॉ. भीमराव अंबेडकर जीवनी
पूरा नाम: डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर
जन्म: 14 अप्रैल 1891
जन्म स्थान: महू (अब डॉ. अंबेडकर नगर), मध्य प्रदेश
निधन: 6 दिसंबर 1956
उपाधि: भारतीय संविधान के निर्माता, समाज सुधारक, राजनेता, न्यायविद, अर्थशास्त्री
प्रारंभिक जीवन
डॉ. अंबेडकर का जन्म एक गरीब दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल ब्रिटिश सेना में सूबेदार थे। महार जाति के होने के कारण उन्हें बचपन में सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा।
उन्होंने शिक्षा को अपनी सफलता की कुंजी माना और कठिन परिस्थितियों में भी इसे जारी रखा।
शिक्षा
डॉ. अंबेडकर का शैक्षणिक जीवन प्रेरणादायक था:
- स्नातक (B.A.): 1912 में मुंबई विश्वविद्यालय से।
- मास्टर और पीएच.डी.: 1915 और 1917 में कोलंबिया विश्वविद्यालय, अमेरिका से।
- लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डी.एससी.।
- उन्होंने ग्रेज़ इन लॉ (लंदन) से कानून की पढ़ाई कर बैरिस्टर की उपाधि प्राप्त की।
समाजिक सुधारक के रूप में योगदान
1. जातिवाद और अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष:
- उन्होंने दलितों को समाज में बराबरी दिलाने के लिए आंदोलन किए।
- 1927 में महाड़ सत्याग्रह के माध्यम से पानी के अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया।
2. समान अधिकारों के लिए आंदोलन:
- दलितों के मंदिर प्रवेश के लिए कालाराम मंदिर आंदोलन किया।
- शिक्षा और रोजगार में आरक्षण की व्यवस्था के लिए प्रयास किया।
3. बहिष्कृत हितकारिणी सभा:
- 1924 में उन्होंने इस संस्था की स्थापना की, जो दलितों के अधिकारों के लिए कार्य करती थी।
भारतीय संविधान के निर्माता
डॉ. अंबेडकर 1947 में भारत के पहले कानून मंत्री बने।
- उन्होंने संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष के रूप में भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया।
- संविधान में सामाजिक समानता, स्वतंत्रता और न्याय सुनिश्चित किया।
- उन्होंने जाति प्रथा को समाप्त करने और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़े।
राजनीतिक योगदान
- 1936 में उन्होंने "इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी" की स्थापना की।
- बाद में उन्होंने अनुसूचित जाति संघ और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया का गठन किया।
धर्म परिवर्तन
डॉ. अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया।
- उन्होंने हिंदू धर्म में व्याप्त जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ यह कदम उठाया।
- बौद्ध धर्म में उन्होंने समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे के आदर्शों को अपनाया।
मृत्यु और सम्मान
- डॉ. अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुआ।
- 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
विरासत
डॉ. अंबेडकर के विचार और योगदान आज भी समाज को प्रेरित करते हैं। वे समानता, शिक्षा और सामाजिक न्याय के प्रतीक हैं।
उनका जीवन संदेश है:
"शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो।"
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म कहां हुआ और कब हुआ
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू छावनी, मध्य प्रदेश (अब जिसे डॉ. अंबेडकर नगर कहा जाता है) में हुआ था। यह स्थान उस समय ब्रिटिश भारतीय सेना की छावनी थी। उनका जन्म एक दलित महार परिवार में हुआ था, जो उस समय समाज में अछूत माने जाते थे।
डॉ भीमराव अंबेडकर की मृत्यु कहाँ हुई थी
डॉ. भीमराव अंबेडकर की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुई थी। वे दिल्ली स्थित अपने आवास पर थे, जब उनका निधन हुआ। उनकी मृत्यु के कुछ समय पहले ही उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था और अपने जीवन के अंतिम वर्षों में बौद्ध धर्म के प्रचार और सामाजिक सुधार के कार्यों में सक्रिय थे। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार चैत्यभूमि, मुंबई में बौद्ध रीति-रिवाजों के साथ किया गया था।
भीमराव आम्बेडकर मृत्यु की जगह और तारीख
डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुआ था। उनका अंतिम संस्कार 7 दिसंबर 1956 को मुंबई में चैत्यभूमि पर बौद्ध रीति-रिवाजों के साथ किया गया। उनकी मृत्यु के कुछ समय पहले उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था और अपने जीवन के अंतिम वर्षों में सामाजिक न्याय और समानता के लिए काम किया।
डॉ भीमराव का जन्म कब हुआ
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उनका जन्म महू, मध्य प्रदेश (अब डॉ. अंबेडकर नगर) में हुआ था।
भीमराव अंबेडकर पुण्यतिथि (Bhimrao Ambedkar Punytithi)
डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि 6 दिसंबर को मनाई जाती है। यह दिन उनके निधन की सालगिरह के रूप में श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर होता है। डॉ. अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था। इस दिन विशेष रूप से उनकी मूर्तियों पर माल्यार्पण और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां उनके योगदान और विचारों को याद किया जाता है।
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जय श्री राम
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