डॉ भीमराव अम्बेडकर को बाबा साहेब नाम से भी जाना जाता है। अम्बेडकर जी उनमें से एक है जिन्होंने भारत के संविधान को बनाने में अपना अहम योगदान दिया था। अम्बेडकर जी एक जाने माने राजनेता व प्रख्यात विधिनेता थे इन्होने देश में से छुआ-छूत, जातिवाद को मिटाने के लिए बहुत से आन्दोलन किये।
इन्होने अपना पूरा जीवन गरीबों को दे दिया। दलित व पिछड़ी जाति के हक़ के लिए इन्होने कड़ी मेहनत की आजादी के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू के कैबिनेट में पहली बार अम्बेडकर जी को लॉ मिनिस्टर बनाया गया था। अपने अच्छे काम व देश के लिए बहुत कुछ करने के लिए अम्बेडकर को 1990 में देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।
Dr Babasaheb Ambedkar Information & Date of Birthday
14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में जन्मे डॉ भीम राव अम्बेडकर जी मालोजी सकपाल और भीमाबाई के सन्तान थे वह एक ऐसे हिन्दू जाति से सम्बन्ध रखते थे, जिसे अछूत समझा जाता था। इस कारण उनके साथ समाज में भेद-भाव किया जाता था। उनके पिता भारतीय सेना में सेवारत थे।पहले भीमराव का उपनाम सकपाल था, पर उनके पिता ने अपने मूल गांव अंबाडवे के नाम पर उनका उपनाम अंबावडेकर लिखवाया था जो बाद में अम्बेडकर हो गया। अपनी जाति के कारण उन्हें सामाजिक प्रतिरोध का सामना पड़ा, स्कूली दिनों में वह बहुत मेनहति और सक्षम होने के बाद भी उनको जाति के आधार पर बहुत सी परेशानियां उठानी पड़ी उसके बाउजूद डॉ बाबा साहेब ने हिम्मत नहीं हारी और अपने पढाई को पूरा किया।
सामाजिक समता और सामाजिक न्याय जैसे सामाजिक परिवर्तन के मुद्दों को प्रमुखता से स्वर देने और परिणाम तक लाने वाले प्रमुख लोगो में डॉ भीमराव अम्बेडकर का नाम अग्रणी है उन्हें बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है। एकात्म समाज निर्माण, समाजिक समस्याओं, अस्पृश्यता जैसे सामाजिक मामलों पर उनका मन संवेदनशील एवं व्यापक था।
सामाजिक समता और सामाजिक न्याय जैसे सामाजिक परिवर्तन के मुद्दों को प्रमुखता से स्वर देने और परिणाम तक लाने वाले प्रमुख लोगो में डॉ भीमराव अम्बेडकर का नाम अग्रणी है उन्हें बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है। एकात्म समाज निर्माण, समाजिक समस्याओं, अस्पृश्यता जैसे सामाजिक मामलों पर उनका मन संवेदनशील एवं व्यापक था।
उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन उंच-नीच, भेद-भाव, छुआ-छूत के उन्मूलन जैसे कार्यों के लिए समर्पित कर दिया। वे कहा करते थे - एक महान आदमी एक आम आदमी से इस तरह से अलग है कि वह समाज का सेवक बनने को तैयार रहता है।
Dr Babasaheb Ambedkar
पिता की सेवानिवृत्ति के बाद उनका परिवार महाराष्ट्र के सतारा चला गया, उनकी मां की मृत्यु के बाद उनके पिता ने दूसरा विवाह कर लिया और बाम्बे जाकर बस गए। यहीं उन्होंने शिक्षा ग्रहण की।वर्ष 1906 में मात्र 15 वर्ष की आयु में उनका विवाह नौ वर्षीय रमाबाई से कर दिया गया। वर्ष 1908 में उन्होंने बारहवीं पास की, स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने बॉम्बे के एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया। उन्हें गायकवाङ राजा सयाजी ने 24 रूपये मासिक की स्कॉलरशिप मिलने लगी।
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वर्ष 1912 में उन्होंने राजनीति विज्ञान व अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली, इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वह अमेरिका चले गए, वर्ष 1916 में उन्हें उनके एक शोध के लिए पीएचडी से सम्मानित किया गया।
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वर्ष 1912 में उन्होंने राजनीति विज्ञान व अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली, इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वह अमेरिका चले गए, वर्ष 1916 में उन्हें उनके एक शोध के लिए पीएचडी से सम्मानित किया गया।
इसके बाद वह लन्दन गये, किन्तु बीच में ही लौटना पड़ा। आजीविका के लिए इस बीच उन्होंने कई कार्य किये, वह मुंबई के सिडनेम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्राध्यापक भी रहे इसके पश्चात एक बार फिर वह इंग्लैण्ड चले गये।
Columbia University BR Ambedkar
वर्ष 1923 में इन्होने अपना शोध "रूपये की समस्या" को पूरा किया। उन्हें लन्दन विश्विद्यालय द्वारा "डॉक्टर ऑफ साइंस" की उपाधि प्रदान की गई। उन्हें ब्रिटिश बार मे बैरिस्टर के रूप में प्रवेश मिल गया, स्वदेश लौटते हुए भीमराव अम्बेडकर तीन महीने जर्मनी में रुके और बॉन विश्विद्यालय में उन्होंने अर्थशास्त्र का अध्ययन जारी रखा। सन 1927 में कोलंबिया विश्वविद्यालय (Columbia University) ने उन्हें पीएचडी (Phd) की उपाधि प्रदान की।अम्बेडकर को बचपन से ही अस्पृश्यता ले जूझना पड़ा विद्यालय से लेकर नौकरी करने तक उनके साथ भेद-भाव होता रहा। इस भेद-भाव ने उनके मन को बहुत ठेस पहुंचाई, उन्होंने छुआ-छूत का समूल नाश करने की ठान ली। उन्होंने कहा कि जनजाति एवं दलित के लिए देश में एक भिन्न चुनाव प्रणाली होनी चाहिए।
देश भर में घूम-घूम कर उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और लोगो को जागरूक किया। उन्होंने एक समाचार-पत्र "मूकनायक" (लीडर ऑफ साइलेन्ट) शुरू किया।
एक बार उनके भषण से प्रभावित होकर कोल्हापुर के शासक ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया जिसकी देश भर में चर्चा हुई। इस घटना भारतीय राजनीति को एक नया आयाम दिया।
स्वतंत्र मजदूर पार्टी की स्थापना
वर्ष सन 1936 में भीमराव अम्बेडकर ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी की स्थापना की, अगले वर्ष सं 1937 के केन्द्रीय विधान सभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 15 सीटों पर विजय प्राप्त की। उन्होंने इस दाल को आल इंडिया शिड्यूल कास्ट पार्टी में परिवर्तित कर दिया।सन 1946 में संविधान सभा के चुनाव में वह खड़े तो हुए, किन्तु सफलता नहीं मिली, वह रक्षा सलाहकार समिति और वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् के लिए श्रम मंत्री के रूप में सेवारत रहे।
वह देश के पहले कानून मंत्री बने और उन्हें संविधान गठन समिति का अध्यक्ष बनाया गया। अम्बेडकर समानता पर विशेष बल देते थे, वह कहते थे अगर देश की अलग-अलग जाति एक दूसरे से अपनी लड़ाई समाप्त नहीं करेगी तो देश एकजुट कभी नहीं हो सकता।
यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते है तो सभी धर्मशास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए। हमारे पास यह आजादी इसलिए है ताकि हम उन चीजों को सुदाहर कर सके जो सामाजिक व्यवस्था, असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी है जो हमारे मौलिक अधिकारों के विरोधी है।
छुआ-छूत का आजीवन विरोध
बाबा साहेब ने छुआ-छूत का जीवन भर विरोध किया, उन्होंने दलित समाज के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए सराहनीय कार्य किये। वह कहते है - आप स्वयं को अस्पृश्य न मने अपना घर साफ रखे। घिनौनी रीती-रिवाजों को छोड़ देना चाहिए।हमारे पास यह आजादी इसलिए है ताकि हम उन चीजों को सुधार सके जो सामाजिक व्यवस्था, असमानता, भेद-भाव और अन्य चीजों से भरी है जो हमारे मौलिक अधिकारों के विरोधी है। राष्ट्रवाद तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है जब लोगो के बीच जाति, नस्ल या रंग का अंतर भुलाकर उसमें सामाजिक भ्रातृत्व को सर्वोच्च स्थान दिया जाय
जिंदगी के कठिन अनुभवों को सह कर लोहे के सामान कठोर बने, गरीबों के उत्थान के लिए जीवन भर संघर्ष किये डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर लोकप्रिय भारतीय विधिवक्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे।
जिंदगी के कठिन अनुभवों को सह कर लोहे के सामान कठोर बने, गरीबों के उत्थान के लिए जीवन भर संघर्ष किये डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर लोकप्रिय भारतीय विधिवक्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे।
उन्होंने दलित और पिछड़ी जाति के लोगो को प्रेरित किया और दलितों के खिलाफ सामाजिक भेद-भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करने वाले वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री एवं भरतीय सविधान के प्रमुख वास्तुकार बने।
उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकनोमिक दोनों ही विश्विद्यालयों से अर्थशास्त में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की, डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
इसलिए अपनाया था बौद्ध धर्म
अम्बेडकर का बचपन अत्यंत संस्कारि एवं धार्मिक माहौल में बीता था। इस वजह से उन्हें श्रेष्ठ संस्कार मिले, वह कहते थे मैं एक ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए।1950 के दशक में भीम राव अंबेडकर बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हुये 1955 में उन्होंने भारतीय बैद्ध महासभा की स्थापना की, 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में डॉ अम्बेडकर ने अपने समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म को स्वीकार किया। डॉ भीम राव अम्बेडकर द्वारा 10 लाख लोगो का बौद्ध धर्म में रूपांतरण ऐतिहासिक था क्यूंकि यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक रूपान्तरण था।
इसके बाद वे नेपाल के चौथे विश्व बौद्ध सम्मेलन में भाग लेने के लिए काठमांडू गए, उन्होंने अपने अंतिम महाग्रन्थ The BUDDHA & HIS DHAMMA को 1956 में पूरा किया। यह उनकी मृत्यु के पश्चात 1957 में प्रकाशित हुआ। डॉ बाबा साहेब के दिए हुए अभूद पूर्व योगदान के लिए प्रति वर्ष उनका जन्म दिन अम्बेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है।
डॉ बाबा साहेब को श्रेष्ठ चिंतक, ओजश्वी लेखक, यशस्वी वक्ता तथ भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माणकर्ता के रूप में सदैव याद किया जायेगा।
Bhimrao Ambedkar Jayanti Shayari | भीमराव आंबेडकर जयंती शायरी
उच-नीच को छोड़कर आओ एक शुद्ध समाज बनाते है,
ये भारत वासियो आओ भारत के संविधान लिखने वाले का जन्मदिन मनाते है।
कोई कहता है तुम धनवान बनो, कोई कहता है तुम सर्व शक्तिमान बनो,पर अम्बेडकर जी कहते थे, पहले तुम एक अच्छे इंसान बनो।
यह इंसान था बड़ा महान, बाबा साहेब अम्बेडकर था जिनका नाम,
पुरे देश के लिए किया एक अच्छा काम, बना दिया हिंदुस्तान का संविधान।
रोशनी की कहानी सूर्य ने लिखी, चाँदनी की कहानी चाँद ने लिखी,
आज हमें जीने का पूर्ण अधिकार मिला, क्युकी हमारा संविधान अम्बेडकर जी ने लिखी।
Dr Bhimrao Ambedkar Motivational Quotes in Hindi
- हम आदि से अंत तक भारतीय है।
- सागर में मिलकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की एक बूंद के बिपरीत इंसान जिस समाज में रहता है वहां वह अपनी पहचान नहीं खोता है।
- इंसान का जीवन तो स्वतंत्र होता है।
- इंसान सिर्फ समाज के विकास के लिए पैदा नहीं होता, बल्कि खुद के विकास के लिए पैदा होता है।
- जीवन लम्बा होने से कही अच्छा है, जीवन महान होना चाहिए।
- बुद्धि का विकास मानव अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
- मनुष्य और उसके धर्म को समाज के द्वारा नैतिकता के आधार पर चयन करना चाहिए अगर धर्म को मनुष्य के लिए सबकुछ मान लिया जायेगा तो किसी और मानकों का कोई और मूल्य नहीं रह जायेगा।
- एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना काफी नहीं है बल्कि इसके लिए न्याय, राजनीति और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था का होना भी बहुत आवश्यक है।
- इतिहास गवाह है जहाँ नैतिकता और अर्थशास्त्रो के बीच संघर्ष होता है वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है।
- किसी भी कौम का विकास उस कौम की महिलाओं के विकास से ही मापा जाता है।
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