शनि जयंती (Shani Jayanti 2021 ) कब है? जाने शुभ मुहूर्त, जन्मकथा और इस दिन किये जाने वाले महाउपायों के बारे में

शनि जयंती ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है शनि देव सूर्य के पुत्र है इन्हे न्याय और मृत्यु का देवता माना जाता है इनका वर्ण काला है यही कारण है की इनको काला रंग बहुत ही पसंद है। इस दिन शनि देव की विशेष पूजा का विधान है विशेषकर शनि की साढ़े साती, शनि की अढैया आदि शनि दोष से पीड़ित जातकों के लिए इस दिन का बहुत ही महत्त्व माना गया है। सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र भगवान शनि के अवतरण दिवस के रूप में हम इस दिन को मनाते है, इस उत्सव को हम शनि जयंती भी कहते है। जन्म के समय से ही बड़े ही सुन्दर शनि देव श्याम वर्ण, लंबे शरीर, बड़े आँखों और बड़े केशो वाले है।

भले ही मूर्ति बनकर बैठे है, पर मेरे साथ खड़े है,
आये जब ही संकट मुझपर, मुझसे पहले मेरे शनि देव लड़े है
और मौत का डर उनको लगता है, जिनके कर्मो में दाग होता है,
हम तो शनि के गुरु भोलेनाथ के भक्त है, हमारे तो खून में ही आग है।

शास्त्रों के अनुसार अमावस्या चन्द्रमास के कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है इसके पश्चात् चंद्र दर्शन के साथ ही शुक्ल पक्ष का शुरुआत होता है। यह तिथि धर्म-कर्म, स्नान-दान और तर्पण जैसे कार्यों के लिए बहुत ही शुभ है। ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन शनि जयंती बनाया जाता है और साथ ही इसी दिन वट सावित्री का व्रत भी रखा जाता है। जा इस लेख में शनि अमावस्या या शनि जयंती शुभ मुहूर्त, जन्मकथा, पूजा विधि और इस दिन किये जाने वाले चमत्कारी उपाय के बारे में बताएँगे। 

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Shani Dev महाराज जयंती या Shani jayanti  शुभ मुहूर्त 2020 कब है
Shani Jayanti

शनि जयंती कब पड़ता है?

धर्मोक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन न्याय के देवता शनि देव का जन्म हुआ था। इसे शनि अमावस्या, शनि जयंती के नाम से भी जानते है। इस दिन वट सावित्री व्रत भी किया जाता है। 

शनि जयंती ज्येष्ठ अमावस्या शुभ मुहूर्त | Shani Jayanti Muhurat

  • साल 2021 में शनि जयंती - ज्येष्ठ अमावस्या और वट सावित्री व्रत 10 जून गुरुवार के दिन है।
  • अमावस्या तिथि प्रारंभ होगा - 9 जून बुधवार दोपहर 1 बजकर 57 मिनट पर। 
  • अमावस्या तिथि समाप्त होगा - 10 जून शाम 4 बजकर 22 मिनट पर। 

शनि जयंती, शनि अमावस्या पूजा विधि

शास्त्रों के अनुसार शनि देव का जन्मोत्सव ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस बार 10 जून को शनि देव जयंती, शनि अमावस्या और वट सावित्री व्रत एक साथ दुर्लभ योग में आया है। इस लिए आज के दिन का पूजा विशेष होगा इस दिन सर्वप्रथम स्नान कर भगवान शनि देव की पूजा जरूर करें। मान्यता है कि यदि आज सिद्दी विधि से पूजा किया जाय तो इसका फल अवश्य ही मिलता है। शनि देव की पूजा में शनि मन्त्र ॐ शं शनैश्चराय नमः का जाप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जाप करते समय शनि देव को तेल अर्पित कर तेल के दीपक से आरती करें। और सभी की सुख-समृद्धि की कामना करें। 

शनि देव की पूजा के नियम

शास्त्रों में शनि देव को न्याय का देवता और नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है ऐसी मान्यता है की वह व्तक्ति को उसके अच्छे बुरे कर्मों का फल जरूर देतें है। कोई भी काम उनसे छिपा नहीं रह सकता इसलिए उनकी पूजा का बहुत महत्त्व और कुछ विशेष नियम है तो आइये जानते है शनि अमावस्या पर कौन से काम करने चाहिए और कौन से नहीं। 
  • शास्त्रों के अनुसार शनि देव की पूजा में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हुए उनका पूजा करना चाहिए। 
  • शनि अमावस्या पर शनि देव के साथ हनुमान जी की पूजा करने से शनि दोष से जल्दी छुटकारा मिलता है। 
  • शनि देव को उनकी पूजा में लाल रंग के फूल के बजाय नीला फूल चढ़ाये। 
  • शनि देव की प्रतिमा के दर्शन करते समय उनकी ोृतिमा की आँखों में नहीं देखना चाहिए। 
  • शनि देव की पूजा पश्चिम दिशा में करना चाहिए क्योंकि पाश्चिप दिशा को ही उनका दिशा माना गया है। 
  • पूजा में हमेशा काले तिल और खिचड़ी का भोग के रूप में प्रयोग करें। 
  • मान्यता है कि शनि देव को काले तिल अर्पित करने पर व्यक्ति की कुंडली में अशुभ ग्रहों की छाया दूर हो जाता है। 

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शनि देव का जन्म  कथा | Happy Shani Jayanti

शनि देव की जन्म से जुडी एक कथा स्कन्द पुराण में है जिसके अनुसार सूर्य देव का विवाह राजा दक्ष की कन्या संज्ञा के साथ हुआ था। सूर्य देव को संज्ञा से तीन बच्चों का जन्म हुआ सूर्य देव ने उनका नाम यम, यमुना और मनु रखा संज्ञा सूर्य देव के तेज से परेशान रहती थी। वह उनके तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाई इसलिए उन्होंने अपनी प्रति रूप छाया को अपना उत्तरदाईत्व देकर सूर्य देव को छोड़कर चली गई।

छाया शिव भक्त थी भक्ति तथा तपस्या में लीन रहती थी परिणाम स्वरुप छाया के गर्भ से उत्पन्न शिशु जिनका नाम शनि रखा गया। जो काले वर्ण के हुए काले रंग का होने के कारन  पिता सूर्य देव छाया के ऊपर लांछन लगाते हुए बोले कि यह मेरा पुत्र नहीं हो सकता। शनि देव के अंदर जन्म से ही माँ की तपस्या की शक्ति का बल था उन्होंने देखा कि मेरे पिता माँ का अपमान कर रहे है उन्होंने क्रूर दृष्टि से अपने पिता को देखा तो पिता के शरीर का रंग काला सा हो गया।
घोड़ों को चाल रुक गई रथ आगे नहीं चल सका सूर्य देव परेशान होकर शिव जी को पुकारने लगे  शिव जी ने सूर्य देव को सलाह दी की आप के द्वारा नारी और पुत्र दोनों का ही अपमान हुआ है इसलिए यह दोष लगा है और सूर्य देव ने अपनी गलती को स्वीकार किया तथा क्षमा माँगा पुनः सुन्दर रूप एवं घोड़ो की गति प्राप्त की तब से शनि देव पिता के विरोधी, शिव जी के भक्त तथा माता के प्रिय हो गये।

शनि जयंती उपवास

व्यक्ति को प्रातः काल उठने के पश्चात नित्य कर्म से निपटने के बाद स्नान आदि कर के स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए इसके बाद एक लकड़ी की चौकी या पट्टा पर काला कपड़ा बिछाकर उसपर शनि देव की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें यदि प्रतिमा या फोटो घर में न हो तो एक सुपारी रख देना चाहिए इसके बाद उसके दोनों ओर शुद्ध तेल का दीपक तथा धूप जलाना चाइये फिर शनि देव की मूर्ति या सुपारी को जल, दुग्ध, पंचामृत, घी, इत्र से स्नान कराये। 
इसके बाद सिंदूर, कुंकुम एवं काजल लगा के नीले या काले रंग के पुष्प अर्पित करना चाहिए। तत् पश्चात् ऋतु फल के साथ श्री फल अर्पित काना चाहिए। इमिरती या तेल से तली हुई वस्तुओं का नैवेद्य चढ़ाना चाहिए इसके बाद विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद  शनि मन्त्र ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। 

इसके बाद शनि चालीसा और शनि देव जी की आरती करें शनि देव की पूजा करने के बाद अपने सामर्थ के अनुसार दान भी देना चाहिए इस दिन काला कपड़ा, काली उड़द, छाता, जूता, लोहे की वस्तु, जामुन, तिल, तेल से बनी हुई वस्तुएं आदि को बेहद शुभ माना गया है। गरीब और जरूरतमंदों को भोजन कराने से शनि देव बहुत ही प्रसन्न होते है।

शनि जयंती के के दिन करें ये महाउपाय | What to do on Shani Jayanti


  • अगर आप शनि देव को प्रसन्न करना चाहते है या शनि दोष से बचाना चाहते है तो हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए।
  • शनिवार या शनि जयंती के दिन छाया पात्र यानि एक कटोरी में तेल लेकर उसमे मुँह देखकर शनि मंदिर में अर्पण करना चाहिए। इससे शनि देव शीघ्र ही प्रसन्न होते है। 
  • तिल के तेल का दीपक जलाये।
  • शम्मी का पेड़ घर में लगाए और जल अर्पण कर पूजा करना चाहिए।
  • शनि के प्रकोप से यदि आप परेशान है तो अमावस्या के दिन काली गाय की सेवा करें उसे चारा खिलाये या रोटी खिलाएं फिर उसकी पूंछ से अपने सर को आठ बार झार दें।
  • शनि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करे इस दिन पीपल में सात प्रकार के अनाज अर्पित करें उसमे से कुछ भाग जरूरतमंद को दे दें।
  • इस दिन आप 800 ग्राम सरसों का तेल दान करें।

शनि जयंती के दिन इस चीज का सेवन न करें

शनि जयंती के दिन मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए इससे शनि देव नाराज हो जाते है शनि जयंती के दिन काली तिल , सरसों  के तेल का भी सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दिन सरसों के तेल से शनि देव का अभिषेक किया जाता है और शनि देव पर तेल अर्पित किये जाते है। शनि जयंती के दिन मसूर की दाल नहीं खाना चाहिए यह मंगल से प्रभावित होती है मंगल शनि के दोष को उत्तेजित कर सकते है इसलिए शनि जयंती के दिन मसूर के दाल नहीं खाना चाहिए।

शनि जयंती के दिन आम का अचार भी नहीं खाना चाहिए दरअस्ल कच्छा खट्टा और कसैला होता है और कसैली चीजें शनि देव को पसंद नहीं है। शनि देव कसैली चीजो के विरोधी है अगर आप शनि जयंती के दिन दूध या दही का सेवन करना चाहते है तो उनमें थोड़ी सी हल्दी या गुड़ मिलाकर पीना चाहिए यानि के वे सफ़ेद रंग की ना हो इससे भी शनि देव प्रसन्न होते है।

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शनि जयंती के दिन क्या नहीं करना चाहिए

शनि जयंती के दिन बाल, नाख़ून भूलकर भी ना काटे इससे आर्थिक तरक्की रुक जाती है। बरवाजे पर कोई भिखारी आये तो उसे खाली हाथ न लौटाएं। उसे कुछ ना कुछ खाने को या पैसा अवश्य दें शनि जयंती के दिन पवित्र पौधों पर से जैसे तुलसी, दुर्बा, वेल पत्र और पीपल के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। जरूरत हो तो इन्हे एक दिन पहले तोड़कर शुद्ध जल में डालकर रखें। शनि जयंती के दिन नए वस्त्र ना ख़रीदे ना ही नए वस्त्र पहने, नए वस्त्रों को शनि जयंती के दिन बिल्कुल नहीं पहनना चाहिए।

शनि जयंती के दिन अपने पहनने के लिए जुटे भी ना ख़रीदे। शनि जयंती के दिन क्रोध ना करें। असंयम भाषा का प्रयोग ना करें, स्त्रियों का सम्मान करें, लडाई झगडा ना करें और गाली-गलौज ना करें चोरी ना करें ,कोई भी गलत कार्य ना करें, नहीं तो शनि देव उसका दंड अवश्य देंगे। शनि जयंती के दिन जरुरी हो तभी यात्रा करें अन्यथा यात्रा टालना ही बेहतर रहेगा।

काँच की वस्तुएँ ना ख़रीदे इससे परिवारिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दिन कर्ज ना ले अन्यथा कर्जा कभी समाप्त नहीं होगा। शनि जयंती के दिन झूठ बोलना, बुराई करना, किसी का पैसा हड़पना, किसी दूसरे की संपत्ति पर कब्ज़ा करने से आपको उसका कई गुना ज्यादा लौटना पड़ेगा। शनि जयंती के दिन अगर आप ये काम करेंगे तो आपको शनि के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है इसलिए भूलकर भी इन कामों को ना करें।

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