प्राचीन मान्यताओं के अनुसार चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ माना जाता है। इस दिन को हनुमान जयंती के नाम से भी जानते है। इस दिन चैत्र पूर्णिमा भी होती है जो बेहद ही खास मानी जाती है अगर आज के दिन बजरंग बलि हनुमान जी की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाय तो व्यक्ति के सभी संकट दूर होने के साथ ही शत्रुओं पर विजय और धन वृद्धि भी होती है। हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवता माना जाता है। हनुमान जी को चिरंजीवी भी कहा जाता है जिसका अर्थ है कभी न मरने वाला।
Hanuman Jayanti 2021 | हनुमान जयंती 2021
संकट मोचन अंजनी सुत पवन पुत्र हनुमान जी का जन्मोत्सव चैत्र मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है। पभु की लीलाओं से कौन अपरचित अनजान है हनुमान जयंती के दिन बजरंबली की विधिवत पूजा-पाठ करने से शत्रु पर विजय और मनोकामना की पूर्ति होती है। हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें रूद्र अवतार माने जाते है, उनके जन्म के बारे में पुराणों में जो लेख मिलता है उसके अनुसार अमृत्य के प्राप्ति के लिए जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो उससे निकले अमृत को असुरों ने छीन लिया और आपस में ही लड़ने लगे जब भगवान विष्णु मोहनी के भेष में अवतरित हुए मोहिनी रूप देखकर देवता व असुर तो क्या स्वयं भगवान शिव जी भी कामातुर हो गए इस समय भगवान शिव ने जो वीर्य त्याग किया उसे पवन देव ने बानर राज केशरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया जिसके फल स्वरुप माता अंजना के गर्भ से केशरी नंदन , मारुती नंदन यानि की संकट मोचन श्री राम भक्त श्री हनुमान का जन्म हुआ था।
Hanuman Jayanti Shubh Muhurt 2021 | हनुमान जयंती शुभ मुहूर्त 2021
- साल 2021 में हनुमान जयंती का पर्व 8 अप्रैल बुधवार के दिन होगा।
- पूर्णिमा तिथि आरम्भ होगी - 7 अप्रैल दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से।
- पूर्णिमा तिथि की समाप्ति होगी - प्रातः 8 अप्रैल 8 बजकर 4 मिनट पर।
Hanuman Jayanti Pujan Samagri | हनुमान जयंती पूजन सामग्री
आप पूजा के लिए एक लकड़ी की चौकी या पटरा ले, लाल वस्त्र या लंगोट, हनुमान जी की फोटो या खड़ी मूर्ति, अछत, तुलसी की पत्ती, धुप, दिप, घी, केले फुल-माला, चमेली तेल, सिंदूर, रोली, चंदन, जनेऊ, पान का बीड़ा, गुड़ या भुने हुए चने या बेसन का लड्डू आदि सामग्री की आवश्यकता होती है।
हनुमान जयंती पूजा विधि
कहा जाता है की हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली की विधिवत पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। हनुमान जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रभु श्री राम, माता सीता व श्री हनुमान जी का ध्यान करते हुए स्नान कर हनुमान जी की प्रतिमा पूजा स्थल पर स्थापित कर ले और विधिवत पूजा करे। प्रतिमा पूजा स्थल पर स्थापित कर ले और विधिवत पूजा करे आज के दिन हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ फिर हनुमाज जी की आरती करे, यदि संभव हो तो घर पर सुन्दरकाण्ड या हनुमान चालीसा का अखण्ड पाठ भी करना लाभकारी होता है। पूजा के अंत में हनुमान जी को प्रसाद के रूम में गुड़, भीगे चने व बेसन का लड्डू चढ़ाये। हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी को सिंदूर भी चढ़ाये और पूजा करते समय ॐ श्री हनुमंते नम: मंत्र का जाप करें।
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हनुमान जयंती के दिन बरतें निम्न सावधानियां
- व्रत रखने वाले व्रत की रात्रि से ब्रम्हचर्य का पालन करे।
- हो सके तो जमीं पर ही सोइये इससे आपको अधिक लाभ मिलेगा।
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रभ श्री राम, माता सीता व हनुमान जी का स्मरण करे।
- मदिरा या मांस का सेवन न करें।
- व्रत वाले दिन का का सेवन नहीं कारन चाहिए।
- इस दिन स्त्रियों के स्पर्श से दूर रहना चाहिए क्युकी हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे।
हनुमान जयंती लाभ एवं उपाय
हनुमान जयंती के दिन किये जाने वाले उपाय विशेष फल देने वाले होते है। इसीलिए आज के दिन बजरंग बली को प्रसन्न करने के लिए चोला चढ़ाये इससे जल्द ही आपकी मनोकामना पूरी होगी। इस बार हनुमान जयंती पर लकडाउन का कारन घर पर ही पूजा करनी होगी इसलिए घर पर ही हनुमान जी के समक्ष सरसो के तेल का दिया जलाकर हनुमान जी का पाठ करें। इससे आपको सभी संकटों से छुटकारा मिलेगा। यदि आप अपने बिगड़े हुए काम बनाना चाहते है और सफलता प्राप्त करना चाहते है तो हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी को पान का पत्ता और लौंग जरूर अर्पित करें।
Hanuman Ji ki Arati | हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।जाके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अनजानी पुत्र महाबलदाय, संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए, लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जम कारे, अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे, जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई, तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमान जी की आरती गावै, बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
Shree Hanuman Chalisa | श्री हनुमान चालीसा
श्रीगुरु चरन सरोज रजनिजमनु मुकुरु सुधारि
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुँचित केसा।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेउ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जग वंदन।
बिद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचन्द्र के काज सँवारे।
लाय सजीवन लखन जियाये
श्री रघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
लंकेश्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानु
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रच्छक काहू को डर ना।
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तें काँपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै।
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरन्तर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै।
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा।
तुह्मरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै
अन्त काल रघुबर पुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई।
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।
जय जय जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महा सुख होई।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप
2 टिप्पणियाँ
Aj Bajrangbali mahabalikasto ko harne purabhu shree Ram ji ke ke juanti par samast pradiyon ke rakchha kare ahi kamna hai
जवाब देंहटाएंआप ने काफी अच्छा आर्टिकल लिखा है और में आप की वेबसाइट को फॉलो करता हु और मैंने भी इस टॉपिक <a href="https://hinditop.in/hanuman-jayanti-in-hindi/>हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है</a> पर एक आर्टिकल लिखा है आप एक बार उसको देख सकते है और अगर आप यह चाहते है की हम आप के लिए भी आर्टिकल लिखे तो आप हम को info.hinditop@gmail.com पर हम को msg कर सकते है हम फ्री में आप को आर्टिकल लिख के देगे
जवाब देंहटाएंजय श्री राम
सभी हिन्दू भाइयो का हमारे ब्लॉग राहुल गुप्ता कट्टर हिन्दू में स्वागत है हमसे जुड़ने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद आप अपनी प्रतिक्रिया हमें कमेंट के माध्यम से अवश्य दे जिससे हम अपने ब्लॉग के अंदर और बहुत सारी जानकारी आपको प्रदान कर सके|