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करवा चौथ कब मनाया जाता है? | Karwa Chauth 2025 Katha, Puja Vidhi in hindi

इस व्रत को सुहागन महिलाये अखंड सौभाग्य की कामना के साथ पूरा दिन निर्जला उपवास करते हुए रात्रि में चंद्र देव की पूजा करती है। साथ ही कुंवारी कन्याये सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए करवा चौथ का उपवास करती है। शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है की यदि इस दिन सुहागन स्त्रियां व्रत रखें तो उन्हें पति की दीर्घायु  सुखद गृहस्त जीवन का वरदान मिलता है। 

आज हम आपको साल 2025 करवा चौथ व्रत की सही तिथि, karwa chauth katha, करवा चौथ कब है, करवा चौथ की पूजा कैसे करते हैं, पूजा का मुहूर्त, करवा चौथ व्रत की कहानी, karwa chauth kab hai, karwa chauth puja vidhi in hindi, karwa chauth ki kahani hindi, सामग्री और इस व्रत की पूजन विधि के बारे`के बारे में बताएँगे

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करवा चौथ कब मनाया जाता है? | Karwa Chauth Puja Vidhi in Hindi
करवा चौथ

करवा चौथ व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त 2025 (Karwa Chauth Date 2025)

  • साल 2025 में करवा चौथ का व्रत - 1 नवंबर 2025 दिन बुधवार को रखा जायेगा
  • चतुर्थी तिथि प्रारम्भ होगा - 31 अक्टूबर मंगलवार रात्रि 9 बजकर 30 मिनट पर
  • चतुर्थी तिथि समाप्त होगा - 1 नवंबर बुधवार रात्रि 9 बजकर 19 मिनट पर
  • चन्द्रोदय का समय - रात्रि 8 बजकर 15 मिनट पर।
  • पूजा का शुभ मुहूर्त - 1 नवंबर सांयकाल 5 बजकर 36 मिनट से 6 बजकर 54 मिनट तक।

भारत के प्रमुख शहरों में चांद निकलने का समय

  • लखनऊ - 8 बजकर 5 मिनट पर।
  • वाराणसी - रात्रि 8 बजे।
  • दिल्ली - 8 बजकर 15 मिनट पर।
  • नोयडा - 8 बजकर 8 मिनट पर।
  • मुंबई - 8 बजकर 59 मिनट पर।
  • जयपुर - 8 बजकर 19 मिनट पर।
  • देहरादून - 8 बजकर 6 मिनट पर।
  • शिमला - 8 बजकर 3 मिनट पर।
  • गांधीनगर - 8 बजकर 51 मिनट पर।
  • अहमदाबाद - 8 बजकर 50 मिनट पर।
  • कोलकाता - 7 बजकर 46 मिनट पर।
  • पटना - 7 बजकर 51 मिनट पर।
  • प्रयागराज - 8 बजकर 5 मिनट पर।
  • कानपुर - 8 बजकर 8 मिनट पर।
  • चंडीगढ़ - 8 बजकर 10 मिनट पर।
  • लुधियाना - 8 बजकर 10 मिनट पर।
  • जम्बू - 8 बजकर 8 मिनट पर।
  • बंगलूरु - 8 बजकर 54 मिनट पर।
  • गुरुग्राम - 8 बजकर 21 मिनट पर।
  • असम - 7 बजकर 11 मिनट पर।
  • पुणे - 8 बजकर 56 मिनट पर।

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पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार करवाचौथ के दिन पूजा के लिए सबसे शुभ मुहूर्त की अगर बात करे तो इस दिन शाम 5.54 मिनट से लेकर 7.02 मिनट तक, शाम 5:45 मिनट से 7:25 मिनट, शाम 5.36 मिनट से लेकर 6.54 मिनट तक का समय पूजा के लिए बहुत ही शुभ है। इनमे से किसी भी शुभ मुहूर्त में सुहागिन महिलाओं को करवा पूजा करनी चाहिए।

करवा चौथ शुभ संयोग 2025

इस साल करवा चौथ पर 3 शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:33 बजे से शुरू हो रहा है, जो अगले दिन प्रातः 04:36 बजे तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए कार्य सफल और सिद्ध होते हैं। प्रात: काल से दोपहर 02 बजकर 07 मिनट तक परिघ योग रहेगा, उसके बाद से शिव योग प्रारंभ होगा, जो अगले दिन तक रहेगा. करवा चौथ के दिन मृगशिरा नक्षत्र सुबह से लेकर अगले दिन 2 नंवबर को सुबह 04:36 बजे तक है। इस बार करवा चौथ पर इन शुभ योगो में पूजा करने से उत्तम फल की प्राप्ति होगी।

करवा चौथ कब मनाया जाता है (karva chauth kab manaya jata hai)

पति की लम्बी उम्र के लिए हर सुहागिन करवा चौथ (Karwa Chauth) के दिन व्रत रखती है। करवा चौथ विवाहित के लिए सबसे बड़े दिनों में से एक है। पुरे भारत में यह व्रत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है 

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। करवा चौथ का व्रत प्रत्येक सुहागन स्त्री के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाये पुरे दिन निर्जला रहकर व्रत करती है। इस बार करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को किया जायेगा। 

करवा चौथ क्यों मनाया जाता है (karwa chauth kyu manaya jata hai in hindi)

करवा चौथ सभी व्रतों में महत्वपूर्ण माना गया है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को को रखा जाता है। इस दिन सभी सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है और साथ ही कुंवारी कन्याएं भी सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए करवा चौथ का उपवास करती है। 

यह व्रत कठिन व्रतों में से एक है। इस व्रत को बिना अन्न-जल ग्रहण किये पूर्ण करना होता है। मान्यता है कि इस व्रत से सुहागिन महिलाओं को पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है। 

करवा चौथ कैसे मनाया जाता है

करवा चौथ भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख व्रत और त्योहार है, जो उनके पति की लंबी उम्र और सुखद दांपत्य जीवन के लिए समर्पित है। इसे विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने की प्रक्रिया में कई रस्में और परंपराएं शामिल होती हैं।

करवा चौथ मनाने की प्रक्रिया:

1. सजावट और तैयारी:

  • महिलाएं सुबह जल्दी उठकर सरगी (सुबह की विशेष थाली) खाती हैं। सरगी आमतौर पर सास द्वारा दी जाती है और इसमें फल, मिठाइयां, और सूखे मेवे होते हैं।
  • दिनभर महिलाएं निर्जल और निराहार व्रत रखती हैं।
  • पूजा के लिए थाली, दीया, करवा (मिट्टी का घड़ा), चावल, रोली और मिठाई की तैयारी की जाती है।

2. सजना-संवरना:

  • महिलाएं इस दिन नई साड़ी, पारंपरिक परिधान या लाल और सुनहरे रंग के कपड़े पहनती हैं।
  • मेहंदी लगाई जाती है और गहनों से सजती हैं। यह उनका त्योहार का विशेष अंग है।

3. पूजा की तैयारी:

  • शाम को करवा चौथ की कथा सुनने के लिए महिलाएं एकत्र होती हैं।
  • पूजा स्थल को सजाया जाता है और करवा (मिट्टी या धातु का घड़ा) में पानी भरा जाता है। इसे विशेष रूप से पूजा का हिस्सा बनाया जाता है।

4. करवा चौथ कथा:

  • महिलाएं सामूहिक रूप से करवा चौथ व्रत कथा सुनती हैं। इसमें सत्यवान-सावित्री की कहानी और करवा चौथ से जुड़ी पौराणिक कहानियां सुनाई जाती हैं।

5. चंद्रमा की पूजा:

  • रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है।
  • महिलाएं चलनी (सत्नी) के माध्यम से चंद्रमा और फिर अपने पति का चेहरा देखती हैं।
  • पति द्वारा जल पिलाने और मिठाई खिलाने के बाद व्रत समाप्त होता है।

6. भोजन:

  • व्रत समाप्त करने के बाद परिवार के साथ विशेष भोजन किया जाता है।
त्योहार का महत्व: करवा चौथ पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने, एक-दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण को बढ़ाने का प्रतीक है। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है, जो भारतीय समाज में पारिवारिक मूल्यों को प्रोत्साहित करता है।

करवा चौथ की पूजा कैसे करते हैं

करवा चौथ व्रत विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)

Karwa Chauth Puja Vidhi करवा चौथ (Karva Chauth) का व्रत पुरे दिन बिना कुछ खाये-पिए निर्जला रखा जाता है करवा चौथ पूजा करने का प्रावधान रात्रि के समय चन्द्रमा निकलने के बाद होता है। इसलिए सुबह स्नानादि करके पूजा घर भगवान के समक्ष पूजा करके व्रत आरम्भ करने का संकल्प करें। 

अगर आपके यहाँ सुबह सूर्योदय से पहले सरगी की परंपरा है तो जल्दी उठकर सरगी  खा ले। सरगी में सास अपने बहु को मेवा, फल, मीठी चींजे देती है  सास अपनी बहु को सुहाग की सामग्रियां भी भेंट  करती है। 

करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और स्वस्थ जीवन के लिए व्रत रखती हैं। यहां करवा चौथ पूजा की विधि हिंदी में दी गई है:

1. तैयारी (सज-धज और सामग्री)

1. सर्गी:

  • सुबह सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गई सर्गी का सेवन करें। 
  • इसमें मिठाई, फल, मेवे और हल्का भोजन शामिल होता है।

2. व्रत:

  • सूर्योदय से चंद्र दर्शन तक बिना जल और भोजन के व्रत रखें।

3. श्रृंगार:

  • सुंदर परिधान, गहने और मेहंदी से सजें। 
  • लाल या चमकीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।

2. पूजा की थाली तैयार करें

पूजा के लिए एक थाली सजाएं, जिसमें निम्न सामग्री रखें:

  • करवा (मिट्टी का घड़ा): इसमें पानी भरें।
  • दीया (प्रकाश के लिए): घी या तेल का दीया।
  • रोली (कुमकुम), अक्षत (चावल) और फूल।
  • मिठाई: जैसे लड्डू, मठरी या हलवा।
  • छलनी (चांद देखने के लिए)।

3. करवा चौथ कथा

  • शाम को महिलाएं एकत्रित होकर पूजा करें।
  • गौरा मां (मां पार्वती) और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र रखें।
  • दीया जलाकर रोली, अक्षत और फूल चढ़ाएं।
  • करवा चौथ की कथा सुनें और सभी विधिपूर्वक पूजा करें।

4. करवा की पूजा

  • करवा को पानी से भरें और पूजा में अर्पित करें।
  • करवा को घुमाकर मां गौरी से आशीर्वाद मांगें।
  • पति की लंबी आयु और सुख-शांति की प्रार्थना करें।

5. चंद्रमा को अर्घ्य

  1. चंद्रमा के उदय होने पर पूजा की थाली और छलनी लेकर बाहर जाएं।
  2. छलनी से चंद्रमा को देखें और फिर पति को देखें।
  3. चंद्रमा को अर्घ्य (जल चढ़ाना) दें और पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें।
  4. पति के हाथों से पानी पीकर और मिठाई खाकर व्रत खोलें।

6. व्रत समाप्ति और भोजन

  • व्रत खोलने के बाद पारिवारिक भोजन करें।
  • मां गौरी का धन्यवाद करें और पति के साथ समय बिताएं।

महत्वपूर्ण सुझाव

  • व्रत से पहले सर्गी में पोषक तत्व लें।
  • दिनभर शांत और सकारात्मक रहें।
  • पूजा विधि में पूरे मन और श्रद्धा से भाग लें।

करवा चौथ का यह व्रत सौभाग्य, प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।

करवा पूजन सामग्री (karwa chauth puja samagri in hindi)

पूजन सामग्री व्रत के एक दिन पहले ही इकठ्ठा कर लिया जाता है। करवा चौथ के पूजन में निम्न सामग्रियों का प्रयोग होता है- करवा चौथ की थाली में रोली, महावर, लौंग,  जल का भरा हुआ टोटी वाला लोटा, प्रसाद, फूल, घी दीपक, धुप बत्ती,  दूर्वा, मिट्टी करवा, इनमे भरने के लिए चावल  मीठे बतासे, हल्दी, चावल, अक्षत, गेंहू, मौली, चंद्र दर्शन के लिए छलनी, श्रृंगार की सामग्री आदि। इसके साथ ही करवा चौथ का कलेण्डर, शिव, पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमाये इसके साथ ही आप जो भी भोजन बनाये उसे भी साथ में रख सकती है

2025 Ka Karwa Chauth Kab Hai

2025 में करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर, शनिवार को मनाया जाएगा।

यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। उस दिन विवाहित महिलाएं चंद्रमा के दर्शन के बाद अपना व्रत खोलती हैं।

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करवा चौथ पूजन विधि (karwa chauth puja vidhi in hindi)

करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजास्थल को अच्छी तरह से साफ कर लें। इसके बाद सास द्वारा दी हुई सरगी सूर्योदय से पहले करें और करवाचौथ व्रत के निर्जल व्रत का संकल्प लेकर व्रत प्रारम्भ करें। इसके बाद पूजा स्थल में कलश स्थापना कर लें और गेरू व पिसे हुए चावलों के घोल से करवा का चित्र बनाकर पुरे शिव परिवार की प्रतिमाएं स्थापित करें और उनकी विधिवत पूजा करें।

करवा चौथ के व्रत को चन्द्रमा को अर्घ देने  पश्चात् ही पति के हाथ से जल पीकर तोड़ा जाता है करवा चौथ के दिन कथा पढ़ने का प्रावधान है। इसलिए अपने घर की परंपरा के अनुसार आप दिन या शाम के समय करवा चौथ  कथा को पढ़े या सुने। 

शाम की पूजा के लिए चन्द्रमा निकलने से पहले ही सारी तैयारियां करके रख लें। इस दिन सोलह श्रृंगार करने का बहुत ही महत्त्व होता है इसलिए इस दिन सोलह श्रृंगार अवश्य करें। पूजन से पहले गाय के गोबर लगाकर उसपर पीसे हुए चावल या खड़िया से चन्द्रमा की आकृति बनाये

एक पटरी पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित कर लें इसके बाद दीपक जलाकर पूजा आरंम्भ करें। चन्द्रमा की आकृति पर तिलक करें। देवी-देवताओं को तिलक लगाए लौंग और कपूर जलाये, फल फूल अर्पित करें, श्रृंगार की सभी सामग्रियों को भी पूजा करते हुए अर्पित करें।इसके पश्चात छलनी में दिया चन्द्रमा का प्रतिबिम्ब देखे और उसके बाद अपने पति का चेहरा देखे। 

चन्द्रमा की आरती करे और हाथो में पूजा की सिक लेकर जल से चन्द्रमा को अर्घ देते सात परिक्रमा करें । अंत में पति की दीर्घायु की कामना करते हुए सास का आशीर्वाद लेकर उन्हें करवा भेंट करें। पूजा संपन्न हो जानें के बाद अपने पति के हाथो से जल पीकर व्रत को खोले इसके पश्चात घर सभी बड़ो का पैर छूकर आशीर्वाद लें

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करवा चौथ चंद्रपूजन विधि

करवा चौथ व्रत में चन्द्रमा की पूजा का खास महत्त्व है रात्रि में चन्द्रोदय होने पर छलनी  से या जल में चन्द्रमा को देखें और उन्हें जल अर्पित करें। इसके बाद छलनी से पति को देखे और उनका आशीर्वाद ले अब धूप-दीप जलाकर आरती करे और मीठे का भोग लगायें अंट में व्रत खोलने से पहले पूजा का करवा सास का आशीर्वाद लेकर उन्हें करवा भेंट करें। 

करवा चौथ सरगी (Karva Chauth Sargi)

करवा चौथ  व्रत की शुरुआत सरगी के साथ शुरू होकर चंद्रोदय पूजा के बाद समाप्त होती है।सरगी करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले किया जाने वाला भोजन होता है जो महिलाओं को उनकी सास के द्वारा दिया जाता है। करवा चौथ का व्रत रखने वाली सुहागन महिलाये सास द्वारा दी इस सरगी को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर करवा चौथ व्रत शुरू करती है।

करवा चौथ सरगी किससे ले

कवा चौथ के दिन महिलाएं सुबह उठकर सरगी का सेवन करती हैं। सरगी में प्रमुख तौर पर खाने-पीने की चीजों को ही शामिल किया जाता है। सरगी सूर्योदय से पहले सास अपनी बहू को खाने के लिए देती है ताकि बहू का व्रत बिना किसी रूकावट के पूर्ण किया जा सके। सरगी का सेवन सूर्योदय से पहले 4 से 5 बजे के करीब कर लेना चाहिए। सरगी में आपको खीर या सेवई, फल, मिठाईया, दूध से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए ताकि दिनभर आपके शरीर में एनर्जी बना रहे। 

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करवा चौथ के दिन जरूर करें ये काम

ज्योतिष के अनुसार इस बार करवा चौथ रोहिणी नक्षत्र में मनाया जायेगा इसलिये ऐसे में इस मौके पर कुछ विशेष कार्यों को करने से कई हजार गुना फल प्राप्त हो है। 

  • करवा चौथ के व्रत में जितना महत्त्व व्रत रखने का है उलटना ही महत्त्व उसकी पूजा और व्रत कथा सुनने या पढ़ने का भी है। इसलिए आज के दिन व्रत कथा ध्यान पूर्वक सुने या पढ़े। 
  • करवा चौथ के दिन लाल और पीले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करे आज के दिन इन रंगों के वस्त्रों का प्रयोग जीवन में शुभता बढ़ाने वाला होगा। 
  • करवा चौथ के दिन सुबह व्रत शुरू करने से पहले और बाद में विशेषकर पूजा के बाद सास व् घर के बड़ो का आशीर्वाद जरूर लें। इससे महिलाओं के सौभाग्य में वृद्धि और उन्हें व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होगा। 

करवा चौथ व्रत नियम (karva chauth ka vrat niyam)

  • करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पूर्व शुरू होकर चाँद निकलने तक रखना चाहिए। 
  • इस व्रत को चन्द्रमा के दर्शन के बाद ही पूरा किया जाता है। 
  • शाम को चंद्रोदय से करीब 1 घंटा पहले शिव परिवार की पूजा करना चाहिए। 
  • इस व्रत में छलनी से ही चंदा के दर्शन करने चाहिए। 
  • इस व्रत में सोलह श्रृंगार करना चाहिए। 

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करवा चौथ कब है (karva chauth kab hai)

2025 में करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा।
इस दिन सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं।

करवा चौथ व्रत कथा (karva chauth vrat katha)

नोट - करवा चौथ व्रत कथा सुनने से पहले सभी महिलाएं अपने साथ में 13 गेहूँ के दाने लेले और अब कथा शुरू करें। 

एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को साहूकार की पत्नी सहित सातों बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा। 

जब साहूकार के बेटे भोजन करने बैठे तब उन्होंने अपनी बहन से खाना कहने को कहा। तब बहन बोली भाई अभी चाँद नहीं निकला है चाँद निकलने पर उसे अर्घ देकर ही मैं भोजन करूंगी। 

साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे वो अपनी बहन को भूख से ब्याकुल नहीं देख पाए और शहर के पास की पहाड़ी पर एक दीपक जलाकर चलनी की वोट में रख दिया और बहन से बोले देखो बहन चाँद निकल आया है। 

अब तुम अर्घ देकर भोजन कर लो। साहूकार की बेटी ने अपनी भभ्यों से कहा भाभी देखो चांद निकल आया है आप भी अर्घ देकर भोजन कर लो। 

ननद की बात सुनकर भाभियाँ बोली ननदजी ये तो आपका चाँद निकला है हमारा चाँद आने में अभी समय है भूख से ब्याकुल वह चाँद को अर्घ देकर भोजन करने बैठ गई। 

जैसे ही पहला निवाला मुँह में डाला उसे छींक आ गई  दूसरा निवाला खाते ही उसमें बाल निकल आया और तीसरा निवाला अभी खाने ही वाली थी की उसके ससुराल से बुलावा आ गया कि पति बीमार है जिस भी हालत में हो तुरंत ससुराल पहुंचे। 

उसे विदा करने के लिए माँ ने जब बक्से से कपडे निकले तो काळा कपडे मिले दूसरी बार कपडे निकाले तो सफ़ेद कपडे निकले तीसरी बार जब फिर बक्से में हाथ दिया तो काले कपडे मिले बेटी बोली माँ तुम ये सब रहने दो मैं जाती हूँ माँ घबराकर बेटी से बोली बेटा रस्ते में जो भी छोटा-बड़ा मिले सबके पैर पड़ती जाना जो भी बूढ़ सुहागन होने का आशीर्वाद दे वहीँ अपने पल्ले में गांठ बांध लेना। 

बेटी बोली ठीक है और वह अपने ससुराल चल दी, रास्ते में उसे जो भी मिला वह सबकी पांव छूती गई सबने सुखी रहो, पीहर का सुह देखो, खुश रहो ये आशीर्वाद दिया ऐसे ही वह अपने ससुराल पहुंच गई ससुराल के दरवाजे पर छोटी ननद खेल रही थी जब उसके पांव छुए तो उसने आशीर्वाद दिया सदा सौभाग्यवती रहो, पुत्रवती हो ये सुनते ही उसने अपने पल्ले से गांठ बांध ली। 

घर में अंदर गई तो देखा उसका पति मरा हुआ जमीन पर लेटा है और उसे ले जाने की तैयारी हो रही है। वह बहुत रोई बहु चिल्लाइ जैसे ही उसे लोग ले जाने लगे वह रोती-चिल्लाती बोली मै इन्हे ले जाने नहीं दूंगी फिर भी जब कोई ना मन तो बोली मैं भी साथ में जाऊंगी। नहीं मानी तो सब बोले ले चलो साथ में वो साथ-साथ शमसान में चली गई जब उसके पति के अंतिम संस्कार का समय आया तो बोली मैं इन्हें नहीं जलाने दूंगी। 

सब बोले पहले तो पति को खा गई अब उसकी मिट्टी भी खराब कर रही है लेकिन वह नहीं मानी अपने पति को लेकर बैठ गई गाँव के और परिवार के सभी बड़े लोगों ने ये निर्णय लिया कि रहने दो इसे यहाँ इसके लिए एक झोपड़ी बनवा दो। 

वह वहां अपने पति को लेकर रहने लगी। अपने पति की साफ-सफाई करती और उसके पास बैठी रहती उसकी छोटी ननद दिन में दो बार आकर उसे खाना दे जाती थी और वह हर चौथ का व्रत करती, चाँद को अर्घ देती, ज्योत देखती और जब चौथ माता ये कहती हुई आती करवा ले करवा ले सात भाइयों की प्यारी करवा ले दिन में चाँद ऊगानी करवा ले बहुत भूखी करवा ले। तो वह चौथ माता से अपने पति के प्राण माँगती। 

पर चौथ माता उसे ये कहती हमसे बड़ी चौथ माता आयेगी तब उनसे अपने पति के प्राण माँगना। ऐसे एक-एक करके सभी चौथे आई और सब यही कहती चली गई। अश्विन की चौथ माता बोली तुसझे कार्तिक की चौथ माता नाराज है वो ही तेरा सुहाग लौटाएंगी। 

जब कार्तिक की सबसे बड़ी चौथ करवा चौथ आई तो उसने अपनी छोटी ननद से सोलह श्रृंगार और सुहाग का सामान मंगवाया और करवे मंगवाए। साँस ने सोचा पागल हो गई है जो मांगती है दे आओ। 

साहूकार की बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा चंदा निकलने पर अर्घ दिया, चौथ माता को ज्योत करि जब चौथ माता प्रकट हुई और बोली साहूकार की बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा चंदा निकलने पर अर्घ दिया, चौथ माता को ज्योत करि जब चौथ माता प्रकट हुई और बोली रवा ले करवा ले सात भाइयों की प्यारी करवा ले दिन में चाँद ऊगानी करवा ले तब उसने उनके पैर पकड़ लिए और बोली माता मेरा सुहाग वापस करो चौथ माता बोली तू तो बड़ी भूखी है, सात भाइयों की प्यारी बहन है तुझे सुहाग से क्या काम तब वह बोली नहीं माता मैं आपके पैर तब-तक नहीं छोडूंगी जब-तक आप मेरा सुहाग वापस नही करती। 

चौथ माता ने सुहाग का सारा सामान माँगा तो उसने एक-एक कर सोलह श्रृंगार का पूरा सामान चौथ माता को दे दिया चौथ माता ने अपनी आँखों से काजल निकला नाखूनों से मेहदी निकाली, मांग से सिन्दूर निकाला और चुटकी ऊँगली का छींटा दिया उसका पति जीवित हो गया। और चौथ माता जाते-जाते उसकी झोपडी पर लात मर गई जिससे उसकी झोपडी महल बन गई और उसका पति जीवित हो गया। 

जब छोटी ननद खाना लेकर आई तो देखा की भाभी की झोपड़ी की जगह तो महल खड़ा है वो ननद को देखते ही दौड़ी-दौड़ी उसके पास आयी और बोली देखो बाईसा आपका भाई वापस आ गया है घर जाओ और सासू जी से कहो गाजे बाजे के साथ हमें लेने आए। 

छोटी ननद दौड़ी-दौड़ी माँ के पास जाकर बोली माँ माँ भाई जिन्दा हो गया माँ बोली उस भाभी के साथ तेरा भी दिमाग ख़राब हो गया है। ननद बोली नहीं माँ मैंने देखा है सच में भाई जिन्दा हो गया है। भाभी ने गाजे-बाजे के साथ बुलाया है। 

सभी घर वाले गाजे-बाजे के साथ अपने बेटे को लेने पहुंचे। बेटे को जिन्दा देखकर सास-बहू की पैर छुने लगी और बहू सास के पैर छूने लगी वो बोली देखो माता जी आपका बेटा वापस आ गया। सास बोली मैंने तो साल भर पहले ही इसे भेज दिया था वो तो तू ही थी जिसके भाग्य से ये वापस आया है। 

हे! चौथ माता जैसे साहूकार की बेटी के साथ पहले किया वैसे किसी के साथ मत करना  और बाद में जैसे उसे सुहाग दिया वैसे सबको देना कहते हुए, सुनते हुए, हुंकार भरते हुए सभी पर अपनी कृपा बनाना। 

जय चौथ माता

करवा चौथ कब से मनाया जाता है

करवा चौथ का त्यौहार भारत में प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। हालांकि इस पर्व के सटीक आरंभ की तारीख ज्ञात नहीं है, यह माना जाता है कि इसकी परंपरा वैदिक काल या महाभारत काल से ही चली आ रही है।

पौराणिक संदर्भ:

  1. महाभारत से जुड़ी कथा: ऐसा कहा जाता है कि द्रौपदी ने अपने पति अर्जुन की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर करवा चौथ का व्रत रखा था।
  2. करवा और स्त्रीधर्म की कथा: करवा नाम की एक स्त्री की कहानी भी इस व्रत से जुड़ी है, जिसने अपने पति को मगरमच्छ से बचाने के लिए कठोर तप किया और यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांग लिए।

ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भ:

करवा चौथ का आरंभ मुख्यतः उत्तर भारत के राज्यों में हुआ, जहां यह त्यौहार महिलाओं के लिए उनके पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना से जुड़ा है। समाज में कृषि और ग्रामीण जीवन के दौरान महिलाएं समूह में यह व्रत करती थीं, जो सामूहिकता और परंपरा को मजबूत करता था।

आज यह त्यौहार न केवल धार्मिक आस्था बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हो गया है। आधुनिक समय में यह परंपरा प्यार और समर्पण का प्रतीक बन चुकी है।

निष्कर्ष

करवा चौथ एक ऐसा त्योहार है जो पति-पत्नी के बीच विश्वास, प्रेम और उपहार को और गहरा करता है। यह न केवल भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्र को मजबूत बनाने का एक सुंदर माध्यम भी है।

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