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लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती और पुण्यतिथि कब मनाया जाता है? | sardar vallabhbhai patel ka jivan parichay

एक ज़माने में जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। एक आम आदमी मिट्टी का बेटा आया। उसने आंदोलन की कमान संभाली और बड़े दर्द और पीड़ा के बाद दृढ़इच्छा शक्ति और निश्चय के साथ भारत को आजादी दिलाने में मदत की एकता और अखंडता के प्रतिक सरदार वल्लभ भाई पटेल 

उनकी जयंती पर आधुनिक भारत के निर्माण पर  विश्वास योगदान के लिए भारत उनको शलाम करता है। इनके द्वारा किये गए साहसिक कार्यो के वजह से ही उन्हें लौह पुरुष और सरदार जैसे नामो से जाना जाता है

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सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय (sardar vallabhbhai patel ka jivan parichay)


लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती कब मनाया जाता है
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल

1. सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म कब हुआ था (sardar vallabhbhai patel ka janm kab hua tha)

वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले के नडियाद नामक कस्बे में हुआ था। तब यह ब्रिटिश इंडिया के बॉम्बे प्रेसीडेंसी में में था। उनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल था और उनकी माँ का नाम लाडबा था। उनके चार भाई सोमाभाई पटेल, नरसीभाई पटेल, विट्टलभाई पटेल और काशीभाई पटेल थे और उनकी एक बहन भी थी जिनका नाम दहीबेन था। 

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2. वल्लभ भाई पटेल की पढाई-लिखाई 

शुरू से ही पढाई लिखे में बेहद ही अच्छे थे। वल्लभ भाई पटेल ने अपनी शुरुआती पढाई गुजरात से की और फिर बोरसद नाम के जगह पर एक स्थित स्कूल से उन्होंने 22 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली। हालाँकि शुरुआती दौर में वल्लभ भाई पटेल के परिवार वाले उन्हें एक गैरजिम्मेदार लड़का मानते थे। 

लेकिन इन तानो से परेशान होकर वल्लभ भाई पटेल ने खुद से एक वादा कर डाला की आगे चलकर वह एक बड़े आदमी बनेगे और इसी सोच के साथ उन्होंने कुछ छोटी-मोटी नौकरियां की और थोड़े पैसे इकठ्ठे हो जाने के बाद से इंग्लैंड से लॉ की पढाई करने का फैसला किया। 

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फिर Middle Temple. Inns of Court London England से उन्होंने लॉ में डिग्री हाशिल की। इस तरफ से पढाई पूरी कर लेने के बाद वह एक काबिल वकील बनाकर सबके सामने आये। हालाँकि इंग्लैंड में पढाई के दौरान वल्लभ भाई के सामने एक समय पैसो की इतनी तंगी आ गई थी की उनके पास किताब खरीदने तक के पैसे हुआ नहीं करते थे लेकिन दोस्तों से किताब उधार लेकर उन्होंने पढाई की और इन्ही संघर्ष और मेहनत का ही नतीजा था उन्होंने मात्र दो साल में ही परीक्षा पास कर ली और एक काबिल वकील बनकर स्वदेश लौटे। 

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3. वल्लभ भाई पटेल की शादी और परिवारिक जीवन 

लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद से वल्लभ भाई पटेल जब भारत वापस आये तब उनके माता-पिता ने उनकी शादी झवेरबा नाम की लड़की  दी। फिर वल्लभ भाई अपनी पत्नी के साथ गोधरा नाम की जगह पर जाकर बस गए और उन्होंने वहा पर कोर्ट में वकालत करना शुरू कर दिया और फिर आगे चलकर उनके दो बच्चे भी हुए जिनमे लड़के का नाम डायाभाई पटेल और लड़की का नाम मणिबेन पटेल  रखा गया और वकालत करके एक अच्छी आर्थिक स्थिति में पहुँच जाने के बाद से उन्होंने अपने बच्चो की पढाई-लिखाई पर पूरा ध्यान दिया। 

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4. सरदार वल्लभभाई पटेल की राजनीति का सफर 

वल्लभ भाई पटेल समाज में फैली हुई कुरीतियों से बहुत दुखी थे और इन समस्या को ठीक करने के लिए वह राजनीति में जाना चाहते थे और फिर इसी कड़ी में वह 1917 के समय अहमदाबाद स्वच्छता आयुक्त (Sanitation Commissioner) के पद के लिए चुनाव लाडे और जीते भी। हालाँकि समाज सुधार के विषयो पर उनके विचार और ब्रिटिश अफसरों के विचार मेल नहीं खाया करते थे और यही वजह थी की वल्लभ भाई पटेल की रूचि राजनीति में कम होने लगी।

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लेकिन 1917 में ही महात्मा गाँधी के साथ एक मीटिंग के दौरान वल्लभ भाई पटेल उनसे बहुत ही प्रभावित हुए। फिर वह भी भारत की आजादी  संघर्षो में शामिल हो गए और फिर आगे चलकर वल्लभ भाई को Indian National Congress में गुजरात सभा का सिक्रेटरी बनाया गया और फिर यहाँ से पूरी ताकत  वल्लभ भाई भारत आजादी की जंग में कूद पड़े उस समय अंग्रेजो के द्वारा  जुल्मो से भारतीय बहुत ही परेशान थे और ऐसा ही एक मंजर गुजरात में देखने को मिला जहाँ पर सूखा  की वजह से लोगो को  मरना पड़ रहा था।

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लेकिन इसके बावजूद ब्रिटिश सरकार ने कर वसूलने में कोई भी कमी नहीं की और अब किसानो का यह दुःख वल्लभभाई पटेल जी से देखा नहीं गया और वह किसानो के समर्थन में उनके साथ खड़े  और कहा जाता है की एक समय सूटबूट में रहने वाले वल्लभ भाई पटेल अब विदेशी कपड़ो को त्याग कर देशी पोशाक अपना  लिए थे और फिर उन्ही के तरह ही हजारो देश भक्तो की कोशिशो ने रंग लाया। 1947 में भारत आजाद हो गया और फिर आजादी के बाद से भारत के बहुत सारे लोग चाहते थे वल्लभ भाई पटेल ही पहले प्रधानमंत्री बने लेकिन वल्लभ भाई पटेल ने इस पद से खुद को दूर रखना ही ज्यादा सही समझा और जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनने अवसर दिया।

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हालाँकि वह पहले Deputy Prime Minister और Home Minister गृह मंत्री बन गए। इस पद पर रहते हुए उनकी पहली प्राथमिकता थी वह 565 सियासत को एकसाथ लेकर आये और ओ भी बिना किसी विवाद के हालंकि यह काम तो बिलकुल भी नहीं था लेकिन मजबूत इरादों के बलबूते वल्लभ भाई ने  राजाओं को समझाया और एक साथ लेकर आये। इस तरह से भारत के उन्होंने टुकड़े होने से बचा लिया और अपने मजबूत हौसले की वजह से वल्लभ भाई को भारत का लौह पुरुष भी कहा जाने लगा। साथ ही हर काम में सबसे आगे रहने की वजह से उन्हें सरदार का नाम पहले ही दिया जा चूका था।

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4. वल्लभ भाई पटेल का निधन 

लोगो के अधिकारों के लिए लड़ते-लड़ते वल्लभ भाई जिंदगी की जंग हर गए और 15 दिसम्बर 1950 को बॉम्बे के बिरला हाउस में दूसरी बार दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया। हालाँकि उनकी याद में भारत सरकार ने 2014 में ऐलान किया की उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रिय एकता दिवस  तौर पर मनाया जायेगा। 

साथ ही दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा के रूप  सरदार वल्लभ भाई पटेल की STATUE OF UNITY भी गुजरात में बनाई गई है। इसकी ऊंचाई 182 मीटर है। यह अमेरिका के फेमस STATUE OF LIBERTY से भी करीब-करीब दो गुना है। सरदार वल्लभ भाई पटेल  भारत कभी भी  नहीं भूल सकता है।

sardar vallabhbhai patel ki jayanti kab hai

सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती 31 अक्टूबर को मनाई जाती है। इसे राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में भी मनाया जाता है। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था।

सरदार वल्लभभाई पटेल पुण्यतिथि (sardar vallabhbhai patel ki punyatithi)

सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें "लौह पुरुष" के नाम से जाना जाता है, की पुण्यतिथि 15 दिसंबर को मनाई जाती है। 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में उनका निधन हुआ था।

सरदार पटेल स्वतंत्र भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। उन्होंने देश की 500 से अधिक रियासतों का भारतीय संघ में विलय कराकर भारत की एकता और अखंडता को सुनिश्चित किया। उनकी इस असाधारण उपलब्धि के लिए उन्हें "भारत का बिस्मार्क" भी कहा जाता है।

उनकी पुण्यतिथि पर लोग उनकी देशभक्ति, दूरदर्शिता और अदम्य साहस को याद करते हैं। इस दिन उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

सरदार वल्लभ भाई पटेल के माता पिता का नाम

सरदार वल्लभभाई पटेल के माता-पिता का नाम इस प्रकार है:

  • पिता का नाम: झवेरभाई पटेल
  • माता का नाम: लाडबा (लाडबाई) पटेल

उनके पिता झवेरभाई एक किसान थे और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना में सैनिक के रूप में सेवा कर चुके थे। उनकी माता लाडबाई धार्मिक प्रवृत्ति की थीं और वे सरदार पटेल के व्यक्तित्व निर्माण में एक प्रेरणा स्रोत थीं।

सरदार वल्लभ भाई पटेल शायरी

सरदार वल्लभभाई पटेल पर शायरी


वो लौह पुरुष, वो अखंड प्रतिमान,

जिनके साहस ने जोड़ा हिंदुस्तान।

रियासतों को किया एकता के बंधन में,

भारत मां के सच्चे पूजन में।


सरदार तेरी मेहनत को सलाम है,

तेरी हर बात भारत के नाम है।

जोड़ा रियासतों को दिल के तार से,

ऐसा योद्धा न मिलेगा संसार से।


तूफ़ान भी जिनके आगे झुके,

ऐसे अद्भुत सरदार थे पटेल।

भारत के हर कोने को जोड़ा,

देश के सच्चे पहरेदार थे पटेल।


लोहा था इरादा, फौलाद था जज्बा,

एकता का पाठ पढ़ाया जिसने हर तबका।

सरदार की बातों में थी सच्चाई,

उनके बिना अधूरी है देशभक्ति की परछाई।

सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध in hindi

सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध

परिचय:

सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और आधुनिक भारत के शिल्पकार थे। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड गांव में हुआ। उनकी माता का नाम लाड़बाई और पिता का नाम झवेरभाई पटेल था। बचपन से ही वे स्वाभिमानी और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति थे।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:

वल्लभभाई पटेल ने कठिन परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी कर बैरिस्टर बने। प्रारंभ में वे एक सफल वकील थे, लेकिन महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:

सरदार पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिससे उन्हें "सरदार" की उपाधि मिली। वे हमेशा अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलते रहे। उनका नेतृत्व क्षमता और संगठन कौशल अद्वितीय था।

आधुनिक भारत के निर्माता:

स्वतंत्रता के बाद, सरदार पटेल को देश के पहले गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री का पद सौंपा गया। उन्होंने 565 से अधिक रियासतों का भारत में विलय कर एकता स्थापित की। उनके इस कार्य के कारण उन्हें "लौह पुरुष" और "भारत का बिस्मार्क" कहा जाता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस:

उनकी जयंती को हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनकी याद में गुजरात के केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाई गई, जो दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है।

निष्कर्ष:

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन त्याग, संघर्ष और देशभक्ति का आदर्श उदाहरण है। उनके प्रयासों से भारत एक मजबूत और एकजुट राष्ट्र बन सका। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेकर देश की एकता और प्रगति के लिए कार्य करना चाहिए।

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