बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2025) कब है और गौतम बुद्ध जयंती (Gautam Buddha Jayanti) कब हैi?

बैशाख माह की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जता है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव मनाया जाता है। शास्त्रों में बैशाख माह के पूर्णिमा को बेहद खास माना जाता है। लेकिन इस बार साल 2025 में बुद्ध पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है जिस कारण यह दिन बेहद महत्वपूर्ण होगा।

पूर्णिमा के दिन श्रीहरि विष्णु जी की पूजा और गंगा स्नान का विशेष महत्त्व है। आज हम आपको गौतम बुद्ध जयंती कब है, बैषाख बुद्ध पूर्णिमा और इस दिन लगने जा रहे चन्द्र ग्रहण की सही तारीख, पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, चंद्रग्रहण का समय और इस संयोग में किये जाने वाले बेहद खास उपाय के बारे में बताएँगे।

Gautam Buddha History in Hindi


बैशाख हिंदू कैलेंडर का दूसरा महीना है, बैशाख के महीने में पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इस दिन धन, पुण्य, धर्म के कार्य किए जाते हैं। आज के दिन भगवान विष्णु जी के तेइसवां अवतार महात्मा बुद्ध भी अवतरित हुए थे। इसीलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते है। हिन्दू पंचांग के अनुसार बैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा पड़ता है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्मदिन भी होता है, लेकिन बुद्ध पूर्णिमा का संबंध केवल बुद्ध के जन्म से ही नहीं है।

बल्कि इसी पूर्णिमा पर वर्षों तक जंगल में भटकने और कठोर तपस्या करने के बाद बुद्ध को बौद्ध गया में बौद्ध वृक्ष के नीचे सच्चाई का पता चला। इसके बाद महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान के प्रकाश से पूरे विश्व को एक नया प्रकाश दिया और इस दिन कुशीनगर में उनका आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ। इस दिन भगवान गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी, दान, दान और धार्मिक कार्यों के कई कार्य किए जाते हैं। इसे सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहते हैं।

Buddha Purnima 2025,  Gautam Buddha Jayanti Kab Hai बुद्ध पूर्णिमा 2025 तिथि, मुहूर्त व पूजा विधि
Buddha Purnima

भगवान विष्णु के 23वें अवतार महात्मा गौतम बुद्ध वैशाख पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध के रूप में अवतार हुआ था। साल 2025 में बैशाख पूर्णिमा 12 मई 2025 को सोमवार के दिन मनाई जाएगी। वैशाख पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था।

बैशाख पूर्णिमा पर धर्मराज की पूजा करने का विधान होता है, इसलिए इस व्रत के प्रभाव से अकाल मृत्यु का भय किसी को नहीं रहता। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान कृष्ण जी के बचपन के साथी सुदामा उनसे मिलने आए, तो भगवान कृष्ण ने उन्हें सच्चे विनायक पूर्णिमा व्रत का नियम बताया, इस व्रत के प्रभाव से सुदामा की दरिद्रता दूर हुई।

बैशाख पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2025

  • साल 2025 में बैशाख, शुक्ल पूर्णिमा का व्रत 12 मई सोमवार को के दिन रखा जायेगा
  • पूर्णिमा तिथि आरम्भ होगा - 11 मई रात्रि 8 बजकर 1 मिनट पर।
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त होगा - 12 मई रात्रि 10 बजकर 25 मिनट पर।

बुद्ध पूर्णिमा: आत्मज्ञान और करुणा का पर्व

जब जीवन की दौड़ में शोर बहुत बढ़ जाए, तो आत्मा शांति की पुकार करने लगती है। ऐसे ही समय में भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षाएँ हमें ध्यान, मौन और भीतर की यात्रा की याद दिलाती हैं। बुद्ध पूर्णिमा सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि एक विचार है – अहिंसा, करुणा और आत्मज्ञान का विचार।

बुद्ध पूर्णिमा कब है? (buddha purnima kab hai)

हर साल वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली यह तिथि गौतम बुद्ध के जन्म, बोधि प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की याद दिलाती है। यह संयोग केवल दुर्लभ ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत गहरा भी है।

2025 में यह पावन तिथि 12 मई, सोमवार को आएगी।

बुद्ध का संदेश – आज भी उतना ही प्रासंगिक

बुद्ध ने कोई धर्म नहीं फैलाया, उन्होंने जीवन जीने की एक सहज राह दिखाई। उन्होंने न तो स्वर्ग का डर दिखाया और न ही नरक का लालच। उन्होंने कहा:

"सब कुछ क्षणिक है। परिवर्तन ही संसार का नियम है।"

बुद्ध की बातें उस समय के लिए नहीं थीं, वे आज के समय में भी उतनी ही उपयोगी हैं – जहाँ हर कोई दौड़ रहा है, पर शांति किसी को नहीं मिल रही।

कैसे मनाएं यह पर्व?

बुद्ध पूर्णिमा पर दिखावा नहीं, बल्कि भीतर की सफाई ज़रूरी है। इस दिन आप कर सकते हैं:

  • थोड़ी देर मौन बैठकर अपने मन से बात,
  • किसी ज़रूरतमंद की मदद,
  • और अपने जीवन को देखने की एक नई कोशिश।

बुद्ध आज होते तो क्या कहते?

शायद यही कि –
"खुद को जानो, क्योंकि असली शांति बाहरी दुनिया में नहीं, तुम्हारे भीतर है।"

budh purnima kab hai 2025

बुद्ध पूर्णिमा 2025 में सोमवार, 12 मई 2025 को मनाई जाएगी। यह पर्व वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है और भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण से जुड़ा हुआ है। इस दिन बौद्ध अनुयायी विशेष पूजा, ध्यान, दान और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का स्मरण करते हैं।

बैशाख बुद्ध पूर्णिमा पूजा विधि

बैशाख पूर्णिमा का व्रत और पुण्य कार्य करने से शुभ फल मिलते हैं। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी या जलाशय में या घर पर स्नान करें, अपने स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और सूर्य मंत्र से स्नान करने के बाद सूर्य देव का अर्चन करते हुए करना चाहिए। 

स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। पूजा और पूजा के स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। इस दिन भक्तों को भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सत्यनारायण कथा का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें चंदन का लेप लगाकर पान के पत्ते, फल, फूल, केले के पत्ते लगाने चाहिए. रात्रि में चन्द्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्पण कर उसकी पूजा करें।
इस दिन जल से भरा कलश और धर्म के लिए पकवान देने से गोदान के समान फल मिलता है। इस दिन ब्राह्मणों को पांच-सात टिन चीनी के साथ देने से भी इस दिन पापों का नाश होता है। इस दिन तिल के तेल का दीपक भी जलाया जाता है। तिलों को जलाने और टार करने का कार्य विशेष रूप से किया जाता है।

इस दिन व्रत के दौरान एक समय ही भोजन करना चाहिए इस दिन मांस हार का परहेज होता है क्यूंकि बुद्ध भगवान पशुहिंसा के विरोधी थे इस दिन किये गए अच्छे कर्मों से पुण्य की प्राप्ति होती है इस दिन पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर उन्हें आसमान में हौदा जाता है और गरीबों को भोजन वस्त्र दान से शुभ फल की प्राप्ति होता है
 

बैशाख पूर्णिमा बुद्ध का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, दूसरे महीने को बैशाख माह के रूप में जाना जाता है ऐसा माना जाता है की आज के दिन पर भगवान विष्णु जी की पूजा करने से भक्तो को सुख समृद्धि प्राप्त होता है बैशाख पूर्णिमा का व्रत रखने से भक्तों से सब दुःख दूर हो जाते है क्योंकि इस विशेष दिन को लोग बुद्ध जयंती के रूप में भी मानते है इसलिए आज की गई पूजा का कई गुना अधिक फल व्यक्ति को प्राप्त होता है आज के दिन सत्यविनायक का व्रत भी रखा जाता है इससे धर्मराज प्रसन्न होते है

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बुद्ध पूर्णिमा के दिन जरूर करें ये काम

  • शास्त्रों में मान्यता है के आज के दिन सूरज उगने से पहले उठकर घर की साफ-सफाई कर स्नान के बाद घर में गंगा जल का छिड़काव करें
  • घर के मंदिर में विष्णु जी के सामने दीपक जलाकर पूजा करें और फूलों से उनका श्रृंगार करें
  • बेशक बुद्ध पूर्णिमा पर घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनायें और गंगा जल छिड़के इससे घर में सम्पन्नता आती है।
  • आज के दिन बोधिवृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और उसकी जड़ों को दूध अर्पण करें।
  • आज जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े का दान करना बहुत ही शुभ होता है।
  • अगर आज के दिन कोई पक्षी आपके घर पे आ जाये तो उसके घने-पिने के व्यवस्था जरुर करें।

आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए ये उपाय करें

अगर आप में से किसी की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है तो इस पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करके अपने घर में धन, सुख, समृद्धि और खुशहाली ला सकते है। बैशाख पूर्णिमा के दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए शाम को घर के ईशान कोण में लाल रंग के धागे की बत्ती और गाय के घी का दीपक जलने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है।

बैशाख पूर्णिमा बुद्ध के दिन बरतें  सावधानियां

बैशाख पूर्णिमा के दिन शुभ फल प्राप्त करने के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • गरीब और जरूत मंदो की सयहता करें।
  • अपने गुस्से पर काबू रखे।
  • कभी किसी को सताए नहीं।
  • घरेलु शांति बनाए रखने में सहयोग करें।
  • इस बात का ध्यान रखे की आपके द्वार पर किसी का अपमान  नहीं हो।
  • सभी को आदर सम्मान दें।

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बैशाख पूर्णिमा उपाय 

ज्योतिषानुसार पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं और आकृति में होता है। यह दिन माता लक्ष्मी को बेहद प्रिय है मान्यता है कि इस तिथि के दिन कुछ खास उपाय करने से जीवन में माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा होने लगता है। इस दिन किये जाने वाले इन्हीं खास उपायों के बारे में_____

  • बैशाख पूर्णिमा के दिन धन और वैभव की प्राप्ति के लिए पोपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाकर घर में माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की की पूजा करना चाहिए। 
  • इस दिन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए 11 गोमती चक्र और हल्दी की गांठ को पूजा के समय तिलक कर अगले दिन इन्हें अपने तिजोरी या पैसे के स्थान में रख ले इससे धन वैभव और समृद्धि हमेशा बना रहता है। 
  • इस दिन शिवलिंग पर चल चढ़कर ॐ रुद्राय नमः मात्र का जाप करने से आपको माता लक्ष्मी के साथ भगवान शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा। 
  • बैशाख पूर्णिमा के दिन अपनी जरूरत के अनुसार दान-पुण्य करें। 

बुद्ध जयंती कब है (buddha jayanti kab hai)

बुद्ध जयंती, जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है, 2025 में सोमवार, 12 मई को मनाई जाएगी।

यह पर्व वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आता है, और यही दिन भगवान गौतम बुद्ध की जन्मतिथि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण – तीनों घटित हुए थे।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व न केवल बौद्ध धर्म में बल्कि समस्त मानवता के लिए अत्यंत गहरा और प्रेरणादायक है। यह दिन भगवान गौतम बुद्ध के जीवन की तीन प्रमुख घटनाओं से जुड़ा है — जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण। आइए विस्तार से जानते हैं इसका महत्व:

जन्मदिवस के रूप में:

बुद्ध पूर्णिमा के दिन लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में राजा शुद्धोधन और रानी माया के पुत्र सिद्धार्थ गौतम का जन्म हुआ था। उन्होंने आगे चलकर दुनिया को बुद्ध (ज्ञानवान) के रूप में नई दिशा दी।

ज्ञान प्राप्ति का दिवस:

सिद्धार्थ ने वर्षों की तपस्या और ध्यान के बाद बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया और वे गौतम बुद्ध कहलाए। इस दिन को आत्मज्ञान की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

महापरिनिर्वाण का दिन:

बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में भगवान बुद्ध ने अपने जीवन का अंतिम उपदेश देकर महापरिनिर्वाण प्राप्त किया, यानी इस संसार से मुक्त हो गए।

मानवता और करुणा का संदेश:

  • इस दिन अहिंसा, करुणा, समानता और शांति जैसे मूल्यों को अपनाने का संदेश दिया जाता है।
  • भगवान बुद्ध का उपदेश – "अप्प दीपो भव" (स्वयं अपना दीपक बनो) आज के समय में आत्मनिर्भरता और आत्मजागरण की प्रेरणा देता है।

सामाजिक समरसता का प्रतीक:

बुद्ध ने जाति, धर्म, वर्ग और लिंग के भेदभाव को नकारते हुए सभी को एक समान माना। बुद्ध पूर्णिमा, समता और सद्भाव का उत्सव भी है।

बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है

बुद्ध पूर्णिमा का पर्व भगवान गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं की याद में मनाया जाता है। यह दिन बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत पवित्र और धार्मिक महत्व का होता है। आइए जानते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है:

भगवान बुद्ध का जन्म:

बुद्ध पूर्णिमा का प्रमुख कारण भगवान गौतम बुद्ध का जन्म है। यह दिन लुंबिनी (नेपाल) में राजा शुद्धोधन और रानी माया के घर सिद्धार्थ के रूप में भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। उनके जन्म के साथ ही संसार में एक महान दिव्य व्यक्तित्व का आगमन हुआ, जिसने जीवन की सच्चाइयों को पूरी दुनिया के सामने रखा।

ज्ञान प्राप्ति का दिन (बोधि प्राप्ति):

बुद्ध पूर्णिमा का एक और प्रमुख कारण भगवान बुद्ध का ज्ञान प्राप्त करना है। सिद्धार्थ ने वर्षों तक कठोर तपस्या की, और फिर बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान (बोधि) प्राप्त किया। इस दिन उन्होंने संसार के दुखों और उनके कारणों को समझा, और यह दिन ज्ञान की प्राप्ति के रूप में मनाया जाता है। इस दिन के बाद, वे बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए और उन्होंने जीवन के सच्चे अर्थ को बताया।

महापरिनिर्वाण:

बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने कुशीनगर में अपना अंतिम उपदेश दिया और महापरिनिर्वाण प्राप्त किया, यानी वे संसार से मुक्त हो गए। इस दिन उनकी आत्मा ने निर्वाण को प्राप्त किया और उनका शरीर इस संसार से विदा हो गया।

अहिंसा, करुणा और शांति का संदेश:

बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध के आध्यात्मिक सिद्धांतों को याद किया जाता है, जिनमें अहिंसा, करुणा, समानता और शांति प्रमुख हैं। बुद्ध ने संसार को यह सिखाया कि दुखों से मुक्ति केवल ध्यान, समझ और सच्चाई के रास्ते पर चलने से प्राप्त की जा सकती है।

आत्मज्ञान और मोक्ष का मार्ग:

बुद्ध ने मध्य मार्ग अपनाने की बात कही – यानी न तो अत्यधिक भोग और न ही अत्यधिक तपस्या। यह मार्ग आत्मज्ञान और मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करने का सबसे उत्तम रास्ता है। बुद्ध पूर्णिमा इस आत्मज्ञान की प्राप्ति का प्रतीक है।

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निष्कर्ष:

बुद्ध पूर्णिमा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मानवता के मार्गदर्शन का दिन है। यह हमें भीतर झांकने, स्वयं को जानने, और एक शांत, अहिंसक, और करुणामय जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

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