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विश्व रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day) क्यों और कब मनाया जाता है?

दोस्तों आज विज्ञान बहुत सक्षम हो चूका है और अब तो लैबोरेटरी में तमाम तरह की दवाएं, वैक्सीन हुए एंटीबायोटिक भी तैयार किया जाता है लेकिन जिंदा रहने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी खून (Blood) को अभी तक नहीं बनाया जा सकता है। ब्लड का कोई विकल्प नहीं है। खून की कमी को केवल डोनेशन के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है। इसलिए रक्दान को महादान कहा जाता है। 

विश्व रक्तदान दिवस कब मनाया जाता है? - World Blood Donor Day Kab Manaya Jata Hai?

विश्व रक्तदान दिवस रक्त की कमी को पूरा करने और अधिक से अधिक रक्त दाताओं रक्त दान के लिए प्रोत्साहित करने हेतु पुरे विश्व में 14 जून को विश्व रक्दान दिवस मनाया जाता है। भारत में भी इसके लिए विभिन्न स्तर पर संबंद्ध विभागों द्वारा प्रचार-प्रसार और जागरूकता क्रायक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर अधिक से अधिक रक्दान करने के लिए रक्दाताओं को प्रेरित किया जाता है जिससे विभिन्न रोगों जैसे - एचआईवी, हैपेटाइटिस-बी, हैपेटाइटिस-सी, सिफलिस, दुर्घटना के करण होने वाली सर्जरी, कैंसर आदि के उपचार में खून की आवश्यकता को पूरा की जा सके। बिना किसी आर्थिक लाभ के रक्दान करने के लिए आगे आने के कई मासूम लोगों की जान बच सकता है। 

विश्व रक्तदान दिवस क्यों मनाया जाता है?

जैसा की हम जानते है Blood यानि खून हमारे शरीर के लिए कितना उपयोगी है बिना Blood के हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते है। लेकिन कुछ बीमारियों के कारण कई लोगो के शरीर में खून की कमी हो जाती है और उसे बहार से खून चढ़ाना होता है। लेकिन समय पर खून न मिलने के कारण सैकड़ो लोगो की प्रतिवर्ष मौत हो जाती है इसी को देखते हुए प्रत्येक वर्ष 14 जून के दिन को विश्व रक्तदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विश्व रक्तदान दिवस क्यों और कब मनाया जाता है
विश्व रक्तदान दिवस

विश्व रक्तदान दिवस को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मनाया जाता है। यह दिवस प्रत्येक वर्ष 14 जून को पुरे विश्व में मनाया जता है। सबसे पहले इस दिवस की शुरुआत 1997 में हुई थी और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व के सभी देशों से अपील की वे अपने यहाँ स्वेक्षा से रक्तदान को बढ़ावा दें। लेकिन अभी तक केवल 49 देशों ने ही इस पर अमल किया है।

रक्तदान के फायदे - Benefits of Blood Donation in Hindi for Health   

एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में औसतन 10 यूनिट रक्त होता है, जिसमें से व्यक्ति एक यूनिट ब्लड डोनेट (Blood Donate) कर सकता है। लेकिन जागरूकता की कमी के वजह से व्यक्ति ब्लड डोनेट करने से डरता है या हिचकिचाता है। जरा सोचिये! हमारे देश को हर साल करीब 120 लाख यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है लेकिन केवल 90 लाख यूनिट रक्त ही उपलब्ध हो पाता है। ऐसे में देश 30 लाख यूनिट रक्त की कमी से जूझता है। 

जबकि 38000 से अधिक ब्लड यूनिट की हर रोज जरुरत होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार केवल 2 प्रतिशत और अधिक रक्तदाताओं का ब्लड डोनेट के लिए आगे आना कई लोगों की जान बचा सकता है। लेकिन खून देने के फायदे के बारे में जानकारी न होने से व्यक्ति ब्लड डोनेट करना नहीं चाहता साथ ही व्यक्ति के मन ब्लड डोनेशन से जुड़े कई भ्रम भी होते है इस वजह से लोग रक्तदान नहीं करते है। 

पर शायद यह नहीं जानते है की आप के द्वारा जो ब्लड डोनेशन किया जाता है वह किसी को जीवनदान देता ही है साथ ही इससे आप भी स्वस्थ रहते है। रक्तदान के फायदे मरीज के साथ-साथ रक्तदाता को भी होता है। एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में 5-6 लीटर ब्लड होता है और अच्छी बात यह है कि अपने ब्लड की इस मात्रा से साल में कम से कम चार बार रक्तदान किया जा सकता है। 

दूसरे शब्दों में कहें तो एक स्वस्थ शरीर के इंसान में लगभग 10 यूनिट रक्त होता है जिसमें से वह 1 यूनिट रक्त (350 मिली) आराम से दान कर सकता है। एक नियमित रक्तदाता तीन महीने बाद फिर से अगला रक्तदान कर सकता है। रक्त चार प्रकार के तत्वों से निर्मित होता है - रेड ब्लड सेल्स (Red Blood Cells), व्हाइट ब्लड सेल्स (White Blood Cells), प्लेटलेट्स (Platelets)और प्लाज्मा (Plasma)। 

जब को व्यक्ति ब्लड डोनेट करता है तो 2 से 3 दिनों के भीतर उसके शरीर में प्लाज्मा का दोबारा निर्माण हो जाता है। जबकि रेड ब्लड सेल्स को बनने में एक से दो महीने लग सकते है। इस तरह कोई व्यक्ति तीन महीने बाद दोबारा रक्तदान कर सकता है। रक्दाताओं को रक्तदान करने से कुछ निम्न फायदे भी होते है___

रक्त देने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम होता है

आम तौर पर जब व्यक्ति के लीवर या किडनी में आयरन संचित होने लगता है तो उसे हार्ट-अटैक का आशंका बढ़ जाता है। दरअसल आयरन खून को गाढ़ा बना देता है, जिससे ह्रदय रोग होने का जोखिम बढ़ जाता है। रक्तदान करने से शरीर में आयरन का संतुलन बना रहता है और ह्रदय रोग का खतरा कम होता है। 

डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसी बीमारियों के होने की आशंका को कम करता है

उम्र बढ़ने के साथ-साथ व्यक्ति में आयरन की अधिकता के करण डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसी बीमारियों के होने की आशंका बढ़ जाता है। नियमित तौर पर रक्तदान करने से आयरन नियंत्रित रहता है जो की वृद्धावस्था में होने वाली बीमारी डिमेंशिया या अल्जाइमर से आपकी सुरक्षा करता है। 

स्ट्रोक का खतरा कम

रक्तदान करने से स्ट्रोक (आघात) का खतरा भी 33 प्रतिशत तक कम हो जाता है।

कैंसर का जोखिम कम करता है

शरीर में अनियंत्रित आयरन से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। व्यक्ति के शरीर से आयरन को निकालने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है। ऐसे में रक्तदान करने से इसका सही सन्तुलन बना रहता है। रक्तदान से पुरानी आरबीसी से निकल जाता है, दोबारा खून तेजी से बनता है। नियमित रक्तदान से व्यक्ति में बीमारी से लड़ने का ताक़त बढ़ता है। 

रक्तदान किस व्यक्ति को करना चाहिए

  • 50 किलो से अधिक वजन वाले लोग रक्तदान कर सकते हैं।
  • रक्त में 12.5 या इससे अधिक हीमोग्लोबिन का स्तर हो। 
  • 18 से 65 वर्ष की आयु का कोई भी व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।

लोग कौन-कौन से भ्रम के कारण रक्तदान नहीं करते है

रक्तदान के फायदे की वजह से रक्तदान को महादान कहा जाता है, लेकिन लोग खून देने में तमाम भ्रम के चलते हिचकते है जैसे________

रक्तदान से सेहत को नुकसान

रक्तदान से सेहत को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं होता है। रक्तदान के दौरान केवल 350 ml खुन ही निकाला जाता है जिसका पूर्ति 2 से 3 दिन में हो जाता है। 

शाकाहारी व्यक्ति रक्तदान नहीं कर सकता

तमाम लोगो को यह भ्रम होता है कि शाकाहारी व्यक्ति के शरीर में  आयरन नहीं बनता है। यह सच नहीं है। शाकाहारी व्यक्ति भी रक्तदान कर सकता है। 

खून देने समय तकलीफ होती है 

रक्तदान पूरी तरह से सुरक्षित प्रक्रिया है। इसमें सुई की हल्की चुभन के आलावा कोई दर्द नहीं होता है। यह एक साधारण कष्टरहित प्रक्रिया है। 

खून देने में बहुत समय लगता है

रक्तदान में मात्र 10 से 15 मिनट ही लगता है। 

खून देने से संक्रमण हो सकता है

यह सच नहीं है! जैसा की मैंने पहले ही कहा है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित प्रक्रिया है और सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर खून लेने के मानक तरीके अपनाएं जाते है।.

रक्तदान से पहले होने वाले टेस्ट

  1. हेपेटाइटिस बी 
  2. हेपेटाइटिस सी 
  3. सिफलिस
  4. एचआईवी 
  5. मलेरिया
उपर्युक्त के अतिरिक्त एचबी लेवल टेस्ट और ब्लडप्रेशर का भी जाँच किया जाता है। 

रक्तदान के बाद क्या खाएं?

रक्तदाताओं को अपने आहार में आयरन, विटामिन बी व सी युक्त आहार लेना चाहिए। इसके लिए पालक, संतरे का जूस, फलियाँ व डेरी उत्पाद को अपने नियमित आहार में लें। रक्तदान करने से दो से तीन घंटे पूर्व पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर पिएं और भरपेट भोजन करें। इससे शरीर में शुगर की मात्र स्थिर होती है

विश्व रक्तदान  दिवस की शुरुआत

विश्व रक्तदान दिवस 14 जून को इस लिए मनाया जाता है क्यूंकि इस दिन ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और भौतिकीविद कार्ल लेण्डस्टाइनर का जन्म हुआ था। इन्हे वर्ष 1930 में शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था यह वही वैज्ञानिक थे, जिन्होंने रक्त को समुह A, B, O में वर्गीकृत किया था।

यानि उन्होंने पहली पर बताया था कि रक्त में अलग- अलग समूह होते है इसके बाद वर्ष 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन रेड  क्रासन और रेड क्रिसक समज ने इसे 14 जून को वार्षिक तौर पर मनाने की शुरुआत की तब से लेकर आज तक लगातार प्रत्येक वर्ष 14 जून के दिन को विश्व रक्तदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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भारत में रक्तदान  स्थिति 

आंकड़ों के अनुसार इस अभियान के तहद प्रत्येक वर्ष हजार लोगो की जान बचाई जा रही है। अगर बात करे भारत की आकड़ो की तो भारत में रक्तदान की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रत्येक वर्ष भारत में 1 करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है लेकिन केवल 75 लाख यूनिट रक्त ही उपलब्ध हो पाता है यानि कि प्रत्येक वर्ष 25 लाख लोग रक्त के कमी के कारण मौत का शिकार हो जाते है। जबकि अन्य देशों में ये आंकड़ा काफी ऊपर है लेकिन फिर भारत के पंजाब प्रान्त इस चीज में सबसे आगे है। पंजाब प्रान्त के भटिण्डा में 10 हजार रक्तदाता स्वेक्षा से अपना रक्तदान करते है।

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कौन कर सकता है रक्तदान

रक्तदान कोई भी व्यक्ति कर सकता है बस उसकी उम्र 16 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए और उसका वजन 45 किलोग्राम से ऊपर होना चाहिए। वह किसी भी घातक बीमारी कैंसर, एड्स जैसी बीमारी से पीड़ित नहीं होना चाहिए। लेकिन आज हमारे देश में रक्तदान को लेकर काफी भ्रांतियां है जैसे रक्त देने के बाद शरीर में काफी कमी हो जाती है या हमारे शरीर में रक्त नहीं बनता लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है महारा रक्त अगले तीन महीने में अपनी जगह ले लेता है। यानि की अपने 1 यूनिट रक्तदान किया है आप अगले तीन महीने में आपका 1 यूनिट रक्त पूरा हो जायेगा आप अगर स्वेक्षा से रक्तदान करना चाहते है तो आपके शरीर पर इसकी कोई कमी नहीं होने वाली है बस आपको कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए।

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