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हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है और इसका इतिहास

हिंदी क्या है

मोहब्बत की जो भाषा है, हमें सिखाती है,

क्या है माँ की परिभाषा, हमे हिंदी बताती है।

सुबह माँ के भजन हो या रात को दादी की लोरिया,

हमरे ख्वाबो का बिस्तरा सदा हिंदी दिखाती है।

दिखावे में भले हम मोम-डैड कहते है,

 मगर जब छोड लगाती है जुबान फिर माँ चिल्लाती है।

नकली पैर चलने का सहारा तो दे सकते है,

दौड़ने में रफ़्तार असली पैरों से ही आती है।

मोहब्बत की जो भाषा है हमे हिंदी सीखती है,

क्या है माँ की परिभाषा हमें हिंदी बताती है। 

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वैसे तो सब जानते है की 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है मगर ये बहुत कम लोग जानते है की ऐसा क्यों है। हिंदी भाषा के बारे में आप लोग जरूर जानते है क्युकी अधिकतर लोगो की बात-चित हिंदी भाषा में होती है और इनकी मातृभाषा हिंदी है। भारत की मातृभाषा होने के बाद भी हिंदी का उपयोग बहुत कम है। क्या आप जानते है दुनिया बाहर में करीब 54 करोड़ लोग हिंदी भाषी हैं। अंग्रेजी भाषा के बढ़ते चलन और हिंदी की अनदेखी को रोकने के लिए हर साल 14 सितंबर को देश भर में हिंदी दिवस मनाया जाता है। क्या आप लोग जानते है हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है? तो आइये जानते है क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस। 

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हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है और इसका इतिहास
हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है

भारत के संविधान
ने देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी को अनुच्छेद 343 के तहत देश की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया था। हिंदी विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा भी है। प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाने वाला हिंदी दिवस भारतीय संस्कृति  को संजोने और हिंदी भाषा को सम्मान देने का एक तरीका है।

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हिंदी दिवस कब मनाया जाता है 

हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा सन 1918 से है, जब महात्मा गांधी ने हिंदी सम्मलेन में चीनी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने का प्रस्ताव रखा था। इसी सम्मेलन में गांधी जी ने हिंदी को जनमानस की भाषा बुलाया था 14 सितमबर 1949 को संविधान सभा ने निर्णय लिया था की भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी ही होगी। इस निर्णय को महत्त्व देने के लिए और हिंदी के उपयोग को प्रचलित करने के लिए साल 1953 के उपरांत हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।


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भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धरा 343(1) में दर्शाया गया है कि संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के सभी कार्यों के लिए प्रयोग किये जाने वाले अंक किन्तु अंतर्राष्ट्रीय होंगे क्यूंकि ये निर्णय 14 सितंबर को लिया गया था इसलिए इसी दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज हिंदी दिवस के मायने अलग हो गए है, अंग्रेजी के  बढ़ते प्रयोग की वजह से आज हिंदी भाषा का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है। हिंदी दिवस को मनाने के पीछे आज प्रयोजन होता है कि हिंदी के प्रयोग के लिए जागरुकता बढ़ाई जाय और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसका महत्त्व पहुँचाया जाय।

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क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस और इसका इतिहास क्या है?

हिंदी को सबसे पहले 14 सितंबर 1949 के दिन राज भाषा का दर्जा मिला था जिसके बाद हर साल इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश जब साल 1947 में अंग्रेजों की हुकूमत से आजाद हुआ था तो देश के सामने भाषा को लेकर सबसे बड़ा एक सवाल खड़ा था। सवाल यह था की भारत की साष्ट्रभाषा कौन सी होगी ये सवाल बेहद अहम था इसलिए काफी विचार करने के बाद हिंदी और अंग्रेजी को एक नए राष्ट्र की भाषा के रूप में चुना गया।

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संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया। हिंदी की ख़ास बात यह है कि इसमें जिस शब्द को जिस प्रकार से उच्चारित किया जाता है उसे लिपि में लिखा भी उसी प्रकार जाता है देश के 77% लोग हिंदी लिखते, पढ़ते, बोलते और समझते है हिंदी उनके काम-काज का भी हिस्सा है। देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था इस दिन के महत्व को देखते हुए हर साल 14 सितंबर हिंदी दिवस मनाया जायेगा।

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पहला आधिकारिक हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया। हालाँकि जब अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा के तौर पर हटाने का वक्त आया तो देश के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। उसके बाद क्रेंद्र सरकार ने सविधान संशोधन करके अंग्रेजी को हिंदी के साथ भारत की आधिकारिक भाषा बनाये रखने का प्रस्ताव पारित किया। आधिकारिक भाषा के अलावा भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं शामिल है।


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हिंदी बोलने वालों की संख्या के अनुसार अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद पूरी दुनिया में हिंदी चौथी सबसे बड़ी भाषा है। लेकिन इसे अच्छी तरह से समझने, लिखने और पढ़ने वालों में यह संख्या बहुत ही कम है। दिन प्रतिदिन यह संख्या और भी कम होती जा रही है। हिंदी सप्ताह को राजभाषा सप्ताह के नाम से भी जाना जाता है, हिंदी दिवस 14 सितंबर से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है।

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हिंदी दिवस कैसे मनाया जाता है

हिंदी दिवस के दौरान बहुत सारे हिंदी विद्यालयों, कालेजों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयो में कई कार्यक्रम होते है इस दिन छात्र-छात्रों को हिंदी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिंदी का उपयोग करने आदि की शिक्षा दी जाती है। इस दिन  हिंदी में निबंध, कविता, वार्तालाप, लेखन, कहानी हिंदी में भाषण जैसे कार्यक्रमों या प्रतियोगिताओं का आयोजन  है। हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रति लोगों को प्रेरित करने के लिए भाषा सम्मान की शुरुआत की गयी है।

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यह सम्मान प्रतिवर्ष देश के ऐसे व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने जान-जन में हिंदी भाषा के प्रयोग  एवं उत्थान के लिए विशेष योगदान दिया है। इसलिए सम्मान स्वरूप एक लाख एक हजार रूपये दिए जाते है। इस दिवस अवसर पर पुरष्कारों का वितरण भी किया जाता है। हिंदी दिवस का उत्सव राष्ट्रीय स्तर पर भी मनाया जाता है। जिसमे राष्ट्रपति उन लोगो को पुरस्कार देते है जिन्होंने हिंदी भाषा से सम्बंधित किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट हासिल की है।

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हिंदी दिवस में हिंदी का क्या महत्त्व है 

हिंदी एक बहुत ही सरल भाषा है देवनागरी में लिखी जाने वाली यह भाषा अपने आप में काफ़ी समृद्ध है। इसके विकास के लिए कई कवियों लेखकों ने अपनी-अपनी रचनाओं से इसे समृद्ध किया है इन कवियों में रामधारी सिंह दिनकर, मैथिलीशरण गुप्त, महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, निराला इत्यादि बेहद प्रमुख है वर्तनाम समय में भी बहुत कवी इसे अपनी रचनाओं से समृद्ध कर रहे है।

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हिंदी दिवस हमें हमारी असली पहचान की याद दिलाता है। हिंदी का हमारे देश में महत्त्व बहुत ही अधिक है भारत में हिंदी दरअसल एकता का प्रतिक है अंग्रेजो से स्वतंत्रता की लड़ाई के समय भी लोगो को एकजुट होने में हिंदी ने अपना बहुत बड़ा योगदान दिया इस समय पुरे भारत में हिंदी बोला जाता था। भारत के स्वतंत्रता के बाद इस भाषा के विकास के लिए कई विद्वानों ने बहुत कार्य किये।

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पढ़े-लिखे लोग जो बड़ी-बड़ी कंपनी में नौकरी कर रहे है उन्हें आज के समय में हिंदी का कोई भविष्य दिखाई नहीं देता उनका मानना भी सही है क्योंकि वे अपने आस-पास के दायरे में रहकर सोच रहे है उन्हें एक सफल भविष्य जिने नौकरी, पैसा ऐशो आराम में उसके लिए हिंदी का होना जरुरी नहीं लगता पर वही व्यक्ति जब खड़े होकर देश के भीतर झांकता है तो उसे लोगो के मध्य एक बड़ा मतभेद दिखाई देता है और यह मतभेदी इन पढ़े-लिखे लोगो को ही अकेला कर रहा है।

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क्युकी देश में आज भी हिंदी भाषी ज्यादा है माना की ये हिंदी भाषी तकनीकी ज्ञान से दूर है पर आज भी तकनीकी एकता से ज्यादा मानवी एकता महत्त्व रखती है। मानवी एकता तभी आएगा जब सबमें समानता होगा और मतभेद कम होगा क्यों हमारा देश इंग्लिश बोलने वालों से ज्यादा प्रभावित है हिंदी भारत की मूल भाषा है परन्तु जिस तरह देश में भिन्न-भिन्न तरह के लोग है उस तरह कई भाषा एवं बोलिया भी यहाँ बोली जाती है।


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