अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस International Women's Day हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। क्या आपको पता है ये दिवस क्यों मनाया जाता है? इस दिन लोग Womanhood नारीत्व की बात करते है, नारीवाद के बारे में बात करते है, Women के रोल को बढ़ाने के लिए, उनकी Life को सुधारने के लिए बात की जाती है।
यह Event तो स्टार्ट हुआ था एक राजनीतिज्ञ दौर से जब राजनीतिज्ञो ने अपनी आवाज तेज करी थी, बुलंद करी थी Women के Struggle संघर्ष को लेकर उनकी Independence स्वतंत्रता को लेकर सबके हको के बारे में बात की थी जब समान अधिकार के बारे में बात की गई थी हर देश इस दिन को मनाता है। इस संस्कृति को, उनके प्यार को, उनके सम्मान को, उनके रोल की बात की जाती है हर किसी के जीवन में नारी जननी होती है, जन्म देती है वह दूसरी जीवन को तो नारी तो इस संसार की जननी है उसका रोल पीछे नहीं रखा जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस |
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) एक वैश्विक दिवस है जिसमेंं नारी की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक राजनीतिक उपलब्धियां को मनाया जाता है, राजनीतिक हमारी इंद्रा गांधी कितनी उन्होंने उपलब्धियां पाई राजनीतिक में यह दिन एक Gender Parity लिंग समानता की बात करता है, सब लोग बराबर है महिला हो या पुरुष दोनों लोग सामान है इस दिन एकाग्रता, एकता, अखंडता की बात होती है, यह मनाया जाता है और स्थानीय स्तर पर ये चीज दिखनी चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य International Women's Day in Hindi
प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को पुरे विश्व में महिलाओं के योदगान एवं उपलब्धियों की तरफ लोगों का ध्यान केंद्रित करने के लिए महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य नारी को समाज में एक सम्मानित स्थान दिलाना और उसके स्वयं में निहित शक्तियों से उसका ही परिचय करा होता है। अपने व्यक्तित्व को समुन्नत बनाकर राष्ट्रीय समृद्धि के सम्बन्ध में नारी कितना बड़ा योगदान दे सकती है इसे उन देशों में जाकर आँखों से देखा या समाचारों से जाना जा सकता है।
जहां एक महिला को एक इंसान के रूप में स्वीकार किया गया है और उसे उसके अधिकार दिए गए हैं, वहीं महिला न केवल उपयोगी श्रम करके देश की प्रगति में योगदान दे रही है, बल्कि परिवार की आर्थिक समृद्धि में भी वृद्धि कर रही है और इस तरह सक्षम हो रही है लाइव वह खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही है, परिवार को एक छोटा बगीचा बनाने और उसे सुरक्षित फूलों से बनाने में मदद कर रही है।
अगर हम इतिहास की माने तो हम ये पाते हैं कि नारी ने पुरुष के सम्मान एवं प्रतिष्ठा के लिए स्वय की जान दाव पर लगा दी, नारी के इसी पराक्रम के चलते यह कहावत सर्वमान्य बनाकर साबित हुई की प्रत्येक पुरुष की सफलता के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है। प्रत्येक दिवस मनाया जाने वाला ये उत्सव, माफ़ कीजियेगा मैनें उत्सव शब्द का प्रयोग महिला दिवस के परिपेक्ष में इसलिए किया है कि मेरा यह मानना है की ये उत्सव ही तो है जहाँ वर्ष में कम से कम एक दिन संपूर्ण सृष्टि का सृजन करे वाली नारी शक्ति के योगदान की पुरे विश्व में सराहना की जाती है।
ये तो सर्वविदित है की समाज निर्माण में जितना योगदान पुरुषों का होता है उतना ही योगदान स्त्री का परंतु जिस प्रकार का सम्मान पुरुषों को समाज में मिलता है उतना स्त्री को नहीं मिल पाता है, इसका प्रमुख कारण समाज की संक्रिण सोच महिलाओं को लेकर, परन्तु अब समय बदल गया है कुछ वर्षों पहले तक बहुत से ऐसे खेल थे जिसमें नारी को शारीरिक रूप से दुर्बल समझकर खेलने से रोका जाता था आज उन्ही खेलों में वो अपना परचम लहरा रही है, फिर तो चाहे बात हो मुक्केबाजी, बैटमिंटल या फिर टेनिस की।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है? Internationale Women's Day Kab Manaya Jata Hai
नर और नारी परमात्मा की दो विशिष्ट रचनाएँ हैं। यह एक दूसरे के पूरक भी हैं। एक की अनुपस्थिति में, दूसरा अप्रभावी है। लेकिन भारतीय संस्कृति में स्त्री की भूमिका पुरुष की तुलना में कहीं अधिक सम्मानजनक मानी जाती है। हमरे आदि-ग्रंन्थो में नारी गुरुतर मानते हुए यहां तक घोषित किया गया - यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमंते तत्र देवता। अर्थात जहाँ नारियों की पूजा की जाती है वहां देवता निवास करते है अथवा गृहणी गृहमित्याहू न गृहमुक्यते।
इसी सम्माननीय नारी को सृजन की शक्ति मानकर पूरे विश्व में 8 मार्च को महिलाओं के सम्मान के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस या International Women's Day मनाया जाता है। महिला दिवस मनाने का उद्देश्य नारी को कुरितियों की बेड़ियों से निकालकर उसे विकसित - परिष्कृत होने का सुअवसर प्रदान करता है ताकि वह न केवल खुद को सशक्त कर सके बल्कि बेहतर समाज के निर्माण में भरपूर योगदान दे सके।
कौन सा रंग महिला दिवस को दर्शाता है Whats Colors Signify Woman Day
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Purple बैंगनी रंग संकेत करता है ऐतिहासिक हम देखते थे महिला दिवस को जो रंग संकेत करता था वह बैगनी, हरा और सफ़ेद करता था जो महिला की बराबरी की बात करता है, बैगनी रंग महिला के सम्मान की बात करता है, हरा रंग हॉप की बात करता है एक दिन अच्छे आएंगे और महिला के लिए सब कुछ सही होगा सब सामान होंगे और सफ़ेद रंग नारी की शुद्धता को दर्शाता है, पवित्रता एक Controversial Concept विवादास्पद अवधारणा है तो अब बैगनी रंग ही लिया जाता है महिला दिवस को संकेत देने के लिए।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास International Women's Day History in Hindi
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कब हुई ?
अगर इसके इतिहास की बात करे तो यह उन दिनों की बात है जब औद्योगीकरण तेजी पर था यह बात तेज हुई कि महिला के अधिकार का हमें रक्षा करना होगा जब 1909 में पहला राष्ट्रीय महिला दिवस USA ने मनाया 28 फरवरी को जब सोशलिस्ट पार्टी जो अमेरिका की थी उसने नारी की हको की बात करी गारमेंट वर्कर स्ट्राइक को मनाया 1908 में और महिला के खुद मार्च की अपने वर्किंग कंडीशन के बारे में डिमांड करि की उनके वर्किंग कंडीशन अच्छे होने चाहिए क्योकि उनके वर्किंग कंडीशन बहुत दयनीय हो गए थे तो इस बारे में काफी रैली निकाली गई बाते हुई एक रहनीति सक्रियता की सबसे पहले शुरुवात हुई थी।
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस किसकी याद में मनाया जाता है?
अब ये एक महिला दिवस, राष्ट्रीय महिला दिवस International Women's Day मनाया जाने लगा सबसे पहले USA में बनाया गया था उसके बाद अमेरिकन सोशलिस्ट्स से प्रेरित होते-होते जर्मन सोशलिस्ट जी Luise Zietz थे उन्होंने राष्ट्रीय महिला दिवस उसका एक प्रपोजल रखा कि एक दिन ऐसा मनाया जायेगा इस दिन कोई काम नहीं होगा एक राष्ट्रिय अवकाश का दिन मनाया जाता है आज भी बहुत सारे देश में राष्ट्रीय अवकाश महिला दिवस को मनाया जाता है फिर एक प्रपोजल लाया गया।यह भी पढ़ें:
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है ?
सोशलिस्ट इंटरनेशनल में Copenhagen में जो Denmark में है 1910 में उसके बात 1911 में 17 देश 100 महिला इस मीटिंग को अटेंड करने आयी, नारी समान अधिकार के बारे में बात करते हुए उनके मताधिकार के बारे में बात करते हुए 19 मार्च 1911 को राष्ट्रीय महिला दिवस सबसे पहले Germany, Austria, Denmark और Switzerland में मनाया गया।यह भी पढ़ें:
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उसके बाद World War One की एक पार्ट होते हुए उसकी पिस मोमेंट का पार्ट होते हुए Russia में भी सबसे पहले महिला दिवस मनाया गया फरवरी 1913 को ऐसे ही यूरोप में मनाया गया महिलाओं के लिए काफी रैली निकली गई जिससे एकजुटता आ सके फिर 1917 में रूस की महिला ने विरोध किया इस बारे में और हड़ताल किया ब्रेड और पीस को लेकर और अंतिम रविवार फरवरी में ये महिला दिवस मनाया जाने लगा जो Gregorian Calendar के हिसाब से 8 मार्च को पड़ता है। उसके बाद Czar ने रिजाइन कर दिया तो Interim Goverment ने महिला को हक़ दिया कि वह वोट कर सकती है हालांकि यह 1975 के अंत में ही था कि एकजुट देशों ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया।
भारतीय नारी का विगत, वर्तमान संभावित स्वरुप
भारतीय नारी का विगत, वर्तमान संभावित स्वरूप के विषय पर बात करने से पहले हम सब के लिए यह जानना बहुत जरी है कि सही मायने में नारी - सामर्थ्य क्या है?
भारतीय नारी सामर्थ्य का यथार्थ
इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रकृति और पुरुष कानून की दो अलग-अलग रचनाएँ हैं और एक-दूसरे के पूरक हैं। एक के अभाव में, हम दूसरे की कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन कई समानताओं के बावजूद, महिला क्षमता और सक्रियता का क्षेत्र कई मामलों में अलग है। भारतीय समाज में, जहां पुरुषों को पुरुषत्व, श्रम, कठोरता, बर्बरता, अधीरता का प्रतीक माना जाता है, वहीँ महिलाओं को त्याग, करुणा, दया, स्नेह और धैर्य का प्रतीक कहा जाता है।
अपने प्रसिद्ध उपन्यास गोदान में, कहानी सम्राट मुंशीप्रेम चंद्र जी ने कहा है कि पुरुष में नारी के गुण आ जाते है तो वह महात्मा बन जाता है लेकिन नारी में पुरुषों के गुण आ जाते है तो वह कुलता हो जाती है .जयशंकर प्रसाद जी ने अपनी कामायनी में लिखा है, केवल वास्तविक स्त्री की स्वीकृति को दर्शाता है-
नारी तुम केवल "श्रद्धा" हो, विश्वास रजत नग पद "तल" में।पीयूष स्रोत - सी "बहा" करो, जीवन के "सुन्दर" समतल में।।
भारतीय महिला की इस विशेषता के कारण, उसे पता नहीं है कि कितने रिश्तों को बनाए रखना है। एक महिला जो बेटी के रूप में जीवन शुरू करती है, वह किसी की बहन, किसी की पत्नी और किसी की माँ होती है। इतिहास गवाह है कि भारतीय महिलाओं ने पुरुषों को प्रतिष्ठा और उपलब्धि के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने के लिए खुद को दांव पर लगा दिया। महिलाओं के इस अभिनव व्यक्तित्व और कृतज्ञता के उद्देश्य से की गई इस उक्ति को एक स्वीकृत सत्य के रूप में स्थापित किया गया है कि हर पुरुष की सफलता में एक महिला का हाथ होता है। लेकिन विडंबना देखिए, महिलाओं की शक्ति पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। लेकिन प्राचीन भारतीय संस्कृति में जो सम्मान (दर्जा) महिला को मिला, वह दर्जा आज भी महिला को नहीं दिया गया है।
पुरातन भारतीय समाज में नारी की अवस्था
भारतीय संस्कृति में नारी को माता के रूप में माना गया है। महिला को देवी के रूप में पूजा जाता है। प्राचीन भारतीय समाज में, एक पत्नी की अनुपस्थिति में एक आदमी द्वारा किए गए धार्मिक अनुष्ठानों को अधूरा माना जाता था। यही कारण है कि पत्नी के लिए पत्नी शब्द लोकप्रिय हो गया। इस समय की वर्तमान परिस्थितियों में, महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने, अपना जीवन-साथी चुनने की स्वतंत्रता थी।
ये घर की लक्ष्मी मानी जाती थी और इन्हें लगभग प्रत्येक दृष्टि से भरपूर सम्मान मिलता था। खुद की मिले सम्मान का परिचय इन्होने अपने नारी - सामर्थ से प्रस्तुत किया। कैकेयी को जो रण भूमि में पति की जो सारथि बनी, गंगाधरी जिन्होंने अंधे पति के लिए जीवन - पर्यन्त आँखों पर पट्टी बांध ली, सीता जिन्होंने पति के साथ स्वेच्छा से वन - गमन किया या फिर शास्त्रार्थ के लिए पुरुषों को ललकारने वाली गार्गी/मैत्रेपी आदि आदर्श चरित्र नारियों का प्रसंग उल्लेखनीय हैं। नारी के प्रति ऐसी उदात्त अवधारणा संभवतः कही और देखने को नहीं मिलता है। लेकिन भारतीय परवेश में नारी के प्रति सम्मान नहीं रहें है। समय बीतने के साथ साथ नारी को मिलने वाले भरपूर सम्मान का अवमूल्यन होना प्रारम्भ हो गया।
मध्यकाल में भारतीय नारी की अवस्था
भारतीय परिवेश में, मध्यकाल में, महिला के सम्मान का अवमूल्यन शुरू हुआ। स्त्री को मिली सारी आजादी छीन ली गई। इस अवधि की राजनीतिक और सामाजिक विसंगतियों के बीच, नारि एक जटायम बन गए। मत्स्य - न्याय की परंपरा का पालन करते हुए, विजयी राजाओं ने हारे हुए राजाओं को अपनी बेटियों के साथ-साथ अन्य बेटियों को सौंपने के लिए मजबूर किया, न केवल हिंदू परिवारों के धन और संपत्ति को लूटने के लिए, बल्कि बहु-बेटियों के अपहरण के लिए भी। किया हुआ।
परिणाम स्वरुप बहु-बेटियों की रक्षा हेतु पर्दा-प्रथा, वाल-विवाह, सती-प्रथा, कन्या-वध, विधवा-प्रताड़ना आदि तत्कालीन कुरीतियों ने जन्म लिया। विदेशियों के आक्रमण से स्थिति और भी भयावह हो गई। बहुविवाह और अनमेल विवाह जैसे भोगवादी मानसिकता का विकास कर नारी को प्राप्त समस्त स्वतंत्रता छीन ली गई।
दार्शनिक विचारधाराओं में नारी सामर्थ
नारी के मन में असुरक्षा की भगवाना लाने की जिम्मेदारी कहीं न कहीं कुछ दार्शनिक की विचारधारा भी सम्मिलित है। जॉन स्टुवर्ट मिल, प्लेटो एवं मार्क्स आदि ने नारी को पुरुष के समकक्ष रखने का प्रयास किया लेकिन कुछ दार्शनिक जैसे अरस्तु, हिगेल, कांट, नीत्शे आदि को स्त्री जाति की बौद्धिक और तार्किक क्षमता पर गहरा संदेह था। देकार्ते ने खुलकर कहा है कि स्त्री की तर्क क्षमता पुरुषों से सकमजोर एवं दुर्बल होती है। पुरातन में जो नारी पुरुषों की अर्धांगिनी थी उसे जाने-अनजाने ये दार्शनिकों ने दो भागों में बांट दिया। इन दार्शनिकों ने नारी को सवेंदनशील बनाकर पुरुषों को उसकी सुरक्षा करने तक की दलील दे डाली।
उन्होंने नारी के मन में उसी के अस्तित्व के प्रति असुरक्षा के बीज डाल दिए। इसके बाद तो नारी को उसके मौलिक अधिकारों से वंचित करने, विरोध करने में नारिवादिरूपी अनेक विचारधाराओं का जन्म हुआ। जिसमें उदार नारीवाद, मार्क्सवादी नारीवाद, मनोविश्लेषण नारीवाद, अराजक नारीवाद, सामाजिक नारीवाद आदि उल्लेखनीय है। इन नारीवाद विचारकों के विचारों का असर भारतीय समाज पर पड़ा।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कैसे मनाया जाता है?
उन्होंने नारी के मन में उसी के अस्तित्व के प्रति असुरक्षा के बीज डाल दिए। इसके बाद तो नारी को उसके मौलिक अधिकारों से वंचित करने, विरोध करने में नारिवादिरूपी अनेक विचारधाराओं का जन्म हुआ। जिसमें उदार नारीवाद, मार्क्सवादी नारीवाद, मनोविश्लेषण नारीवाद, अराजक नारीवाद, सामाजिक नारीवाद आदि उल्लेखनीय है। इन नारीवाद विचारकों के विचारों का असर भारतीय समाज पर पड़ा।
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पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का थीम First International Women's Day Theme
सबसे पहले जो इसको थीम दी गई थी वह दी गई थी 1996 में सबसे पहली थीम थी Celebrating the Past, Planning for the Future.
International Women's Day 2020 Theme
I am Generation Equality: Realizing Women's Rights" इस थीम को संयुक्त राज्य की नै बहुभाषी Generation Equality के साथ जोड़ा गया है, जो बीजिंग डिक्लेरेशन और प्लेटफोर्म फॉर एक्शन की 25वी वर्षगांठ का प्रतिक है
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Women in Leadership: an Equal Future in a COVID-19 world "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम "महिला नेतृत्व: कोविड-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना" रखा गया है।
महिला के सम्मान में शायरी हिंदी में International Women's Day Shayari in Hindi
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