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राष्ट्रीय डेंगू दिवस (National Dengue Day) कब मनाया जाता है?

राष्ट्रीय डेंगू दिवस कब मनाया जाता है? National Dengue Day Kab Manaya Jata Hai?

ऐसा ही एक बुखार है डेंगू। जिससे कई लोगों को समय-समय पर परेशानी का सामना करना पड़ा है। यह देखा गया है कि डेंगू बच्चों को अधिक संक्रमित करता है। इस बीमारी के सामान्य लक्षण हैं तेज सिरदर्द, जोड़ों, मांसपेशियों और शरीर में दर्द। तेज बुखार, चिड़चिड़ापन महसूस होना, बरसात के मौसम में डेंगू ज्यादा तेजी से फैलता है। दरअसल, मई का महीना खत्म होने जा रहा है और भारत में जून के महीने से ही बारिश का मौसम शुरू हो जाता है. ऐसे में यह बीमारी तेजी से फैलती है। राष्ट्रीय डेंगू दिवस National Dengue Day 16 मई को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा खतरों के बारे में जागरूकता के लिए हर साल मनाया जाता है।

राष्ट्रीय डेंगू दिवस

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किस मच्छर के काटने से फैलता है डेंगू

डेंगू मादा एडीज मच्छर है, जो मादा एडीज मच्छर है, जो दिखने में सामान्य मच्छरों से अलग होता है। इसके शरीर पर चीते जैसी धारी होती है। ये मच्छर अक्सर दिन में काटते हैं। हमें इस समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हम सुबह और दिन में मच्छरों को न काटें। मादा एडीज मच्छर के काटने से डेंगू के लक्षण नहीं दिखते। आप पर इसका असर कुछ दिनों के बाद ही देखा जा सकता है। मच्छर के काटने के 3 से 5 दिन बाद ही रोगी में लक्षण दिखने लगते हैं।

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डेंगू कैसे होता है?

बरसात के मौसम में डेंगू के मच्छर बहुतायत में पाए जाते हैं। ये मच्छर आमतौर पर घरों, स्कूलों और अन्य इमारतों में और आसपास एकत्रित खुले और साफ पानी में अंडे देते हैं। इनके शरीर पर सफ़ेद और काली पट्टी होती है इसलिए इनको टाइगर (चीता मच्छर) भी कहते हैं। यह मच्छर निडर होता है और ज्यादातर दिन के समय ही काटता है। डेंगू एक विषाणु से होने वाली बीमारी है जो एडीज एजिप्टी नामक संक्रमित मादा मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू एक तरह का वायरल बुखार है। 

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डेंगू बुखार के प्रकार

डेंगू बुखार का रोगी तीन प्रकार की स्थितियों से पीड़ित हो सकता है।

साधारण डेंगू

इसके रोगी को 2 से 7 दिन तक तेज बुखार रहता है और इसके साथ निम्न में से दो या अधिक लक्षण भी दिखाई देते हैं।

  • अचानक तेज बुखार। 
  • सर में ऐज को और तेज दर्द। 
  • आँखों के पीछे दर्द और आंखों के हिलने से दर्द में और तेजी। 
  • मांशपेशियों (बदन) व जोड़ों में दर्द। 
  • स्वाद और भूख में कमी और खसरे के दाने जैसे ऊपरी आंखों पर दाने।
  • जी घबराना। 
  • उलटी आना। 
  • शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं और रक्त कोशिकाओं की कमी।
  • बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षण वयस्कों की तुलना में हल्के पाये जाते हैं।

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रक्त स्राव वाला डेंगू )डेंगू हमरेजिक बुखार)

खून बहने वाले डेंगू बुखार के लक्षण और अघात रक्त स्राव वाला डेंगू में पाए जाने वाले लक्षणों के अतिरिक्त निम्न लक्षण पाये जाते है___

  • शरीर की त्वचा या चमड़ी पीली तथा ठंडी पड़ जाना। 
  • नाक मुंह और मसूड़ों से खून बहना। 
  • प्लेटलेट कोशिकाओं की संख्या 100000 या इससे कम हो जाना। 
  • फेफड़ों और पेट में पानी इकट्ठा हो जाना। 
  • चमड़ी में घाव पड़ जाना। 
  • बेचैनी रहना व् लगातार कहरना। 
  • प्यास ज्यादा लगना (गला सूख जाना) 
  • खून वाली या बिना खुन वाली उल्टी आना। 
  • सांस लेने में तकलीफ होना। 

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डेंगू शॉक सिंड्रोम

  • ऊपर दिए गए लक्षणों के अलावा अगर मरीज में परिसंचारी खराबी के लक्षण जैसे - 
  • कब्ज का कमजोर होना व् तेजी से चलना। 
  • रक्तचाप का कम हो जाना। 
  • त्वचा का ठंडा पड़ जाना। 
  • मरीज को बहुत अधिक बेचैनी महसूस करना। 
  • पेड़ में लगातार दर्द। 

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ऊपर की तीन स्थितियों के अनुसार मरीज का यथोचित उपचार प्रारम्भ करें। मरीज के खून की सिरोलॉजिकल एवं बायलोजिकल परीक्षण केवल रोग को सुनिश्चित करता है था इसकी अनुपस्थिति से रोगी के उपचार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि डेंगू एक प्रकार का वायरल बुखार है। इसके लिए कोई विशिष्ट दवा या टीका उपलब्ध नहीं है।

डेंगू का उपचार

जल्दी बुखार होने की स्थिति में - मरीज आराम करने की सलाह दें। उम्र के अनुसार तेज बुखार होने पर पैरासिटामोल की गोली (24 घंटे में चार बार से ज्यादा नहीं) दें। एस्प्रिन और आइबूप्रोफेन नहीं देना चाहिए। एंटीबायटिक्स नहीं दी जाएँ क्योंकि वे इस बीमारी में व्यर्थ है। मरीज को ओ. आर. एस. दिया जाएँ। भूख के अनुसार पर्याप्त मात्रा में भोजन दिया जाएँ। साधारण डेंगू बुखार के मरीज को ठीक होने के 2 दिन उपरान्त तक जटिलताएँ देखि गई है प्रत्येक डेंगू बुखार के रोगी के बुखार ठीक होने के दो दिन के बाद तक निगरानी रखी जाएँ। डेंगू बुखार के ठीक होने पर मरीज और उसके परिजनों को निम्न लक्षणों के उभरने पर विशेष ध्यान देने हेतु सलाह दी जाएँ_____

  • पेट में तेज दर्द। 
  • काले रंग का मल आना। 
  • मसूड़ों/त्वचा/नाक से खून रिसना। 
  • चमड़ी का ठंडा पड़ जाना। 
  • ज्यादा पसीना आना। 
  • ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती होने की राय दी जाय। 

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डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीजों को उपचार हेतु हिदायते

उक्त मरीज को प्रत्येक घंटे में सम्भाला जाएँ। खून में प्लटेलेट की कमी होना (100000 अथवा कम) एवं खून में हिमोटोक्रिट का बढ़ना इस अवस्था की ओर इंगित करता है। समय रहते आई. वी. थैरपी मरीज को शोक से उबार सकता है। अगर 20ml/kh/hr एक घंटे में आइवी के देने पर भी मरीज की दशा में सुधार नहीं होता है डैक्सट्रोन या प्लाज्मा दिया जाना चाहिए। अगर गिरवाट आती है (>20%) तो तजा खून दिया जाना चाहिए शोक में आक्सीजन दी जाएँ। एसिडोसिस में सोडा बाईकार्ब दिया जाएँ। 

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डेंगू बुखार से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय करें:

रोगी के रोगथाम हेतु सर्वे, जाँच, उपचार तथा रोगथाम की कार्यवाही रोगियों के निवास के 5 किमी के दायरे में करवाएं। क्षत्र से संबंधित नगर निगम/बगरपलिका के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित कर रोग की रोगथाम हेतु चिकित्सा एवं स्वाथ्य विभाग तथा नगर निगम के कर्मचारियों का संयुक्त दल बनाकर एंटी लार्वा कार्यवाही कर सुनिश्चित करें। जिले में पानी एकत्रित होने वाले सभी स्थानों (जहां पर मच्छर प्रजनन की सम्भावना है) पर एंटी लार्वा की कार्यवाही की जायें। प्रचार-प्रसाद द्वारा आम लोगों को रोग से बचाव तथा मच्छरों के प्रजनन स्थानों पर एंटी लार्वा कार्यवाही के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएँ। 

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