कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए प्रयास बढ़ाने, जागरूकता लाने और प्रतिबद्धता नवीकृत करने का अवसर प्रदान करता है ये दिवस आज हम आपको अपने इस लेख में विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस World Leprosy Eradication Day, विश्व कुष्ठ दिवस World Leprosy Day या अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोग रोकथाम दिवस के बारे में बताएँगे। कब मनाया जाता है, क्यों मनाया जाता है, कुष्ठ रोग किसे कहते है ये क्या होता है, इसके लक्षण, उपचार, कार्यक्रम और उद्देश्य के बारे में बताएँगे।
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विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस |
विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस कब मनाया जाता है?
विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस World Leprosy Eradication Day हर साल जनवरी के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कुष्ठ रोग Leprosy से पीड़ित लोगों की मदद करने और इस बीमारी से पीड़ित लोगों की देखभाल करने वाले लोगों को प्रशिक्षित करने के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इस दिन, दुनिया भर के लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को सहायता प्रदान करते हैं और कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए धन एकत्र करते हैं। उपचारित किया जा सकता है।
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अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोग रोकथाम दिवस कब मनाया जाता है?
सम्पूर्ण विश्व में प्रतिवर्ष 30 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय रोकथाम दिवस International Prevention Day के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को इस रोग के प्रति जागरूकता फैलाना हैं। राष्ट्रपिता के नाम से जाने जाने वाले महात्मा गाँधी द्वारा कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के प्रयासों की वजह से ही हर वर्ष 30 जनवरी उनकी पुण्यतिथि को कुष्ठ रोग निवारण दिवस के रूप में पुरे देश भर में मनाया जाता है।
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कुष्ठ रोग दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
कुष्ठ रोग दिवस हर साल 30 जनवरी को मनाया जाता है।या` यह दिन 1953 में फ्रांसीसी मानवतावादी राउल फोलेरो द्वारा चुना गया, जिसे 30 जनवरी 1948 महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि के अवसर पर मनाया गया था। यह दिन कुष्ठ रोग Leprosy Disease के बारे में जागरूकता बढ़ता है। इस बीमारी को लाखों लोगों में निदान Diagnosis किया गया था।
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कुष्ठ रोग किसे कहते है?
कोढ़ को ही कुष्ठ रोग कहा जाता है जी कि एक जीवाणु रोग है। यह एक दीर्घकालीन रोग है जोकि माइकोबैक्टेरियम लेप्राई (Mycobacterium leprae) और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटासिस (Mycobacterium lepromatosis) जैसे जीवाणुओं की वजह से होता है। कुष्ठ रोग के रोगाणु की खोज 1873`हांसेन ने किया था। इसलिए कुष्ठ रोग हांसेन भी कहा जाता है। यह रोग मुख्य मुख्य रूप से मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेषमिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आँखों और शरीर के कुछ अन्य भागों को प्रभावित करता है।
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यह रोग रोगी के शरीर में इतने धीमे-धीमे फैलता है कि रोगी को कई वर्षो तक पता भी नहीं चलता है और यह रोग रोगी के शरीर में पनपता रहता है। यह रोग शरीर को लम्बे समय तक हवा में खुली धुप ना मिलना, लम्बे समय से गन्दा व दूषित पानी पीते रहना अधिक मात्रा में मीठी चींजो का सेवन करते रहना और नशे का बहुत अधिक सेवन करना आदि कारण हो सकते है।
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क्यों होता है कुष्ठ रोग?
एक कुष्ठ रोगी जब छीकता है या खांसता है तो ये हवा में ऐसे छींटे उत्पन्न होते हैं जिससे ये बीमारी फैलती है। हालाँकि कुष्ठ रोग को एक संक्रामक बीमारी कहते है पर इसके संक्रमण होने की संभावना काफी काम होता है। एक तरफ खांसी और जुखाम है जो जल्दी से ही एक दूसरे को फ़ैल जाता है। लेकिन जो कुष्ठ रोग हैं ठीक ये उसके विपरीत है और इसमें लम्बे समय तक एक रोगी से नजदीकी संपर्क चाहिए होता है। अगर कोई व्यक्ति कुपोषण का शिकार है उसमें कुष्ठ रोग होने की सम्भावनायें ज्यादा होता है और दूसरी तरफ एक स्वस्थ्य आदमी शरीर तंदरुस्त है उसको ये निमारी होना का सम्भावना काफी काम होता है।
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होने को ये बीमारी एक छोटे से बच्चे से लेकर एक बड़े बूढ़े आदमी तक में पाए जा सकते है। देखा जाता है कि शरीर के वो हिस्से जिनका की तापमान दूसरे हिस्सों से कुछ कम रहता है जैसे की हमारी चमड़ी, नसें, आंखे, कान और नाक इन हिस्सों में इस बैक्टीरिया का इस बीमारी का प्रभाव ज्यादा देखा जाता है। इस बीमारी में नजर कमजोर हो जाते है। हाथ और पैर सुन्न पड़ जाते है।
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इस कारण से ऐसे व्यक्तियों के हाथ और पैरों में लगातार चोट पड़ता रहता है इससे कि घाव होते रहते है। क्यूंकि ये हिस्से सुन्न रहते है इसलिए मरीजों को पता ही नहीं लगता ये बीमारियां जो बन रहे है इनमें इंफेक्शन हो जाता है जिसके कारण से ये लंबे समय तक ठीक नहीं होते जिसके कारण ये बढ़ते चले जाते है। हाथों और पैरों की बो मांसपेशियाँ जो की इन नसों से जुड़ी हुई हैं उनमें भी विकृति आ जाता है इस कारण से हाथ और पैरों में अकड़न आ जाता है।
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कुष्ठ रोग के लक्षण
कुष्ठ रोग में रोगी के शरीर में कई तरह-तरह के लक्षण देखने को नजर आते हैं जैसे घावों में हमेशा ही मवाद का बहना। घाव का जल्दी ठीक नहीं हो होना। घावों पर हमेशा खून निकलना। इस तरह से घाव को होने व उनके ठीक ना होने ना होने के कारण रोगी के अंग धीरे-धीरे करके गलने लगते और पिघलकर गिरने लगते जाते हैं। जिससे रोगी व्यक्ति धीरे-धीरे व्यक्ति अपाहिज होने लगता है। त्वचा पर गहरे या लाल रंग के दाग, त्वचा के चकत्तों/धब्बों में संवेदना की कमी या समाप्ति, हाथ या पैरों में सुन्नता या झुनझुनी, नसों में दर्द, चेहरे में सूचन या गाठ, दर्दरहित घाव, हाथ या पेअर का गलना आदि कुष्ठ रोग के लक्षण है।
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कुष्ठ रोग का उपचार
अगर आप कुष्ठ रोग से ग्रसित हैं तो अपने पास के डॉक्टर संपर्क करें। कुष्ठ रोग के निवारण के लिए अधिकतर सभी सरकारी अस्पताओं में मुफ्त दवा उपलब्ध कराया जाता हैं। कुष्ठ रोग वंशानुगत नहीं है, ये रोग अत-पिता से बच्चों में प्रसारित नहीं होता है। कुछ लोग ऐसा मानते है कि कुष्ठ रोग एक अभिशाप है जिस व्यक्ति ने अपने पिछले जन्म कुछ ऐसे कर्म किये है उसको ये श्राप जो है जीवन भर व्यतीत करना पड़ता है ऐसा कहना बिलकुल भी गलत है। ये एक बीमारी है।
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ये भी देखा जाता है की जब इस बीमारी का इलाज ले लिया जाता है तो इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति ठीक हो जाता है यही नहीं जब इस बीमारी इलाज कर लिया जाता है। अगर शरीर में से कोई चमड़ी का टुकड़ा लिया जाय जो बैक्टीरिया बीमारी में पहले पाए जाते थे वो उसके बाद नजर आने बंद हो जाते है। यानि की ये बीमारी पूरी तरह से जड़ से समाप्त हो जाता है।
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कुष्ठ रोग का इलाजकाफी समय से मौजूद है और सरकार की तरफ से मुफ्त में मुहैया कराया जाता है। इसका इलाज 6 महीनें से लेकर 1 साल तक चलता है और खाने की कुछ दवाइयां ही इसका इलाज है। जिनको भी लेने के बाद, कोर्स पूरा करने के बाद व्यक्ति का पक्का इलाज हो जाता है इसका मतलब ये है की इस्लाज हो जाने के बाद उसे कोई दवाई खाने की जरूरत नहीं है और इसके आलावा उसको संक्रमण होने का भी कोई संभावना नहीं हैं उसे या उससे किसी और को।
राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम World Leprosy Eradication Day Program
राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम 1995 में सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है। इस कार्यक्रम को विश्व बैंक की सहायता से "1993-1994" से "2003-2004" तक विस्तारित किया गया था और इसका उद्देश्य 2005 से सार्वजनिक स्वास्थ्य से कुष्ठ उन्मूलन और बाहर काम करना था। 110000 एनएलईपी का यह आंकड़ा। राज्य और जिला स्तर पर विकेंद्रीकृत किया गया था और 2001-2002 के बाद से कुष्ठ रोग सेवाओं को सामान्य उपचार प्रणाली में एकीकृत किया गया है।
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इससे कुष्ठ (पीएएल) से प्रभावित व्यक्तिओं कलंक और भेदभाव को काम करने में मदद मिला। "मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी)" सभी उपकेंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सरकारी अस्पताओं और औषधालयों में सभी कार्य दिवसों पर निःशुल्क प्रदान किया जाता है है। "राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन" की शुरुआत के बाद कुछ कार्यक्रम भी मिशन का अनिवार्य हिस्सा रहा है। इस दिन सरकारी संगठन और गैर-सरकारी संगठन सार्वजानिक और शैक्षणिक कार्यक्रम भी करते हैं। सभी लोगों को जागरूक भी करते है।
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राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम के उद्देश्य Leprosy Eradication Day
कुष्ठ रोग को प्राथमिक अवस्था या शुरुआत के दौर में ही पहचान कर शीघ्र उपचार कर संक्रमण का रोकथाम करना और करना। नियमित रूप से उपचार द्वारा विकलांगता से भी बचाव किया सकता है इसके लिए लोगों को जागरूक करना, विकृतियों का उपचार कर रोगियों को समाज का उपयोगी सदस्य बनाना, स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा समाज में इन रोग के सम्बन्ध में फैली गलत अवधारणाओं को दूर करना।
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