लोन क्या है और क्यों लेना चाहिए? जानिए आसान भाषा में | Loan Kya Hai in Hindi
लोन (Loan) एक प्रकार की वित्तीय सुविधा है जिसमें कोई बैंक, वित्तीय संस्था या व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था को एक निश्चित राशि उधार देता है, जिसे एक तय समय अवधि में ब्याज (interest) सहित चुकाना होता है।
हर किसी की ज़िंदगी में ऐसे मौके आते हैं जब ज़रूरतें ज़्यादा होती हैं और जेब थोड़ी हल्की। ऐसे समय में "लोन" यानी उधार एक सहारा बन सकता है। लेकिन लोन लेना कोई छोटी बात नहीं – इसके बारे में सही जानकारी होना बहुत ज़रूरी है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे: लोन क्या होता है?, लोन कितने प्रकार के होते हैं?, लोन क्यों और कब लेना चाहिए? लोन लेने से पहले किन बातों का ध्यान रखें? इत्यादि।
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लोन क्या है और क्यों लेना चाहिए? |
लोन क्या होता है?
लोन का मतलब होता है — किसी बैंक, NBFC (Non-Banking Financial Company) या फाइनेंशियल संस्था से एक निश्चित राशि उधार लेना, जिसे तय समय में ब्याज समेत वापस करना होता है। इसे आप आसान भाषा में "ब्याज पर उधारी" कह सकते हैं।
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लोन के मुख्य प्रकार:
- पर्सनल लोन – शादी, इलाज या ट्रैवल जैसे कामों के लिए
- होम लोन – घर खरीदने या बनाने के लिए
- एजुकेशन लोन – पढ़ाई के लिए
- ऑटो लोन – बाइक या कार लेने के लिए
- बिजनेस लोन – व्यापार शुरू करने या बढ़ाने के लिए
- गोल्ड लोन / सिक्योर्ड लोन – गहने या संपत्ति के बदले
लोन क्यों लेना चाहिए?
- बड़ी ज़रूरतें पूरी करने के लिए: जैसे घर खरीदना, मेडिकल इमरजेंसी, या पढ़ाई।
- कैश फ्लो बनाए रखने के लिए: बिज़नेस या शॉर्ट टर्म ज़रूरतें।
- बिना सेविंग्स खर्च किए समाधान: सेविंग्स को सुरक्षित रखते हुए भी ज़रूरतें पूरी हो सकती हैं।
- क्रेडिट स्कोर बनाने के लिए: समय पर लोन चुकाने से आपका स्कोर अच्छा होता है।
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लोन लेने से पहले ध्यान देने वाली बातें:
- ब्याज दर क्या है?
- EMI आपकी कमाई के मुकाबले कितनी होगी?
- क्या आप समय पर चुका पाएंगे?
- किसी स्कैम या छिपे हुए चार्ज से तो नहीं जुड़ रहे?
लोन लेने के फायदे
-
तत्काल फाइनेंशियल मदद:
जब कोई इमरजेंसी हो – जैसे मेडिकल खर्च, घर खरीदना या बच्चों की पढ़ाई – लोन आपकी मदद करता है। -
सेविंग्स को सुरक्षित रखना:
कई बार लोन लेकर आप अपनी जमा पूंजी को छेड़े बिना ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं। -
क्रेडिट हिस्ट्री बनती है:
अगर आप समय पर EMI चुकाते हैं, तो आपका CIBIL स्कोर अच्छा होता है। इससे भविष्य में लोन लेना आसान हो जाता है। -
बड़ी चीजें जल्दी हासिल करना:
बिना कई साल बचत किए आप कार, घर, या बिजनेस शुरू करने जैसे बड़े कदम उठा सकते हैं।
लोन से जुड़ी सावधानियाँ
-
ब्याज दर का जाल:
लोन सस्ता लग सकता है, लेकिन अगर ब्याज ज़्यादा हो तो चुकाते-चुकाते जेब ढीली हो जाती है। हमेशा तुलना करें। -
EMI की प्लानिंग:
EMI आपकी इनकम का 40% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। वरना खर्च चलाना मुश्किल हो सकता है। -
छिपे हुए चार्जेस:
प्रोसेसिंग फीस, प्रीपेमेंट चार्ज, लेट पेमेंट पेनल्टी – ये सब भी पढ़ना ज़रूरी है। -
फर्ज़ी कंपनियों से सावधान:
सिर्फ RBI से अप्रूव्ड बैंक या NBFC से ही लोन लें। WhatsApp या फ़ोन कॉल पर लुभावने ऑफर मिलें तो पहले जांचें।
लोन कब नहीं लेना चाहिए?
- सिर्फ शौक या फिजूल खर्च के लिए (जैसे महंगा फोन या छुट्टी पर जाना)
- अगर आपकी आमदनी अस्थिर है या नौकरी का भरोसा नहीं है
- अगर आपके ऊपर पहले से कर्ज का बोझ है
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लोन के मुख्य तत्व:
- मुख्य राशि (Principal) – जो राशि उधार ली जाती है।
- ब्याज (Interest) – उस राशि पर लगने वाला अतिरिक्त शुल्क जो आपको चुकाना होता है।
- अवधि (Tenure) – वह समय जिसमें आपको लोन चुकाना होता है।
- EMI (Equated Monthly Installment) – हर महीने चुकाई जाने वाली निर्धारित राशि।
लोन कैसे काम करता है?
जब आप लोन लेते हैं, तो:
- बैंक या संस्था आपकी साख (creditworthiness) की जांच करती है – यानी आपका क्रेडिट स्कोर, आय, नौकरी, आदि।
- अगर सब कुछ सही होता है, तो लोन स्वीकृत (approved) होता है।
- लोन की राशि आपके अकाउंट में ट्रांसफर कर दी जाती है।
- आप उस लोन को EMI के रूप में हर महीने चुकाते हैं – जिसमें कुछ हिस्सा मुख्य राशि और कुछ ब्याज होता है।
लोन लेने से पहले ध्यान देने योग्य बातें:
- ब्याज दर (Interest Rate): कम ब्याज दर वाला लोन लेना फायदेमंद होता है।
- प्रोसेसिंग फीस: कुछ बैंक लोन जारी करने के लिए अतिरिक्त फीस लेते हैं।
- पूर्व भुगतान शुल्क (Prepayment Charges): अगर आप लोन जल्दी चुकाना चाहें तो उस पर लगने वाले शुल्क की जांच करें।
- क्रेडिट स्कोर: अच्छा स्कोर (750+ आमतौर पर) होने से लोन आसानी से मिल सकता है।
लोन न चुकाने पर क्या होता है?
- आपकी क्रेडिट रिपोर्ट खराब हो जाती है।
- बैंक आपसे कानूनी रूप से वसूली कर सकता है।
- गिरवी रखी संपत्ति (जैसे घर या गाड़ी) जब्त की जा सकती है।
लोन की पात्रता (Eligibility) क्या होती है?
लोन लेने के लिए व्यक्ति को कुछ शर्तें पूरी करनी होती हैं:
- आय (Income): आपकी मासिक या सालाना आमदनी कितनी है।
- रोजगार स्थिति: नौकरीपेशा, व्यवसायी या स्व-नियोजित।
- क्रेडिट स्कोर: आमतौर पर 750 या उससे ज्यादा स्कोर अच्छा माना जाता है।
- उम्र: आमतौर पर 21 से 60 साल तक के लोग पात्र होते हैं।
- बैंकिंग इतिहास: आपके पुराने लोन और क्रेडिट कार्ड का व्यवहार।
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सिक्योर्ड vs अनसिक्योर्ड लोन
- सिक्योर्ड लोन (Secured Loan): इसमें आप कोई संपत्ति (जैसे घर, गाड़ी) गिरवी रखते हैं। ब्याज दर कम होती है। उदाहरण: होम लोन, ऑटो लोन।
- अनसिक्योर्ड लोन (Unsecured Loan): इसमें कुछ गिरवी नहीं रखना होता, लेकिन ब्याज दर ज्यादा होती है। उदाहरण: पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड लोन।
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ब्याज की गणना कैसे होती है?
- फ्लैट रेट: पूरे लोन पर एक ही दर से ब्याज, चाहे आपने कुछ चुकता कर दिया हो।
- रिड्यूसिंग बैलेंस रेट: जो राशि बची है केवल उसी पर ब्याज लगता है, इसलिए यह ज्यादा फायदेमंद होता है।
लोन चुकाने के तरीके:
- EMI (हर महीने किश्त): बैंक आपके खाते से ऑटो डेबिट कर देता है।
- पूर्व भुगतान (Prepayment): आप पूरा या कुछ लोन पहले भी चुका सकते हैं।
- फोरक्लोज़र (Foreclosure): लोन को पूरी तरह एक साथ चुकाकर खतम करना।
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डिजिटल लोन क्या होता है?
आजकल मोबाइल ऐप या वेबसाइट से भी लोन मिल रहा है — इसे डिजिटल लोन कहते हैं। ये जल्दी मिलते हैं लेकिन इन पर ब्याज दर ज्यादा हो सकती है, और फर्जी ऐप्स से सावधान रहना ज़रूरी है।
EMI कैलकुलेशन कैसे होता है?
EMI (Equated Monthly Installment) =
- P = लोन की मूल राशि (Principal)
- R = मासिक ब्याज दर (वार्षिक दर को 12 से विभाजित करें)
- N = कुल महीनों की संख्या
उदाहरण:
मान लीजिए आपने ₹1,00,000 का लोन 12% सालाना ब्याज दर पर 2 साल के लिए लिया।
तो:
- P = 1,00,000
- R = 12%/12 = 1% = 0.01
- N = 24
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कौन-कौन से दस्तावेज़ लगते हैं लोन के लिए?
- पहचान पत्र (Aadhar / PAN / Passport)
- पता प्रमाण (Utility Bill / Rent Agreement)
- आय प्रमाण (Salary Slip, ITR)
- बैंक स्टेटमेंट
- पासपोर्ट साइज़ फोटो
- बिजनेस लोन के लिए: GST रजिस्ट्रेशन, बिजनेस प्रूफ आदि
CIBIL स्कोर क्या होता है?
- यह आपका क्रेडिट स्कोर होता है जो 300 से 900 के बीच होता है।
- जितना ज्यादा स्कोर, उतना आसान लोन लेना और कम ब्याज दर मिलना।
- स्कोर अच्छा रखने के लिए:
- EMI समय पर चुकाएं
- क्रेडिट कार्ड का सही इस्तेमाल करें
- अधिक लोन एक साथ न लें
लोन इंश्योरेंस (Loan Insurance):
कुछ लोन में बैंक आपको बीमा देता है ताकि अगर आपको कुछ हो जाए (जैसे मृत्यु या बेरोजगारी), तो परिवार पर लोन का बोझ न आए। ये वैकल्पिक होता है।
लोन स्कैम से कैसे बचें?
- सिर्फ RBI से मान्यता प्राप्त बैंकों और NBFC से ही लोन लें।
- कोई अगर प्रोसेसिंग फीस पहले मांगे तो सावधान हो जाएं।
- फर्जी कॉल और ऐप्स से सावधानी बरतें।
लोन ट्रांसफर (Balance Transfer) क्या है?
- अगर आपने किसी बैंक से लोन लिया है और किसी दूसरे बैंक पर ब्याज दर कम है, तो आप अपना लोन उस बैंक में ट्रांसफर कर सकते हैं।
- इससे आपकी EMI कम हो सकती है।
- ध्यान दें: इसमें प्रोसेसिंग फीस और कुछ चार्जेज लग सकते हैं, इसलिए पूरे हिसाब से करें।
को-एप्लिकेंट या गारंटर क्या होता है?
- Co-applicant: जैसे होम लोन में पति-पत्नी दोनों मिलकर लोन लेते हैं – दोनों की आय जोड़ी जाती है।
- Guarantor: अगर लोन लेने वाले के पास ज्यादा भरोसेमंद क्रेडिट नहीं है, तो कोई और व्यक्ति गारंटी देता है – वो जिम्मेदार होता है अगर उधारकर्ता न चुकाए।
Moratorium Period क्या होता है?
- कुछ लोन जैसे एजुकेशन लोन में पढ़ाई के समय या शुरुआती महीनों में EMI नहीं देनी होती – इस समय को Moratorium Period कहते हैं।
- ध्यान रखें: ब्याज इस दौरान भी जुड़ता रहता है।
Overdraft vs Loan
- Loan: एक बार में एक राशि मिलती है, EMI से चुकाते हैं।
- Overdraft: बैंक आपको अकाउंट में लिमिट देता है जितना आप उधार ले सकते हैं – ब्याज सिर्फ जितना इस्तेमाल किया उतना ही लगता है।
लोन से टैक्स में छूट मिलती है क्या?
हाँ, कुछ लोन पर टैक्स में छूट मिलती है:
- होम लोन: ब्याज पर ₹2 लाख तक (धारा 24) और मूल राशि पर ₹1.5 लाख तक (धारा 80C) छूट।
- एजुकेशन लोन: केवल ब्याज पर छूट मिलती है (धारा 80E)।
- पर्सनल लोन पर टैक्स बेनिफिट तभी मिलते हैं अगर आपने वो राशि किसी टैक्स सेविंग उद्देश्य के लिए ली हो।
लोन री-फाइनेंसिंग क्या है?
- इसका मतलब है पुराना लोन चुकाकर नया लोन लेना – बेहतर शर्तों पर।
- खासतौर पर तब जब आपकी सैलरी बढ़ी हो, या ब्याज दरें कम हो गई हों।
Step-Up और Step-Down लोन क्या होता है?
-
Step-Up लोन:
शुरुआत में EMI कम होती है, और जैसे-जैसे आपकी आय बढ़ती है, EMI बढ़ाई जाती है।
कब अच्छा है? जब आप करियर की शुरुआत में हैं और भविष्य में आय बढ़ने की उम्मीद है। -
Step-Down लोन:
शुरुआत में EMI ज्यादा होती है, और धीरे-धीरे कम होती जाती है।
कब सही है? जब आप जल्दी ऋण चुकाना चाहते हैं या आपकी वर्तमान आय ज्यादा है।
Top-Up लोन क्या होता है?
- अगर आपने पहले से कोई लोन लिया है (जैसे होम लोन), और आपको और फंड की ज़रूरत है, तो आप उसी पर Top-Up लोन ले सकते हैं।
- इसकी ब्याज दर सामान्य पर्सनल लोन से कम होती है, क्योंकि आपकी विश्वसनीयता पहले से तय है।
Soft inquiry vs Hard inquiry – क्रेडिट स्कोर पर असर
- Soft Inquiry: जब आप खुद अपना स्कोर देखते हैं — कोई असर नहीं पड़ता।
- Hard Inquiry: जब बैंक या फाइनेंस कंपनी लोन के लिए आपका स्कोर चेक करती है — स्कोर थोड़ा गिर सकता है।
स्मार्ट टिप: बार-बार लोन के लिए अप्लाई न करें, इससे स्कोर पर बुरा असर होता है।
Bullet Repayment लोन क्या है?
- इसमें EMI नहीं देना होता, बल्कि अंत में एक साथ पूरा भुगतान किया जाता है।
- आमतौर पर छोटे अवधि वाले लोन (जैसे गोल्ड लोन) में इस्तेमाल होता है।
लोन से रिलेशनशिप बनता है बैंक से!
- अगर आप समय पर EMI चुकाते हैं, तो बैंक आपको:
- बेहतर डील्स देता है,
- कम ब्याज दर पर लोन देता है,
- प्री-अप्रूव्ड लोन ऑफर करता है।
- Pro Tip: बैंक के साथ अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड बनाए रखें — ये भविष्य में बहुत काम आता है।
NBFC vs बैंक लोन – किससे लें?
- बैंक: ब्याज दर कम होती है, पर दस्तावेज़ी प्रक्रिया लंबी होती है।
- NBFC (जैसे Bajaj Finserv, Tata Capital): प्रक्रिया तेज होती है, लचीलापन होता है, पर ब्याज थोड़ा ज्यादा हो सकता है।
Instant Loan Apps – सुविधा या जाल?
- कई ऐप्स आजकल कुछ ही मिनटों में लोन देने का दावा करते हैं।
- सावधानी: बहुत से फर्जी ऐप्स डेटा चुरा लेते हैं या ज़बरदस्त ब्याज वसूलते हैं।
- सिर्फ RBI रजिस्टर्ड NBFC या बैंक से ही लोन लें।
- गूगल प्ले स्टोर पर ऐप की रेटिंग, रिव्यू और डेवलपर डिटेल ज़रूर देखें।
लोन अमाउंट की लिमिट किस पर निर्भर करती है?
- आपकी मासिक आमदनी
- मौजूदा लोन की EMI
- क्रेडिट स्कोर
- उम्र और नौकरी की स्थिरता
सामान्य नियम:
आपकी EMI, आपकी नेट मंथली इनकम का 40% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
लोन लेते समय बातचीत करना सीखें (Negotiation Tips):
- ब्याज दर पर हमेशा बातचीत की गुंजाइश होती है, खासकर अगर आपका स्कोर अच्छा है।
- प्रोसेसिंग फीस या अन्य चार्ज पर छूट मांगी जा सकती है।
- एक से ज्यादा बैंक से ऑफर लेकर एक-दूसरे को कॉम्पीट करने पर मजबूर करें।
Fixed vs Floating Interest Rate
- Fixed Rate: पूरी अवधि में ब्याज दर फिक्स रहती है – EMI एक जैसी।
- Floating Rate: RBI की नीतियों या बाज़ार के हिसाब से घट-बढ़ सकती है – EMI बदलती रहती है।
- होम लोन में अक्सर Floating सस्ती पड़ती है लंबी अवधि में।
Credit Line vs Loan
- लोन: एक बार अमाउंट मिलता है, फिर EMI चुकाते हैं।
- क्रेडिट लाइन: जैसे overdraft — जितना पैसा चाहिए उतना निकालो, जितना इस्तेमाल उतना चुकाओ।
Pro Tip: ये बहुत लचीला होता है बिज़नेस वालों के लिए।
लोन से जुड़े जालसाज़ी के Red Flags
- “Zero Interest Loan!” – 100% फर्जी, कहीं और छिपा चार्ज होगा।
- “लोन लेने से पहले ₹499 प्रोसेसिंग फ़ीस भेजो” – फ्रॉड अलर्ट।
- बैंक का ईमेल नहीं, सिर्फ WhatsApp या Telegram पर बात – सावधान!
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जय श्री राम
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