अपरा एकादशी व्रत (Apara Ekadashi) कब है? जाने शुभ मुहूर्त, शुभ योग, पूजा विध और व्रत नियमों के बारे में

एकादशी का व्रत सभी व्रतों में उत्तम माना जाता है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा, जलक्रीड़ा, भद्रकाली या अचला एकादशी कहते है। इस दिन भगवान विष्णु जी के पूजा का विधान है। मान्यताओं के अनुसार अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) का अर्थ होता है अपार पुण्य वाली एकादशी। साल 2021 में अपरा एकादशी के दिन शुभ योग का निर्माण होने से इसका महत्त्व और भी अधिक बढ़ने वाला है। आज हम आपको साल 2021 ज्येष्ठ मास की अपरा एकादशी व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, शुभ योग और  इस दिन किन बातों का ख्याल रखना चाहिए इस बारे में बताएँगे। 

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अपरा एकादशी व्रत

अपरा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त 2021 - Apara Ekadashi Vrat Shubh Muhurt 2021

  • साल 2021 में अपरा एकादशी का व्रत - 6 जून रविवार को रखा जायेगा। 
  • एकादशी तिथि प्रारंभ होगा - 5 जून प्रातःकाल 4 बजकर 7 मिनट पर। 
  • एकादशी तिथि समाप्त होगा - 6 जून प्रातःकाल 6 बजकर 19 मिनट पर। 
  • एकादशी तिथि व्रत के पराण का समय होगा - 7 जून प्रातःकाल 5 बजकर 23 से 8 बजकर 10 मिनट तक। 

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अपरा एकादशी शुभ योग 2021

परञ्चाङ्ग के अनुसार इस बार अपरा एकादशी पर शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन शोभन योग बनेगा ज्योतिष अनुसार इस योग को शुभ योगों में स्थान प्राप्त है। मान्यता है कि इस शुभ योग में किये गए कार्यों में व्यक्ति को अपार सफलता प्राप्त होता है। मांगलिक कार्यों के लिए यह योग श्रेष्ठ माना जाता है। 

अपरा एकादशी पूजा विधि

अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर घर के मंदिर में भगवान विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें गंगा जल से स्नान कराये और धूप-दीप जलाये। पूजा में भगवान विष्णु जी को सभी पूजन सामग्री , पीले फल-फूल और तुलसी दल अर्पित करें। पूजा के समय भगवान विष्णु जी के मंत्रों का जाप कर आरती करें और पीले फल, तुलसी पत्र व मिठाई का भोग लगाये। माना जाता है कि बिना तुलसी भगवान विष्णु जी भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु जी के साथ ही माता लक्ष्मी जी का पूजन भी करें। 

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अपरा एकादशी महत्त्व

अपरा एकादशी का अर्थ अपार सुख प्रदान करने वाली एकादशी से है मानयता है कि अपरा एकादशी पर जो व्यक्ति भगवान विष्णु जी की विधिवत पूजा करता है, उसे कभी धन की कमी नहीं होता। अपरा एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति के सुख वैभव में अपार वृद्धि होती है और उसके द्वारा जाने अनजाने किए समस्त पाप मिट जाते हैं। इस दिन गंगा स्नान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। 

अपरा एकादशी व्रत नियम 

  • शास्त्रों में प्रत्येक व्रत की तरह अपरा एकादशी के कुछ नियम बताए गए है। 
  • इस दिन चावल का सेवन वर्जित माना जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार इस व्रत के दौरान चावल का त्याग करने से व्रत को दोगुना फल मिलता है। 
  • अपरा एकादशी के दिन पान का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • एकादशी व्रत में तामसिक चीजों को सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • एकादशी व्रत में स्वच्छता का खास ख्याल रखना चाहिए। 
  • एकादशी व्रत का शुरुआत दशमी तिथि से शुतु होता है, जो द्वादशी तिथि तक चलता है। इसलिए तीनो दिन व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। 
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