Looking For Anything Specific?

पापांकुशा एकादशी कब है | Papankusha Ekadashi 2021 Date, Puja Vidhi, Vrat Katha in Hindi

शास्त्रों में एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्त्व बताया गया है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते है। इस दिन भगवान पद्मनाथ का पूजन किया जाता है। कहा जाता है की इस एकादशी का व्रत करने से व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को तप के समान फल की प्राप्त होते है। इस दिन भगवन विष्णु जी की पूजा करने से व्यक्ति की सम्पूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। आज हम आपको को इस लेख में साल 2021 आश्विन मास की पापांकुशा एकादशी व्रत की सही तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि,  व्रत के पारण का समय, नियम और इस व्रत के उपाय के बारे में बताएँगे। 

ह भी पढ़ें:  

देवउठनी एकादशी क्यों मनाया जाता है? जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा के बारे में सम्पूर्ण जानकरी | Dev Uthani Ekadashi 2021 

पापांकुशा एकादशी कब है | Papankusha Ekadashi 2021 Date, Puja Vidhi, Vrat Katha in Hindi
पापांकुशा एकादशी 

पापांकुशा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त 2021

  • साल 2021 में आश्विन शुक्ल पापांकुशा एकादशी का व्रत 16 अक्टूबर शनिवार के दिन रखा जायेगा। 
  • एकादशी तिथि प्रारंभ होगा - 15 अक्टूबर सायंकाल 6 बजकर 2 मिनट पर। 
  • एकादशी तिथि समाप्त होगा - 16 अक्टूबर सायंकाल 5 बजकर 37 मिनट पर। 
  • एकादशी व्रत के पारण का समय होगा - 17 अक्टूबर प्रातःकाल 6 बजकर 23 मिनट से प्रातःकाल 8 बजकर 40 मिनट तक। 

 ह भी पढ़ें:

मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) और वैकुण्ठ एकादशी  (Vaikuntha Ekadashi)  कब है 

पापांकुशा एकादशी पूजा विधि

पापांकुशा एकादशी की सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर सर्वप्रथम सूर्य देव को जल अर्घ्य दें और इसके बाद भगवान विष्णु जी की प्रतिमा पूजास्थल पर स्थापित करें। अब प्रतिमा को चंदन लगाकर फल-फूल, धुप-दीप और नैवेद्य के साथ भगवान विष्णु जी को भोग लगाएं। इसके बाद एकादशी व्रत में विष्णु मन्त्र,आरती और एकादशी व्रत कथा पढ़े या सुने। एकादशी के दिन फलाहार व्रत के बाद द्वादशी के दिन पारण मुहूर्त में व्रत का पारण कर ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देने के बाद एकादशी व्रत द्वादशी के दिन पारण मुहूर्त में खोलें।

ह भी पढ़ें:

क्या आप जानते है पौष पुत्रदा एकादशी (Pausha Putrada Ekadashi) कब मनाया जाता है? 

पापांकुशा एकादशी व्रत नियम

  • यदि आप एकादशी का व्रत रखते हैं तो आज के दिन चावल से परहेज करें। 
  • एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को एक समय फलहार करना चाहिए। 
  • पापांकुशा एकादशी के दिन व्रत रखने वाले जातक को किसी पर भी क्रोध नहीं करना चाहिए। 
  • एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। 
  • एकादशी तिथि से एक दिन पहले दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण करें और रात्रि 12 बजे के बाद कुछ भी ग्रहण न करें। 
  • एकादशी के दिन घर में तामसिक भोजन नहीं बनाना चाहिए और न ही उसे ग्रहण करना चाहिए। 

ह भी पढ़ें:

षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) कब है? जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा बारे में

पापांकुशा एकादशी व्रत उपाय

  • घर में आर्थिक सम्पन्नता के लिए पापांकुशा एकादशी के दिन शाम के समय भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाकर उन्हें बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। 
  • यदि आप किसी काम में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा के समय एक हल्दी की गांठ पूजा स्थल पर रखें और अगले दिन जब भी उस काम को करने के लिए घर से निकले तो वही हल्दी की गांठ पीले कपड़े में लपेटकर अपने साथ ले जाये इससे आपको कार्यों में सफलता की प्राप्ति होगी। 
  • इस दिन भगवान विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी जी का पूजन करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। 

ह भी पढ़ें:

जया एकादशी (Jaya ekadashi 2021) कब है? जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा बारे में 

पापंकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha in Hindi)

युद्धिष्ठिर महाराज ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा हे! मधुसूदन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में कौन सी एकादशी आती है। कृपया इसके विषय में विस्तार पूर्वक बतायें। पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया हे! राजन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी इतनी पवित्र है की वह मनुष्य के समस्त पापों के ऊपर अंकुश लगाती है और इसलिए इसे पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। 

इस एकादशी के दिन मनुष्य को भगवान पद्मनाथ के विघ्र की अर्चन विधि के नियम अनुसार पूजा विधि करना चाहिए। जिस प्रका एक पति व्रत स्त्री कभी भी अपने पति का त्याग नहीं करती यदि मनुष्य इस पापांकुशा एकादशी का पालन नहीं करता तो उसके पाप कर्म कभी भी उसका त्याग नहीं करते। इस एकादशी का पालन करने से व्यक्ति को इस भौतिक जीवन में तमाम प्रकार के सुख प्राप्त होते है और मृत्यु के बाद वह आध्यात्मिक जगत में प्रवेश करता है।

हजारों वर्षों तक अपने इन्द्रियों को नियंत्रित करके तपस्या करने से जो फल प्राप्त होता है वही फल भगवान श्री विष्णु को वंदन करने से व्यक्ति को मिल जाता है। इतना ही नही पृथ्वी के संस्तर तीर्थ स्थलों की यात्रा करने से जो पुण्य-फल प्राप्त होता है वह समस्त पुण्य-फल भगवान श्री हरी के पवित्र नामों के उच्चरण मात्र करने से प्राप्त किया जा सकता है। 

भगवान इसकी महिमा बताते हुए आगे कहते है राम, कृष्ण, हरी, नरायन इत्यादि नामों का उच्चारण करने से मनुष्य को कभी भी यमलोक के द्वार नहीं देखने पड़ते है और जो व्यक्ति इस पापांकुशा एकादशी का श्रद्धा और नियम पूर्वक पालन करता है उसे जीवन के अंत में आध्यात्मिक जगत की प्राप्ति होती है। 

आपको जानकर आश्चर्य होगा की हमारे शास्त्रों में बताया गया है की भगवान श्री विष्णु के जो भक्त शिव जी की निंदा करते है या शिव जी के जो भक्त भगवान श्री नारायण की निंदा करते है तो उन्हें अवश्य ही नर्क में जाना पड़ता है लेकिन इस एकादशी का पालन करने से मनुष्य हर प्रकार के पापों से मुक्त हो सकता है। 

बड़े-बड़े सौ राजसु यज्ञ और सौ अश्वमेघ यज्ञ करने से भी जो फल प्राप्त नहीं होता वह फल मनुष्य को इस पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन करने से मिल जाता है। इतना ही नहीं गंगा, गया, कशी और यहाँ तक की पुष्कर में जाने से भी जो फल प्राप्त नहीं होता है वह केवल इस एकादशी का उपवास करने मात्र से प्राप्त होता है। तो चलिए हम आपको पापांकुशा एकादशी के महात्म्य का वर्णन करते हुए एक रोचकर पौराणिक कथा सुनाते है। 

एक बार विंध्य पर्वत पर एक बड़ा ही क्रूर शिकारी रहता था। पशु और पक्षियों की दर्दनाक हत्या करना ही उसका व्यवसाय था। उसके पाप कर्मों के कारण यमराज ने उसके लिए नर्क का स्थान पहले ही निश्चित कर दिया था। अब हुआ यूँ कि एक दिन किसी तरह इस शिकारी को पता चला की वह जो कार्य कर रहा है उसके कारण उसे मृत्यु के पश्चात नर्कलोक में जाना पड़ेगा और वहां की अत्यंत असहनीय यातनाएं भुगतनी पड़ेगी। 

अब देखिये कष्ट किसे अच्छा लगता है हम सभी सदैव कष्टों से ही तो बचने का प्रयास करते हैं। तो मृत्यु के बाद में मिलने वाले इस कष्ट से घवराकर यह शिकारी अंगिरा ऋषि के आश्रम में चला गया वहां जाकर उसने ऋषि से प्रार्थना करते हुए कहा हे! ऋषिवर मैंने अपने सम्पूर्ण जीवन काल के दौरान अत्यन्त क्रूरता पूर्वक अनेक पाप कर्म किये है जिसके कारण अब मै अपने जीवन के अंत में अत्यंत भयभीत हूँ। 

कृपयाप मुझे अपने पाप-कर्मों से मुक्त होने का मार्ग दिखाएँ। शिकारी की बात सुनकर ऋषि अंगिरा ने उसे आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पापांकुशा एकादशी का पालन करने के लिए कहा। इस प्रकार इस एकादशी व्रत का श्रद्धा पूर्वक पालन करने से यह शिकारी अपने सारे पाप-कर्मों से मुक्त हो गया। और जीवन के अंत में वह आध्यात्मिक जगत में प्रवेश प्राप्त कर पाया। 

ह भी पढ़ें:

विजया एकादशी व्रत (Vijaya Ekadashi 2021) कब है? जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा बारे में सम्पूर्ण जानकारी 

एकादशी व्रत का पालन कैसे करें

अब प्रश्न ये आता है की इस एकादशी व्रत का पालन कैसे किया जाएँ? इस विषय में भगवान श्रीकृष्ण ने युद्धिष्ठिर महाराज से कहा। इस एकादशी व्रत का पालन करने के लिए व्यक्ति की ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान इत्यादि कर्मों  से निवृत्त होना चाहिए। उसके पश्चात संपूर्ण दिवस के दौरान भगवान के पवित्र नामों का जाप, उनकी कथा का श्रवण और कीर्तन करना चाहिए। उस दिन व्यक्ति को उपवास रखना चाहिए और रात्रि को जागरण करना चाहिए। 

जो भी व्यक्ति इन नियमों का पालन करता है वह अवश्य ही वैकुण्ठ लोक में प्रवेश प्राप्त करता है। इतना ही नहीं जो व्यक्ति इस पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन करता है उसकी माता को ओर से दस पीढ़ी, पिता की ओर से दस पीढ़ी और पत्नी की ओर से दस पीढ़ी का भी उद्धार हो जाता है। ये सभी पूर्वज अपने वास्तविक आध्यात्मिक स्वरूप को प्राप्त करके वैकुण्ठ लोक में गमन करते है। 

व्यक्ति चाहे बालक हो, वयस्क हो, स्त्री हो पुरुष हो, विद्ध हो या युवान हो जो कोई भी इस अत्यन्त पवित्र पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन करता है वह अपने समस्त पाप-कर्मों से मुक्त हो जाता है। इस एकादशी के दिन जो व्यक्ति गाय, जमीन, सोना, तिल, पानी, छाता, चप्पल इन चीजों का दान करता है उसे यमराज के दर्शन नहीं करने पड़ते है।

ह भी पढ़ें:

वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2021) कब है? जाने शुभू मुहूर्त, पूजा विधि और इस व्रत के नियमों के बारे में

दोस्तों आज की इस लेख में बस इतना ही था अगर आपको ये लेख पसंद आई है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर FACEBOOK और TWITTER पर Share कीजिये और ऐसे ही नई जानकारी पाने के लिए हमें SUBSCRIBE जरुर करे।

🙏 धन्यवाद 🙏

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ