पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को भाद्रपद पूर्णिमा कहा जाता है। शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्त्व बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायन रुप की पूजा-अर्चना करने का विधान है। बहुत सी जगहों पर इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भी रखा जाता है। इस माह की पूर्णिमा तिथि के दिन से ही पितृ पक्ष भी प्रारम्भ होते हैं, जो आश्विन अमावस्या तक चलते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा को पूर्णिमा श्रद्धा होता है। आज हम आपको इस लेख में साल 2021 भाद्रपद पूर्णिमा व्रत की सही तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पितृ पक्ष के नियम और इस विशेष तिथि पर किये जाने वाले उपायों के बारे में बताएँगे।
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भाद्रपद पूर्णिमा कब है |
भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2021
- साल 2021 में भाद्रपद पूर्णिमा - 20 सितंबर सोमवार को है।
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगा - 20 सितंबर दिन सोमवार को प्रातःकाल 5 बजकर 28 मिनट पर।
- पूर्णिमा तिथि समाप्त होगा - 21 सितंबर दिन मंगलवार प्रातःकाल 5 बजकर 24 मिनट पर।
भाद्रपद पूर्णिमा कब है 2021
हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 20 सितंबर सोमवार को प्रातः 05.28 बजे से प्रारंभ हो रही है। भाद्रपद पूर्णिमा तिथि सुबह 05:24 बजे समाप्त होगी। पूर्णिमा में चंद्रमा की पूजा और जल चढ़ाने का विधान है।
भाद्रपद पूर्णिमा क्या है?
पंचांग के अनुसार 20 सितंबर 2021 सोमवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इसे भाद्रपद पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन पूर्णिमा का व्रत रखकर चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। इसके साथ ही पितृ पक्ष भी इसी तिथि से शुरू होता है।
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भाद्रपद पूर्णिमा पूजा विधि
धार्मिक मानयता अनुसार पितरों की आत्मा की शांति के लिए भाद्रपद शुक्लपक्ष की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें और इसके बाद भगवान सत्यनारायण जी की प्रतिमा पूजा स्थल पर स्थापित कर विधिवत उनकी पूजा कर उन्हें नैवेद्य व् फल-फूल अर्पित करें।
पूजा में भगवान सत्यनारायण जी को पीले फलों का भोग लगाये और पूजन के बाद भगवान सत्यनारायण की कथा सुने। आज के दिन पंचामृत और चूरमे का प्रसाद वितरित कर व्रत संपन्न करने के बाद किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान जरूर करें इससे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस विशेष दिन गाय, कुत्तों और कौवों को भोजन कराना चाहिए।
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भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व
कहते हैं इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन आदि की कमी नहीं होती है। जो लोग घर में व्रत रखते हैं, उनके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस दिन स्नान और दान आदि का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय
- पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को दूध चढ़ाने से दाम्पत्य जीवन में सौभाग्य और मधुरता आती है।
- पूर्णिमा श्राद्ध के दिन पितरों को खीर का भोग लगाएं।
- भाद्रपद पूर्णिमा के दिन उमा-माहेष्वरी व्रत भी रखा जाता है इसलिये ऐसे में यदि आज के दिन शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बेलपत्र और समीपत्र चढ़ाये जाय तो जातक पर भगवान शिव की कृपा सदैव बना रहता है।
- भाद्रपद पूर्णिमा से ही पितृ पक्ष शुरू होते है इसलिए पितृ पक्ष की पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और तर्पण जैसे कार्य करने चाहिए।
- पुत्र पक्ष की पूर्णिमा के दिन कौवे, कुत्ते या गाय को भोजन कराने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से आर्थिक लाभ होता है।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
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पितृ पक्ष पूर्णिमा नियम
पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद की पूर्णिमा से होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है पितृ पक्ष के इन 16 दिनों में कुछ नियमों का पालन आपको करना चाहिए जैसे-
- शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करने वाले को दाढ़ी-मूंछे, बल या नाख़ून आदि नहीं कटवाने चाहिए।
- पितृ पक्ष के दौरान सोने के आभूषण, नया घर या नए कपड़े नहीं खरीदना चाहिए।
- पितृपक्ष में द्वार पर आये अतिथि या किसी भी जरुरतमंद व्यक्ति को खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए।
- पितृ पक्ष के दौरान किसी भी प्राणी का अपमान या उत्पीड़न नहीं करना चाहिए।
- श्राद्ध पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन व दान-दक्षिणा देना चाहिए।
- श्राद्ध के दिनों में तर्पण करने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए और लहसुन, प्याज व तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।
- इन नियमों का का पालन करने से आप पर पितरों का आशीर्वाद सदा बना रहता है।
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