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शिक्षक दिवस कब और क्यों मनाया जाता है | Teachers Day Kyu Manaya Jata Hai, Essay in Hindi

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शिक्षक दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? | shikshak divas kyon manaya jata hai गुरु-शिष्य का रिश्ता भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और पवित्र हिस्सा है। जीवन में माता-पिता की जगह कोई कोई और व्यक्ति नहीं ले सकता क्योंकि वे हमें इस रंगीन दुनिया में लाते हैं। ऐसा माना जाता है कि हमारे शुरुआती जीवन के पहले शिक्षक हमारे माता-पिता ही होते हैं। भारत में गुरु और शिक्षक की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, लेकिन केवल शिक्षक ही हमें जीने का वास्तविक ढंग को सिखाते हैं। जीवन में सफल होने के लिए शिक्षा सबसे ज्यादा जरुरी है शिक्षक देश के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने और उसे आकार देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। प्राचीन काल से ही गुरु का हमारे जीवन में बड़ा योगदान रहा है गुरुओं से प्राप्त ज्ञान और मार्गदर्शन से ही हम सफलता के शिखर तक पहुँच सकते है।  Teacher's Day  पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है लेकिन क्या आप जानते है  Teacher's Day   5 सितम्बर को ही क्यों मनाया जाता है और किस प्रक...

165 सालो बाद पितृ पक्ष अमावस्या के अगले दिन नहीं होगा इस बार नवरात्र प्रारम्भ

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हर साल पितृ पक्ष के समाप्त होने के बाद शारदीय नवरात्रों का आरंभ भी हो जाता है ।    पितृ पक्ष की अमावस्या तिथि के अगले ही दिन प्रतिपदा तिथि के साथ माँ दुर्गा को समर्पित 9 दिनों तक चलने वाले शारदीय नवरात्रों का पर्व मनाया जाता है ।   लेकिन शास्त्रों और ज्योतिष की माने तो साल 2020 में ऐसा नहीं होगा क्योंकि ज्योतिष अनुसार इस साल करीब 1 65 सालो के बाद ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है जिस कारण  पितृ पक्ष और नवरात्रो के बिच 1  महीने  का अन्तर हो जायेगा।  आज हम इस लेख में साल 2020 पितृ पक्ष और नवरात्रों में बनने वाले इसी अद्भुत संयोग के बारे में बताएंगे। यह भी पढ़ें: पितृपक्ष 2020 कब से शुरू हो रहे है इस दिन क्या करना चाहिए - Pitru Paksha 2020 क्या है ये संयोग ज्योतिष के अनुसार यह  साल  लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है कि इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग जायेगा, जिस कारण ऐसे में नवरात्र और  पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जायेगा ।  इसके आलावा इस बार चातुर्मास जो की चार महोनो का होता है...

पितृ पक्ष श्राद्ध कब से शुरू है 2021 इस दिन क्या करना चाहिए | Pitru Paksha 2021, Vrat Katha in HIndi

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पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण पक्ष माना गया है। शास्त्रों के अनुसार पितृ देव स्वरुप होते है ,इस पक्ष में पित्तरों  के नाम से दान, दर्पण तथा श्राद्ध जैसे कार्य किये जाते है। माना जाता है कि जो भी इन कार्यो को श्रद्धापूर्वक करता है तो उनपर पित्तरों का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। मान्यता है कि पितृपक्ष में किया गया श्राद्ध कर्म संसारिक जीवन को सुखमय बनाता है। हर साल Pitru Paksha -  पितृपक्ष  के बाद नवरात्री शुरू होती है।  पितृ पक्ष के इन 16 दिनों को 16 श्राद्ध भी कहते है।  धार्मिक मान्यता जो है पितृ पक्ष को लेकर इसमें ये कहा जाता है कि पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके तर्पण के लिए श्राद्ध किया जाता है। आज इस लेख में हम आपको श्राद्ध का अर्थ,  पितृपक्ष 2021 कब से शुरू हो रहे है और कब से कब तक है,  पित्रपक्ष 2021,  सभी महत्वपूर्ण तिथियां,  2021 में श्राद्ध कब से शुरू है,  पित्तर किसे कहते है, पितृपक्ष में क्या करना चाहिए और किन बातों को आपको विशेष ख्याल रखना चाहिए इस बारे में बताएँगे। य ह भी पढ़ें: जितिया ...

परिवर्तिनी एकादशी क्यों मनाई जाती है | Parivartini Ekadashi 2021 Date, Vrat Katha in Hindi

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पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष में आने वाली एकादशी को पद्मा एकादशी या परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है की आज ही के दिन भगवान विष्णु निद्रासन से अपनी करवट बदलते है। करवट बदलने से उनके स्थान में परिवर्तन हो जाता है और इसलिए इस एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी के वामन अवतार का पूजा किया जाता है। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा था परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की वामन रूप में पूजा करना चाहिए क्यूंकि भगवान इन चार महीनो में चातुर्मास में वामन रूप में ही पाताल में निवास करते है। ऐसा माना जाता है की भगवान विष्णु चातुर्मास के चार महीने सोते रहते है जो कि मास पड़ते है आषाढ़, श्रावण , भाद्रपद और आश्विन ये चातुर्मास के महीने है और ओ जागते कब है देवउठनी एकादशी के दिन माना जाता है की भगवान विष्णु जाग जाते है। परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने से बहुत ही ज्यादा पुण्य फल मिलता है ।  कथाओं के अनुसार जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है भगवान विष्णु उससे अति प्रसन्न होते है और ...

दूर्वा अष्टमी कब है जाने शुभ तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्त्व के बारे में

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पंचांग के अनुसार दूर्वा अष्टमी - Durva Ashtami  का पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है ।  इस दिन दूर्वा घास का पूजन करने की परंपरा है ।  मान्यता है कि दूर्वा अष्टमी के दिन दूर्वा की पूजा करने से व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और दूर्वा घास की ही तरह उसके परिवार व कुल की वृद्धि होती है ।  दूर्वा अष्टमी एक ऐसा खास व्रत व त्यौहार है जो दूर्वा घास को समर्पित है दूर्वा घास जिसे शास्त्रों में मात्र घास नहीं मन जाता  बल्कि  इसका धार्मिक दृष्टि से भी  विशेष महत्त्व है । दूर्वा घास का प्रयोग हिन्दू अनुष्ठानो में किया जाता है  इसे बहुत ही शुद्ध माना जाता है गणेश जी को दूर्वा अतिप्रिय है। दूर्वा के बिना भगवान गणेश जी की पूजा अधूरा माना जाता है इसलिए जो भी इस दिन व्रत रखकर दूर्वा की पूजा करता है तो उसके जीवन में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है। आज इस लेख में हम आपको दूर्वा अष्टमी के शुभ तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्त्व और इस दिन सुख समृद्धि के लिए किये जाने वाले एक छोटे से उपाय के बारे मे...

गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है | Ganesh Chaturthi 2021 Shubh Muhurt, Pooja Vidhi, Mahatv in Hindi

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गणेश उत्सव का पर्व हर साल भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि से लेकर अनंत चतुर्थी तक चलता है। गणेश जी सभी देवों में प्रथम पूज्य है इसलिये हर शुभ कार्य से फले गणेश जी की आराधना की जाती है। हर साल भाद्रपद चतुर्थी पर लोग गणेश जी को अपने घर लाकर 10 दिनों तक उनकी आराधना के बाद ग्यारहवें दिन अनंत चतुर्थी पर धूमधाम के साथ उन्हे विसर्जन करते हैं। मान्यता है की इन 10 दिनों के दौरान की गयी पूजा बहुत फलदायी होती है।  पौराणिक कथाओं के अनुसार सभी देवताओं में सर्वप्रथम भगवान गणेश जी का पूजा करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणपति जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन हुआ था। इस दिन को हर साल Ganesh Chaturthi गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है इसे विनायक चतुर्थी भी कहते है। इसी दिन से पुरे देश में गणपति उत्सव का शुरुआत होगा। आज इस लेख में हम आपको भाद्रपद गणेश चतुर्थी पर्व की शुभ तिथि, ganesh chaturthi kab hai, गणेश स्थापना मुहूर्त, पूजा विधि, ganesh vrat vidhi, ganesh chaturthi puja vidhi in hindi, ganesh chaturthi in hindi, गणेश जी महाराज की आरती,...

हरतालिका तीज व्रत क्यों रखा जाता है | Hartalika Teej 2022 Date, Puja Vidhi, Mahatv, Vrat Katha in Hindi

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हरतालिका तीज साल में आने वाले सभी व्रत त्यौहारों में से एक है। तीज का यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन विशेष महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाएं 24 घंटे का निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव व माता पार्वती का पूजा कर अखंड सौभाग्य की कामना करती है।  इस दिन हस्त नक्षत्र में शिव-गौरी पूजा का विशेष महत्त्व है मान्यता है कि माता पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में प्राप्त करने के लिए हरितालिका तीज का व्रत रखा था। यह व्रत कुवारी और सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य के लिए रखा रखा जाता है, यह व्रत निर्जल रहकर किया जाता है। आज हम आपको इस लेख में साल 2022 हरितालिका तीज व्रत कब रखा जायेगा,  hartalika teej 2022 date,  पूजा का शुभ मुहूर्त,  hartalika teej 2022 in hindi,  पूजा विधि,  teej kyu manaya jata hai,  नियम,  तीज पर निबंध हिंदी में,  hartalika teej 2022 mein kab hai,  तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता...