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विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) कब मनाया जाता है

विश्व मिट्टी दिवस को संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर वर्ष 5 दिसंबर को मनाया जाता है इस दिवस को मानाने का उद्देश्य किसानो और आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है। विश्व के बहुत से भागो में उपजाऊ मिट्टी बंजर और किसानो द्वारा ज्यादा रासायनिक खादों और कीड़े मार दवाइयों का इस्तेमाल करने से मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने के कारण इसकी उपजाऊ क्षमता में गिरावट आ रही है और यह प्रदुषण का  हो रही है। इसलिए किसानो और आम जनता को इसकी सुरक्षा के लिए जागरूक करने की जरुरत है। 

विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) कब मनाया जाता है
 विश्व मृदा दिवस 

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विश्व मृदा दिवस की शुरुआत कैसे हुई - World Soil Day History 

20 दिसंबर 2013 को को प्रतिवर्ष 5 दिसंबर को विश्व मिट्टी दिवस मनाने का फैसला लिया गया। 5 दिसंबर 2017 को सम्पूर्ण विश्व में विश्व मिट्टी दिवस मनाया गया। वर्ष 2017 में इस दिवस का मुख्य विषय ग्रह की देखभाल भूमि से शुरू होती है यह था। इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद मोदी ने किसानो से मिट्टी के नियमित परिक्षण हेतु स्वस्थ धरा खेत रहा के माध्यम से आह्वान किया। वर्तमान में विश्व की सम्पूर्ण मिट्टी का 33% पहले से ही बंजर या D ग्रेडेड हो चूका है।  

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उल्लेखनीय है की हमारे भोजन का 95% भाग मिट्टी से ही आता है वर्तमान में 815 मिलियन लोगो का भोजन असुरक्षित है और २ अरब लोग पोषक रूप से असुरक्षित है लेकिन हम इसे मृदा के माध्यम से कम कर सकते है। 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन ने 5 दिसंबर को प्रतिवर्ष विश्व मिट्टी दिवस मानाने की  घोषणा की थी जिसे संयुक्त राष्ट्र के द्वारा अपनाया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसी संकल्प के माध्यम से वर्ष 2015 को अंतर्राष्ट्रीय मृदा वर्ष यानि World Soil Day या विश्व मिट्टी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। 

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विश्व मिट्टी दिवस मानाने का उद्देश्य 

इस दिवस का उद्देश्य मिट्टी स्वास्थ्य के प्रति तथा जीवन में मिट्टी के योगदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिन को मनाने का एक और महत्त्व है जो की मिट्टी के कण कटाव या संरक्षण को रोक सके। इस दिवस को मानाने का मकसद किसानों को मिट्टी के प्रति जागरूक करना है। दुनिया भर में मिट्टी के कई रूप है लेकिन रम की महत्वता क्या होती है इसकी जानकारी हर इंसान को नहीं होता है। 

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उपजाऊ मिट्टी किसानो के लिए काफी उपयोगी होता है जिससे किसान लोगों क पेट भरता है। बंजर को उपयोगी बनाने के लिए किसान को कड़ी मेहनत करना पड़ता है जिसमे ज्यादा खाद, कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता है क्युकी इस दौर में मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में गिरावट देखा जा रहा है और ये गिरावट इसलिए आ रहा है क्युकी किसानो और आम लोगों को मिट्टी की सुरक्षा के लिए जागरूक करने की जरुरत है।

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5 दिसंबर को ही विश्व मिट्टी दिवस क्यों मनाया जाता है।

दुनिया के एक मात्र ऐसी शख्स के बारे में जिसने मिट्टी के मोल को खुद तो समझा ही साथ ही दुसरो को भी इसके मोल को समझाया और कई किसानो की समस्याएं दूर की। दरअसल 5 दिसंबर को थाईलैंड के राजा भूमिबोल अदुल्यदेज का जन्मदिन होता है और उन्ही के जन्मदिवस को विश्व मिट्टी दिवस के रूप में मनाया जाता है। भूमिबोल ने 70 सालो तक थाईलैंड पर शासन किया और इस दौरान वह अपने क्षेत्र के हर गरीब व्यक्ति से लेकर हर किसान तक मिलते थे और उनकी समस्या को सुलझाते थे।

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उनके जिंदगी को सुधारने और खेती को नया अयं देने के लिए भूमिबोल ने 4000 प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की इन सभी योजनाओं का मूल मुख्य केंद्र मिट्टी ही थी। उन्होंने मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारने का Vetiver Gras का इस्तेमाल शुरू किया। जिसके लिए उन्हें इंटरनैशनल इरोज़न कंट्रोल असोसिएशन के द्वारा इंटरनैशनल मैरिट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह एक ऐसी घास  होती है जो मिट्टी कटाव व क्षरण को रोकने में सहायक है।

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मृदा प्रदुषण के प्रमुख कारण 

दूषित जल से खेती, रासायनिक उर्वरको का असंतुलित प्रयोग, कार्बनिक खादों का काम प्रयोग,सिचाई की परंपरागत विधियां,बढ़ता औद्योगिकीकरण आदि प्रमुख कारण है। इतना ही नहीं हमारे फैसले भूमि की ऊपरी सतह पर उगती है जिसका बहुत तेजी से क्षरण हो रहा है और मिट्टी का ये क्षरण वर्षा, जल, तेज हवा, प्राकृतिक अपघटन,  पानी के बहाव आदि से होता है। जिनके बारे में किसान कभी सोचता ही नहीं जबकि भूमि की एक इंच ऊपरी परत बनने में सदियां लग जाती है। ऐसे में सभी लोगो को मिट्टी को बचाने के उपायों को अपनाना चाहिए।

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मिट्टी की भौतिक दशा दुधारने के लिए किसानो को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए  

  • उचित समय पर खेत की जुताई करें। 
  • ठीक प्रकार से कर्षण क्रियाये करें। 
  • मिट्टी के कटाव को रोकने दशा में कदम बढ़ाये। 
  • उचित फसल चक्र अपनाये।
  • हरी खाद और कार्बनिक खादों का उपयोग करें।
  • अपने खेतो में साल में एक बार दलहनी और तिलहनी फसलों की खेती करें।
  • फसलों में सिचाई की उन्नत विधियॉ को अपनाएँ।
  • जगह-जगह वर्षा जल का संग्रहण करें।

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विश्व मृदा दिवस 2020 थीम - World Soil Day 2020 Theme

संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा इस साल की थीम "मिटटी को जीवित रखें, मिट्टी की जैव विविधता की रक्षा करना" निर्धारित किया गया है।

मृदा परिक्षण के लाभ 

मृदा परिक्षण कराने से मृदा की वास्तवि स्थिति का पता लगने के साथ-साथ मृदा की भौतिक दशा, मृदा की अम्लीयता, क्षारीयता, कार्बनिक पदार्थ की मात्रा एवं फसल विशेष के लिए भूमि का भी पता चलता है। इसके लिए यदि हर दूसरे वर्ष एक बार खेत की मिट्टी जाँच करवा ली जाय थी है वर्ना पोषक तत्वों की मात्रा में संतुलन बिगड़ने से भूमि के खराब होने का दर रहता है। इसलिए आज के समय में उर्वरक की मांग और मूल्य को ध्यान में रखते हुए यह अतिआवश्यक है कि फसल बोने के पूर्व ही खाद एवं उर्वरको से की जाने वाली समस्त मात्रा का निर्धारण मृदा परीक्षण के आधार पर कर लिया जाय तो अधिकतम पैदावार प्राप्त होगी एवं मृदा की उर्वरा शक्ति का संतुलन भी बना रहेगा।


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