जब भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख नेत्रियों की बात होती है तो सरोजिनी नायडू का नाम अवश्य लिया जाता है। उर्दू, बांग्ला, तेलगु, इंग्लिश जैसी कई भाषाएं जानने वाली वो कवियत्री जिसके मुख से शब्द ऐसे झरते थे जैसे आकाश से मेघ। वाणी में इतना सम्मोहन था कि महात्मा गांधी ने एक पत्र में प्यार से बुलबुल कहा और सरोजिनी नायडू भारत कोकिला बन गई। सरोजनी नायडू भारत कोकिला के साथ-साथ एक क्रांतिकारी देशभक्त और कुशल राजनीतिज्ञ भी थीं। उन्होंने राजनितिक क्षितिज को विशेष आभा प्रदान की। सरोजनी नायडू उन रत्नों में से एक थीं जिन्हे गोखले और गाँधी जैसे महान नायकों ने गड़कर महिमामण्डित किया था।
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सरोजनी नायडू का जीवन परिचय
सरोजनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था। वह अपने आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। सरोजनी के पिता श्री अघोरनाथ चट्टोपाध्याय अपने समय के विख्यात वैज्ञानिक तथा समाज सुधारक थे। सरोजनी नायडू को ये गुण अपने माता-पिता से मिले थे। वह प्रतिभावान विद्यार्थी थीं। वह बाल्यावस्था से ही कविता लिखने लगी थी। 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने लेडी ऑफ़ द लेक शीर्षक की एक लम्बी कविता लिखी थी। 1895 में वे उच्च शिक्षा के लिए लन्दन चली गई। 1898 में वे भारत वापस आई और उसी वर्ष दिसंबर में उनका विवाह डॉक्टर गोविन्द राजुलु नायडू के साथ होगा गया।
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उन्होंने स्वयं के लिए अपना एक जीवन-दर्शन बनाया था। दूसरों की सेवा करना और सादा जीवन बिताना। हुन्होने चार बच्चों को जन्म दिया। उनकी दूसरी संतान कुमारी पद्मजा नायडू स्वतंत्र भारत में पश्चिम बंगाल की राजयपाल बनी। सरोजनी नायडू ने एक आदर्श वैवाहिक जीवन जीने के अलावा अस्पतालों में स्त्री-रोगियों की सहायता करना, लड़कियों के लिए विद्यालयों की संख्या बढ़ाना आदि सामाजिक कार्य भी किये।
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सन 1902 में गोपाल कृष्ण गोखले के प्रभाव में आकर सरोजनी नायडू ने राजनीति में हिस्सा में हिस्सा लिया। गोखले उनके राजनितिक गुरु थे। उन्होंने महात्मा गाँधी के साथ कई राष्ट्रीय आंदोलनों में भी हिस्सा लिया। गोपाल कृष्ण गोखले, सरोजनी नायडू और महात्मा तीनों ही हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे। सन 1925 में सरोजनी नायडू को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। उन्होंने 1930 में नमक कानून तोड़ने के लिए महात्मा गाँधी की डांडी यात्रा में भाग लिया। वह गाँधी जी के हर आंदोलन में उनके साथ रहीं। तत्पश्चात भारत स्वतंत्र हुआ। उसके बाद सरोजनी नायडू को उत्तर प्रदेश का प्रथम राजयपाल नियुक्त किया गया।
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सरोजिनी नायडू का जन्म कब और कहा हुआ
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। उनके पिता घोरनाथ चट्टोपाध्याय एक वैज्ञानिक और शिक्षशास्त्री थे। उन्होंने हैदराबाद के निजाम कॉलेज की स्थपना की थी। उनकी माँ वारद सुंदरी कवित्री थी जो बांग्ला भाषा में कवितायेँ लिखती थी। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि होने के कारण सरोजिनी ने सिर्फ 12 वर्ष की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की थी।
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सरोजनी नायडू की रचनाएँ
उनके कुछ सुप्रसिद्ध काव्य संकलन थे -
- द गोल्डन थ्रेशहोल्ड 1905
- द बर्ड ऑफ़ टाइम 1912
- द फायर ऑफ़ लंदन 1912
- द ब्रोकेन किंग 1917
अपनी इन्ही रचनाओं के कारण लोगों ने उन्हें भारत कोकिला की उपाधि दी थी।
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सरोजनी नायडू की मृत्यु
एक बार वे बीमार पड़ी और और 02 मार्च 1949 को उनकी आत्मा इस नश्वर पिजरे से उड़ गया। सम्पूर्ण भारतवर्ष इस भारत कोकिला को सदैव स्मरण करता रहेगा और उनके महान कार्यों का अनुकरण करता रहेगा।
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