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संकष्टी चतुर्थी 2021 में (Sankashti Chaturthi) कब है? जाने शुभ मुहूर्त, तिथि, पूजा विधि एवं इसके महत्त्व में

भगवान गणेश जी को प्रथम पूज्य देव माना गया है, इसलिए हर शुभ कार्य करने से पहले उन्हें ही पूजा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत कृष्ण पक्ष चतुर्थी को रखा जाता है। संकष्टी चतुर्थी का पर्व भगवान गणपति जी को समर्पित होता है। प्रत्येक माह में दो बार चतुर्थी तिथि पड़ता है। संकष्टी चतुर्थी  पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना किया जाता है मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा-पाठ करने से सुख-समृद्धि, धन, ज्ञान और बुद्धि मेंवृद्धि होती है। संकष्टी चतुर्थी का अर्थ संकट को हरने वाली चतुर्थी है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने वाले भक्त का हर दुःख विघ्नहर्ता हर लेते है। आज हम आपको इस लेख में मार्च माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कुछ महाउपायों के बारे में बताएंगे। 

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संकष्टी चतुर्थी 2021 में (Sankashti Chaturthi) कब है? जाने शुभ मुहूर्त, तिथि, पूजा विधि एवं इसके महत्त्व में
संकष्टी चतुर्थी 2021

संकष्टी चतुर्थी का महत्त्व Sankashti Chaturthi Ka Mahatv 

भगवान गणपति जी में आस्था रखने वाले लोग संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपनर मन चाहे फल की कामना करते है। क्योकि संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक शुभ दिन है। मान्यता है कि यह व्रत रखने वाले व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध होते है और संकट दूर हो जाते है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी काम बिना किसी विघ्न बाधा से पुरे हो जाते है और भक्त को भगवान श्री गणेश जी की कृपा सेसर सुख प्राप्त होते हैं। इस दिन भगवान गणपति के पूजन के साथ ही चंद्र पूजन भी बहुत ही शुभ माना जाता है। चंद्रोदय के बाद पूजा कर व्रत पूर्ण किया जाता है। 

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संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त Sankashti Chaturthi 2021 

  • मार्च माह में संकष्टी चतुर्थी का व्रत - 02 मार्च 2021 दिन मंगलवार के दिन रखा जायेगा। 
  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगा - 02 मार्च रात्रि 12 बजकर 16 मिनट पर। 
  • चतुर्थी तिथि समाप्त होगा - 02 मार्च रात्रि 09 बजकर 29 मिनट पर। 
  • संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रोदय का समय होगा - 02 मार्च रात्रि 10 बजकर 01 मिनट पर। 

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संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि Sankashti Chaturthi Puja Vidhi

संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश जी की आराधना करने के लिए विशेष दिन माना गया है। इस दिन लोग सूर्योदय के समय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं। यदि आप यह व्रत रखना चाहते है तो इस दिन आप प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर सबसे पहले स्नान कर साफ सुथरे कपड़े पहन लें। इस दिन लाल या पीले रंग का वस्त्र धारण करना काफी शुभ माना जाता है। अब पूजा घर में अच्छे से साफ-सफाई कर भगवान गणपति जी की पूजा की शुरुआत करें। पूजा के समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। 

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पूजा में भगवान गणपति जी के समक्ष कलश स्थापना करते हुए पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल, धुप, चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें। संकष्टी चतुर्थी की पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें।, ऐसा करना काफी शुभ माना जाता है। अब भगवान गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं। भगवान गणपति के सामने धूप-दीप प्रज्वलित कर मन्त्र ॐ गं गणपतयै नमः मात्र का जाप करें। पूजा के बाद आप फल, मूंगफली, खीर, दूध या साबूदाने को ग्रहण कर सकते है। 

शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप पुनः गणपति जी का विधि विधान से पूजन करें। और संकष्टी व्रत कथा पढ़ें। पूजा होने के बाद सभी में प्रसाद बाटें। रात को चांद देखने के बाद ही व्रत खोलें। इस प्रकार से संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है। 

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संकष्टी चतुर्थी व्रत महाउपाय 

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन धन प्राप्ति के लिए पूजा के दौरान भगवान गणेश जी को सुपारी अर्पित करें। पूजा पूरी होने के बाद इस सुपारी को किसी लाल कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रख लें। 
  • इस दिन पूजा पर भगवान गणेश जी को 11 मोदक अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान गणेश जी जातक के सभी दुखों को दूर कर देते है और तरक्की के रास्ते खोलते है। 
  • संकष्टी चतुर्थी पर मनोकामना पूर्ति के लिए साई सूंड वाले गणपति जी का पूजा करें। 
  • भगवान गणपति को दूर्वा अतिप्रिय है। इसलिए इस संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश जी को 11 दूर्वा अर्पित करें। ऐसा करने से जातक को रिद्धि-सिद्धि का वरदान प्राप्त होता है। 

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