अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी | International Widows Day 2022 History, Purpose, Quotes in Hindi
एक विधवा स्त्री का जीवन शरणार्थी का जीवन हो जाता है, ऐसी स्त्री को पुरुष समाज और स्त्री के घर परिवार के लोग सम्मान दें। आज भी विधवाएं अपने जीवन साथी को खोने के बाद दुनिया भर में कई महिलाएं चुनौतियों का सामना काटी है और बुनियादी जरूरतें उनके मानवी अधिकार और सम्मान के लिए लम्बे समय तक संघर्ष करती है। आज आपको इस लेख में हम अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस कब मनाया जाता है, क्यों मनाया जाता है, इतिहास, उद्देश्य और इसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में बताएंगे।
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अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस |
अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस कब मनाया जाता है?
विधवा महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस पुरे विश्व में प्रतिवर्ष 23 जून को मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस क्यों मनाया जाता है?
यह दिन व्यापक रूप से विधवाओं की आवाज़ों को सुनने और अनुभवों की ओर ध्यान आकर्षित करने और उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले अद्वितीय समर्थन को प्रोत्साहित करने के से मनाया जाता है।
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अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस का इतिहास
दुनिया में मौजूद सभी विधवाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 23 जून 2011 को पहला अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने घोषणा की। विश्व के इस शोषित वर्ग के उत्थान के लिए वर्ष 2011 से अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जा रहा है। गौरतलब है कि ब्रिटेन का लुंबा फाउंडेशन दुनिया भर में विधवाओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर संयुक्त राष्ट्र में 7 साल से अभियान चला रहा था। इस संस्था के प्रयास से संयुक्त राष्ट्र में विधवाओं पर हो रहे अत्याचारों के आंकड़ों के आधार पर विधवा दिवस मनाने के लिए घोषित किया गया।
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अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस का उद्देश्य
यह दिन विशेष रूप से विधवा महिलाओं की समस्याओं के बारे में जागरूकता को बढ़ाने के लिए यह दिवस विशेष रूप से मनाया जाता है। यह दिन विधवाओं की स्थिति पर प्रकाश डालता है, जिससे पता चलता है कि समाज में किस तरह की उपेक्षा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ज्यादातर नागरिक समाज संगठन भी समाज के इस उपेक्षित वर्ग की अनदेखी करते है। आम तौर पर विधवाओं को समाज से बहिष्कार जैसी स्थिति से गुजरना पड़ता है। विधवाओं एवं उनके बच्चों के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवाहर मानव अधिकारों की श्रेणी में गम्भीर उलंघन है।
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अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
- 23 जून को सम्पूर्ण दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जाता है। 23 जून 2011 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की घोषणा की थी, यह दिन हर साल 23 जून को दुनिया भर में सभी उम्र, क्षेत्रों और संस्कृतियों की विधवाओं की स्थिति को विशेष मान्यता देने के लिए मनाया जाता है।
- विधवाओं और उनके बच्चों का शोषण मानव अधिकारों के सबसे गंभीर उल्लंघनों में से एक है और आज के विकास में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।
- दुनिया में लाखों विधवाओं को बेघर, गरीबी, बीमारी, बहिष्कार, हिंसा, स्वास्थ्य समस्याओं और कानून और रीति-रिवाजों और भेदभाव को भी सहन करना पड़ता है।
- एक अनुमान के अनुसार 115 मिलियन विधवाए गरीबी में रहती है और 81 मिलियन शारीरिक शोषण का सामना करती है।
- एक अनुमान के अनुसार 40 मिलियन विधवाए भारत में रहती हैं। 15000 विधवाए उत्तर प्रदेश में मथुरा के पवित्र शहर वृंदावन की सड़कों पर अकेले रहती है।
- आमतौर पर विधवाओं को समाज से बहिष्कार जैसी स्थिति से गुजरना पड़ता है। विधवाओं एवं उनके बच्चों के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवाहर मानव अधिकारों की श्रेणी में गंभीर उल्लंघन है।
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विधवा संरक्षण विधेयक
सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने भारत में विधवाओं की सुरक्षा के लिए एक विधेयक का प्रारूप तैयार किया। संसद के बजट सत्र में वृंदावन में रहने वाली हजारों विधवा महिलाओं की मदद के लिए विधवा संरक्षण विधेयक पेश करने की इच्छा जताई गई.
अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस दुनिया भर की हमें इन सभी विधवा महिलाओं की आर्थिकस्थिति, कठिनाइयों और बढ़ती संवेदनशीलता पर चिंतन करने के लिए मजबूर करता है और जिसका सामना ये विधवा पीड़िता कर रही हैं.
सामाजिक और कानूनी संरक्षण या बचाव के अभाव में, इन विधवा महिलाओं की पूरे जीवन भर की कमाई अक्सर गरीबी से लड़ने के लिए अपर्याप्त नहीं होती है। वहां भी इन महिलाओं को वृद्ध पुरुषों की तुलना में अधिक गरीबी का सामना करना पड़ता है। सामाजिक सेवाएं विशेष रूप से वृद्ध महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं जो अकेले रह रही हैं या बुढ़ापे में देखभाल सेवाओं की आवश्यकता है।
अनेक देशों में महिलाओं को पुरुषों के सामान पैतृक अधिकार नहीं हैं। इसका अर्थ यह है कि उन्हें अक्सर जमीन, संपत्ति और अपने खुद के बच्चों के जीवन से बेदखल कर दिया जाता है। जिन देशों के कानूनों में महिलाओं-पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता, वह भी व्यवहार में महिलाएं पुरुषों की तरह अपने अधिकारों का उपयोग नहीं कर पाती।
इसके अतिरिक्त कुछ समाजों में विधवाओं की यौन शोषण एवं उत्पीड़न या जबरन विवाह, दुर्व्यवाहर और हिंसा का शिकार बनाया जाता है। इन परिस्थितियों को बदला जाना चाहिए और ऐसी भेदभावपूर्ण प्रथाओं और हिंसा का समर्थन करने वाले नियमों को भी बदला जाना चाहिए।
संघर्षों और प्राकृतिक आपदाओं में विधवाओं की स्थिति और भी विकट हो जाती है। ऐसी स्थिति में विधवाओं की संख्या बढ़ जाती है, वे हानि और विस्थापन के कारण अधिक संवेदनशील स्थिति में होती हैं, और सामाजिक और कानूनी सुरक्षा अक्सर कम हो जाती है।
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अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस कोट्स (International Widows Day Quotes in Hindi)
विधवाओं के जीवन स्तर में सुधार लाना, देश के विकास में योगदान देना।
जो कोई विधवा स्त्री से विवाह करता है, उसे स्वयं ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
एक उदास विधवा नहीं, वह एक पवित्र नारी बनी है वो,
अब जिस्मानी नहीं रूहानी इश्क की हकदार बनी है वो।
एक औरत कभी हारती नहीं है, उसे हमेशा हराया जाता है, उसे इस डर से कि समाज क्या कहेगा, यह कहकर बचपन से ही उसे डराया जाता है।
जो लोग विधवा महिला को सम्मान देते है, उन्हें पूरा समाज सम्मान देता है।
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