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विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day) कब मनाया जाता है?

 विश्व आर्द्रभूमि दिवस कब मनाया जाता है?

सम्पूर्ण विश्व में प्रतिवर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है। 2 फरवरी 1971 को विश्व के विभिन्न देशों ने ईरान के रामसर में विश्व की आर्द्रभूमियों  संरक्षण के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किये थे, इसलिए इस दिन विश्व भर में World Wetlands Day अथवा विश्व आर्द्रभूमि दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day) कब मनाया जाता है?

आर्द्रभूमि किसे कहते हैं?

आर्द्रभूमि का अर्थ है नमी या दलदली क्षेत्र अथवा पानी से संतृप्त (सेचुरेटेड) भूभाग को आर्द्रभूमि कहते है। जैवविविधता के दृष्टि से आर्द्रभूमियां अत्यंत संवेदनशील होती है। ईरान के रामसर शहर में कन्वेंशन के अनुसार आर्द्रभूमि उस स्थान को माना जाता है जहां वर्ष के आठ माह पानी भरा रहता है। आर्द्रभूमि मिट्टी झील, नदी, विशाल तालाब के किनारे का हिस्सा होता है जहां भरपूर नमी पाया जाता है। आर्दभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाता हैं। 

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आर्दभूमि का महत्त्व 

प्राकृतिक जैव विविधता के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। ये पक्षियों और जानवरों की विलुप्तप्रायः और दुर्लभ प्रजातियों, पौधों और कीड़ों को उपयुक्त आवास उपलब्ध कराता है। आर्द्रभूमियाँ शीतकालीन पक्षियों और विभिन्न जिव-जंतुओं का भी आश्रय स्थल होता है। 

  • आर्दभूमि अत्यंत उत्पादक जलीय पारिस्थितिकीय तंत्र है। 
  • आर्दभूमि को बायोलॉजिकल सुपर मार्केट कहा जाता है। 
  • आर्दभूमि न केवल जल भंडारण कार्य करते हैं, अपितु बाढ़ के अतिरिक्त जल को अपने में समेट कर बाढ़ की विभीषिका को भी कम करते हैं। 
  • भूजल स्तर को बढ़ाने में भी आर्द्रभूमियों की महत्वपूर्ण भूमिका हैं। 
  • आर्द्रभूमियाँ समुद्र तूफान और आंधी के प्रभाव के क्षमता को कम करता है। 

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भारत में आर्द्रभूमि 

भारत सरकार ने रामसर आर्द्रभूमि के अंतर्गत शुष्क भूमि को भी शामिल किया है। वर्तमान में भारत में कुल 27 रामसर आर्द्रभूमि अधिसूचित हैं। 2010 में भारत द्वारा 38 नए वेटलैंड्स की पहचान की गई है। मॉन्ट्रो रिकॉर्ड्स, एक रामसर वेटलैंड रजिस्टर, में वे वेटलैंड्स शामिल हैं जिन्हें खतरा हो सकता है। इसके अनुसार, केवलादेव (राजस्थान) और लोकताल झील (मणिपुर) भारत में खतरे के वेटलैंड हैं। चिल्का झील (ओडिशा) को इस रिकॉर्ड से बाहर रखा गया है।

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आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन अधिनियम 2010 भारत 

वर्ष 2011 में भारत सरकार ने आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन अधिनियम 2010 की अधिसूचना जारी किया है। इस अधनियम के तहत आर्द्रभूमियों को निम्नलिखित 6 वर्गोमे बांटा गया है -

  1. अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियाँ। 
  2. पर्यावरणीय आर्द्रभूमियाँ जैसे राष्ट्रीय उद्यान, गरान आदि। 
  3. यूनेस्को की विश्व धरोहर सूचि में शामिल आर्द्रभूमियाँ। 
  4. समुद्रतल से 2500 मीटर से कम उचाई की ऐसी आर्द्रभूमियाँ जो 500 हेक्टेयर से अधिक का क्षेत्रफल घेरती हों। 
  5. समुद्रतल से 2500 मीटर से अधिक ऊंचाई किन्तु 5 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल। 
  6. ऐसी आर्द्रभूमियाँ जिनकी पहचान प्राधिकरण ने किया हो। 

इस अधिनियम के तहत केंद्रीय आर्द्रभूमि विनियामक प्राधिकरण की स्थापना की गयी है। इस प्राधिकरण में अध्यक्ष सहित कुल 12 सदस्य होने। इसी अधिनियम के तहत 38 नये आर्द्रभूमियों की पहचान किया गया हैं। 

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आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन नियमावली 2017 

विदित हो कि वर्ष 2017 में, आर्द्रभूमि के संरक्षण से संबंधित नए नियमों को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है। वेटलैंड संरक्षण और प्रबंधन नियम, 2017 पहले के दिशानिर्देशों को बदल देगा जो 2010 में लागू हुए थे।

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विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2021 थीम 

विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2021 का थीम आर्द्रभूमि और जलवायु Wetlands and Water है। 

राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम 

सरकार ने वर्ष 1986 के दौरान सम्बंधित राज्य सरकारों के सहयोग से राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम शुरू किया था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा 115 आर्द्रभूमियॉं की पहचान किया गया था, जिनके संरक्षण और प्रबंधन हेतु पहल करने की जरूरत हैं। इस योजना का उद्देश्य देश में आर्द्रभूमियों संरक्षण और उनका बुद्धिमतापूर्ण उपयोग करना है, जिससे इसकी गिरावट से बचा जा सके।

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