अपने हौसले से नारी भर रही है ऊँची उड़ान,
ना कोई शिकायत और ना की थकान।
एक तरफ जहाँ हमारे देश में महिलाओं को देवियों का दर्जा दिया जाता है, वहीँ कही ना कही लड़कियों के साथ भेद-भाव और मुलभुत अधिकारिन से वंचित भी रखा जाता है। भारत की एक बहुत बड़ी बिडंबना है यहाँ कन्या पूजन जैसे धार्मिक अवसरों पर पूजन किया जाता है लेकिन जब खुद के घर बालिका जन्म लेती है तो माहौल मातम का बना लेते है। यह हालात भारत के हर हिस्से में हैं, हरियाणा और राजस्थान के हालात तो इतने ख़राब है कि यहाँ बेटियों को अभिशाप तक माना जाता है।
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राष्ट्रीय बालिका दिवस |
कन्याओं को अभिशाप मानने वाले यह भूल जाते है कि वह उस देश के वासी है जहाँ देवी दुर्गा को कन्या रूप में पूजने की प्रथा है। वह भूल जाते है की वह उस देश के नागरिक है जहां रानी लक्ष्मी बाई जैसी वीरांगनाओं ने समाज के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। इतना ही नहीं भारत देश की ही राजनीति के सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री का रुतबा किसी पुरुष को नहीं अपितु माननीय वर्गवासी इंदिरा गाँधी जी को हाशिल है। जिन्होंने कई अवसरों पर देश के सामने दृढ संकल्प नेतृत्व प्रदान किया था।
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राष्ट्रीय बालिका दिवस कब मनाया जाता है National Girl Child Day 2023
देश भर में प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस National Child Day मनाया जाता है। 24 जनवरी के दिन इंदिरा गाँधी को नारी शक्ति के रूप में याद किया जाता है। इस दिन इंदिरा गाँधी पहली बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठी थी इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस National Girl Child Day के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र द्वारा 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
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राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाया जाता है
24 जनवरी को हर साल कन्या दिवस या फिर बालिका दिवस में मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य बालिकाओं के प्रति लोगो को जागरूक करना और संवेदनाएं व्यक्त करना होता है। क्योकि बालिका दिवस मनाना तो ठीक है लेकिन वाली बात ये है कि बालिका दिवस मनाने की जरूरत आखिर क्यों पड़ गया आखिर क्योकि हमारा समाज बालिकाओं को कमजोर समझता है।
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आज भी भारत में तमाम ऐसे सोच के व्यक्ति होंगे परिवार मिलेंगे जो बालिकाओं को कमजोर समझते है और जब कन्या इन घरों में जन्म लेती हैं तो लोग दुखी हो जाता है। इन्ही दूषित मानसिकताओं के लोगों को कन्याओं की ताकत और कन्याओं की अहमियत को जगाने के लिए इस राष्ट्रीय बालिका दिवस की जरूरत पड़ी।
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राष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास National Girl Child Day History
इसकी शुरुआत महिला और बाल विकास मंत्रालय ने किया था। भारत सरकार ने वर्ष 2008 से प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने को घोषणा की थी। इस अवसर पर देश भर में बालिका बचाव अभियान चलाये जाने लगे। महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से 2015 में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की शुरुआत किया गया था। सर्कार का बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान लड़कियों के लिए चलाया गया। यह एक बहुत अच्छा कदम है इसके जरिये लड़कियों और महिलाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया जाता है। इन अभियानों से लोगो की मानसिकता को बदलने में काफी हद तक मदद मिली।
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राष्ट्रीय बालिका दिवस मानाने के उद्देश्य
- समाज में बालिका शिशु के लिए नए मौके देता है और लोगों की चेतना को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय कार्य के रूप में इसे मनाया जाता है।
- भारतीय समाज में बालिका शिशुओं के द्वारा सामना किये जा रहे है असमानता को हटाना।
- ये सुनिश्चित किया जाय की भारतीय समाज में हर बालिका शिशु को उचित सम्मान और महत्त्व दिया जा रहा है।
- ये सुनिश्चित किया जाय कि देश में हर बालिका शिशु को उसके सभी मानव अधिकार मिलेंगे।
- भारत में बाल लिंगानुपात के खिलाफ कार्य करना तथा बालिका शिशु के बारे में लोगों का दिमाग बदलना है।
- बालिका के महत्त्व और भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने के द्वारा बालिका शिशु की ओर दंपत्ति की शुरुआत चाहिए।
- उनके स्वास्थ्य, सम्मान, शिक्षा, पोषण आदि से जुड़े मुद्दों के बारे में चर्चा करना।
- भारत के लोगों के बीच लिंग समानता को प्रचारित करना।
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राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस कैसे मनाया जाता है
समाज में लड़कियों की स्थिति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस National Girl Child Day मनाने के लिए पुरे देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भारतीय समाज में लड़कियों की ओर लोगों की चेतना बढ़ाने के लिए एक बड़ा अभियान भारतीय सरकार द्वारा आयोजित किया जाता है। राष्ट्रीय कार्य के रूप में मनाने के लिए 2008 से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस मनाने की शुरुआत हुई।
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इस अभियान के द्वारा भारतीय समाज में लड़कियों के साथ होने वाली असमानता को चिन्हित किया है। इस दिन बालिका शिशु बचाओ के संदेश के द्वारा रेडियो स्टेशन, टीवी, स्थानीय और राष्ट्रीय अख़बार पर सरकार द्वारा विभिन्न विज्ञापन चलाये जाते है। NGO संस्था और गैर-सरकारी संस्था भी एक साथ आते हैं और बालिका शिशु के बारे में सामाजिक कलंक के खिलाफ लड़ने के लिए इस उत्सव में भाग लेते हैं।
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भारत में बालिका बाल अधिकार
- भारत सरकार ने बालिका बाल स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई प्रकार की योजनाओं के तहत विभिन्न कदम उठाये हैं। उनमें से कुछ निम्न हैं.........
- सरकार ने क्लीनिकों में गर्भावस्था के दौरान शिशु लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- बालिकाओं के बाल विवाह पर प्रतिबन्ध लगाया गे है।
- समाज में कुपोषण, गरीबी और शिशु मृत्यु दर का सामना करने के लिए सभी गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व देखभाल अनिवार्य कर दिया गया है।
- सरकार ने बालिका बाल बचाओ योजना की शुरुआत बालिका शिशुओं को बचने के लिए की है।
- 14 वर्ष तक की उम्र के लड़कियों के लिए मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक स्कूल शिक्षा के जरिये भारत में बालिका बाल विवाह शिक्षा स्थिति को सुधारा गया है।
- भारत में बालिका शीशी की स्थिति में सुधार के लिए सरकार ने महिलाओं के लिए स्थानीय सरकार में एक तिहाई सीटें आरक्षित की हैं।
- विधायिका ने महिलाओं की स्थिति और रोजगार के अवसरों में सुधार के लिए एमटीपी - विरोधी, स्ति विरोधी कानून, दहेज विरोधी अधिनियम की शुरुआत की है।
- देश के पिछड़े राज्यों में शिक्षा की स्थिति पर ध्यान देने के लिए पंचवर्षीय योजना कियान्वितकी गई है।
- स्कूल जाने वाले बच्चों को स्कुल के ूनीफार्म, दोपहर का खाना और शैक्षिक सामग्री एवं एससी/एसटी जाति के परिवारों की लड़कियों के लिए पुनर्भुगतान की व्यवस्था है।
- लड़की शिशुओं की देखभाल और प्राथमिक स्कूल में जाना सम्भव बनाने के लिए बालवाडी सह शिशु सदन बनाये गए है।
- स्कूली सेवा को उन्नत मानाने के लिए शिक्षकों की शिकष के लिए अन्य कार्यक्रमों के साथ ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड आयोजित किया गया है।
- पिछड़े इलाकों की बालिकाओं की सुविधा हेतु ओपन लर्निंग सिस्टम की स्थापना की गई है।
- लड़की शिशु के लिए यह घोषित किया गया है कि बालिकाओं को उनके लिए अवसरों के विस्तार हेतु शुरुआत से ही समान उपचार एवं अवसर प्रदान किये जाने चाहिए।
- ग्रामीण िलाओं की लड़कियों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने एसएचजी यानि कि स्वयं सहायता समूह बनाये है।
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