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विश्व दूरसंचार दिवस (World Telecommunication Day) क्यों मनाया जाता है?

पहले बैंकों में लोग कई घंटों लगी लाइन अब कम हो गई है, अब किसी को भी पैसे भेजने हो तो एक क्लिक में ही फोन से ही एक खाते से दूसरे खाते में भेजना बड़ा आसान हो गया है। किसी की लोकेशन पता करना हो तो भी हम बड़ी आसानी से उसका झूठ पकड़ लेते है, यही नहीं बच्चों के कैरियर की पढाई-लिखाई में भी नेट उनका उतना मददगार साबित हो रहा है। जहाँ एक तरफ़ इतनी उपलब्धिया है इंटरनेट की वहीँ बड़ी चिंता का विषय है की हमारे युवा साथी इसका गलत उपयोग भी कर रहे है। जिसका प्रभाव आने वाले समय में आपको देखने को मिल सकता है। दूरसंचार हमारे लिए बहुत उपयोगी है पर अगर उसका उपयोग सही हो तो गलत उपयोग से वह उतना ही हमें पीछे भी कर सकता है। 

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विश्व दूरसंचार दिवस कब मनाया जाता है?

विश्व दूरसंचार दिवस World Telecommunication Day प्रत्येक वर्ष 17 मई को मनाया जाता है। आधुनिक युग में फोन, मोबाइल और इंटरनेट लोगों के प्रथम आवश्यकता बन गए हैं। इसके बिना जीवन की कल्पना करना बहुत ही मुश्किल हो चुका है। आज यह इंसान के व्यक्तिगत जीवन से लेकर व्यावसायिक जीवन में पूरी तरह प्रवेश कर चूका है। पहले जहां किसी से संपर्क साधने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करना पड़ता था, वही आज मोबाइल और इंटरनेट ने इसे बहुत ही आसान बना दिया है। व्यक्ति कुछ ही सेकेण्ड में बेहद आसानी से दोस्तों, परिवार और सगे संबंधियों से संपर्क साध सकता है। यह दूरसंचार की क्रान्ति है, जिससे भारत जैसे कुछ विकासशील देश भी दुनिया के कुछ देशों में गिने जाते हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी आ रही है।

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विश्व दूरसंचार दिवस (World Telecommunication Day) क्यों मनाया जाता है?
विश्व दूरसंचार दिवस 

विश्व दूरसंचार दिवस क्यों मनाया जाता है?

17 मई को विश्व दूरसंचार दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन बनाया गया था। इस दिन पहली बार इंटरनेशनल टेलिग्राफी कन्वेन्शन एंड कोइनसाइड्स का आयोजन भी किया गया था। इसी आधार पर यूनाइटेड नेशन ने 17 मई को विश्व दूरसंचार दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। विश्व दूरसंचार दिवस को मनाने के पीछे का दूसरा कारण यह भी है कि इस दिन को इंटरनेट इनफार्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (ICT) को विश्व में जागरूकता बढ़ाने के रूप में भी याद किया जाये। 

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विश्व दूरसंचार दिवस मनाने का उद्देश्य

  • लोगो क्र मध्य उत्पन्न डिजिटल मतभेद को समाप्त करना। 
  • 5G सेवा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) को बढ़ावा देना। 
  • लोगो के मध्य सकारात्मक संचार तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने के प्रति जागरूक करना। 

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विश्व दूरसंसार दिवस मनाने का इतिहास 

विश्व दूरसंचार दिवस मनाने की परंपरा 17 मई 1865 को शुरू हुई थी, लेकिन आधुनिक समय में इसकी शुरुआत 1869 में हुई थी। तब से यह पूरी दुनिया में उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही नवंबर 2006 में टर्की में आयोजित पूर्णाधिकार सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि विश्व दूरसंचार एवं सूचना एवं सोसाइटी दिवस एक साथ मनाया जाए। 

इंटरनेट की महत्ता वर्तमान समय में दूरसंचार का एक बहुत बड़ा हिस्सा इंटरनेट है। इसमें कोई शक नहीं है कि जिन लोगों की पहुंच इंटरनेट तक है, उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इंटरनेट ने उनके जीवन को काफी सरल बना दिया है। इसके जरिये हम असंख्य सूचनाओं को पलक झपकते ही मात्र कुछ चंद सेकेंड में प्राप्त कर लेते हैं। 

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इंटरनेट न केवल सूचना के लिए, बल्कि सोशल नेटवर्किंग से लेकर स्टॉक एक्सचेंज, बैंकिंग, ई-शॉपिंग आदि के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया है। अगर कोई इसका सबसे अधिक श्रेय देना चाहता है, तो गूगल (Google) जैसा सर्च इंजन इसका हकदार है। गूगल के ई-मेल, चैटिंग, वीडियो और वाइस चैटिंग आदि से हजारों किलोमीटर दूर अब बदल चुका है चंद के फैसले में। 

दूरसंचार क्रांति

दूरसंचार क्रांति एक गरीब देश में क्रांति है, जिसने न केवल देश की छवि बदली बल्कि देश के विकास से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था का भी एक चश्मदीद गवाह था। आज हम बड़ी आसानी से अपने मोबाइल फोन के जरिए कई ऐसे काम कर जाते हैं, जिनके लिए कुछ साल पहले काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। दूरसंचार क्रांति के कारण आज भारत की गिनती दुनिया के कुछ देशों में होती है, जहां इस क्रांति ने आर्थिक समृद्धि में बहुत योगदान दिया है।

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आज हम दूरसंचार के मामले में काफी आगे निकल चुके हैं। 3जी और 4जी तकनीक पर सवार होकर भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस क्रांति के कारण न केवल अन्य क्षेत्रों में बदलाव आ रहा है, बल्कि ग्रामीण भारत भी तकनीक से भर रहा है। आज भारत में कई किसान हाईटेक हो रहे हैं, वे इंटरनेट से फसलों की जानकारी ले रहे हैं। रेलवे आरक्षण की जानकारी एसएमएस के जरिए दी जा रही है। भारत इस क्रांति को अगले पड़ाव पर ले जाने की तैयारी कर रहा है।

भारत में टेक्नोलॉजी की शुरुआत

भारत में टेक्नोलॉजी का शुभारम्भ 1880 में 2 टेलीफोन कंपनियों द ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड और एंग्लो इंडियन टेलीफोन कंपनी लिमिटेड ने भारत में एक टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना करने के लिए भारत सरकार से संपर्क किया। इस अनुमति को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया था कि टेलीफोन की स्थापना पर सरकार का एकाधिकार था और यह काम सरकार खुद शुरू करेगी।

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1881 में सरकार ने अपने पहल के फैसले के खिलाफ जाकर इंग्लैण्ड को ओरिएंटल टेलिफ़ोन कंपनी लिमिटेड को कोलकाता, मुंबई, मद्रास (चेन्नई) और अहमदाबाद में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने के लिए लाइसेंस दिया। इससे 1881 में देश में पह्लिओ औपचारिक टेलीफोन सेवा की स्थपना हुआ। 28 जन्वरी 1882 भारत के टेलिफ़ोन इतिहास में रेड लेटर डे है। 

इस दिन, भारत के तत्कालीन  गवर्नरेट की जनरल काउंसिल के सदस्य मेजर ई. बैरिंग ने कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में टेलीफोन खोलने की घोषणा की। कोलकाता के एक्सचेंज का नाम केंद्रीय एक्सचेंज था, जो 7 काउंसिल हाउस स्ट्रीट बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर खुला। केंद्रीय टेलीफोन एक्सचेंज में 93 ग्राहक थे। इसी तरह के एक टेलीफोन का उद्घाटन 1882 में मुंबई में भी हुआ था।

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दूरसंचार के माध्यम होने वाली हानि 

चुनौती आज इंटरनेट के सामने सबसे पड़ी चुनौती है, अपनी विश्वनीयता को बरकरार रखना। जित तरह इंटरनेट ने हमारे जीवन को सरल बनने में एक अहम योगदान दिया है, उसी तरह इनमे कई ऐसी समस्याएं भी उत्पन्न कर दी है, जिससे कही ना कही हमारा समाज दूषित हो रहा है। देखे तो आज इन्टरनेट पर काम कम और इसका दुरूपयोग ज्यादा हो रहा है। पोर्नोग्राफ़ी जैसीसमस्य इंटरनेट के हर हिस्से में पहुँच चुकी है। देखने में आया है कि नासमझ लोग अपने यार दोस्तों की तस्वीरे इंटरनेट पर डाल देते है। लेकिन अश्लीनता परोसने वाली वेबसाइट्स उन्हें चुराकर उनका दुरूपयोग करना शुरू कर देती है। इसके सामने एक और बड़ी चुनौती साइबर अपराध भी है। जिसकी आड़ में लोग अफवाह फैलाकर देश में साइबर युद्ध जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश करते रहते हैं।

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इन सब नकारात्मक तथ्यों के बावजूद भी दूरसंचार तकनिकी आज भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में समृद्धि के लिए सहायक सिद्ध हो रहा है। इस सेक्टर में हो रहे निरंतर विकास से प्रभावित होकर बहुत से युवा अच्छे कैरियर का सपना संयोजकर इस क्षेत्र में आगे आ रहे है। इस वर्ष के विषय का महत्व इसलिए बढ़ जाया है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में प्रत्येक वर्ष 13 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मरे जाते है और दो से पांच करोड़ लोग घायल हो जाते है। इसका मुख्य कारण गाड़ी चलाते वक्त फोन पर बात करने से ड्राइवर का ध्यान बटना और सड़क का इस्तेमाल करने वाले लोगों का व्यवहार भी है। 

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