Looking For Anything Specific?

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस क्यों मनाता जाता है? | National Consumer Day Kab Manaya Jata Hai

हम में से हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में उपभोक्ता हैउपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अनुसार कोई व्यक्ति जो अपने उपयोग के लिए सामान खरीदता है वह उपभोक्ता है। आज उपभोक्ता जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट, अधिक दाम, कम नाप-तौल इत्यादि संकटों से घिरा है। उपभोक्ता क्योकि संगठित नहीं है इसलिए हर जगह ठगा जाता है। इसलिए उपभोक्ता को जागना होगा और खुद को इन संकटों से बचाना होगा

यह भी पढ़ें:

👉 राष्ट्रीय युवा दिवस

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवसक्यों मनाता जाता है? |  National Consumer Day Kab Manaya Jata Hai
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस

उपभोक्ता दिवस कब मनाया जाता है (rashtriya upbhokta divas kab manaya jata hai)

बहुत कम उपभोक्ता जानते होंगे कि उनके क्या अधिकार है। भारत में 24 दिसंबर राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस National Consumer Day के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए 24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 लागू किया गया। भारत में इसकी शुरुआत सन 2000 से हुआ है। यह दिन इसी लिए मनाया जाता है ताकि उपभोक्ताओं के अधिकार के प्रति जागरूक किया जा सके और इसके साथ ही अगर वो धोखाधड़ी, कालाबाजारी, घटतौली आदि का शिकार है तो वो इसकी शिकायत कर सकें।  

यह भी पढ़ें:

👉 गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है?

उपभोक्ताओं के अधिकार 

  • जीवन और संपत्ति के लिए हानिकारक सामान और सेवाओं की बिक्री के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार।
  • खरीदी गई वास्तु की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, स्तर और मूल्य जैसा भी मामला हो, के बारे में जानकारी का अधिकार, ताकि उपभोक्ताओं को गलत व्यापर पद्धतियों से बचाया जा सकें।
  • जहां तक संभव हो उचित मूल्यों पर विभिन्न प्रकार के सामान तथा सेवाओं तक पहुंच का आश्वासन।
  • उपभोक्ताओं के हितों पर विचार करने के लिए बनाये गए विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्व का अधिकार। 
  • अनुचित व्यापर पद्धतियों का उपभोक्ताओं के शोषण के विरुद्ध निपटान का अधिकार।
  • सूचना संपन्न उपभोक्ता बनने के लिए ज्ञान और कौशल का अधिकार।

यह भी पढ़ें:

👉 Pulwama Attack 

अपने अधिकार के लिए आवाज उठाने का अधिकार।

किसी व्यापारी द्वारा यदि उपभोक्ता को हानि हुई है, ख़रीदे गए सामान में यदि कोई खराबी है, किराए पर ली गई सेवाओं में कमी पाई गई है, विक्रेता ने आपसे प्रदर्शित मूल्य से अधिक मूल्य लिया है तो वो इसकी शिकायत कर सकता है। इसके अलावा अगर किसी कानून का उल्लंघन करते हुए जीवन तथा सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करने वाला सामान जनता बेचा जा रहा है तो आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

यह भी पढ़ें:

👉 International Women's Day History in Hindi

शिकायत कहां की जाए 

शिकायत कहां की जाए यह बात सामान सेवाओं की लागत अथवा मांगी गई क्षतिपूर्ति पर निर्भर करता है।अगर यह राशि 20 लाख रूपये से कम है तो जिला फोरम में शिकायत करें। यदि यह राशि 20 लाख रूपये से अधिक है लेकिन एक करोड़ से कम है तो राज्य आयोग के सामने और यदि एक करोड़ रूपये  है तो राष्ट्रीय आयोग के सामने शिकायत दर्ज कराएं।

यह भी पढ़ें:

👉 23 March 1931 Shahid Diwas

शिकायत कैसे करें?

उपभोक्ता द्वारा अथवा शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत सादे कागज पर किया जा सकता है। शिकायत में शिकायतकर्ताओं तथा विपरीत पार्थी के नाम का विवरण तथा पता, शिकायत से संबंधित तथ्य एवं यह सब कब और कहाँ हुआ आदि का विवरण, शिकायत में उल्लेखित आरोपों के समर्थन में दस्तावेज साथ ही प्रामाणिक एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिए। इस प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी वकील की आवश्यकता नहीं होती है। साथ ही इस कार्य पर नाम मात्र न्यायलय शुल्क लिया जाता है।

यह भी पढ़ें:

👉 हिन्दू युवा वाहिनी स्थापना दिवस

नया उपभोक्ता संरक्षण कानून से फायदा 

आप के लिए अच्छी खबर है। हाल में तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 को बदल दिया गया है।इसकी जगह उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 ने ले ली है। नये कानून में उपभोक्ताओं के हित में कई कदम उठाये है। पुराने नियमों की खामियां दूर की गई है। नए कानून की कुछ खूबियों में सेन्ट्रल लेगुलेटर का गठन भ्रामक विज्ञापनों पर भारी पेनाल्टी और ई-कॉमर्स फर्मों और इलेक्ट्रानिक डिवाइस बेचने वाली कंपनी के लिए सख्त दिशानिर्देश शामिल है। 

यह भी पढ़ें:

👉 Labour Day in India | Majdoor Diwas Kab Manaya Jata Hai

कभी से भी उपभोक्ता दर्ज कर सकते है शिकायत 

उपभोक्ताओं की शिकायतें निपटाने के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता अदालतें (कंज्यूमर रिड्रेसर कमीशन) है। नए कानून में क्षेत्राधिकार को बढ़ाया गया है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के सह-संस्थापक प्रेजिडेंट एमआर माधवन ने कहा चूँकि राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालतों के मुकाबले जिला अदालतों तक पहुँच ज्यादा होती है। लिहाजा अब जिला अदालतें 1 करोड़ रूपये तक के मामलों की सुनवाई कर सकेंगी।

यह भी पढ़ें:

👉 विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है

कानून में एक ओर बड़ा बदलाव हुआ है। अब कहीं से भी उपभोक्ता शिकायत दर्ज कर सकता है। उपभोक्ताओं के नजरिये से यह बड़ी रहत है।पहले उपभोक्ता वहीँ शिकायत दर्ज कर सकता था, जहां विक्रेता अपनी सेवाएं देता है। ई-कॉमर्स से बढ़ती खरीद को देखते हुए यह शानदार कदम है। कारण है कि इस मामले में विक्रेता किसी भी लोकेशन से अपनी सेवाएं देते है। इसके अलावा कानून में उपभोक्ता को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये भी सुनवाई में शिरकत करने की इजाजत है। इससे उपभोक्ता का पैसा और समय दोनों बचेंगे।

यह भी पढ़ें:

👉 Mothers Day क्यों मनाया जाता है

कंपनी की जवाबदेही तय की गई है 

मैन्यूफेक्चरिंग में खामी या ख़राब सेवाओं से अगर उपभोक्ता को नुकसान होता है तो उसे बनाने वाली कंपनी को हर्जाना देना होगा। समलान, मैन्यूफैक्चरिंग में खराबी के कारण प्रेसर कुकर के फटने पर उपभोक्ता को छोड़ पहुँचती है तो उस हादसे के लिए कंपनी को हर्जाना देना पड़ेगा,पहले कंज्यूमर को केवल कुकर का लागत मिलता था। उपभोक्ताओं को इसके लिए भी सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता था। मामलों के निपटारे में सालों लग जाते थे।

यह भी पढ़ें:

👉 हिन्दी पत्रकारिता दिवस 30 मई को क्यों मनाया जाता है

इस प्रावधान का सबसे ज्यादा असर ई-कॉमर्स पप्लेटफॉर्म पर होगा। कारण है कि इसके दायरे में सेवा प्रदाता भी सयेंगे। मुकेश जैन एंड एसोसिएट्स के संस्थापक मुकेश जैन कहते है प्रोडक्ट की जवाबदेही अब मैन्यूफेक्चरर के साथ सर्विस प्रोवाइडर और विक्रेताओं पर भी होगा। इसका मतलब है कि ई-कॉमर्स साइट खुद को एग्रीनेटर बताकर पल्ला नहीं झाड़ सकती है।

यह भी पढ़ें:

👉 विश्व बाल श्रम निषेध दिवस कब और क्यों मनाया जाता है

ई-कॉमर्स कंपनियों पर कैसा है शिकंजा 

ई-कॉमर्स कंपनियों पर डायरेक्ट सेलिंग पर लागू सभी कानून प्रभावी होंगे। दिशानिर्देश कहते है कि अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसे प्लेटफार्म को विक्रेताओं के ब्योरे का खुलासा करना होगा। इनमे उनका पता, वेबसाइट, ई-मेल इत्यादि शामिल है। ई-कॉमर्स फर्मों की ही जिम्मेदारी होगी कि वे सुनिश्चित करें कि उनके प्लेटफार्म पर किसी तरह के नकली उत्पादों की बिक्री न हो। अगर ऐसा होता है तो कंपनी पर पेनाल्टी लगेगा। यह कदम इसलिए ,महत्वपूर्ण है क्योंकि ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर नकली उत्पादों की बिक्री के मामले बढ़े है।

यह भी पढ़ें:

👉 विश्व रक्तदान दिवस क्यों और कब मनाया जाता है

अलग रेगुलेटर बनाने का प्रस्ताव 

कानून में सेन्ट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) नाम का केंद्रीय रेगुलेटर बनाने का प्रस्ताव है। यह उपभोक्ता के अधिकारों, अनुचित व्यापर व्यवहार, भ्रामक विज्ञापन और नकली उत्पादों की बिक्री से जुड़े मसलों को देखेगा।

दोस्तों आज की इस लेख में बस इतना ही था अगर आपको ये लेख पसंद आई है तो हमें कमेंट करके बताएं कैसा लगा  और आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर FACEBOOK और TWITTER पर Share कीजिये और ऐसे ही नई जानकारी पाने के लिए हमें SUBSCRIBE जरुर करे।

🙏 धन्यवाद 🙏

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ