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अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (Minority Rights Day) कब मनाया जाता है

भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस - Alpsankhyak Adhikar Diwas भाषा, धर्म, जाति और रंग के आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय से सम्बंधित लोगों जे अधिकारों को बढ़ावा और संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। भारत में बहुमत-अल्पसंख्यक मुद्दों पर अक्सर सहमति और चर्चा धार्मिक और राजनीतिक असंतोष पैदा करने के लिए उभरती है। भले ही भारतीय संविधान हमेशा अल्पसंख्यकों समेत सभी समुदायों को समान और न्याय पूर्ण अधिकार प्रदान करता था और प्रदान करता रहेगा लेकिन अल्पसंख्यकों के अधिकारों से सम्बंधित कुछ मुद्दे अभी जीवित हैं

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अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (Minority Rights Day) कब मनाया जाता है

भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (Minority Rights Day) मना कर प्रत्येक राज्य अल्पसंख्यकों से सम्बंधित मुद्दों पर पूरी तरह से केंद्रित है और अच्छी तरह से यह सुनिश्चित करता है कि अल्पसंख्यकों के अधिकार उनके प्रान्त के भीतर सुरक्षित है। भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस 2020, 18 दिसंबर शुक्रवार को पूरे भारत में मनाया जायेगा।  

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अल्पसंख्यक किसे कहते है?

अल्पसंख्यक शब्द अल्प और संख्यक जैसे दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है दूसरों के अपेक्षा संख्या में कम होना।अल्पसंख्यक होने के कई पहलू हो सकते है परन्तु मुख्यतः इसमें धार्मिक, भाषायी, जातीय पहलुओं को प्रमुखता से देखा जाता है। इसमें सबसे प्रमुख होता है धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक होना, कई सारे देशों में धार्मिक अप्ल्संख्यकों को विशेष सुविधा प्रदान की जाती है ताकि इनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव ना हो और बहुसंख्यक समाज के साथ यह भी समान रूप से विकास आकर सकें। 

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हालाँकि कई सारे देशों में इसके विपरीत धार्मिक अल्पसंख्यको को विभिन्न तरीकों से प्रताड़ित भी किया जाता है और उन्हें हेय दृष्टि से देखा जाता है।भारत में अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर कई स्पष्ट परिभाषा नहीं है, फिर भी यदि क़ानूनी रूप से देखा जाय तो सविधान के अनुसार "अल्पसंख्यक वह समुदाय है जिसे केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाय"। 

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हमारे देश में  हिन्दू धर्म को बहुसंख्यक माना जाता है और इसके अलावा मुस्लिम, सिख, फारसी,जैन, ईसाई, बौद्ध धर्म के लोगों को अल्पसंख्यक माना जाता है। सरकार देश भर में अल्पसंख्यकों के लिए कई तरह की विशेष योजनाएं चलायी जाती है और इसके साथ ही अल्पसंख्यों के विकास के लिए सन 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का भी गठन किया गया था

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भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस का महत्त्व 

अल्पसंख्यको के कई नेताओं को यह निराशजनक लगता है कि भारत जो लोकतांत्रिक देशों में से एक है, जैसे देश में उन लोगों के पास शक्तियां है जो मूल्यों और किस्मों को स्वीकार नहीं करते है। भारत संस्कृति और विविधिता में समृद्ध है और देश को लोकप्रिय नारा "विविधता में एकता" का पालन करना चाहिए। जब भारत स्वतंत्र हुआ तो अप्ल्संख्यको के अधिकार भारतीय संविधान में एक स्थान प्राप्त करने  सक्षम है।लेकिन अल्पसंखयकों का मानना कि उन्हें उनके अधिकार नहीं दिए गए है

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इसका अर्थ है कि लिखित शब्द वास्तव में वास्तविकता में अनुवाद नहीं किये गए है। उनकी भाषा या धर्म के बावजूद अल्पसंख्यक लगातार भेदभाव के बारे में शिकायत कर रहे है जिसे वे अपने जीवन में हर पल सहते है। भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के अधिकार भारत का संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय सुनिश्चित करता है

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भारतीय संविधान ने भाषायी, जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक अल्पसंख्यको के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई उपायों को अपनाया है। संविधान उन सभी लोगो का ख्याल रखता है जो आर्थिक या सामाजिक रूप से वंचित है चाहे वे किसी भी जाति, संस्कृति और समुदाय जैसे कि अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लोग हो। अल्पसंख्यक समूहों के लोगों के हितों और अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत के संविधान ने कई प्रावधान लागू किये है। 

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भारत ने खुद को धर्म निरपेक्ष घोषित किया है तथा किसी विशेष समुदाय या धर्म को राष्ट्रीय धर्म के रूप में घोषित नहीं किया गया है। भारत के लोग अपनी पसंद से धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र है और उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार पवित्र स्थान या तीर्थ स्थलों की यात्रा करने की अनुमति हैअनुच्छेद 16 यह पुष्टि करता है कि सार्वजानिक रोजगार के मामलों में भाषा, जाति, पंथ, रंग या धर्म के आधार पर कोई अनुचितता और असमानता की अनुमति नहीं दी जाएगी

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इससे पता चलता है कि भारत के हर नागरिक को सार्वजानिक सेवाओं और सरकारी कार्यालयों में समान और निष्पक्ष सेवा के अवसर मिलने चाहिए। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 हर व्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता हैअनुच्छेद 25 यह सुनिश्चित करता है कि धार्मिक, भाषाई या जातीय अल्पसंख्यक समुदाय के प्रत्येक सदस्य के पास अपने धर्म का पालन करने के लिए अप्रतिबंधित प्राधिकार है

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राष्ट्र किसी भी धर्म के अभ्यास को तब नियंत्रित करता है जब तक वह सार्वजानिक शांति को आहत नहीं करें। अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने का अधिकार है और वे इसका प्रचार भी कर सकते है लेकिन राज्य की विधानसभा के पास प्रलोभन, धमकी या बल के माध्यम से धर्म रूपांतरण को नियंत्रित करने का अधिकार है। ऐसे धार्मिक रूपांतरण प्रतिबंधित है क्योकि यह व्यक्तियों में अंतरात्मा की स्वतंत्रता की उपेक्षा करता है

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अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बचाव और संरक्षण - Minorities in India

इस सम्बन्ध में भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 भी बहुत महत्वपूर्ण है। चूँकि अल्पसंख्यक समूह के पास अपनी पसंद के अनुसार अपने स्वयं के शैक्षणिक संस्थानों को स्थापित करने और उनके प्रबंधन करने के अधिकार है इसलिए राज्य सरकार अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित किये शैक्षिक संस्थानों से भेदभाव नहीं कर सकती और सरकार को बिना किसी पक्षपात के इन संस्थानों को अनुदान देना चाहिए। 

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ऐसे शैक्षिक संस्थानों को राज्य द्वारा मान्यता देना चाहिए। हालाँकि शिक्षा विभाग के राज्य प्राधिकरण को ऐसे सभी शैक्षणिक संस्थानों को नियंत्रित करने और विनियमित करने के अधिकार है क्योकि "प्रबंधन का अधिकार ऐसे सस्थानों को गलत तरीके से संचालित करने का अधिकार नहीं देता है।" भारतीय  संविधान के अनुच्छेद 29 के अनुसार भाषायी या धार्मिक अल्पसंख्यकों के लोगों को अपने स्वयं के शैक्षिक संस्थानों को स्थापित करने और उनका मैनेजमेंट करने के अधिकार है

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अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को उनकी संस्कृति और धर्म को समर्थन और संरक्षित करने के लिए असीमित और अप्रतिबंधित अधिकार है। भारत को अपनी संस्कृतिक विविधता के लिए दुनिया भर में ख्याति प्राप्त है और भारत एक देश के रूप में अपनी सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित करने के लिए समर्पित है। एक उपयुक्त उदहारण यह है कि यद्यपि हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में घोषित किया गया है लेकिन भारत के अधिकांश राज्यों में मातृभाषा के माध्यम से प्राथमिकता और प्रमुख शिक्षा प्रदान किया जाता है

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इसके अलावा भारत में लगभग 22 आधिकारिक भाषाएँ है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 29 प्राधिकरण, निजी संस्थानों या किसी संस्थान द्वारा संचालित किसी भी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश  दौरान राज्य सरकार से सहायता प्राप्त करने के लिए भाषा, जाति, पंथ और धर्म के आधार पक्षपात, निष्पक्षता और भेदभाव पर भी प्रतिबंध लगाता है। यह कानून की दृष्टि से एक दंडनीय अपराध है और यदि किसी भी शैक्षिक संस्थान ने छात्र को भाषा, जाति, धर्म पंथ के आधार पर अपने संस्थान में प्रवेश नहीं दिया तो उसे मुकदमेबाजी का सामना करना पड़ सकता है `जिसके परिणाम स्वरूप संस्थान को भारी दंड भुगतना पड़ सकता है या संचालन का लाइसेंस`भी खोना पड़ सकता है

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राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग - - Minority Rights in India

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अल्पसंख्यक अधिनियम 1992 के तहत स्थापित किया गया है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के कुल छह धार्मिक समुदायों मुसलमान, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी और जैन शामिल है। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, राजस्थान, मणिपुर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखण्ड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, बिहार, असम और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए राज्य अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना है।

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इन राज्यों की राजधानी में अल्पसंख्यकों के लिए कार्यालयों की स्थापना किया गया है। अल्पसंख्यक समूह से सम्बंधित कोई भी पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायतों की सुनवाई के लिए सम्बंधित अल्पसंख्यक आयोगों से सहायता ले सकता है। राज्य अल्पसंख्यक आयोग संविधान में वर्णित अल्पसंखयकों के हितों की सुरक्षा और सलामती के लिए जिम्मेदार है।

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भारत में अल्पसंख्यको को मिलने वाली सुविधाएँ 

भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ मुहैया कराया जाता है। उन्हें यह सुविधाएँ शिक्षा, ऋण, व्यवसाय, रोजगार जैसे क्षेत्रों में उपलब्ध कराया जाता है ताकि समाज में उनकी भी बराबर की भागीदारी बना रहे और उनके साथ किसी प्रकार का भेद भाव ना हो सके। 

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अल्पसंख्यकों के लिए चलाये जा रहे कुछ विशेष योजनाएं 

अल्पसंख्यको के लिए निम्न योजनाए जा रहे है जो निम्नवत है...... 

नई रोशनी योजना 

यह योजना अल्पसंख्यक महिलाओं के अंदर नेतृत्व कौशल को निखारने के लिए चलाया जाता है।

जियो पारसी योजना 

यह योजना पारसी समुदाय के आबादी बढ़ाने को लेकर चलाया जाता है।

नई मंजिल योजना 

इस योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक एकीकृत शिक्षा और आजीविका को बढ़ावा दिया जाता है।

सीखो और कमाओ योजना 

इस योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यकों के कौशल का विकास किया जाता है।

मुफ्त कोचिंग योजना (नया सवेरा योजना)

इस योजना द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को तमाम तरह के प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्रवृत्ति तथा कोचिंग सुविधा के लिए धनराशि मुहैया कराया जाता है।

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धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यक होने पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया जाना 

यह कुछ ऐसी समस्याएं है जिनका नस्लीय, धार्मिक तथा भाषीय अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा विश्व भर में सामना किया जाता है, कई बार अल्पसंख्यकों को ऐसे भयावह मानसिक और शारीरिक शोषण से गुजरना पड़ता है। जिसे वह जीवन भर नहीं भूल पाते और यह समाज में भी द्वेष तथा हिंसा की घटनाओं को बढ़ावा देता है, इसलिए हमें सदैव ऐसे कार्यों को रोकने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए, ताकि विश्व भर में भाईचारा और शांति का माहौल बना रहे।

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निष्कर्ष 

भारत में अल्पसंख्यक देश का अनिवार्य हिस्सा है और वे देश के विकास और प्रगति में समान रूप से योगदान करते है। वे सरकारी कार्यालयों, राजनीति, इंजीनियरिंग, सिविल सेवाओं और लगभग हर क्ष्रेत्र में उच्च पदों पर कब्ज़ा कर रहें है। इस प्रकार भारत के अल्पसंख्यक काफी हिफाजत से है और उनके अधिकार पूरी तरह सुरक्षित है। भारत एक विकासशील देश है और यदि कोई बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक मुद्दे उत्पन्न होते हैं तो यहाँ के लोगों को समझदारी से व्यवहार करना चाहिए।किसी भी व्यक्ति को नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं होना चाहिए और एक-दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए जिस कारण देश में अशांति पैदा हो।

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