शास्त्रों के अनुसार चतुर्थी व्रत हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है। शास्त्रों के अनुसार हर माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि विनायक चतुर्थी के नाम जाता है। यह तिथि अमावस्या के बाद पड़ता है इस बल, बुद्धि, विद्या के देवता श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश जी की विशेष कृपा पाने के लिए व्रत रखने और पूजा की परंपरा है।
वैशाख चतुर्थी साल की चार बड़ी चौथ में से एक मानी गई है। कहा जाता है की इस तिथि को व्रत व गणेश जी का पूजन करने से जीवन में सफलता प्राप्त होता है और संकटो से छुटकारा मिलता है। आज हम इस लेख में आपको वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी Vinayak Chaturthi व्रत की शुभ तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन सुख, समृद्धि और धनप्राप्ति के लिए किये जाने वाले उपायों के बारे में बताएँगे।
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विनायक चतुर्थी |
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2021 Vinayak Chaturthi Date 2021
- साल 2021 में वैशाख शुक्ल विनायक चतुर्थी का व्रत - 15 मई शनिवार के दिन रखा जायेगा।
- चतुर्थी तिथि प्रारम्भ होगा - 15 मई प्रातःकाल 7 बजकर 59 मिनट पर।
- चतुर्थी तिथि समाप्त होगा - 16 मई प्रातःकाल 10 बजे।
- विनायक चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त - 15 मई प्रातःकाल 10 बजकर 56 मिनट से सांयकाल 1 बजकर 39 मिनट तक।
- पूजा की कुल अवधि - 02 घंटे 43 मिनट का होगा।
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विनायक चतुर्थी व्रत पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद आप लाल रंग के वस्त्र धारण करें। पूजा घर में गणेश जी का मन ही मन ध्यान कर चतुर्थी व्रत का संकल्प करें। दोपहर पूजा के समय अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने-चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करें।
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पूजा करते समय पूरब या उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठकर गणेश जी की पूजा व स्थापना करें। गणपति जी के सामने कलश स्थापित करें। अक्षत, पुष्प, रोली, माला, मोदक, दूर्वा और पंचामृत भगवान गणेश जी को अर्पित करें। भगवान गणेश जी की विधि पूर्वक पूजन करें, गणेश जी की आरती करें, उन्हें सिंदूर चढ़ाये इसके बाद ॐ गं गणपतये नमः मंत्र को बोलते हुए 21 दूर्वा दल भगवान गणेश जी को चढ़ाये।
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गणेश जी को बूंदी के 21 लड्डू का भोग लगाए इनमें से पांच लड्डुओं का दान ब्राह्मण को तथा पांच लड्डू श्री गणेश जी के चरणों में रखकर बाकि प्रसाद में बाट दें। पूजा के बाद संकट नाशक गणेश स्रोत का पाठ करें। आपमें शक्ति हो तो पुरे दिन व रात का व्रत उपवास करें। नहीं तो आप फल, दूध , दही, फल का जूस भी पीकर व्रत रख सकते है। इस दिन आप नमक ना खाये, इस दिन सेंघा नमक भी ना खाये इसके इस्तेमाल से बचे।
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शाम एक बार फिर से स्नान करके कपडे बदल लें और शाम के समय फिर से गणेश जी का पूजा करें शाम की पूजा के बाद विनायक चतुर्थी व्रत कथा श्रद्धा अनुसार पढ़े या सुने। आप गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि भी इस दिन पढ़ सकते है। इसके बाद गणेश जी की आरती करें तथा गणेश जी के मंत्रो का ॐ गं गणपतये नमः मंत्र की माला जपे। इस व्रत को आप पूरी श्रद्धा और भक्ति पूर्वक करें आपकी सभी इच्छा मनोकामनाएं भगवान श्री गणेश जी जल्द ही पूर्ण करेंगे। भगवान पर विश्वास बनाये रखे विश्वास से ही शक्ति प्राप्त होती है। गणपति जी सभी का मंगल करेंगे इस प्रकार से आप गणेश जी की पूजा करें व्रत करें ।
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विनायक चतुर्थी का महत्त्व
विनायक चतुर्थी पर श्री गणेश की पूजा दिन में दो बार करने से घर में सुख-समृद्धि, आर्थिक सम्पन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि प्राप्त होता है। माना जाता है की चतुर्थी तिथि पर की गयी पूजा के फलस्वरुप व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध होते है और गणेश जी के आशीर्वाद से जीवन में सुख समृद्धि हमेशा बना रहता है।
विनायक चतुर्थी कब पड़ता है Vinayaka Chaturthi Kab Padta Hai
चतुर्थी की तिथि भगवान श्री गणेश जी की तिथि है। हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार श्री गणेश जी की कृपा प्राप्ति से जीवन के सभी असंभव कार्य भी संभव हो जाते है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते है। इस स्थानों पर विनायक चतुर्थी को वर्धा विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
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इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा दोपहर मध्यानकाल में किया जाता है। भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। विघ्नहर्ता यानि आपके सभी दुखो को कष्टों को हरने वाले देवता । इसलिए भगवान श्री गणेश जी लो प्रसन्न करने के लिए विनायक, विनायकी, और संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। प्रति माह शुक्ल पक्ष में आने वाले चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते है यह चतुर्थी भगवान श्री गणेश को समर्पित है।
इस दिन श्री गणेश जी का पूजन करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है। इस दिन गणेश भगवान का व्रत व उपवास करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-दौलत, आर्थिक सम्पन्नता के साथ ज्ञान व बुद्धि प्राप्त होता है।
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विनायक चतुर्थी उपाय
गणेश जी को सभी देवों प्रथम पूज्य माना गया है इसलिए किसी भी कार्य को करने से पहले गणेश जी का पूजन किया है कहते है की यदि`उनकी आराधना के समय नियमो का सही ढंग से पालन कर छोटे-छोटे उपाय किये जाय तो वे व्यक्ति को बल, बुद्धि और विद्या वरदान देने के साथ ही उसके सभी संकटों के हरकर उसकी सभी मनोकामनाओं पूरा करते है। आइये जानते है इस दिन कौन से काम और उपाय करने चाहिए।
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- विनायक चतुर्थी के दिन यदि आप व्रत करके गणेश जी 21 लड्डू लड्डुओं का भोग लगाते है तो इससे घर में सुख समृद्धि आती है।
- पौष मास के चतुर्थी के दिन गणेश जी के समक्ष घी का चौमुखी दीपक जलाने से कार्यों में सफलता मिलता है।
- आज के दिन गणेश जी को पूजा में लाल सिंदूर अर्पित करने से धन में वृद्धि होता है।
- यह चतुर्थी तिथि शनिवार को है जो की शनिदेव के पूजा का दिन है इसीलिए इस दिन गणेश जी के साथ शनिदेव पूजना करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होता है।
- विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा में उन्हें 21 दूर्वा उनके मस्तक पर चढ़ाये इससे मनोकामनाएं जल्द ही पूरा होता है।
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विनायक चतुर्थी व्रत कथा (Vinayak Chaturthi Vrat Katha )
एक बार भगवान सही माता पार्वती के साथ नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। वहां माता पार्वती ने भगवान शिव से समय व्यतीत करने चौपाड़ का खेल खेलना आरम्भ किया परन्तु इस खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा यह प्रश्न आया। तब भगवान शिव ने कुछ तिनके एकत्रित कर उस समय एक पुतला बनाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी और पुतले से कहा कि बेटा हम चौपाड़ खेलना चाहते है तुम हार-जीत का निर्णय करना। हम दोनों में कौन जीता और कौन हारा इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का चौपाड़ खेल शुरू हो गया।
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यह खेल तीन बार खेला गया और संयोग से तीनो बार माता पार्वती ही जीत गई खेल समाप्त होने के बाद बालक से हार-जीत का का फैसला करने के लिए कहा गया। उस बालक ने महादेव को विजयी बताया। यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गई और क्रोध में उन्होंने उस बालक को शरीर से विकलांग होने का श्राप दे दिया। बालक ने माता पार्वती से क्षमा माँगा और कहा कि यह मुझसे अज्ञानवश हुआ है मुझे क्षमा कर दें माँ।
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बालक के द्वारा क्षमा मांगने पर माता पार्वती ने कहा की यहाँ पर गणेश पूजा के लिए नाग कन्याये आएंगी जैसे वे गणेश व्रत की विधि बताये वैसे ही तुम व्रत करो। ऐसा करने से तुम्हे दिया मेरा श्राप समाप्त हो जायेगा। यह कहकर माता पार्वती शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चली गई। एक वर्ष बाद उस स्थान पर नाग कन्याये आई। तब नाग कन्याओं से श्री गणेश के व्रत की विधि जानने के बाद उस बालक ने 21 दिन लगातार गणेश जी का व्रत किया। उसकी श्रद्धा भक्ति से गणेश जी प्रसन्न हुए और बालक मन वांछित वर मांगने को कहा उस बालक ने वरदान में अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर जाने का वरदान माँगा।
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बालक को यह वरदान देकर श्री गणेश जी अंतर्ध्यान हो गए। बालक इसके बाद कैलाश पर्वत पर पहुँच गया और अपने कैलाश पर्वत पर पहुँचने की कथा उसने भगवान महादेव को सुनाया। कुछ दिनों बाद पार्वती जी शिव जी से बिमुख हो गई। देवी के रुष्ट होने पर भगवान शंकर ने भी बालक के बताये अनुसार श्री गणेश जी का व्रत 21 दिनों तक किया। इसके प्रभाव से माता के मन में भगवान भोलेनाथ के लिए जो नाराजगी था वह समाप्त हो गया।
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इस व्रत की विधि भगवान शंकर ने माता पार्वती को बताया यह सुनकर माता पार्वती के मन में भी अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा जागृत हुई। माता पार्वती ने 21 दिन श्री गणेश जी का व्रत किया। दूर्वा, पुष्प और लड्डुओं से श्री गणेश जी का पूजन किया व्रत के इक्कीसवें दिन कार्तिकेय स्वयं पार्वती जी के पास मिलने आये। उस दिन से गणेश चतुर्थी का व्रत मनोकामना पूर्ति करने वाले व्रत माना जाने लगा।
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